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राहुल शर्मा मेरा नाम राहुल है। यह कहानी तब की है जब मैं 19 साल का था। मैं गर्मियों की छुट्टी में अपनी नानी के घर गया हुआ था। वहाँ के बारे में बता दूँ, मेरे 4 मामा हैं और सबकी शादी हो चुकी है। मेरे तीसरे नम्बर के मामा गायक हैं वो ज्यादातर देश से बाहर ही रहते हैं जिस वजह से घर पर ज्यादा नहीं रह पाते हैं। जब मैं वहाँ पहुँचा, सबने ख़ुशी से मेरा स्वागत किया। मैं पूरे दिन कभी किसी मामा के पास तो कभी किसी मामी के पास जाता रहा और बात करता रहा। रात हो गई, लगभग 10 बज गए थे। मुझको समझ नहीं आ रहा था कि कहाँ सोना है क्योंकि घर काफी बड़ा था। मेरे मामा ने छत पर एक अलग कमरा बना रखा था, जिसमें आकर वो गाने की प्रैक्टिस करते थे। मैंने वहाँ सोने की सोची, अपनी नानी से कमरे की चाभी ली और जाकर देखा कमरा बहुत अच्छा बना हुआ था, देख कर दिल खुश हो गया। वहाँ बेड नहीं था, पर जमीन पर एक बढ़िया सा गद्दा बिछा हुआ था। पूरे कमरे में कालीन बिछा हुआ था, साइड में एक सोफा भी था जो काफी अच्छा था। मैं गद्दे पर एक चादर लेकर सो गया। रात के लगभग 11 बजे होंगे कि कमरे का दरवाज़ा एकदम से खड़का, मैंने सोचा कि इस वक़्त कौन होगा, जब दरवाज़ा खोल कर देखा तो मेरे मामी थीं, जिनके पति सिंगर थे, मामी के हाथ में दूध का गिलास था। मामी ने कहा- लो राहुल, दूध पी लो! मैंने कहा- आईए.. मामी जी अन्दर आ जाइए। वो अन्दर आ गईं, वो सोफे पर आकर बैठ गईं। मैं दूध पीते-पीते उनसे बात करने लगा.. बातों-बातों में उन्होंने कहा- और राहुल, कितनी गर्ल-फ्रेण्ड बना लीं? मैंने कहा- कितनी मतलब.. मामी जी.. अभी तक तो एक भी नहीं बनी! उन्होंने कहा- ओह्ह.. इतने स्मार्ट हो.. फिर भी अब तक गर्ल-फ्रेण्ड नहीं बनाई, फिर शादी क्या मम्मी की मर्जी की लड़की से करोगे? मैंने कहा- नहीं.. देखूँगा, जब तक कोई मिल गई, तो उससे कर लूँगा! तो मामी ने कहा- कैसी लड़की चाहिए तुमको? मैंने कहा- लड़की कैसी भी हो, बस मेरा ध्यान रखने वाली होनी चाहिए! उन्होंने कहा- सही है.. फिर तो मेरी एक भांजी है.. उससे बात करवा देती हूँ तुम्हारी! मैंने कहा- नहीं.. नहीं.. ऐसे-कैसे मामी… मैं तो उसको जानता भी नहीं! वो बोलीं- मेरे जैसी है एकदम दिखने में! मैंने कहा- ओह्ह.. फिर तो सही है… मिलवाओ किसी दिन… इतनी बातें करने के बाद में मामी के साथ काफी खुल गया था। इतनी सब बातों में 12 बज गए, मामी बोली- मैं अब चलती हूँ, काफी देर हो गई है.. तुम सो जाओ। मुझे मामी अब थोड़ी सेक्सी टाइप लग रही थीं, मैंने मामी को उस नज़र से पहले कभी नहीं देखा था। मैंने कहा- मामी, आप इतनी रात को नीचे क्या जाओगी.. छोड़ो, यहीं सो जाओ..! मामी ने कहा- अरे यहाँ एक ही बिस्तर है! मैंने कहा- कोई बात नहीं, मैं तो वैसे भी सोफे पर सोने वाला हूँ। वो मान गईं। हम फिर वापस बात करने लगे वो गद्दे पर लेट कर और मैं सोफे पर! बातों-बातों में मैंने मामी से पूछा- मामा जी तो इतने इतने दिनों के बाद घर आते हैं, आपका मन कैसे लगता है? इस बात पर वो थोड़ी सी उदास सी हो गईं, उन्होंने कहा- क्या कर सकते हैं.. काम ही ऐसा है उनका! उनकी आँखों में हल्का सा पानी था। मुझे लगा यही सही समय है, लोहा गरम है वार कर देना चाहिए। मैंने कहा- अरे मामी, आपकी आँखों में आँसू..! और मैं उनके गद्दे पर आ गया, मैं उनके होंठों के पास आने होंठ ले आया और मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। पता नहीं उस समय उनको भी क्या हो गया कि उन्होंने अपनी बाहों में मुझको जकड़ लिया और चूमने लग गईं। मैं भी उनका पूरा साथ दे रहा था। हम दोनों गद्दे पर एकदम लिपट गए थे, मामी की साड़ी का पल्लू उनसे छिटक गया था। मैं भी उनसे लिपट कर उनको चुम्मी कर रहा था। जब चुम्बन बंद किया, तो मामी मेरी आँखों में देख कर बोलीं- तुम्हारे मामा की बहुत आती है, रहा नहीं जाता… प्लीज तुम मेरी प्यास बुझा दो..! मैं तो पहले से ही तैयार था। मैंने मामी को एक और शब्द नहीं बोलने दिया और उनके गले में चुम्मी करने लगा। वो पागलों की तरह मुझ से चिपक रही थीं जैसे कि ना जाने कब से मेरे लिए प्यासी हों। मैंने मामी जी की साड़ी उनसे पूरी अलग कर दी और उन्होंने मेरी टी-शर्ट भी उतार दी। मैं उनके ब्लाउज के हुक खोलने लगा, उन्होंने उतने में मेरी बनियान भी उतार फेंकी, ब्लाउज उतारने पर देखा तो मामी ने ब्रा नहीं पहनी थी। मैंने कहा- अरे मामी ब्रा कहाँ है आपकी? उन्होंने कहा- वो रात को सोते वक़्त ब्रा नहीं पहनती! मैंने कहा- आपके चूचे तो बड़े ही मस्त हैं। वो बोली- अब देखते ही रहोगे या कुछ करोगे भी इनके साथ…! मैंने झट से उनके चूचों को चूसना शुरू कर दिया। चूसते-चूसते मैंने उनके चूचों को दांतों से काटा भी.. जिस पर वो चीख पड़ीं और मेरे बाल पकड़ कर खींचे। फिर मैंने चूचे चूसते-चूसते उनके पेटीकोट को भी उतार दिया और उनकी पैन्टी भी उतार फेंकी। अब मैं उनकी चूत में हाथ डाल कर उनके दाने को मसल रहा था, वो ‘आहें’ भर रही थीं, जिनको सुन कर मुझको बड़ा मज़ा आ रहा था। फिर मुझे लगा कि कहीं मामी ऐसे ही न झड़ जाएँ, तो मैं रुक गया। मामी बोलीं- रुके क्यों हो? मैंने कहा- मामी हाथ से ही मज़े लेती रहोगी या कुछ और भी लोगी..! वो बोलीं- तुम दोगे तो लूँगी न..! मैंने झट से खड़ा हो गया, वो अपने घुटनों के बल गद्दे पर बैठ गईं और उन्होंने मेरा लोअर और अंडरवियर उतार दिया और मेरा साढ़े छः इन्च का लंड उनके सामने था। वो उस पर बड़ी बुरी तरह टूट पड़ीं, जैसे पता नहीं कब से प्यासी हों, वो उसको मुँह में लेकर चूसने लगीं। दस मिनट तक लण्ड चूस कर वो बोलीं- अब सहन नहीं होता राहुल.. नीचे बड़ी आग लगी है, जल्दी से कुछ करो मेरा… यह कह कर मामी गद्दे पर लेट गईं और अपनी दोनों टांगें मोड़ कर ऐसे खोल लीं, जैसे उनकी चूत मेरे लौड़े को बुला रही हो। मैं झट से उनकी टांगों के बीच में लेट कर उनकी चूत में अपना लंड डाल दिया। चूत थोड़ी टाइट थी पर मैंने पूरा लण्ड पेल दिया। उसके बाद दस मिनट तक मैं उनको झटके देता रहा, वो एकदम से मेरे से लिपट गईं और झड़ गईं। मैंने कहा- मामी जी आपकी आग तो बड़ी जल्दी बुझ गई..! वो बोली- आग एक छेद की बुझी है.. अभी तो बहुत आग बची है! मैंने कहा- अच्छा.. फिर बोलो.. कहाँ-कहाँ की बुझा दूँ? मैंने उनकी चूत से लण्ड निकाल लिया और वो पलट कर घोड़ी बन गईं। मैंने जल्दी से गांड को थोड़ा सा चूस कर गीली करके लंड अन्दर डाल दिया। गांड में लंड डालने में बड़ी मुश्किल हुई ऐसा लग रहा था जैसे पहली बार मामी की गांड कोई मार रहा हो..! जैसे-तैसे मैंने लंड गांड में घुसेड़ दिया। मामी बहुत चिल्लाईं, पर मैं नहीं रुका और पूरा लंड डालने के बाद हल्के-हल्के झटके देने लगा। मामी की चीखें धीरे-धीरे ‘आहों’ में बदल गईं और फिर बस जरा सी देर बाद मामी ने खुद ही कहा- तेज़-तेज़ करो..! फिर क्या था फिर मैंने जोर-जोर से झटके मारने शुरू किए और दस मिनट में मामी की गांड में झड़ गया और हम दोनों फिर एक- दूसरे से चिपक कर सो गए। दोस्तो, मेरी कहानी आपको कैसी लगी मुझे जरूर बताएँ। [email protected]
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