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प्रेषिका : कौसर सम्पादक : जूजाजी उनके झटके बढ़ते गए और एकदम से उन्होंने पानी की धार मेरी चूत में छोड़ दी और वो मुझसे चिपक गए। मैं भी अपने आप को रोक ना सकी और मैंने भी पानी छोड़ दिया, मैं भी उनसे चिपक गई, उनका लण्ड अब भी मेरे अन्दर ही था। हम करीब दस मिनट तक ऐसे ही पड़े रहे, फिर ससुर जी उठे और अपने कमरे में जाते हुए बोले- बहू.. अब नहा कर खाना लगाना! वो मेरे ऊपर से उठे तो मुझे बड़ा हल्का सा लगा, पूरा जिस एकदम टूट गया था। जब वो आए थे तो मैं रोटी बनाने की तैयारी कर रही थी। मैं सीधे गुसलखाने में गई और फव्वारा चला कर अच्छे से नहाने लगी। फिर रसोई में आ कर रोटी बनाने लगी पर मैं अभी भी नंगी ही थी, क्योंकि मुझे पता था कि ससुर जी मुझे कुछ पहनने नहीं देंगे, वो बहुत जिद्दी हैं। तब तक करीब साढ़े नौ बज चुके थे। ससुर जी ड्राइंग रूम में थे, मैंने उनका और अपना खाना लगाया और ड्राइंग रूम में आ गई। ससुर जी- आ जा बहू… लगा दे खाना, बहुत थक गया हूँ… जल्दी सोना चाहता हूँ। मैंने अपनी नजरें उनसे नहीं मिलाईं और खाना लगा दिया। हम दोनों ने खाना खाया और फिर मैं अपने कमरे में आ गई। मेरा पूरा जिस्म दुख रहा था, आज तो उन्होंने मेरे साथ दो बार चुदाई की थी। मुझे लग रहा था कि जैसे मेरे अन्दर से कुछ निकल गया है। मैं अपने बेड पर आई और गिर पड़ी, मैं इस समय भी एकदम नंगी थी, मुझे पता नहीं चला कब आँख लग गई और जब मोबाइल का अलार्म सुबह बजा तब ही आँख खुली। मैं जल्दी से गुसलखाने में नहा कर ससुर जी के लिए नाश्ता बनाने रसोई में गई। मैंने जल्दी-जल्दी सारा काम खत्म किया और ससुर जी के लिए नाश्ता लगा कर ड्राइंग रूम में ले आई। वो अभी अख़बार पढ़ रहे थे, मैंने कहा- बाबूजी नाश्ता कर लीजिए! तब मैंने शिफौन की साड़ी पहनी थी जोकि मेरे जिस्म से एकदम चिपकी हुई थी, पर आज मैंने सिर पर पल्ला नहीं रखा था और बाल भी खुले छोड़ दिए थे। ससुर जी बोले- बहू, सिर पर पल्ला क्यों नहीं किया? और तू क्या मुझसे नाराज़ है, जो आजकल सलाम भी नहीं करती? मैंने सोचा अब पल्ला करने को क्या बचा है सब कुछ तो इन्होंने मेरा लूट लिया है, पर कह रहे थे, तो मैंने पल्ला कर लिया और सलाम भी कहा। ससुर जी- जीती रह बेटा…! मेरे सिर पर हाथ रख कर प्यार किया और नाश्ता ले लिया। फिर मैं बाकी का काम निपटाने रसोई में आ गई और थोड़ी देर में आवाज़ आई- बहू दरवाजा बंद कर ले, मैं स्कूल जा रहा हूँ। अब मैं घर पर अकेली थी, मैंने जल्दी से घर का सारा काम निपटाया, करीब 11-00 बज गए। फिर मैं अपना नाश्ता लेकर ड्राइंग रूम में बैठी और खाने लगी। मैं नाश्ता कर रही थी और जो मेरे साथ दो दिन में जो हुआ वो सोच रही थी कि मेरे अपने ससुर जी के साथ ग़लत रिश्ते बन गए। मैं उनको कैसे रोकूँ और क्या जो वो मेरे साथ कर रहे हैं, वो ठीक है? फिर मैंने सोचा कि क्या इंसान की सेक्स की भूख इतनी ज़्यादा होती है कि उस समय उससे कुछ नहीं दिखता और फिर मैं अपने आप को कोसने लगी कि मैं कैसे इस ग़लत रिश्ते में अपने ससुर जी का साथ दे रही हूँ। फिर मैंने थोड़ा टीवी चला लिया और फिर थोड़ी देर में मेरी आँख लग गई। दरवाजे की घन्टी बजी तो देखा दो बजे थे। मैंने दरवाज़ा खोला तो ससुर जी थे, वो अन्दर आ गए, मुझसे कुछ नहीं बोले। मैंने उनका दोपहर का खाना भी लगा दिया खुद भी वहीं बैठ कर खाया और फिर अपने कमरे में आ गई। फोन में शाम के 5-30 का अलार्म सैट किया और फिर सो गई। अलार्म बजा तो मैं फ़ौरन उठ गई, सीधी रसोई में गई, ससुर जी और अपने लिए चाय बनाई और ड्राइंग रूम में आ गई। मैंने अभी भी साड़ी पहनी हुई थी। ससुर जी वहीं थे और टीवी देख रहे थे। ससुर जी- बहू.. कल मैंने तुझे कुछ कहा था ना? मैंने उनसे नजरें नहीं मिलाईं और बोली- क्या बाबूजी? ससुर जी- मैंने कहा था, शाम को तेरे जिस्म पर एक भी कपड़ा नहीं चाहिए मुझे, तू फिर भी साड़ी में आई है! मैंने कुछ कहना चाहती थी कि तभी मेरी नज़र ससुर जी के बैंत पर पड़ी जिससे वो स्कूल में बच्चों को मारा करते थे। वो एक पतली सी डंडी थी जो करीब 3 फिट की होगी। उन्होंने वो उठा ली और मेरे चूतड़ों पर एक ज़ोर से मारी। मेरी चीख निकल गई, वो बहुत तेज़ लगी थी। तभी उन्होंने दुबारा उससे मारने के लिए उठाया, तो मैंने कहा- बाबूजी… प्लीज़ बहुत दर्द हो रहा है… प्लीज़ मत मारो..! ससुर जी- अगले दो मिनट में तू एकदम नंगी हो जा! मैंने डर के मारे अपने सारे कपड़े वहीं उतार दिए। मैं अब फिर बिना कपड़ों के थी। ससुर जी- तूने ग़लती की है तो सज़ा तो मिलेगी बेटा, चल चार पैरों पर बैठ जा..! मैं यह सुन कर सुन्न रह गई, पर क्या करती उनकी डंडी से डर के मारे एक ही बार में ड्राइंग रूम में घुटनों के बल और अपने दोनों हाथ फर्श पर रख कर कुतिया स्टाइल में बैठ गई। ससुर जी- बहू, तू आज मेरी कुतिया है और मैं तेरा कुत्ता, आज मैं तुझे इसी हालत में चोदूँगा! मैंने कहा- प्लीज़ बाबूजी… आज मत करिए प्लीज़… बहुत दर्द है वहाँ पर.. प्लीज़! ससुर जी- मैंने तुझे बोलने को नहीं कहा और बेटा अताउल्ला ने तुझे कभी अच्छे से नहीं रगड़ा, मैं तो बस अपने बेटे का काम कर रहा हूँ। मैं सोचने लगी कि ससुरजी को क्या हो गया है, वो मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं यह तो यातना है। पहले उन्होंने मुझे मेरे ही बेडरूम में लिटा कर किया, फिर दीवार के सहारे खड़ा कर के चोदा, फिर रसोई में आधा बैठा कर और अब कुतिया बना कर चोदेंगे। मैं तो अन्दर से काँप रही थी कि वो आगे-आगे क्या करेंगे? मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और कुतिया बन कर ही बैठी रही। ससुर जी चाय पीते जा रहे थे और अपने आगे मुझे बिठा रखा था और तभी उन्होंने फिर से एक डंडी मेरे चूतड़ों पर ज़ोर से मार दी। मेरी जान निकल गई- प्लीज़ बाबूजी… प्लीज़.. मुझ पर रहम करो… बहुत दुख रहा है, प्लीज़ मत मारो! ससुर जी- बेटा थोड़ी देर और सहन कर ले, फिर तुझे अपने आप अच्छा लगेगा.. फिर मेरे एक और पड़ी। इस तरह वो तेज़-तेज़ 5-6 डंडी मेरे चूतड़ों पर मारते रहे और चाय पीते रहे। तभी मैंने देखा बाबूजी जो बैग स्कूल ले जाते थे, वहीं ड्राइंग रूम में था। ससुरजी- बहू मैं तेरे लिए आज भी कुछ लाया था। आज मार्केट गया था, वहीं से लाया हूँ..! अपना बैग मेरे मुँह के आगे रख दिया। मेरे दोनों हाथ तो ज़मीन पर थे, क्योंकि मैं कुतिया बन कर बैठी थी, तो उन्होंने ही बैग खोल दिया। मैंने देखा तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए। उसमें सेक्स टाय्स थे। करीब एक 10 इंच लंबा और 3 इंच मोटा बाईब्रेटर लाल रंग का और एक नीले रंग का बाईब्रेटर जो करीब 6 इंच लंबा और 3 इंच मोटा होगा। एक काले रंग की पैन्टी, लड़कियों के मुँह पर बाँधने वाली पट्टी जिसमें एक बॉल लगी होती है, जिससे लड़कियाँ चीख ना सकें और एक रिमोट भी था। कुछ सेल और एक काला हंटर, एक काले रंग का चैन लगा हुआ कॉलर, एक बेबी आयल की बोतल और कुछ सैट की जा सकने वाली पट्टियाँ पड़ी थीं। मैंने ऐसी चीजें कभी नहीं देखी थीं। मुझे नहीं पता था कि शिकारपुर में ऐसे सेक्स टाय्स भी मिलते हैं। ससुर जी चाय पी रहे थे और मैं उनकी लाई चीजों को देख रही थी। मैंने देखा जो 10′ इंच लंबा बाईब्रेटर था वो सिलिकॉन का था और उस पर जैसे कैक्टस पर काँटे होते हैं, वैसे ही कई डॉट्स थे…! मुझे तो उस बाईब्रेटर को देख कर ही डर लग रहा था। पर जैसे-जैसे ससुर जी मेरे चूतड़ों पर वो डंडी मार रहे थे, मुझे दर्द तो हो रहा था पर पता नहीं क्यों मेरी चूत में भी सनसनी हो रही थी और मेरे चूचुक खड़े होने लगे थे। मैंने सोचा- या अल्लाह, मेरा जिस्म भी ससुर जी का साथ दे रहा है! तभी ससुर जी उठे और ड्राइंग रूम से बाहर चले गए। मैं उस समय वैसी ही हालत में बैठी रही। जब वो वापिस आए तो उनके हाथ में, 4 बड़े-बड़े लगभग 3 फीट लंबे बांस के डंडे थे। मैं सोच में थी कि वो क्या करने जा रहे हैं और वो मेरे पास आ गए। उन्होंने कहा- बेटा, अब हिलना मत। मैं वैसे ही रही। वो मेरे दोनों हाथ और दोनों पैरों को उन 4 डंडों से बाँधने लगे। उन्होंने वो डंडे मेरे हाथ और पैरों पर वर्गाकार में ज़मीन पर बाँध दिए। अब मैं ना तो हिल सकती थी और ना ही अपने हाथ-पैरों को हिला सकती थी। मैं अब कुतिया बन कर ही रह सकती थी, ना उठ सकती थी, ना ही नीचे लेट सकती थी। उन्होंने मुझे बाँधने के लिए उन डोरियों का सहारा लिया था जो उनके बैग में थीं। मैं रोने लगी- बाबूजी प्लीज़, ये क्या कर रहे हैं? ससुर जी- बहू, बस थोड़ी देर की बात है। तभी मेरा फोन बज उठा, समय करीब 7-00 बजे का होगा, मैं तो हिल भी नहीं सकती थी, तो बाबूजी ने ही देखा, अताउल्ला का ही फोन था। उन्होंने खुद फोन उठा कर मेरे कान पर लगा दिया। अताउल्ला- हाय जान…. क्या हो रहा है, सब काम खत्म हो गया शाम का…! मेरी तो बँधे-बँधे जान निकल रही थी।, मैंने कहा- नहीं.. अभी तैयारी कर रही हूँ। बहुत काम है, अभी बात नहीं कर पाऊँगी। अताउल्ला- तो चलो, अब्बू जी से ही बात करा दो। मैंने कहा- ठीक है..! और ससुर जी को आँखों से ही इशारा किया कि अताउल्ला बात करना चाहते हैं। ससुर जी- और बेटा कैसा है तू…! अताउल्ला- ठीक हूँ अब्बू, आप कैसे हैं और क्या कर रहे थे? ससुर जी बोले- बेटा.. मैं भी काम करने की तैयारी ही कर रहा था। और मुझे देख कर मुस्कराने लगे। मुझे पता था उस काम से उनका क्या मतलब है। वो बोले- बेटा चल.. अभी जल्दी में हूँ..! और फोन रख दिया। मैंने कहा- ससुर जी.. प्लीज़ मुझे ऐसे क्यों बाँध रखा है… आपने जो कहा वो मैंने किया, प्लीज़… अब ये क्या कर रहे हैं आप? प्लीज़ मुझे छोड़ दीजिए…! मुझे रोना आ रहा था। ससुर जी- चल बहू, तू जल्दी कर रही है तो ठीक है, बस आधा घंटा और इस तरह रहना है तुझे! उन्होंने अपना बैग उठाया और 10 इंच लंबा वाला लाल रंग का बाईब्रेटर निकाला और उसमें सेल डालने लगे। मुझे तो पहले से इसी बात का शक था। मैं सोचने लगी- इसको अब वो मेरे अन्दर…! हाय अल्लाह..! मेरी हालत खराब होने लगी। मैंने कहा- बाबूजी प्लीज़… मुझे पता है आप क्या करना चाहते हैं… प्लीज़ ऐसा मत करिए… ये बहुत लंबा है….बाबूजी प्लीज़… ऐसा मत करना..! और मैं चीखने लगी। कहानी जारी रहेगी। आपके विचारों का स्वागत है। आप मुझसे फेसबुक पर भी जुड़ सकते हैं। https://www.facebook.com/zooza.ji
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