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कहानी का पिछला भाग: मस्त मुक्ता और उसकी वासना-1
वो जोर-जोर से मेरे टोपे को चूसने लगी और मेरे गोटियों को दबाने लगी। मेरे लिए यह खेल बिल्कुल नया था। कभी सपने भी नहीं सोचा था कि ये सब भी लड़कियाँ करती हैं। लेकिन मुक्ता ने सच में मजा दे दिया। मेरा पहली बार था तो मैं जल्दी ही झड़ गया और मैंने लौड़ा उसके मुँह से जल्दी से खींच लिया और मेरा माल वहीं निकल गया।
अब वो बोली- अब तुम्हारी बारी है! मैं बोला- क्या मुझे भी ऐसा ही करना पड़ेगा? नहीं.. मैं नहीं करूँगा मुझे घिन आती है, उल्टी हो जाएगी! तो वो बोली- जैसी तुम्हारी मर्जी, पर कुछ करो तो सही!
फिर मैंने उसके दोनों मम्मों को दबाना शुरू किया, चूसना शुरु किया तो वो बुरी तरह तड़पने लगी और कहने लगी- जोर से दबाओ गिरि, चूस.. काट.. मेरे निप्पल को! उसने खुद ही अपनी सलवार का नाड़ा खोला और एक हाथ मेरा अपनी पैंटी के अन्दर डाल दिया। मैंने जब चूत को छुआ तो पूरी गीली थी और इतनी गर्म कि जैसे आग उगल रही हो। घुँघराले बालों के गुच्छे के बीच, लाल सा हिस्सा..हय!
मैं पहली बार चूत देख रहा था, मैंने उसकी चूत में उंगली डाल कर जोर-जोर से चलाने लगा। उसकी तो चीख ही निकल गई, उसने मुझे कहा- गिरि प्लीज़.. इसको चूसो ना प्लीज़ गिरि… आओ चूसो ना! और मेरा मुँह अपनी चूत पर झुकाने लगी। उसने अपने पैर पसार कर अपनी चूत को खोल दिया। खुली चूत देख कर अचानक मेरा क्या मन किया, मैंने उसके दुपट्टे से उसे साफ़ किया और पूरी चूत को अपने मुँह में ले लिया और चुसकने लगा। फिर थोड़ी देर बाद वो बोली- अपनी जीभ अन्दर डालो!
अब मुझे भी मजा आने लगा। हालांकि उसका स्वाद बहुत ही कसैला था लेकिन जब भी कुछ गाढ़ा सा अन्दर से बाहर आता तो मैं उसे थूक देता था। फिर उसने कहा- ऊँगली अन्दर डालो.. और चूत के ऊपर के दाने को अपनी जीभ से पकड़ो और फिर दांतों से हल्का काटो! मैंने वैसे ही किया और जोर-जोर से करने लगा।
वो बोलने लगी- गिरि और जोर से.. जोर से करो.. फाड़ दो आज.. मेरी.. आ…ह.. जोर से ! और फिर मेरी उंगलियों में उसका गाढ़ा रस था। वो उठी और उसने कस कर मेरे होंठों पर चुम्बन किया और उनको चूसने लगी। फिर थोड़ी देर हम दोनों निढाल पड़े रहे। हमने बैग से पेप्सी और चिप्स निकाल कर खाए, थोड़ी बातें कीं। फिर उसने कहा- मैं तुम्हारे आगे बैठ जाती हूँ और तुम आराम से मेरे मम्मे टॉप के ऊपर से निकाल कर चूसना और जब तुम्हारा लण्ड खड़ा हो जाएगा, तो मैं उस पर बैठ कर तुमको मजा दूँगी!
मैंने उसे मम्मे निकाल कर निप्पल को चूसने लगा और वो अपना एक हाथ पीछे करके मेरे लण्ड को खड़ा करने लगी। मुक्ता के मस्त टाइट चूचों का कमाल था कि जल्दी ही मेरा लण्ड खड़ा हो गया। फिर मुक्ता तो मुक्ता थी वो भी गर्म हो गई थी, मैंने देखा जल्दी से उसने अपना सलवार और पैन्टी एक साथ नीचे की और सीधे मेरे लण्ड पर बैठ गई, एक झटके से उसने लण्ड अपने अन्दर ले लिया और फिर तेजी से ऊपर-नीचे करने लगी।
थोड़ी देर बाद उसने खड़े होकर अपना मुँह मेरी ओर किया और फिर मेरे लण्ड को अपनी मस्त चूत में ‘घप्प’ से दोबारा अन्दर ले लिया। मैंने अपने होंठों से उसके होंठों को जकड़ लिया और उसके दोनों मम्मे अपने हाथों से दबाने लगा। फिर तो वो अपनी चूत को तेजी से मेरे लण्ड पर मारने लगी और मेरे कान में धीरे से सेक्सी आवाज मे बोलने लगी- गिरि बड़ा मजा देता है तू.. अब तेरी खैर नहीं! क्या लण्ड है तेरा… मेरी चूत के लिए मस्त फिट और मोटा है ये.. अब तो जब भी मौका मिलेगा, तेरे से ही चुदवाऊँगी.. आह… मेरे राजा… आह! वो और जोर-जोर से धक्के मारने लगी।
फिर मैंने चारों तरफ देखा, वहाँ कोई नहीं था, मैंने उसको नीचे लिटाया और उसके ऊपर आ गया। अब मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में डाल दिया और मैं अपने चरमोत्कर्ष पर था, मेरे मुँह से भी आनन्द की आवाजें आने लगीं और फिर मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से निकाल कर अपना वीर्य बाहर निकाल दिया।
फिर मैंने और उसने अपने कपड़े सही किए, आराम से एक-दूसरे को मस्त निगाहों से देखते रहे। कब 3 घंटे निकल गए, पता ही नहीं चला। मैंने 3 घंटे में वापस आने का ऑफिस वालों को बताया था, तो मैंने कहा- अब चलते हैं! तो वो बोली- थोड़ी देर में चलते हैं!
लेकिन तभी मेरे ऑफिस से फोन आया, तो फिर मैंने कहा- अभी जरूरी काम है.. मुझे जाना ही पड़ेगा! वैसे मेरा भी मन जाने का नहीं कर रहा था, पहली बार सेक्स और वो भी इतनी बिंदास और खूबसूरत मुक्ता के साथ…! लेकिन फिर मैंने उसे चूमा और वहाँ से दोनों ने बाहर आकर ऑटो किया और वापस अपनी जगह पहुँच गए।
फिर तो रोज ही हम हर रात को फोन पर सेक्स करने लगे। अब तो हम दोनों ही रात को नंगे होकर एक-दूसरे के साथ महसूस करके एक-दूसरे के साथ करते थे। लेकिन हम तो चाहते थे कि हमें एक दिन ऐसा मिले कि हम एक कमरे में अकेले हों और एक-दूसरे की हर चाहत पूरी कर सकें।
लेकिन जल्दी ही हमें मौका मिल गया। मेरे रूम पार्टनर को अचानक एक कॉन्फ्रेंस के लिए आगरा जाना पड़ा, जब मैंने मुक्ता को बताया तो वो तो पागल हो गई। उसने पूछा- वो कब जा रहा है? मैंने कहा- आज रात को! उसने तुरंत कहा- कल की छुट्टी ले लो! मैं भी अभी जाकर कल की छुट्टी ले लूँगी!
फिर आज तो पूरा दिन बहुत भारी लग रहा था, मन कर रहा था कि कब यह दिन खत्म हो और रात गुजर जाए और मुक्ता मेरे कमरे में आए। शाम को उसने फोन किया- जब ऑफिस से निकलोगे.. तो फोन कर देना, मेरी मौसी तुम्हारे मोहल्ले से थोड़ी दूर रहती हैं, मैंने अपने घर पर बता दिया है कि मैं वहाँ जा रही हूँ, मैंने मौसी को भी फोन कर दिया है, तो साथ-साथ चलेंगे! शाम को वो ओर मैं एक साथ बस में बैठे, सीट मिल गई, बहुत दिनों के बाद हम साथ में थे।
वो धीरे से बोली- कल सुबह मौसी से ऑफिस में जल्दी बुलाया है यह कह कर जल्दी तुम्हारे पास आ जाउँगी..। कितने बजे आऊँ तुम्हारे पास? मैंने मस्ती के मूड में कहा- सुबह 4 बजे आ जाना! तो उसने कहा- ज्यादा मस्ती में मत आओ, मैं 4 बजे ही पहुँच जाउँगी। मैंने ऐसे ही कहा- यह हो ही नहीं सकता!
वो कुछ नहीं बोली, मैंने समझा कि नाराज हो गई। लेकिन उसने कहा- छोड़ो यह बात! मैं मुस्कुरा दिया। फिर धीरे से बोली- अभी सीधे मेडिकल स्टोर जाकर कंडोम और आईपिल खरीद लेना।
मैंने कहा- कितने कंडोम लूँ..? तो वो बोली- तुमको नहीं मालूम..? जितनी बार करोगे.. उतने ले लेना! मैंने ऐसे ही पूछा- हम कितनी बार करेंगे? तो वो झुँझला कर बोली- तुम तो रहने ही दो? फिर बोली- दस का एक पैकेट ले लेना। तो में बोला- तुम्हारा तो बुरा हाल हो जाएगा! तो वो हल्के होंठ काट कर बोली- कल बताउँगी तुमको, किसका बुरा हाल होता है! और मुस्कराने लगी, फिर बोली- पहले अपना घर बता देना!
तो मैंने घड़ी देखी तो 08:00 बज रहा था, मैंने कहा- घर चलो! तो वो बोली- और तुम्हारा दोस्त? ‘वो रात को 11.00 बजे आएगा, अपना सामान लेने!’ मैंने उसका चेहरा देखा तो अजीब सी बात थी उसमें। उसने कहा- ठीक है, अभी तेरे साथ चाय पीकर चली जाऊँगी, मौसी भी इंतजार कर रही होगीं।
थोड़ी देर में मेरा स्टॉप आ गया, दोनों नीचे उतरे और 100 मीटर पर मेरा घर था। यह टू-रूम सैट था और केवल ग्राउंड फ्लोर ही था, मेरे और पार्टनर के अलावा कोई वहाँ नहीं रहता था। क्योंकि फर्स्ट फ्लोर मकान-मालिक के पास रहता था, वो भी कभी-कभी 2-3 महीने में ही आता था। मैं और मुक्ता घर के अन्दर गए, उसने पूरा घर देखा, बोली- बड़ा साफ रखते हो घर को!
मैंने कहा- हम दोनों को ही सफाई पसंद है! फिर मैं रसोई में गया और चाय बनाने लगा, अचानक वो पीछे से आई और मुझको उसने पीछे से जकड़ लिया और मेरे गले में चूमने लगी और बोली- मेरे होते तुम चाय बनाओगे? वो मुझको हटा कर चाय बनाने लगी, मुझको बड़ा अच्छा लगा।
मुझे उस पर बड़ा प्यार आया और मैंने उसको पीछे से अपनी बांहों में भर कर पकड़ा और एक प्यारा सा चुम्बन उसके गालों पर किया। उसने चाय गैस पर चढ़ाई और मेरी तरफ मुड़ गई। अचानक पता नहीं क्या हुआ कि वो मुझसे लिपटी और ‘आई लव यू’ कह कर मेरे होंठों पर चुम्बन करने लगी। उसने मेरे गालों पर, फिर मुझे बाहों में भर कर चुप हो गई। अचानक चाय उबल कर गैस में गिर गई, मैंने उसे हटाया और फिर गैस बंद कर चाय को कप में डाल कर पूछा- कुछ और लेगी मुक्ता?
वो बोली- हाँ.. तुमको लूँगी! मुझे हँसी आ गई। फिर कमरे में आकर हम चाय पीने लगे। साथ में वो कभी मेरे गाल पर, तो कभी मेरी ठुड्डी पर चूमती और मुस्करा देती। मैं भी उसे कभी उसके गालों पर तो कभी आँखों पर चुम्बन कर देता। फिर चाय खत्म होने के बाद उसने कहा- काश आज रात में तुम्हारे पास होती तो कितना मजा आता, हम अपनी सुहागरात मना लेते, लेकिन रात को मैं घर से बाहर तो नहीं रह सकती न!
मैंने कहा- कल दिन में मना लेंगे मेरी रानी! वो बोली- तो मैं अपनी मौसी की लड़की की साड़ी और ब्लाउज भी ले आऊँगी! मैंने कहा- ठीक है मेरी जान! फिर वो बोली- जाने का मन नहीं कर रहा है, क्या करूँ! वो मेरे पास आ गई और मुझसे लिपट गई- गिरि बहुत प्यार आ रहा है तुम पर! वो मेरे चेहरे को चूमने लगी, मैंने भी उसे अपनी बांहों में भरा और उसकी कमर जकड़ ली।
फिर वो मेरे और मैं उसके होंठों को चूमने लगे। उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी, मुझे अजीब सा लगा, पर मैं उसको चूसने लगा। मेरे हाथ धीरे-धीरे उसकी उभरे हुए कूल्हों की ओर जाने लगे और मैं उसके दोनों पुट्ठे दबाने लगा और उसकी चूतड़ों की दरार को उंगलियों से फैलाने लगा। मैं गरम होने लगा, मैंने मुक्ता के मम्मे दबाने शुरु किए। मैंने कहा- मुक्ता मैं तुमको पूरा नंगा देखना चाहता हूँ! उसका मन भी सेक्स करने का हो रहा था, उसने कहा- तो जल्दी से जो करना है करो.. मैं तो तुम्हारी ही हूँ.. मेरा भी मन है!
तो पहले मैंने उसका सलवार निकाली और उसकी पैंटी में दोनों हाथ डालकर उसके गोल-गोल मोटे चूतड़ों को खूब दबाया, दबा-दबा कर लाल कर दिया और अपनी तरफ खींच कर अपना लण्ड उसकी चूत पर रगड़ने लगा। फिर जल्दी से उसने मेरे सारे कपड़े निकाल फेंके। मैंने भी उसकी पैन्टी, ब्रा और टॉप सब उतार दिए। क्या मस्त कयामत लग रही थी वो.. मेरी ड्रीम-गर्ल जैसी, दूध जैसा उसका गोरा बदन!
मैं तो उसे देख कर जैसे पागल ही हो गया और उसको पागलों की तरह चूमने लगा। उसका माथा, गाल, ठुड्डी, होंठ, गर्दन, मम्मे, उसका पेट, फिर उसकी मस्त मोटी, सुडौल जांघें पैरों तक! आ…ह… मन ही नहीं भर रहा था। उसकी मस्त मोटी गाण्ड को मैंने फिर खूब चूमा और चाटा, जम कर दबाया और फिर उसकी पीठ और फिर कंट्रोल ही नहीं हुआ। मैंने उसे पीछे से पकड़ कर उसके मस्त चूचे पकड़ लिए और गाण्ड की दरार में अपना लण्ड सरका दिया।
मेरा लण्ड तो जैसे फटने को हो रहा था, मैंने देखा कि उसका साइज़ लगभग 7-8 इंच हो गया था और मोटा भी, सुपाड़ा तो मोटा और खून जैसा लाल हो चला था। उसकी तो मजे से जैसे जान निकल रही थी, वो जोर-जोर से मजे से चीख रही थी, अपनी गाण्ड को मेरे लण्ड पर धकेल रही थी, मेरे हाथ भी उसके मम्मे को बुरी तरह से मसल रहे थे। उफ्फ.. उसके मम्मे क्या टाइट हो गए थे!निप्पल तो बिल्कुल खड़े थे!
वो मेरी तरफ मुड़ी और मेरा लण्ड पकड़ कर मेरी मुट्ठ मारने लगी, मैंने भी एक हाथ उसकी गाण्ड के पीछे से उसकी चूत में डाला, वो पूरी गीली हो चुकी थी और गर्म भट्टी की तरह आग उगल रही थी। कुछ देर तक ऐसे ही हम लगे रहे। तब तक उसका फोन बजने लगा, देखा तो उसकी मौसी का फोन था। उसने उठा कर कहा- मैं रास्ते में हूँ, आधे घंटे में आ जाऊँगी! फिर मुझसे कहा- जल्दी करते हैं.. कल तो पूरा दिन हमारे पास है! वो मुझे खींच कर बेड पर ले गई।
मैंने कहा- तुम उल्टी लेट जाओ और फिर घुटनों के बल हो जाओ.. मैं तुम्हारी मस्त गाण्ड देखकर तुम्हारी मारना चाहता हूँ! तो उसने वही किया और मैंने भी अपना लण्ड एक जोर के झटके के साथ उसकी चूत में उतार दिया। वो जोर से चीखी तो मैंने धीरे-धीरे डालना शुरु किया। फिर दोनों हाथों से उसके मम्मों को पकड़ कर धक्के मारता रहा, उसकी मस्ती की आवाजें मुझे और ज्यादा उत्तेजित कर रही थीं। मैं उसके मम्मे जोर से पकड़ कर उसकी चूत मार रहा था।
वो जोर से बोली- आह…गिरि… जोर से करो.. पूरी ताकत लगा दो.. फाड़…दो.. इसको आ..ह.. बड़ा मजा आ रहा है और जोर से! फिर मैंने भी उसकी कमर पकड़ कर जोर-जोर से उसकी चूत बजाना शुरु किया और मेरी जांघें और उसके चूतड़ जब मिलते तो ‘फॅट’ की आवाज आती। पूरा कमरा हमारी आवाजों से गूँज रहा था। न जाने कितनी देर तक मैं चुदाई में लगा रहा कुछ याद ही नहीं, फिर जब मैं चरम पर पहुँचा, तो मैंने पूरा जोर लगा दिया और मेरे मुँह से भी सिसकारियाँ निकलने लगीं- आह.. मुक्ता मेरी रानी… लव यू.. आज तो मजा आ गया.. कितनी मस्त है तू.. कितना मजा आ रहा है…आह…लव यू जान.. मैं..कहाँ गिराऊँ.. मेरा निकलने वाला है! वो बोली- अन्दर ही आ..जा.. गिरि! “आ…ह!”
मैं भी जोर से धक्के मारने लगा। फिर दोनों ही एक तेज आवाज करते हुए झड़ गए। मैंने उसकी चूत में ही अपना माल निकाल दिया। वो बोली- कितना मजा आ रहा है, गर्म-गर्म जब अन्दर गिरता है, तो कितना मजा आता है गिरि… लव यू!
मैं उसके ऊपर ही लेटा रहा, फिर हम उठे एक-दूसरे को चूमा, कपड़े पहने और उसने एक लम्बा चुम्बन मुझे किया। फिर मैं उसे छोड़ने बाहर आया, तो स्टॉप पर उसने कहा- अब तुम जाओ.. मौसी का घर पास में ही है, कोई देख लेगा। और वो मौसी के यहाँ और मैं अपने घर! आगे क्या हुआ फिर कभी लिखूँगा। आप मेरी कहानी पर अपनी राय जरूर लिखना। [email protected]
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