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राज मोरे वो शरमाते हुए अपने बदन को ढकने लगी। मैंने कहा- अब क्यों शरमा रही हो? वो कुछ ना बोलते हुए चादर ओढ़ कर वैसे ही पड़ी रही। इतने में थोड़ी ही मेरा समाधान होने वाला था सो मैंने उसके ऊपर हाथ रखते हुए बोला- कैसा लग रहा है? वो बोली- ठंडा लग रहा है। मैं बोला- गर्म कर दूँ..! वो गुस्से में बोली- चुपचाप सो जा। और मैं उसका गुस्सा देखते हुए डर गया। मुझे लगा अभी ये सब घर वालों को उठाएगी। मैं डर के मारे सो गया। रात के 11:40 बज चुके थे, मैं डर के मारे सोने की कोशिश कर रहा था, पर मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं वैसे ही पड़ा रहा। तभी मनु उठी और कपड़े पहनने लगी। मैं उसे देख रहा था, उसे लगा मैं सो रहा हूँ। वो कपड़े पहनते-पहनते रुक गई और फिर कपड़े उतारकर नंगी ही सो गई। मैं धीरे से उसे छूने की कोशिश कर रहा था। तो वो मुझे उठाने लगी। मैं बोला- अब क्या है मनु सोने दो। ‘क्या यार आग लगा कर वैसे ही छोड़ देगा क्या..!’ मैं- क्या मतलब? वो- अरे यार हम जब छत पर आए थे, मैं तेरे बेड पर बैठने लगी, तो मेरा पैर तेरे वीर्य पर पड़ा। मैंने देखा कि ये तेरा वीर्य है और फिर मैंने सोने का नाटक किया। मैं- सोने का नाटक क्यों..! वो- अरे मुझे पता है कि तुम मेरे बारे में सोचते हुए मुठ मार रहे थे। मैं- नहीं, मनु मैंने ऐसा नहीं किया..! वो बेड के नीचे दिखाते हुए- तो फिर यह क्या है। मैं- पता नहीं। वो- इतना भी मुझे बुद्धू मत समझ… चल अभी भोलापन छोड़ दे और असलियत में आ जा! मैं- कैसी असलियत? तो वो झट से मेरे ऊपर आई और मुझे चूमने लगी। तो मैं बोला- मनु ये गलत है। वो- मुठ मारना सही और यह गलत… इसमें गलत क्या है..! मैं- तू तो मेरी बहन है। वो- जब मुझे नंगी कर रहा था, तब क्या मैं कोई और थी? मैंने कहा- वो तो पहले तूने किया था, इसलिए मैंने वैसा किया..! तो वो बोली- वो सब ठीक है, तो तूने मेरे स्तन क्यों सहलाए? मैंने सर झुकाते हुए चुप हो गया। ‘अब बताओ इसमें गलत क्या है..!’ मैं कुछ नहीं बोला। वो मेरा लंड पैन्ट के ऊपर से पकड़ कर सहलाने लगी। मुझे भी अच्छा लग रहा था, मैंने कभी ऐसा नहीं किया था, यह मेरा पहली बार होगा। उसने मेरी पैन्ट उतारी और मुझे नंगा करते हुए मुझसे लिपट गई। मैं अपने होश खो बैठा और मैं भी उसे चूम रहा था। वो मेरे लंड को पकड़ कर हिलाते हुए मुँह से चूसने लगी। मुझे उसके गर्म होंठों का अहसास हो गया। मेरे बदन में बिजली दौड़ गई और मैं झड़ गया। उसने मेरा पूरा वीर्य पीते हुए मेरा लंड साफ कर दिया। उसने मेरे लंड को चूस कर फिर खड़ा किया। और बोली- अब तू कर दे और घोड़ी बन गई और बोली- घुसा दे..! मेरी धड़कन तेज हुई और मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर दबा दिया और एक ही धक्के में घुसा दिया। उसकी चूत कसी हुई थी। वो चीख पड़ी, बोली- आराम से कर..! और मैंने धीरे-धीरे करते हुए अपनी रफ्तार बढ़ा दी। उसे भी मजा आ रहा था और मुझे भी करीब 20-25 मिनट हमारा चुदाई का कार्यक्रम चला और मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। वो बोली- अरे यह क्या कर दिया, जल्दी निकाल… कर दी ना गलती..! मैं बोला- इसमें क्या गलत है..! वो कुछ नहीं बोली। चुदाई करने बाद मुझे तो गहरी नींद आई। क्योंकि पहली बार मैंने किसी को चोदा था, पर मनु ठीक से सो नहीं पाई थी। मैं सुबह 10 बजे उठा, तो मनु सो रही थी।॥ नानी बोलीं- लगता है कि मनु का मन यहाँ लग नहीं रहा। मैंने कहा- वो कैसे?। नानी बोलीं- मनु रात भर सोई कहाँ ! जैसे-तैसे दिन गुजरा। हम लोग सोने गए। तभी नानी और मनु आ गए। नानी बोलीं- राजू बेटे मनु को यहाँ तेरे साथ सोने दे। नीचे अकेली ही होती है। तेरे साथ रहेगी तो बोर नहीं होगी। तू भी तो रात 1-2 बजे तक जगा हुआ रहता है। मैंने कहा- ठीक है। नानी थोड़ी देर रुकीं और चली गईं। मनु ने ऊठ कर छत का दरवाजा बंद किया और मेरे पास आकर बैठ गई, बोली- कल की तरह आज भी करें। मैंने खुश होकर कहा- क्यों नहीं। मनु बोली- कल की तरह, मतलब आराम से करना, पूरी रात अपनी है। और मुझे चूमने लगी। मैं भी उसके पतले बिल्कुल गुलाब की पंखरियों जैसे होंठों को चूस रहा था। मनु की आँखें नशीली हो रही थीं। बाद में मनु ने अपने कपड़े उतारते हुए मेरे भी कपड़े उतरवाए। मनु मेरे सामने ब्रा और पैन्टी में थी और मैंने चड्डी पहनी थी। मनु की खूबसूरती कहर ढा रही थी। उसका फिगर 36-24-36 था। मेरी तो नजर ही फिसल रही थी। वो मेरे पास आकर चड्डी के ऊपर से ही लंड को सहलाने लगी। मैंने भी उसके स्तनों को दबाते हुए ब्रा निकाल दी। उसके स्तन दो रसीले आमों की तरह लग रहे थे। मैं उसे चूस कर रस पी रहा था। अभी हम दोनों पूरे नंगे थे, मनु को ऐसा देख मेरी साँसें तेज हो रही थीं। मैं उसकी चूत सहलाने लगा। वो बोली- राज कर दे.. अब सहन नहीं हो रहा। देर ना करते हुए हम बेड पर आ गए। मैं उसकी टांगों के बीच बैठ गया और चूत को निहारने लगा। उसकी चूत के बाल चूत पर भा रहे थे। चूत कली जैसी लग रही थी। लंड उसकी चूत पर रखते ही मनु की सिस्कारी निकली, मैंने थोड़ा दबाया तो मनु की चीख निकली। मैं धीरे-धीरे अन्दर घुसाने लगा, मनु ‘आह..आह’ कर रही थी। मैं धीरे-धीरे अपनी स्पीड बढ़ा रहा था। मनु सिस्कारते हुए ‘आ आह आह’ कर रही थी। मेरा लंड चूत के अन्दर ऐसा घिस रहा था तो बहुत मजा आ रहा था, मनु ने मदहोशी में अपनी आँखें बंद कर ली थीं। मैं करीब 10-15 मिनट बाद धक्के लगाते हुए झड़ने वाला था, मैंने एक जोर का झटका लगाते हुए उसकी चूत में ही झड़ गया। मनु जोर से चीखी और मदहोश होकर वैसे ही पड़ी रही। मैंने मनु से पूछा- क्या हुआ? मनु बोली- जल रहा है। मैंने कहा- कल किया तो तुम ठीक थी तो आज कैसे जल रहा है। मनु बोली- कल कैसे जलता। कल तो तुमने मेरी जाँघों की चुदाई की थी। मैंने कहा- तो तूने बताया क्यों नहीं। मनु बोली- मैं तो बता रही थी, पर तू कहाँ सुन रहा था। बस टूट पड़ा। और हम अलग हो कर चिपक कर सो गए। दूसरे दिन हमने बात ही नहीं की और मैं अकेला ही छत पर सो गया। तीसरे दिन मनु ने गर्मी का बहाना कर बोलने लगी- मुझे घुटन सी हो रही है। फिर घर वाले कहने लगे- उसके साथ खेलने बात करने राज के सिवाय है ही कौन। वैसे भी ये शहर वालों को रात में देर तक जागने की आदत होती है। तो मनु को ऐसे माहौल से घुटन तो जरुर होती होगी। मनु बोली- हाँ, तुम लोग जल्दी सो जाते हो और मैं अकेली ही होती हूँ। यह सुनकर नानी बोलीं- क्या करें, गाँव में तो ऐसे ही होता है। तुम एक काम करो राज के साथ ऊपर छत पर सो जाया करो। राज भी तो शहर से आया है, वो तो रात के एक-दो बजे तक सोता है तो तुम्हारा वक्त भी गुजर जाएगा। मनु बोली- क्या राज मुझे अपने साथ छत पर सोने देगा? तो नानी बोलीं- क्यों नहीं सोने देगा..! चल तू मेरे साथ आखिर वो तेरा भाई है, ‘ना’ बोलेगा तो उसका कान खींच कर उसे नीचे बुलाऊँगी। और फिर तुम सो जाना अकेले छत पर। मनु बोली- राज मान जाएगा क्या? नानी मनु को ऊपर लेकर आईं और बोलीं- राजु बेटे… मनु तुम्हारी बहन है ना.. तो उसे तेरे साथ सोने दे। उसे घर में घुटन लगती है। मैं मान गया। इतना कह कर नानी चली गईं। मैंने कहा- मनु क्या हुआ? तो मनु उठी और छत का दरवाजा बंद कर मेरे पास आई। उसने वक्त ना गवांते हुए मेरे होठों को चूमने लगी। उसके नाजुक पतले गरम होठ गुलाब के पंखुरियों की तरह लगे। मनु की आँखें नशीली हो रही थीं तो मैं भी जोरों से उसके होंठों का रस चूसने लगा। वो बोली- रुक जाओ.. इतनी जल्दी क्या है.. पूरी रात हमारी है। मैं बोला- रोक मत मनु, बड़ा मजा आ रहा है। बाद में मनु ने अपने कपड़े उतारते हुए मेरे भी कपड़े उतरवाए। क्या लग रही थी वो ब्रा और चड्डी में..! मैं तो देखता ही रह गया। ब्रा में से दो गेंदें बाहर आने की कोशिश कर रहे थे और रस्सिओं वाली चड्डी उसके चूतड़ों पर खूब जंच रही थी मनु बोली- ऐसे क्या देख रहा है, उस दिन देखा नहीं क्या? मैं बोला- उस दिन तो मेरी आँखों पर पट्टी लगी हुई थी। उस दिन मेरा ध्यान कहीं और था। सच कहूँ मनु, तुम बहुत खूबसूरत हो… मैंने ऐसे अब तक किसी को नहीं देखा.. जरा गोल घूमोगी..! और वो गोल घूमने लगी। मेरे मुँह से आवाज निकली- वाह क्या मस्त लग रही हो..! उसके चड्डी की डोरियाँ उसके चूतड़ों पर चार चांद लगा रही थीं। उसने अपने हाथ ऊपर उठाए और छाती फुलाने लगी, मानो ऐसा लग रहा था कि उसके गोले मुझे देखकर बाहर आने की कोशिश कर रहे हैं और कह रहे हैं हमें आजाद करो। मैंने उसको पास आने कहा। मनु मेरे पास आई और मैंने उसे अपनी बांहों में कस कर पकड़ कर चूमने लगा। मनु के मुँह से सिसकारियाँ और मेरे कान से आग निकल रही थीं। मैंने उसकी ब्रा निकाली और उसके नरम-गरम आमों को दबा कर चूसने लगा। उसकी और सिसकारियाँ निकलने लगीं। मैं उसके निप्पलों को चूस कर दांतों से चुभलाने लगा, धीरे से चड्डी की रस्सी खींची। अब वो पूरी नंगी थी। मैंने उसे बेड पर लिटाया और चूत चाटने लगा। वो मना करने लगी, मैं और जोरों से चूसने लगा। मनु, “आ उ आ उ उ” करने लगी। तभी मेरे मुँह में गरम-गरम पानी आया। न जाने वो क्या था, पर उसे पीते ही नशा सा हुआ। मैं लंड चूत पर घिसने लगा। मनु बोली- बस करो… अभी सहन नहीं हो रहा बुझा दे मेरी आग। मैंने लंड चूत पर रखा और धीरे से दबाव डालने लगा। जैसे लंड घुस गया। मनु जोर से चीखी। मैं रुक गया, मनु ने अपनी आँखें बंद कर अपने होंठ दांतों से काट रही थी। मैं धीरे-धीरे आगे-पीछे होने लगा। वो मदहोश हो कर मजा ले रही थी। वो बोली- मजा आ रहा है ऐसे ही कर… आ उ उ..! वो अब मेरा पूरा लंड अन्दर लेने लगी। दस मिनट बाद मैं रफ्तार बढ़ाने लगा और वो जोर से, “आ उ आई…आह..आह” करने लगी। उसने टाँगें ऊपर उठा कर मेरी कमर पर जकड़ दीं। मैंने मेरी स्पीड कम कर के उसके आमों को दबा कर होंठों से चूसा और उसके होंठों पर अपने होंठों को ले गया, उसने मेरा होंठ काटातो मुझे जोश आया। मैंने अपनी गति बढ़ाते हुए जोर-जोर से धक्के देने लगा। मनु कभी सिस्कारती कभी “आ आ आह..आह” की आवाज कर रही थी। मनु की चूत की कंपकंपी मुझे महसूस हो रही थी। मेरा लंड मनु की चूत फाड़ रहा हो, ऐसा लग रहा था। चूत में एकदम टाईट जा रहा था। मनु जैसे बेहोश होकर ‘आह..आह’ कर मुझे उकसा रही थी, मैं जोरों से धक्के मारने लगा तो वो “आह..आह” करके तड़प उठी और अपना बदन ढीला कर दिया। मैं जोरों से धक्के मारने लगा। करीब 10-15 मिनट बाद मैंने अपना लंड निकाला और मनु के पेट पर अपना ‘सामान’ छोड़ दिया।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! मनु आँखें बंद कर वैसी ही पड़ी रही। मैंने पूछा- मनु क्या हुआ? तो बोली- बहुत जल रहा है। मैं बोला- जाने दे… आज भी तो तीर निशाने पर लगा, तभी तो आज इतना मजा आया। उसके बाद हम जितने दिन थे, उतने दिन मजे किए और गाँव से जाते समय मनु मुझे बोली- अगले साल जरूर आना। मैंने कहा- पक्का आऊँगा। और हम लोग अपने-अपने घर लौट गए। अभी अगली छुट्टियों का इंतजार है। मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें। [email protected]
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