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रूचि वर्मा नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम रूचि वर्मा है, मैं गुजरात की रहने वाली हूँ। आप मेरे बारे में सोच रहे होंगे, मैं अपने पति और दो बच्चों के साथ रहती हूँ। उस समय मेरी उम्र 29 साल की थी। मेरी लव मेरिज हुई थी और जल्द ही दो बच्चों को जन्म दे चुकी थी। मेरा कद 5′,8″ और शरीर की गढ़ना 38, 34, 34 है। मैं अन्तर्वासना की नियमित पाठक हूँ, काफ़ी दिनों से मैं अपना अनुभव आप सभी के साथ बांटना चाहती थी पर हिम्मत नहीं हो पाई। आज काफी हिम्मत बटोर कर अपना अनुभव आप सभी के साथ बांट रही हूँ और आशा करती हूँ कि आप मेरी कहानी को जरुर पसंद करेंगे। बात उस समय की है, जब हमारी कॉलोनी में एक नया नवयुवक किराए से रहने के लिए आया था, लम्बा चौड़ा कद, घुंघराले बाल, 6’1″ की हाईट, दिखने मैं ठीक सा ही था। जब मेरे मकान मालिक दोपहर के समय किसी के साथ ऊपर जा रहे थे, तो मेरा ध्यान गया कि वो किसी लड़के के साथ ऊपर वाले खाली घर को दिखाने जा रहे हैं। मैंने जैसे ही उस लड़के को देखा, पता नहीं क्यों लगा कि इसे यहाँ रहने आ जाना चाहिए। मैं चाय पी ही रही थी कि ऊपर से उन लोगों के आने की आवाज़ आई। साथ में मेरी छोटी बेटी भी थी। मेरे मकान मालिक ने कहा- रूचि, यह तुम्हारा नया पड़ोसी है, कुछ समय बाद अपने परिवार के साथ आकर रहेगा। मेरे तो जैसे मन की मुराद पूरी हो गई, पता नहीं क्यों मैं उसकी आँखों में डूबती जा रही थी। मैंने उसे नमस्कार किया, वो जवाब मैं ‘हैलो’ कह कर आगे चला गया। मैं सोचती रह गई- अरे कितना अकड़ू लड़का है, ठीक तरह से बात भी नहीं करता, आने दो, इसे फिर देखती हूँ। कुछ दिन ऐसे ही बीत गए और एक दिन शाम के समय वही लड़का कुछ सामान के साथ आया। उस समय मेरे पति भी वहाँ मौजूद थे, तो वह रुक कर उनसे बातें करने लगा और थोड़े ही समय में वो ऐसे बातें करने लगे, जैसे काफी पुराने दोस्त हों। कुछ समय बात करने के बाद जब मेरे पति वापस आए तो मैंने पूछा- यह कौन था… मैंने कभी आपके साथ नहीं देखा? वो बोले- नया किराएदार है, बड़ा ही हँसमुख इंसान है, कुछ समय बाद अपनी फैमिली को लेकर आने वाला है। यहाँ पर नया है और गुजराती भी नहीं जानता। वो रोज़ सुबह चाय लेने जाया करता था और आते जाते समय मेरी तरफ देखता रहता। मैं रोज़ सोचती कि कैसे बात शुरू की जाए, पर कोई मौका ही नहीं मिल पा रहा था। एक दिन मेरी छोटी बेटी उनके घर से नीचे आ रही थी और हाथ मैं कुछ चॉकलेट थी। मैंने पूछा- कहाँ से लेकर आई ये..! तो वो बोली- ऊपर वाले अंकल ने दी है और दीदी और आप के लिये भी दी है। मैंने सोचा चलो आज बहाना मिल गया बात शुरू करने का। मैं ऊपर गई और उनके दरवाजे पर दस्तक दी। उन्होंने दरवाजा खोला और खोलते ही बोले- आजा बेटा, हम और मस्ती करते हैं। शायद उन्हें लगा कि मेरे बेटी है। वो बिना ऊपर के कपड़ों के थे, उनका मजबूत शरीर मुझे खींचे जा रहा था। मेरे मन में हवस की आग ऐसे भड़की जैसे मेरी चूत ने बरसों से बिना लंड के बिताए हों। मैंने अपने आप को सम्भाला और कहा- सुनिए ! मेरी आवाज सुनते ही उन्होंने कहा- एक मिनट भाभीजी..! और अन्दर जाकर अपना कुरता पहन कर आए और कहा- माफ़ करना, मुझे लगा कि छोटी है.. बताएँ मैं क्या मदद कर सकता हूँ। मैंने कहा- ये चॉकलेट आपने दी है..! उन्होंने कहा- हाँ जी.. क्या इसने आप को नहीं दी, मैंने तो आपके लिए भी भेजी थी। मैं कुछ बोले बिना वापस आ गई। कुछ दिन ऐसे ही निकल गए। मेरे पति अपने बिज़नेस की वजह से बाहर गए थे। मैंने सोचा कैसे बात की जा सकती है। वैसे ही उनकी आवाज आई वो शायद किसी को अपना मोबाइल नम्बर दे रहे थे, मैंने अपना मोबाइल निकाला और उनका नम्बर सेव कर लिया। कुछ समय इंतजार कर मैंने उस नम्बर पर मिस कॉल दी। थोड़ी देर मैं उनका फ़ोन आया, “हाँ जी कौन?” मैंने अपना नाम बताया और कहा- क्या मैं आप से दोस्ती कर सकती हूँ। उधर से जवाब आया, “क्यों नहीं..!” और फिर हमारी बातें शुरू हुईं। हम रोज़ 2-3 बार बात कर लिया करते थे। एक दिन जब मेरे पति दिल्ली गए थे, मैंने उन्हें कॉल करके बताया, “आज मेरा जन्म-दिन है। मेरे पति भी नहीं हैं और मुझे भी ठीक नहीं लग रहा है, अगर आप के पास समय हो तो क्या आप मेरे साथ कुछ समय बिता सकते हैं? उन्होंने कहा- मैं कुछ देर में आता हूँ। मेरी तो जैसे ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। मैं नहाने गई और जल्दी कपड़े पहन कर रास्ता देखने लगी। कुछ आधा घंटे बाद एक दस्तक हुई। मैंने दरवाजा खोला उनके हाथ मैं एक पैकेट था। मैंने उन्हें अन्दर आने को कहा और पानी लेकर आई। उन्होंने वो पैकेट निकाल कर मुझे हाथ में दिया और बर्थ-डे ‘विश’ किया। मैंने कहा- क्या दोस्त को कोई ऐसे ‘विश’ करता है… क्या अपने दोस्त को गले नहीं लगाओगे..! उन्होंने मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा कर खड़े हुए। अपनी बाहें फैला कर कहा- आ जाओ..! मैं तो कबसे इस पल का इंतजार कर रही थी, मैं उनसे गले लगी, उनकी बाहों में मैं जैसे पिघल गई और एक नशा सा होने लगा। ऊपर से उन्होंने मेरे गाल पर एक किस कर दी। बस फिर क्या था जैसे मेरे अन्दर का ज्वालामुखी फूट पड़ा। मैंने भी जवाब मैं उनके होंठों पर एक लम्बी किस कर दी और पागलों की तरह अपने हाथ उनकी कमर पर फेरने लगी। शायद वो इस बात को समझ गए थे कि मैं प्यासी हूँ, उन्होंने मेरे बोबों को कपड़ों से ऊपर से हल्के-हल्के दबाना शुरू कर दिया और मेरे गले पर किस करते रहे। आपको बता दूँ कि अगर किसी औरत को गर्म करना है तो उसके गले और कान पर ‘किस’ कर दो, वो आपकी दीवानी हो जाएगी। यह एक काम-कला है और वो इस को बहुत अच्छी तरह जानते थे। वो कभी मेरे बोबों को दबाते कभी मेरे नाभि पर अपनी ऊँगलियां चलाते। मेरा हाल तो वैसे ही ख़राब था, ऊपर से उन्होंने मेरी चूत पर अपना हाथ रख मुझे पागल बना दिया। मुझसे अब सहन नहीं हो रहा था। मैंने कहा- आओ और मेरे इस जन्म-दिन को यादगार बना दो। उन्होंने मेरी आज्ञा का पालन भी किया। धीरे-धीरे उन्होंने मेरे कपड़ों को खोलना शुरू किया। एक हाथ से कपड़ा खोलते और दूसरे हाथ से मेरे शरीर को सहलाते। वो पूरी तरह से काम-क्रिया में माहिर थे। उन्होंने पहले मेरे ब्लाउज को खोलना शुरू किया और साथ ही मुझे किस भी करते जा रहे थे। जैसे ही उन्होंने मेरे बोबों को ब्लाउज से आजाद किया, अपना मुँह मेरे बोबों पर रख उन्हें चूसना शुरू कर दिया, एक हाथ से हल्का-हल्का दबा रहे थे, साथ ही मेरे बोबों को चूसना चालू था। फिर पेटीकोट का इजारबन्द ढीला कर दिया तो धीरे से मेरा पेटीकोट भी फर्श पर पड़ा था। मैं अब बस पैन्टी में थी, पर वो भी कहाँ ठहरने वाली थी। अब वो कभी मेरे पेट को किस करते, कभी मेरी नाभि को, कभी मेरे बोबों को चूसते कभी आकर मुझे स्मूच करते। चूमते समय भी उनके हाथ मेरी गांड और बोबों को दबा ही रहे थे। मेरी हालत और भी ख़राब हो रही थी। मैंने कहा- बस अब नहीं रहा जाता, प्लीज चोद दो… अब दे दो मुझे स्वर्ग का आनन्द… डाल दो मेरी चूत में अपना लंड..! उन्होंने कहा- रानी, अभी तो फिल्म शुरू ही हुई है। उन्होंने अपने कपड़े निकाले और वो भी पूरे नंगे थे। जैसे ही मेरे नजर उनके 7” के लंड पर गई, मैं उसे चूसे बिना नहीं रह पाई। मैंने उनका लंड चूसना शुरू किया और अपने एक हाथ से उनकी छोटी-छोटी गेंदों को भी सहला रही थी। उन्होंने कहा- रानी क्या हमें अपनी चूत का रस-पान नहीं कराओगी। और फिर हम 69 की अवस्था में आ गए। वो मेरी चूत चाट रहे थे और इधर मैं उनके लंड को लपक-लपक कर चूस रही थी। करीब आधे घंटे के बाद मैंने कहा- मैं झड़ने वाली हूँ। उन्होंने कहा- झड़ जाओ मेरे मुँह में…! और मैं उनके मुँह में झड़ गई। वो मेरा सारा रस पी गए। मुझे लगा जिनसे मैं सच में किसी और दुनिया में थी, क्योंकि आज तक मुझे आज तक ऐसा अनुभव कभी नहीं हुआ था। उन्होंने मेरी चूत को चाटना चालू रखा और अपने दोनों हाथों से मेरे मम्मे दबा रहे थे। कुछ ही समय में मैं फिर से चरम सीमा पर थी, शायद उन्हें इस बात का पता चल चुका था। मैंने उनसे कहा- अब नहीं रहा जाता… प्लीज मुझे चोद दो… फाड़ दो मेरी चूत को…! उन्होंने अपना लंड मेरी चूत पर रखा और एक धक्का मारा, मेरी तो जैसे जान ही निकल गई। फिर एक और धक्के में उनका पूरा लंड मेरी चूत में था। अब वो मुझे अपने लंड से जोर-जोर से चोद रहे थे। कभी एकदम धीरे तो कभी राजधानी की तरह से चोदे जा रहे थे। इस बीच मैं दो बार झड़ चुकी थी और हमें चोदते हुए करीब ढाई घंटे हो चुके थे। उनकी स्पीड भी अब और तेज़ हो चुकी थी। उन्होंने मुझसे कहा- मेरी रानी अब मैं भी आने वाला हूँ… बताओ कहाँ अपना रस डालूँ..! मैंने कहा- मेरे राजा, डाल दो मेरी चूत में और कर दो उसे भी मालामाल..! कुछ समय में उन्होंने 8-9 धक्के मारे और मेरी चूत में गर्म सा फव्वारा छोड़ दिया और मुझ पर आकर गिर पड़े। करीब दस मिनट के बाद उन्होंने मुझे किस किया और जन्म-दिन की फिर से बधाई दी और फिर नहाने के बाद वापस अपने ऑफिस चले गए। उस दिन सा आनन्द मिल पाना बहुत ही मुश्किल था, पर हमने फिर से पूरी रात सेक्स किया, पर वो सब बाद में..! आप को मेरी कहानी कैसी लगी..! जरुर बताएँ .. मैं आप के ख़त का इंतज़ार करुँगी और अपनी आपबीती फिर लिखूँगी। आपकी रूचि वर्मा [email protected]
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