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सम्पादक – इमरान
अपने ख्यालों में खोया हुआ मैं ऑफिस जा रहा था…
एक बहुत ही गर्म दिन की शुरुआत हुई थी और लण्ड इतनी चुदाई के बाद भी अकड़ा पड़ा था। इस साले को तो जितना माल मिल रहा था, उतना यह तंदरुस्त होता जा रहा था और जरा सी आहट मिलते ही खड़ा हुए जा रहा था।
मैं यही सोच रहा था कि ऑफिस जाते ही सबसे पहले तो नीलू को ही पेलूँगा, भी यह कुछ देर शांत रहेगा।
और फिर मुझे रोजी की मस्त चूत भी याद आ रही थी.. अगर वो मान गई तो उसकी भी बजा दूँगा।
नीलू और रोजी की चूतों को याद करते हुए मैं मजे से गाड़ी चलाता हुआ जा रहा था कि..
‘जब किस्मत हो मेहरबान… तो बिना तजुर्बे के भी मिल जाते हैं कदरदान…’
यही मेरे साथ लगातार हो रहा था…
मैंने देखा एक खूबसूरत ‘बला’ सामने खड़ी लिफ्ट मांग रही है…
पहले तो सोचा कि क्यों समय बर्बाद करूँ… निकल चलूँ और ऑफिस में जाकर मजे करूँ… परन्तु उसकी खूबसूरती ने मुझे ब्रेक दबाने पर मजबूर कर दिया।
जैसे ही मैंने उसके निकट गाड़ी रोकी… ‘अरे… यह तो सलोनी की सहेली है…’
मैं 3-4 बार उससे मिल चुका था… क्या नाम था उसका ?? पता नहीं… पर हाँ सलोनी… इसको गुड्डू कहकर ही बुलाती है… यह NRI है, ऑस्ट्रेलिया से आई है शायद… इसकी शादी वहीं हुई है… पर अब यहीं रह रही है। इसकी पति से नहीं बनती, वो अभी भी ऑस्ट्रेलिया में ही है, पर अभी तक कानूनी अलगाव नहीं हुआ है।
गुड्डू बहुत ही खूबसूरत है… 5’5″ लम्बी.. उम्र कोई 30 साल पर लगती 25 की है… बिल्कुल गोरा रंग जैसे दूध में सिन्दूर मिला दिया गया हो… भूरे बाल… जो उसने शार्ट स्टेप कटिंग कराये हुए हैं… गुलाबी लब.. जो बाहर को उभरे हुए हैं… ये दर्शाते हैं कि इसको चूसने का बहुत शौक होगा, और तीखे नयन नक्श.. सब उसको बहुत खूबसूरत दिखाते थे।
बाकी उसका मॉडर्न लिबास उसके सेक्सी बदन का हर उभार अच्छी तरह दिखा रहा था।
मैं समझता हू कि उसका फिगर एक परफेक्ट फिगर था 36-26-36 का… थोड़ा बहुत ही ऊपर नीचे होगा बस !
कुल मिलाकर .पहली नजर में ही उसको देखकर कोई भी आहें भरने लगता होगा और उसको सुपर सेक्सी की संज्ञा दे देता होगा।
वही सुपर सेक्सी गुड्डू आज लिफ्ट मांगने मेरे सामने खड़ी थी।
मैंने बिल्कुल उसके निकट जाकर गाड़ी रोक दी।
गुड्डू अंग्रेजी में- क्या आप मुझे…. तक… अरे जीजू आप… वाओ…
और बिना किसी औपचारिकता के दरवाज़ा खोल मेरे निकट बैठ गई, मैंने गेट लॉक पहले ही खोल दिया था।
गुड्डू ने नीली जीन्स और सफ़ेद टॉप पहना था… दोनों ही कपड़े बहुत कसे थे, उसके चिकने बदन से चिपके थे।
मैं- हेलो गुड्डू… यहाँ कैसे.. कहाँ जा रही हो… गाड़ी कहाँ है तुम्हारी?
गुड्डू- अरे जीजू, मैं तो बड़ी परेशान हो गई थी… थैंक्स गॉड जो आप मिल गए… मुझे एक पार्टी से मीटिंग करने जाना है… इट्स अर्जेंट… और मेरी गाड़ी ख़राब हो गई।
मैं- अरे तो कहाँ छोड़ दी?
गुड्डू- अरे वो सब तो मैंने टैकल कर लिया… बस आप मुझे वहाँ तक 15 मिनट में छोड़ दें… अमेरिका की पार्टी है… वक्त के पाबंद हैं। मैं- डोन्ट वरी… अभी छोड़ देता हूँ।
वो पीछे को जाने लगी… उसके चूतड़ मेरी तरफ थे, मुझे अचानक ना जाने क्या हुआ मैंने एक चपत उसके कूल्हे पर लगा दी।
मैं- क्या कर रही हो? बैठती क्यों नहीं?
गुड्डू ने अपने चूतड़ को हिलाते हुए ही पैर पीछे को रख पीछे वाली सीट पर चली गई।
गुड्डू- अरे कुछ नहीं जीजू.. वो मुझे चेंज भी करना था… मैं जल्दी में ऐसे ही आ गई थी.. अब अगर इन कपड़ों में उस पार्टी से मिली तो मुझे मैनेजर नहीं चपरासी समझेंगे…
मैं- हा हा हा.. क्या यार?
उसने मेरे द्वारा चूतड़ पर हाथ मारने को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जिससे मेरी हिम्मत बढ़ गई थी।
मैं- इतनी सेक्सी तो लग रही हो… अब क्या करोगी?
मुझे यह तो पता था कि गुड्डू बहुत बोल्ड है पर मेरे से ज्यादा खुलकर बात करने का मौका कभी नहीं मिला था।
पर आज उसने अपनी बोल्डनेस मुझे दिखा दी।
गुड्डू- क्या जीजू… इन घर के कपड़ों में भी… मैं आपको सेक्सी लग रही हूँ… हा हा हा… इनमें तो सब कवर है… कुछ भी नहीं दिख रहा…
मैं- वाओ मेरी साली साहिबा… तो क्या दिखाना चाह रही हो?
गुड्डू- अरे आप तो हमारे प्यारे जीजू हैं… जो देखना चाहो… बस इशारा कर देना !
मैं उससे बात कर ही रहा था कि जैसे ही बैक मिरर में देखा… ओह गॉड… उसने अपना टॉप निकल दिया था… वो केवल एक माइक्रो ऑफ व्हाइट ब्रा में बैठी थी…
मैं- अरर्र…रेए… यह क्या कर रही हो?
गुड्डू- हा हा हा हा… अरे अपने ही तो कहा था कि देखना है… हा हा !
मैं- अरे ऐसे तो नहीं… चलती सड़क है… अओर…
गुड्डू- अरे जीजू घबराओ मत… बस कपडे चेंज कर रही हूँ… अब वहाँ जाकर तो कर नहीं पाऊँगी।
और वो बिना किसी डर के मेरी गाड़ी के पीछे बैठ आराम से अपने कपड़े बदल रही थी।
उसने अपनी बेग से एक लाल सूर्ख… सिल्की टॉप निकाला जो अजीब कटिंग से बना था।
मैंने सोचा कि वो इसे जल्दी से पहन ले.. पता नहीं फिर कहीं कोई पुलिस वाला न देख ले… अबकी बार तो जरूर बुरा फंस जाऊँगा।
मगर वो तो पूरे मूड में थी, उसने अपनी ब्रा भी निकाल दी।
एक पल को तो मेरी धड़कन भी रुक गई… ना जाने वो क्या करने वाली थी?
क्या चूचियाँ थी उसकी… एकदम सुन्दर आकार में… गोल… तनी हुई… और गुलाबी निप्पल… दर्पण में देखकर ही दिल वावरा हो गया और मैं पीछे चेहरा घुमाकर देखने लगा।
गुड्डू- अर रे जीजू… क्या करते हो? प्लीज आगे देखो ना…
मैं- क्यों अब शर्म आ रही है क्या?
गुड्डू- अरे नहीं… जीजू.. कोई शर्म नहीं… आप गाड़ी चला रहे हो ना इसीलिए… अभी आप गाड़ी चलाइये… इनको फिर कभी देख लेना… मैं कहीं भागी नहीं जा रही…
मैं मुँह बाये बस उसको देखे जा रहा था।
गुड्डू ने अपनी दोनों चूची को सहलाकर ठीक किया और फिर अपना टॉप पहन लिया।
टॉप बहुत ही मॉडर्न स्टाइल का था… कई जगह से कट लिए हुए… यह समझो जैसे बहुत कम छिपा रहा था और काफी कुछ दिखा रहा था।
मैं अब आगे देखकर गाड़ी चला रहा था परन्तु मेरी नजर बैक व्यू मिरर पर ही थी।
जैसे मैं कोई भी दृश्य चोदना नहीं चाह रहा था… मैं गुड्डू के बदन के हर हिस्से को नंगा जी भरकर देखना चाहता था।
गुड्डू के चेहरे पर एक कातिलाना मुस्कुराहट थी, उसको मेरी सारी स्थिति का पता था और वो इसका पूरा मजा ले रही थी।
मेरे लिए इतना ही काफी था कि यह खूबसूरत मछली अब मेरे जाल में थी, इसकी छोटी मछली को मैं कभी भी मसल-कुचल सकता हूँ। पर आज मैं गुड्डू की मछली को देखने के लिए पागल था।
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अब उसने अपनी मिनी स्कर्ट को ठीक किया और अपनी जींस की कमर में लगा बटन खोलने लगी।
मैं सांस रोके उसको देख रहा था… मुझे एक और चूत के दर्शन होने वाले थे।
मैं पक्के तौर पर तो नहीं कह सकता… पर पक्का ही था कि जब सलोनी कच्छी नहीं पहनती तो गुड्डू ने भी नहीं पहनी होगी… आखिर यह तो सलोनी से भी ज्यादा मॉडर्न है।
मैं जीन्स से एक खूबसूरत चूत के बाहर आने का इन्तजार कर ही रहा था।
गुड्डू ने बैठे बैठे ही अपने चूतड़ों को उठाकर अपनी जीन्स को नीचे किया…
कहानी जारी रहेगी।
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