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आर्यन इंजीनियर मेरा नाम आर्यन (बदला हुआ) है। मैं सूरत गुजरात में एक इंजीनियर हूँ। हर जवान लड़के-लड़कियाँ सेक्स में रूचि रखते हैं, हर कोई सेक्स करना चाहता है। मगर सोसाइटी में डर की वजह से कर नहीं पाता है। लड़कियाँ या भाभियाँ भी जल्दी से ‘हाँ’ नहीं करतीं, क्योंकि सबको बदनामी का डर होता है। बस इसी तरह मेरी जिंदगी भी चल रही थी। जहाँ सेक्स केवल सपनों में ही होता था और मैं मुठ्ठ मार कर ही गुजारा लिया करता था। अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ कर मुझ में काफ़ी हिम्मत आ गई थी, मैं अपने रिश्तेदारों के यहाँ जाता तो उनके घर की औरतों को घूर कर देखता था। बात दो साल पुरानी है, नौकरी लगने के बाद मैं सबसे मिल कर जाना चाहता था। मैं अपनी माँ के मायके चला गया। बहुत बड़ा परिवार था, पाँच मामा पाँच मामी और उनके ढेरों बच्चे…! सब एक ही घर में रहते थे, मगर खाना अलग-अलग बनता था। मैं रोज अलग-अलग मामी के यहाँ ख़ाता था। उनमें से जो सबसे बड़ी मामी थीं उनकी दो बेटियाँ थीं। बड़ी बेटी मुझसे दो साल छोटी थी, जिसका नाम प्रिया था। उसके लिए मेरी नज़र कुछ ठीक नहीं थी। छोटी वाली पाँच साल छोटी थी रिया। वैसे वो मेरे साथ बचपन से खेलती थी, मगर अब वो बड़ी हो गई थी। उसका शरीर भर गया था और आँखों से लगता था कि वो ये सब समझती भी थी। मैं कोशिश करता कि उनके कमरे में ही सोने का जुगाड़ हो जाए, मगर दूसरे बच्चे हमेशा अपने पास ही सोने के लिए ले जाते। दो-तीन दिन बाद किस्मत ने ऐसा सैट किया कि मुझे उनके कमरे में सोने का मौका मिल गया क्योंकि मामा किसी काम से बाहर गए हुए थे। मामी के साथ ही खाना खाकर मुझे उनके ही कमरे में सोना था। हमने खाना खाया और मैं दूसरे कज़िन के साथ बाहर घूमने चला गया। रात में वापस आया तो मेरा बिस्तर मामी के बच्चों के साथ ही लगा था। उनके 3 बच्चे थे, 2 तो छोटे थे पर उनकी बेटी जो मेरा दिल बेकरार किए हुए थी। मैं आया तो मामी पलंग पर सो चुकी थीं और बच्चे नीचे बिस्तर पर एक लाइन से सोए थे और मेरे और प्रिया के बीच में दो नादान बच्चे बचे थे, क्योंकि गर्मी के दिन थे तो मेरे दिमाग़ ने उसका फायदा उठाने का सोचा और मैं बिस्तर छोड़ कर बच्चों के सर के पास सो गया। मेरा सर उसके सर के साथ और हमारा शरीर नब्बे डिग्री का कोण बना रहा था। थोड़ी देर लेटे रहने के बाद मैंने कन्फर्म कर लिया कि सब सो रहे हैं। फिर मैं थोड़ा हिलने लगा। मैंने अपना हाथ प्रिया के सर पर रख दिया और उसके गाल छूने लगा। जब मुझे लगा कि वो सो गई है, तब मेरी हिम्मत बढ़ गई और मेरे हाथ आगे बढ़ने लगे। मैं उसके कन्धे के आस-पास अपना हाथ रगड़ने लगा। वैसे तो मेरा रिया में कोई इंटरेस्ट नहीं था मगर जब काम का भूत सर पर सवार हो तो कुछ भी अच्छा लगता है। मेरा ध्यान प्रिया को छूने में था। तभी मेरा लण्ड रिया के सर से टकराने लगा। अब मेरी हिम्मत पूरी बढ़ चुकी थी। मेरा हाथ प्रिया के कंधे और मम्मों के आस-पास हाथ लगा रहा था और मेरा लण्ड रिया के सर से सटा हुआ मस्त था। मैंने अपना हाथ प्रिया के मम्मों के ऊपर रख दिया और जब उसने कोई आपत्ति नहीं दिखाई, तो मैंने धीरे से उसका मम्मों को पकड़ कर सहला दिया। यह पहली बार था जब मेरे हाथों ने किसी के मम्मों को स्पर्श किया था। मैंने उसके टॉप के अन्दर हाथ डाल दिया और जैसे ही उसके मम्मों को हाथ लगाया, मेरे लण्ड ने दो-तीन बूँदें छोड़ दीं। अब तो मैं पूरा फ्री था। मैं प्रिया के मम्मों को मसल रहा था और रिया के सर में अपना लण्ड रगड़ रहा था। अब मैंने अपनी ज़िप खोली और लण्ड रिया को छुआने लगा। इधर प्रिया के निप्पल को छूते ही बिजली सी दौड़ने लगी। मैं उसके मम्मों को अपने हाथों से मसल रहा था जिसकी प्रतिक्रिया उसके चेहरे पर देखी जा सकती थी। वो नींद में ही सिसकारियाँ भर रही थी, मगर रिया को कुछ पता नहीं था। मैंने अपना सर उठाया और प्रिया को किस करने लगा, मगर नींद में होने की वजह से उसने कोई जवाब नहीं दिया और मुझे मज़ा नहीं आया। मैं फिर उसके मम्मों को दबाने लगा और उसके पेट को भी मसलने लगा। वो बहुत ही चिकना और नाज़ुक स्पर्श था। मैं कोशिश करने लगा कि ज़्यादा से ज़्यादा उसकी चूत के पास पहुँच सकूँ, मगर हाथ वहाँ तक जाता नहीं था। मैंने अपनी पोज़िशन चेंज की और थोड़ा आगे सरक गया। अब मेरा लण्ड रिया के मुख को छू रहा था और मेरे हाथ प्रिया के चूत के आस-पास था। मगर मैंने जैसे ही उसकी चूत के पास छुआ वो अचानक पलट गई और अपने पैर सिकोड़ लिए। मैं चाह कर भी उसकी चूत को छू नहीं सकता था। मगर उसके मम्मे अब भी मेरी हिम्मत बढ़ा रहे थे। उधर लण्ड महाराज भी गीले हो चुके थे मगर रिया की तरफ़ से कुछ प्रतिक्रिया नहीं थी। मैं अपना लण्ड उसके चेहरे पर रगड़ने लगा और ना चाहते हुए भी मेरा माल उसके चेहरे पर ही गिर गया। मैंने जल्दी से चादर से उसका चेहरा साफ़ कर दिया। अब मेरी हवस बढ़ गई थी। मुझे चूत चाहिए थी मगर प्रिया ने उसे छुपा रखी थी। मैंने कोशिश की, मगर उसने पैर दबा रखे थे। मैंने उसका हाथ अपने लण्ड पर रख दिया, मगर ना ही उसने पकड़ मजबूत की ना ही मुझे मज़ा आया। मैं दोनों बहनों के बीच में आ कर लेट गया और यहाँ-वहाँ छूने लगा। प्रिया के मुक़ाबले रिया काफ़ी फ्री हो कर सोई थी। मैं उसके साथ आसानी से कर सकता था मगर उसमें वो मज़ा नहीं था, जो मैं प्रिया में देख सकता था। मैंने झटके से प्रिया के पैर खींचे और ज़ोर से दबा दिए और उसके ऊपर लेट गया। मेरा पूरा शरीर उसे छू रहा था जो मेरे लिए किसी जन्नत से कम नहीं था। मैं उसे चुम्मी करने लगा और मेरा लण्ड उसकी चूत के आस-पास छू रहा था। मेरे लिए यही काफ़ी बड़ा सुख था। मैं उसके ऊपर ही हिलने लगा और मज़ा लेने लगा। कभी उसके मम्मों को चूसता कभी उसके होंठ चूमता रहा। तभी अचानक किसी ने मेरी शर्ट खींची और मुझे साइड में फेंक दिया। मैंने पलट कर देखा वो मामी थीं। अरे बाप रे…!! मेरी बोलती बंद हो गई.. अब क्या होगा..! कहानी जारी रहेगी। मुझे आप अपने विचार मेल करें। [email protected]
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