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सलोनी रानी ने कहा- तू राजे… एकदम सीधा लेट जा… मैं तेरी तरफ अपने चूतड़ रखूंगी… तू चूसे जाना ! इतना कह के सलोनी रानी ने मेरी छाती पर हाथ रखकर मुझे लेट जाने दिया और वो खुद मेरी छाती पर चढ़ कर बैठ गई, अपनी गाण्ड उठाकर मेरे मुँह की तरफ की और झुक कर मेरा तन्नाया हुआ लंड सहलाने लगी।
मैं उसके कोमल हाथों के स्पर्श से लहक गया। सलोनी रानी ने लंड के मुँह पर उभरी हुई एक बूंद को चाट लिया और खाल पीछे करके सुपारा नंगा करके मुँह में ले लिया। इधर मैंने पहले तो उन लज़ीज़ नितंबों पर जीभ फिराई और फिर मैंने उसकी गाण्ड के छेद को जीभ खूब गीली करके चाटा। सलोनी रानी के मुँह से मस्ती के मारे सुपारी ही बाहर निकल पड़ी और एक गहरी आह उसके मुँह से उभरी।
मैंने जीभ को और गीला किया और उसे गाण्ड के छेद में घुसा दिया। अब तो सलोनी रानी ने एक किलकारी मारी। उसे उत्तेजना में यह भी ध्यान न रहा कि इतनी ऊँची आवाज़ में किलकारी होटल में सुनी जा सकती है, बड़ी तेज़ी से उसने अपने गोरे बेहद खूबसूरत चूतड़ हिलाये तो मैंने जीभ और अंदर घुसा दी। फिर मैंने अपने दोनों अंगूठे सलोनी रानी की चूत में घुसा दिये और ऊपर को भग्नासा को हौले से दबाया तो लंड चूसना भूल के सलोनी रानी धड़ाम से झड़ी, मेरे अंगूठे चूत के रस में सराबोर हो गये तो मैंने अपनी जीभ गाण्ड से निकाल कर चूत में घुसा दी और खूब अच्छे से भीतर घुमाई। सलोनी रानी मज़े में फिर से झड़ी और मेरा मुँह रस से भर गया। माशा अल्लाह !!! चूतामृत से मेरी तो आत्मा तक तर गई।
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सलोनी रानी अब धकाधक अपनी चूत मेरे मुँह से मसले जा रही थी। उसने दुबारा से लंड का टोपा चूसना शुरू कर दिया था। वो झड़े जा रही थी और सुपारी चूसे जा रही थी।
फिर वो शांत हो कर मेरे ऊपर पड़ गई और लेटे लेटे लंड को चूसती रही, जब सारा रस खत्म हो गया तो मैंने दुबारा जीभ उसकी गाण्ड में घुसा दी।
गाण्ड चूसवाने का ज़बरदस्त आनन्द उसकी सहनशक्ति से आगे निकल गया, हाय हाय हाय… करती हुई सलोनी रानी ने बड़े ज़ोरों से लंड को मुँह में आगे पीछे आहे पीछे करना आरंभ कर दिया, कभी लंड को बाहर करती और ‘हाय मेरी मां, हाय मैं मर गई’ कहती और फिर लंड को पूरा गले तक घुसा लेती। जितनी जीभ गाण्ड में जा सकती थी उतनी घुसा कर मैं उसकी जीभ से ही गाण्ड मार रहा था।
मैं भी अब झड़ने वाला हो चुका था, एक सुरसुरी बड़ी तेज़ी से मेरी रीढ़ की हड्डी में इधरा उधर आ जा रही थी और मेरे अंडों में दबाब इतना बढ़ गया था कि बस फटने को ही थे। सलोनी रानी दनादन लंड को चूसे जा रही थी।
अचानक मेरे गोलों में एक पटाखा सा फूटा और मैं झड़ गया, लावा फूट फूट के सलोनी रानी के मुँह में गिरता चला गया।
तभी सलोनी रानी भी एक बार फिर से झड़ी और बड़े ज़ोरों से झड़ी। एक रस की फुहार मेरी ठुड्डी पर आई। मैंने तुरंत जीभ गाण्ड से निकाली और मचल मचल के चूत से बहत हुआ रस पीता गया। हम काफी देर तक ऐसे ही पड़े रहे, फ़िर देखा तो सलोनी रानी गहरी नींद में थी। ऐसा होता है, जब लड़की कई बार झड़ती है तो उसे अक्सर नींद आ जाती है।
मैं सोई हुई उस परी को निहारने लगा। सिर से पैरों तक उसके हर एक अंग तो अच्छे से अपनी आँखों में बसा लिया। लड़की थी या क्या क़यामत थी, झरने की तरह कंधों तक लहराते हुए रेशमी बाल, बड़ी बड़ी मर्दों को लुभाने वाली चूचियाँ, उन पर सीधी खड़ी हुई काले रंग की निप्पल, निप्पालों का अच्छा बड़ा दायरा !!! मेरा दिल करा कह दूँ ‘सलोनी रानी जब तू माँ बनेगी तो मैं तेरा दूध पियूँगा।’
अभी तक मैंने सिर्फ दो लड़कियों का ही दूध पिया है चंदा रानी का और जूसी रानी का, सलोनी तीसरी होगी। सुन्दर चिकनी बाहें, उतने ही सुन्दर हाथ और पैर देख देख कर लंड गुर्राने लगा। उसके पैर और टखने बहुत ही अधिक सुन्दर, सुडौल थे, टांगें और जाँघें ऐसी कि आदमी मर मिटे। उनको निहार कर तो साधु संत भी राम भजन भूल के देह शोषणकर्ता बन जाएँ। काश कि उसके पैरों में पायज़ेब भी होती !
मेरा दावा है पायज़ेब से उसके पैरों की खूबसूरती में चार चाँद लग जाते। मैंने नोट कर लिया कि अगली बार जब मिलन होगा तो मैं एक खूबसूरत सी सोने कि पायज़ेब बनवा कर साथ लाऊँगा और चुपके से सलोनी रानी के जब पैर चाटूँगा तो पहना दूंगा।
सलोनी रानी एक पूरा पका हुआ फल थी जिसे फौरन ही चूस लेना बहुत ही ज़रूरी था। यदि यह कहा जाये कि इस फल को चूसने में देर करना स्त्री जाति के विरुद्ध अपराध है तो गलत ना होगा। मैंने सलोनी रानी के कान के पीछे अपनी जीभ गीली करके फिराई, सलोनी रानी कसमसाई लेकिन जागी नहीं। मैंने उसके कान की लौ को चूसा और फिर जीभ कान के अंदर घुमाई। इस बार वो जग गई और ऊँ…ऊँ…ऊँ… करने लगी। मैंने तुरंत ही उसका मुखड़ा हाथों में लेकर उसके रसीले होंठ चूसे, उसने भी खुश होकर चुम्मे में मेरा पूरा साथ दिया।
मैंने उसकी चूचियाँ निचोड़नी शुरू कीं, पहले मैं हौले हौले निचोड़ रहा था, सलोनी रानी ने आहें भरनी शुरू कर दीं, उसने अपनी टांगें मेरी टांगों से कस के लपेट दीं। मैंने चूची अब थोड़ा ज़ोर से दबाईं। सलोनी रानी को और मज़ा आया और वो सिसकारियाँ भरने लगी।
मैंने चूचियाँ निचोड़ते हुए सलोनी रानी के पेट को चाटना आरंभ किया, पेट पर जीभ गीली कर मैं दाएं से बायें चाटता एक सिरे से दूसरे सिरे तक, उस सिरे पर पहुँच कर फिर चाटता हुआ वापस आता। इस चटाई ने तो सलोनी रानी को बौरा दिया और वो अजीब अजीब सी आवाज़ें ऐसे निकाल रही थी जैसे उसका गला भिंच गया हो। मैं अब चूचियों को पूरी ताक़त से दबा रहा था, साथ साथ सलोनी रानी के पेट को चाटते हुए अब मैं उसकी नाभि तक जा पहुँचा था। जीभ टाइट करके मैंने उसकी नाभि में घुसा दी और गोल गोल घुमाने लगा।
फिर क्या था मज़े से पागल होकर सलोनी रानी ने टांगें छटपटानी शुरू कर दीं। मैंने अपने दोनों अंगूठे सलोनी रानी की चूचियों में पूरी ताक़त से गाड़ दिये, वो मस्ता के बार बार ‘राजे राजे राजे’ पुकारने लगी, बोली- अब कितनी देर और इंतज़ार करवायेगा मादरचोद… दस बार तो झड़ चुकी हूँ, अब राजे, एक बार लंड घुसा के भी मुझे झड़ने दे। हाय राजे हाय हाय आज तो हरामी कुत्ते तू चाट चाट के मेरी जान ही निकाल देगा। अरे सूअर के बच्चे मैं फिर झड़ रही हूँ… कितना झाड़ेगा… चूत का सारा जूस निकाल गया तो तू ही रोयेगा साले… तू ही तरसेगा रस पीने को… आआआआ ह ह ह.. तू राजे मुझे गला दबा के मार दे… इतना मज़ा लेकर मेरे को अब जीना ही नहीं… आआआ ह ह ह ह ह… पता नहीं फिर इतना मज़ा मिले ना मिले… राजे राजे राजे… कुत्ते कमीने… हाय हाय हाय किस बहन के लौड़े से मैं फंस गई… ओ ओ ओ ओ हो…’
मैं बोला- चुप रह कुतिया… तेरी चूत तो सौ मर्दों को रस पिलाएगी तो भी खाली ना होगी… अब पड़ी रह और मज़ा भोग… फालतू बक बक की तो हरामज़ादी की मां चोद दूंगा… इतना कह के मैंने उसकी झाटों को चाटना शुरू किया। सलोनी रानी तड़पे जा रही थी और कुछ कुछ बके जा रही थी और साथ साथ झड़े जा रही थी।
अब मैंने सलोनी रानी की चूत के होंठों पर ध्यान दिया, चूत के होंठ काफी बड़े थे और गुलाबी गुलाबी थे। देखते ही अब मुझ पे पागलपन छा गया, मैंने होंठ चौड़े किये तो पूरी तरह रस से रिसती हुई बहुत हल्के गुलाबी रंग की चूत के जो दर्शन हुए तो यारों मेरा क्या हाल हुआ मैं बता नहीं सकता। बुर से रस फफक फफक कर बहे जा रहा था, चूत के होंठों के ऊपर के कोने में उसके स्वर्ण रस का छेद दिखा जो कि ढका हुआ था। सलोनी रानी बार बार मेरा नाम पुकारे जा रही थी।
स्वर्ण रस के छेद की खाल को ज़रा सा उपर खींच कर मैंने छेद को नंगा कर दिया और अपनी जीभ अकड़ा के ज़ोर से छेद पर मारी। बस क्या था, सलोनी रानी तो जैसे बिदक गई, इतनी ज़ोर से सीत्कारें भरीं कि मैं डर गया कि होटल वाले दूसरे यात्री शिकायत ना कर दें कि इस कमरे में चुदाई का बहुत शोर हो रहा है। मैंने बार बार ज़ोर ज़ोर से स्वर्ण रस के छेद पर जीभ के ताबड़तोड़ प्रहार किये तो सलोनी रानी दसियों बार झड़ी, अब गिड़गड़ाने करने लगी कि राजे अब तो बख्श दे, अब तो मज़ा भी बर्दाश्त नहीं हो रहा। मैं बोला- क्यों रण्डियों की गुरु, अब क्यों गाण्ड फटी… अभी रुक ज़रा चूत में लंड ठोकने दे… अभी तो रो रही थी कि लंड दे, लंड दे, लंड दे… अब क्या हुआ… पड़ी रह चुपचाप… एक शब्द भी निकाला तो तेरी मां को चोदूंगा तेरे सामने… हराम की ज़नी को लंड पकड़ने की तमीज़ नहीं है, चली थी चुदवाने ! मैं उसकी जाँघों के बीच घुटनों के बाल बैठा और एक ही शॉट में लंड चूत में ठोक दिया। सलोनी रानी ने एक चीख मारी और तड़पने लगी, ज़ोर ज़ोर से अपना सिर इधर से उधर हिलाने लगी।
एक गर्म गर्म सा गीला गीला चिपचिपा सा अहसास मेरे लंड को हुआ। मैं बुरी तरह चौंका- अरे यह सलोनी रानी कहीं कुंवारी तो नहीं है क्योंकि ऐसा गर्म गर्म चिपचिपा तरल खून ही हो सकता है।
मैंने झुक के नीचे को देखा, सच में सलोनी कुंवारी ही थी, खून थोड़ा थोड़ा चूत से बाहर भी आ गया था। मुझे सलोनी रानी पर बहुत प्यार आया। इसने बताया भी नहीं कि यह कुंवारी है। पता होता तो मैं धीरे धीरे लंड को ज़रा कोमलता से घुसाता।
मैंने प्यार से भर कर उसका मुँह चूमा और बड़ी नरम आवाज़ में कहा- रानी, तूने बताया क्यों नहीं कि तू कुंवारी है… मैं आराम से चूत में घुसेड़ता… तुझे दर्द भी बहुत कम होता ! ‘राजे मैं तो तुझे एक सरप्राइज़ देना चाहती थी… मेरी बहुत इच्छा थी कली से फूल बनने की… राजे आज तूने मेरी तमन्ना पूरी की… सील तोड़ दी मेरी… और इतना मज़ा भी दिया तूने… तूने आज मुझे जीत लिया… अब बस चोद जैसे तुझे चोदना है वैसे ही कर… दर्द हुआ था जब सील फटी थी अब नहीं है… चल चोद दे अपनी सलोनी रानी को।
मैंने उसका मुँह चूमते चूमते धक्के लगाने शुरू किये, मैं धक्कों की स्पीड मिक्स कर रहा था, कभी कुछ धक्के हौले हौले फिर कुछ धक्के तेज़ और फिर एक या दो धक्के बहुत तगड़े। सलोनी रानी फिर से मस्ता गई थी, बोलना चाहती थी लेकिन उसका मुँह बंद कर रखा था अपने मुँह से। सलोनी रानी भी नीचे से अपने चूतड़ उछाल उछाल कर चुदवा रही थी, दन दन दन धक्के पे धक्का, धक्के पे धक्का, और धक्के पे धक्का!!! सलोनी रानी ने मेरी पीठ पर मस्ती में अपने नाखून गड़ दिये और ज़ोर ज़ोर से खरोंचें लगा दीं।
उसने अपना मुँह मेरे मुँह से अलग किया और एक बार फिर ज़ोर से नाखूनों से मेरी पीठ को खुरचा, भिंची भिंची आवाज़ में बोली- मां के लौड़े… इतने ज़ोर से होंठ चूस रहा था… मेरी सांस बंद कर दी… बस झड़ने वाली हूँ म़ैं… अब धक्का दे हाँ दे..दे…दे… हाँ हाँ, ऐसे ही… दिये जा राजे… हाय राजे मेरा बदन कहाँ उड़े जा रहा है। सलोनी रानी इतने ज़ोर से स्खलित हुई कि चूतड़ उछाल उछाल कर उसने बेड हिला के रख दिया। यहाँ तक कि उसकी सु सु भी निकल गई, उसका स्वर्ण रस धड़ा धड़ छूटा और हम दोनों की जाँघें भीग गईं, बिस्तर भी भीग गया। उसके स्वर्ण रस की गर्मी जैसे ही मुझे महसूस हुई, म़ैं भी चरम सीमा पर पहुँच गया और झड़ गया, ढेर सारा लावा सलोनी रानी की चूत में भर गया।
म़ैं निढाल होकर उसके ऊपर ढेर हो गया, मेरा वज़न सलोनी रानी कैसे झेल गई पता नहीं। बहुत देर तक हम यूँ ही पड़े रहे। फिर म़ैं उठा, देखा लंड बाहर फिसल चुका था और मुरझा के ज़रा सा हो गया था। मैंने उसकी चूत और चूत के आस पास का शरीर चाट के साफ किया और अपना लुल्ला सलोनी रानी के पास ले आया, उसने भी चाट के सब साफ कर दिया।
मैंने पूछा- रानी एक बात बता… तू है तो कुंवारी लेकिन तुझे चूत चुदाई की बातें सब पता हैं… तू लंड चूसना इतना बढ़िया कैसे जानती है? सलोनी रानी हंसकर बोली- म़ैं इंटरनेट पर ब्लू फिल्में देखती हूँ… इसलिये पता है… उन फिल्मों में सबसे ज़्यादा लंड चूसना ही तो दिखाया जाता है। इसलिये लड़कियाँ लंड चूसने की कला सीख जाती हैं… लेकिन राजे जो तू चाट चाट के तर कर देता है वो किसी फिल्म में नहीं देखा कभी। यह मेरे लिये नई बात है… स्वर्ण रस पीना भी मेरे लिये नई चीज़ है… तू बहुत बहुत मज़ा देता है… राजे कोई भी लड़की तुझ से चुद के तेरी गुलाम ही बन के रहेगी। ‘नहीं सलोनी रानी… बल्कि म़ैं चाहता हूँ लड़की का गुलाम बनके रहना… रहा स्वर्ण रस का सवाल तो हर ब्लू फिल्म की साइट पर एक केटेगरी होती है जिसे SQUIRTING या GOLDEN SHOWER कहा जाता है… उसमें स्वर्ण रस पीने वाले बहुत लोग मिलेंगे… GOLDEN SHOWER का ही हिन्दी रूपान्तर है स्वर्ण रस या कह लो स्वर्णामृत। अपना शरीर चटवाने में लड़की को बहुत मज़ा आता है ऐसा मेरा अनुभव है… यह मुझे मेरी सेक्स गुरु बाली रानी ने सिखाया था… बाली ने ही मेरी पहली पहली बार चुदाई की थी… यूँ कह लो मेरी नथ खोली थी।’
इसके बाद सलोनी रानी ने फिर से मुझे अपना स्वर्ण रस पिलाया और मेरा पिया। अब हमारे चलने का टाइम भी हो चला था। चलते चलते मुझ से रहा ना गया और मैंने पूछ ही लिया- रानी, जब तुम माँ बनोगी तो मुझे अपना दूध पीने दोगी ना? सलोनी रानी हंसी और एक मुक्का मेरे सीने पर मारकर बोली- यह तो ससपेन्स रहना चाहिये ना मेरे राजे… तू कमीने सोचता रह दूध पीने को मिलेगा नहीं मिलेगा, मिलेगा नहीं मिलेगा…बस यही सोचे जा।
एक बार फिर से एक खूब लम्बी चुम्मी लेकर पहले सलोनी रानी निकली और उसके एक घंटे के बाद म़ैं भी होटल से चेक आउट करके अपने घर आ गया। आशा करता हूँ कि पाठकों को यह कहानी पसंद आई होगी। जो पाठक कोई राय सुधार के लिये देना चाहे तो उसका बहुत धन्यवाद मैं पहले ही दिये देता हूँ।
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