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दोस्तो, मैं आपकी दोस्त संजना, लुधियाना से एक बार फिर आपके के लिए एक और कहानी लेकर आई हूँ। यह कहानी काल्पनिक नहीं है, कुछ-कुछ सच है और बाकी मेरी कल्पना है। मेरी कुछ ख्वाहिशें थीं जो पूरी हुईं तो मैंने उसे एक कहानी का रूप दे दिया और अब आपके मनोरंजन के लिए पेश है।
हमारी बातचीत को मैं इंग्लिश की बजाए हिन्दी में लिख रही हूँ ताकि आपको ज़्यादा मज़ा आए, तो मजा लीजिए…
जो लोग मुझे फ़ेसबुक पर जानते हैं, उन्हें पता है कि मेरे पति की लुधियाना में साइकल पार्ट्स की फैक्ट्री है, अच्छा बिजनेस है, किसी बात की कमी नहीं है। पति से मैं पूरी तरह से संतुष्ट हूँ, कभी-किसी गैर मर्द की तरफ देखने की ज़रूरत नहीं पड़ी, पर दिल में कभी-कभी एक ख़याल आता था कि अगर कोई गैर मर्द मेरे साथ करे तो क्या मैं कर पाऊँगी..!
मैं यह कैसे एड्जस्ट कर पाऊँगी कि मेरा बदन जो सिर्फ़ मेरे पति की अमानत है, उसे कोई और छुए, कोई और उसका मज़ा ले। खैर.. ना कभी ऐसी ज़रूरत आन पड़ी, ना ही मैंने किसी और को लाइन दी, हालांकि हमारे कई जानने वाले मुझ पर फिदा थे, जो उनके हाव-भाव से पता लग जाता था।
बात करीब दो साल पहले की है, मेरे पति के साथ कोई स्पेन की पार्टी से बिजनेस डीलिंग चल रही थी और इसी सिलसिले में वहाँ की कंपनी की मालकिन मार्टिनेज़ लोपेज़ और उसका बेटा मार्क एडवर्ड लोपेज़, हमारे पास आए।
मार्टी करीब 50-55 साल की लंबी-चौड़ी लेडी थी जबकि मार्क दुबला-पतला करीब 28-30 साल का नौजवान था और उसका तलाक़ हो चुका था। हमने उनके ठहरने का प्रबंध एक बढ़िया होटल में कर दिया था। वो करीब 15-20 दिन के लिए आए थे।
एक दिन मेरे पति ने मुझसे कहा- संजू, तुम मेरा एक काम कर दोगी? ‘क्या काम है?’ ‘अरे यार, वो मार्क हमारी बिजनेस डीलिंग्स से बोर हो गया है, क्या तुम उसे कहीं घुमा कर ला सकती हो?’ ‘तो यह मेरा काम थोड़े ही है, मुझे स्पैनिश नहीं आती और उसे टूटी-फूटी इंग्लिश आती है, मुझसे नहीं होगा, अपने किसी और आदमी से कह दो!’
‘अरे जानेमन, मैं उन्हें फैमिली मेंबर्स की तरह ट्रीट कर रहा हूँ, एक दिन की तो बात है… प्लीज़ समझा करो, हमें एक बड़ा ऑर्डर मिल सकता है, अगर हम उन्हें इंप्रेस कर सके तो..!’ यह कह कर खैर.. उन्होंने मुझे मना ही लिया।
अगले दिन हम सब उनकी फैक्ट्री में सुबह 9 बजे मिले। मैंने एक काली और सफ़ेद साड़ी पहनी थी, जिसका एक लो-कट और स्लीव्लैस ब्लाउज था। जब तैयार हो कर मैंने शीशे में देखा तो शीशे ने भी मेरी तारीफ की। मेरे पति, मार्टी और दो और लोग ड्राइवर के साथ इनोवा में बैठ गए और मार्क मेरे साथ आ कर आई-20 में आगे वाली सीट पर बैठ गया।
मार्क की पसंद को ध्यान में रखते हुए मैं कुछ खाने-पीने का सामान साथ में ही ले आई थी, मैंने गाड़ी स्टार्ट की और हम चल पड़े। करीब दो घंटे का सफ़र था, पर गाड़ी में बातें करते-करते, मुझे मार्क बहुत अच्छा लगा। थोड़ी देर बाद तो मैं और मार्क अच्छे दोस्त बन गए और खूब हँसते- बोलते हमारे फार्म हाउस पर पहुँच गए। गाड़ी अन्दर लगा कर चौकीदार को कुछ ठंडा लाने को कहा।
एक-एक ड्रिंक पीकर हमने अपनी खाने-पीने की बास्केट और बिछावन उठाई और पैदल ही चल पड़े। हमारे फार्म हाउस की बिल्डिंग से काफ़ी दूर हम एक ट्यूबबेल पर पहुँचे। ट्यूबबेल के आस-पास काफ़ी घने छायादार पेड़ लगे थे। मैंने वहाँ ज़मीन पर मैट बिछाई, एक साइड में बास्केट रखी और बैठ गई, मार्क भी बैठ गया।
फिर उसने पूछा- क्या यह ट्यूबबेल चलता है? ‘हाँ.. बिल्कुल, चला दूँ क्या?’ ‘ओह यस, ट्यूबबेल में नहाने का तो मज़ा ही कुछ और है!’ ‘पर तुम तो घर से नहा कर ही आए हो!’ ‘तो क्या हुआ, फिर से सही..!’
मैंने ट्यूबबेल ऑन कर दिया, पानी की एक मोटी धार हौद में गिरने लगी, मार्क ने झट से कपड़े उतारे और हौद में कूद गया। मुझे यह देख कर बड़ी हैरानी हुई कि उसने मेरे वहाँ होने की कोई शर्म नहीं की, एकदम से बिल्कुल नंगा हो कर हौद में कूद गया।
मैंने सोचा कि स्पेन में जहाँ न्यूडिस्ट बीच हैं, वहां नंगे होने की क्या कोई शर्म करता होगा, शायद इसीलिए इसने ये सोचा ही नहीं कि उसके साथ एक औरत भी है। पर मेरी बड़ी हैरानी यह थी कि सोई हुई हालत में भी उसका लिंग इतना बड़ा था, जितना मेरे इनका पूरा तन कर होता था।
मैं यह सोच रही थी कि खड़ा हो कर इसका कितना बड़ा होता होगा। पर इन सब बातों से बेखबर वो पानी के हौद में डुबकियाँ लगा-लगा कर नहा रहा था। तभी उसने आवाज़ लगाई- हे संजू… क्या तुम पीने के लिए बियर भी लाई हो? ‘हाँ, चाहिए तुम्हें?’ ‘ओह यस, एक देना प्लीज़!’
मैंने बास्केट में से एक बियर का कैन निकाला और लेकर मार्क के पास गई, वो गले तक पानी में था, पर साफ़ पानी में से वो पूरा नंगा दिख रहा था। मैंने बियर देते वक़्त एक बार फिर उसके लिंग को देखा, जो पानी की वजह से ऊपर को उठा हुआ था। सच कहूँ तो मेरा मन बेईमान हो चला था। मैं बियर देकर वहीं रुक गई और हौद की मुंडेर पर कोहनियाँ टिका कर खड़ी हो गई।
इस तरह खड़े होने से मेरा बड़ा सारा क्लीवेज बन गया, जो बिल्कुल मार्क के सामने था और मेरे क्लीवेज को मार्क ने 2-3 बार बड़े गौर से भी देखा, पर उसने घूरा नहीं। बियर पीते-पीते मार्क ने कहा- संजू, तुम भी आ जाओ, बड़े मज़े का ठंडा पानी है और ठंडी बियर! ‘अरे नहीं, मैं बिकिनी ले कर नहीं आई!’
‘तो क्या हुआ, बिकिनी पहनने की ज़रूरत ही क्या है, ऐसे ही चली आओ!’ मैंने मुस्कुरा के टाल दिया और वापिस आ कर मैट (बिछावन) पर बैठ गई। बैठते वक़्त मैंने अपने कंधे पर लगा ब्रोच निकाल दिया जिससे मेरी साड़ी का पल्लू जो बँधा हुआ था, अब खुल गया। शायद मैं मार्क को अपने पूरे क्लीवेज के दर्शन करवाना चाहती थी।
मैंने मोबाइल पर गाने लगा लिए, पर मेरे मन को मेरे पसन्दीदा गाने भी अच्छे नहीं लग रहे थे, मेरे दिमाग़ में तो बस मार्क का लिंग ही घूम रहा था। 4-5 मिनट बाद मार्क बाहर निकल कर आ गया और ऐसे ही बिल्कुल नंगा ही मेरे पास आकर लेट गया।
‘अ..हा..या, मज़ा आ गया, इंडिया इस ग्रेट.. अब थोड़ी देर धूप सेंकी जाए..!’ यह कह कर उसने आँखों पर कपड़ा रखा और टाँगें फैला कर लेट गया। उसका लिंग अब मेरे सामने था और मेरी पहुँच में था, मैं जब चाहे उसे पकड़ सकती थी, चूम सकती थी पर मैंने ऐसा नहीं किया। जब वो लेट गया तो मैं भी लेट गई।
मेरी साड़ी का पल्लू मेरी गोद में था और मेरे मम्मे मेरे लो-कट ब्लाउज से बाहर झाँक रहे थे। ‘संजू, क्या तुम यहाँ कभी नहाई हो?’ उसने पूछा। ‘हाँ..बहुत बार..!’ ‘अकेली या अपने पति के साथ?’ ‘पति के साथ!’ ‘फिर तो बिकिनी भी नहीं पहनती होगी?’ ‘नहीं, हम तो खुल्लम-खुल्ला नहाते हैं!’
‘उसके बाद?’ ‘उसके बाद खेतों में घुस जाते हैं!’ ‘खेतों में क्या करते हो?’ ‘शट-अप मार्क, यह हमारा प्राइवेट मामला है!’
‘अरे मैंने तो वैसे ही पूछ लिया!’ ‘खेतों में क्या करेंगे, जो किया जा सकता है वो ही करते हैं!’ ‘मतलब सेक्स!’ ‘हाँ, पर तुम ये सब क्यों पूछ रहे हो?’
कहानी अगले अंक में समाप्य। [email protected]
कहानी का अगला भाग : जब संजना ने स्पेनिश लौड़ा लिया-2
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