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रानी मधुबाला सुनीता अपनी दीदी के घर से वापिस आ तो गई किन्तु रातें काटे नहीं कट रहीं थीं। जब उसे रामलाल के साथ गुजारी रातों की याद सताती तो वह वासना के सागर में गोते लगाने लगती और उसके समूचे बदन में आग की सी लपटें उठने लगतीं। आज तो उसे बिल्कुल नीद नहीं आ रही थी, वह जाकर खिड़की पर खड़ी हो गई और मंझली भाभी के कमरे में झाँकने लगी। रात के करीब ग्यारह बजे का समय था। ठीक इसी समय उसके बड़े भैया विजय ने भाभी के कमरे में प्रवेश किया। मझली भाभी के कमरे की हर चीज इस खिड़की से साफ़ दिखाई देती थी। उसने देखा- बड़े भैया के आते ही मझली भाभी पलंग से उठ खड़ी हुई और वह भैया की बाहों में लिपट गई। बड़े भैया ने उसके साथ चूमा-चाटी शुरू कर कर दी और उन्होंने भाभी को बिल्कुल नंगा करके उसकी चूचियाँ मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया। अब वह खुद भी नंगे हो कर भाभी के नंगे बदन का जमकर मज़ा ले रहे थे। आज भैया ने भाभी के साथ कुछ अलग ही किस्म का मैथुन करना शुरू कर दिया, भाभी अपने दोनों नितम्बों को पीछे की और उभार कर झुकी हुई थीं और भैया अपना लिंग उनकी गुदा में डालने की कोशिश कर रहे थे। भैया का मोटा लिंग उनकी गुदा में नहीं घुस पा रहा था इसलिए भैया ने लिंग पर थोड़ा सा तेल लगाया और फिर अन्दर करने की कोशिश करने लगे। इस बार वह अपनी कोशिश में कामयाब हो गए क्योंकि उनका लिंग आधे से अधिक भाभी की गुदा के अन्दर घुस गया था। फिर भैया ने एक जोर का धक्का भाभी की गुदा पर लगाया। इस बार पूरा का पूरा लिंग भाभी की गुदा को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया, भाभी दर्द से चिल्लाने लगीं। भैया ने धीरज बंधाया- कोई बात नहीं मेरी जान, पहली बार गुदा-मैथुन में ऐसे ही दर्द होता है। आगे से ऐसा कुछ भी नहीं होगा। भाभी की गुदा का दर्द शायद कुछ कम हो गया था क्योंकि उन्होंने भी भैया की लिंग पर पीछे की ओर धक्के लगाने शुरू कर दिए थे। यह सब देखना सुनीता की बर्दाश्त के बाहर था, अत: उसने अपना एक हाथ सलवार में डालकर अपनी योनि को कुरेदना शुरू कर दिया। इसी बीच छोटे भैया आ धमके, उसे खिड़की पर आँखें टिकाये देखकर मुस्कुराते हुए बोले- सुन्नो, दीदी के पास से आते ही तुमने फिर से भैया और मझली भाभी की ब्लू-फिल्म देखना शुरू कर दी। हट, अब मैं भी थोड़ा सा मज़ा ले लूँ। सुनीता के वहाँ से हटते ही अजय भैया ने अपनी आँखें खिड़की पर टिका दीं, सुनीता अपने कमरे में आकर कुर्सी पर बैठ गई। तभी उसकी निगाह मेज पर रखी एक इंग्लिश मैगजीन पर पड़ी। उठाकर देखा तो ज्ञात हुआ कि वह एक सेक्सी-मगज़ीन थी, उसमें एक जगह पर सुनीता ने मास्टरबेशन, फिंगरिंग और फिस्टिंग जैसे शब्द पढ़े, जो उसकी समझ में नहीं आ रहे थे। उसने मन में सोचा कि भैया से सेक्स के बारे में बात करने का इससे बढ़िया मौका उसे कभी नहीं मिलेगा, क्यों न भैया के कमरे में चल कर इन बातों का ही मज़ा लिया जाए। वह उठ कर भैया के कमरे की चल दी। अजय अपने कमरे में एक कुर्सी पर बैठा हुआ था। सुनीता दरवाजा ठेल कर अन्दर आ गई और अजय से बोली- भैया, मुझे इन शब्दों के अर्थ नहीं समझ में आ रहे हैं, मुझे बता दो प्लीज़… अजय ने देखा कि वही सेक्सी मैगज़ीन सुनीता के हाथ में थी जिसे वह स्वयं सुनीता की अनुपस्थिति में उसकी मेज पर रख आया था जिससे कि सुनीता उसे पढ़े तो उसके अन्दर भी सेक्स की भावना प्रबल हो उठे। सेक्स की मैगज़ीन को सुनीता के हाथ में देखकर अजय मन ही मन खुश हो उठा पर ऊपर से गुस्सा दिखाते हुए उसे डांटकर बोला- अरे यह तो सेक्सी मैगज़ीन है। कहाँ से लाई इसे? ऐसी सेक्सी किताबें पढ़ते हुए तुझे शर्म नहीं आती? मालूम है, ये सेक्सी-मैगज़ीन बड़े लोग पढ़ा करते हैं। सुनीता बेझिझक होकर बोली- भैया, मैं भी तो अब बालिग़ हो चुकी हूँ। पूरे 19 वर्ष की हो चुकी हूँ। फिर मेरी शादी भी तो होने वाली है अब। अजय चुप हो गया और बोला- बता, क्या पूछना चाहती है? सुनीता ने पूछा- भैया, यह मास्टरबेशन क्या होता है? एक ये फिंगरिंग और फिस्टिंग शब्दों का मतलब समझ में नहीं आ रहा। अजय मुस्कुराया और बोला- जा पहले कमरे की सिटकनी लगा कर आ… तब मैं डिटेल में तुझे इसका मतलब समझाऊंगा। सुनीता ने दरवाजा अन्दर से बंद कर दिया। उसके मन में लड्डू फूट रहे थे कि आज अजय उसकी जरूर लेगा। वह ख़ुशी-ख़ुशी लौटकर आई और कुर्सी खींच कर अजय के पास ही बैठ गई। अजय ने कहा- सुन्नो, देख मैं तुझे समझा तो दूँगा इन शब्दों का मतलब, लेकिन जब तब इन पर प्रेक्टिकल करके नहीं समझाऊँगा, तेरी समझ में कुछ नहीं आने वाला ! बोल…समझेगी? ‘हाँ भैया, मुझे कैसे भी समझाओ, मुझे मंजूर है।’ ‘उस दिन जब मैंने तेरी चूचियों पर हाथ फिराया था तो तू नाराज होकर अन्दर क्यों भागी थी?’ ‘भैया, उस समय मुझे डर लग रहा था। हम लोग बाहर खड़े थे, कोई देख लेता तो..? मैं अन्दर आई ही इसीलिए थी कि अगर आप अन्दर आकर मेरी चूचियाँ सहलाओगे तो किसी को भी पता नहीं चलेगा और मुझे भी अच्छा लगेगा।’ अजय बोला- इसका मतलब तो यह हुआ कि तू उस दिन भी तैयार थी अपनी चूचियों को मसलवाने के लिए? अरे यार, मैं ही बुद्धू था, जो उस दिन बुरी तरह डर कर भाग निकला। अच्छा, आ बैठ मेरे पास और एक बात बता …क्या सच में तू मेरे साथ मज़े लूटना चाहती है या मुझे उल्लू बनाने के मूड में है। अगर वाकई तू जवानी के मज़े लेना चाहती है तो चल मेरे बैड पर चलते हैं।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! सुनीता और अजय दोनों अब बैड पर आ बैठे। अजय ने पूछा- लाइट यों ही जलने दूं या बंद कर दूं? सुनीता बोली- भैया, जैसी आपकी मर्ज़ी, वैसे अँधेरे में मेरी समझ में क्या आएगा। मुझे अभी आपसे बहुत कुछ पूछना बाकी है। ‘जैसा तू ठीक समझे, देख शरमाना बिल्कुल नहीं… वरना कुछ मज़ा नहीं आएगा। एक बात और… ‘क्या भैया?’ ‘कल को किसी से कहेगी तो नहीं कि भैया ने मेरे साथ ये सब किया।’ ‘नहीं भैया, मैं कसम खाकर कहती हूँ किसी को कुछ नहीं बताऊँगी।’ ‘तो चल, पहले मैं तेरे संग वो करता हूँ जहाँ से पति-पत्नी के मिलन की शुरुआत होती है। तू मेरे बिल्कुल करीब आकर मुझसे चिपट जा…’ सुनीता आकर अजय से चिपट गई और उसके गले में हाथ डालकर बोली- बताओ भैया, अब मुझे क्या करना है। अजय बोला- अब तुझे कुछ भी नहीं करना है, बस मज़े लेती जाना। जहाँ तुझे परेशानी हो मुझसे कहना, ठीक है? ‘ठीक है भैया…’ अजय ने सुनीता के होटों पर अपने होंट रख दिए और उन्हें चूसने लगा। सुनीता ने भी उसका पूरा साथ दिया। अजय के हाथ सुनीता की ब्रा के हुक खोल रहे थे, सुनीता ने जरा भी विरोध न किया, वह सुनीता की चूचियों को जोरों से दबाने लगा। उसने चूची की घुंडियों को मुँह में डालकर उन्हें भी चूसना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे अजय के हाथ सुनीता की नाभि के नीचे के भाग को टटोल रहे थे। अजय का एक हाथ सुनीता की सलवार के नाड़े से जा उलझा। वह उसे खोलने का प्रयास करने लगा और कुछ ही देर में अजय ने सुनीता की सलवार उतारकर पलंग के एक ओर रख दी। सुनीता कौतूहलवश यह सब चुपचाप देखे जा रही थी, उसकी दिल की धड़कनें बढ़ने लगी थीं, साँसों की गति भी तेज हो गई थी किन्तु फिर भी वह अजय के अपनी नाभि से नीचे की ओर फिसलते हुए हाथों को रोकने का प्रयास तक नहीं कर पा रही थी। अजय के हाथ धीरे-धीरे सुनीता की नंगी-चिकनी जाँघों पर फिसलने लगे। फिर उसने सुनीता की दोनों जाँघों के बीच में कुछ टटोलना आरम्भ कर दिया। इससे पहले अजय ने अभी तक किसी लड़की की चूत इतनी करीब से नहीं देखी थी और न किसी की चूत को सहलाया ही था, वह बोला- सुन्नो, आज मैं तेरी प्यारी-प्यारी चूत को गौर से देखना चाहता हूँ। सुनीता बोली- भैया, मुझे भी अपना लंड दिखाओ न ! ‘दिखा दूंगा, तुझे अपना लंड भी दिखाऊंगा, घबराती क्यों है सुन्नो मेरी जान ! आज मैं तेरी हर वो इच्छा पूरी करूंगा जो तू कहेगी।’ ‘ तो पहले अपना लंड मेरे हाथों में दो, मैं देखना चाहती हूँ कि मेरी चूत में यह अपनी जगह बना भी पायेगा या फाड़कर रख देगा मेरी चूत को।’ अजय ने झट-पट अपने सारे कपड़े उतार फैंके और एकदम नंगा होकर सुनीता की बगल में आ लेटा, सुनीता की ऊपर की कुर्ती भी उसने उतार कर पलंग के नीचे गिरा दी। अब सुनीता भी एकदम नंगी हो गई थी, दोनों एक दूसरे से बुरी तरह से चिपट गए और एक दूसरे के गुप्तांगों से खेल रहे थे। अजय सुनीता की चूत में अपनी एक उंगली डालकर आगे-पीछे यानि अन्दर-बाहर कर रहा था जिससे सुनीता के मुँह से सिसकियाँ निकल रहीं थीं। अजय ने सुनीता को बताया कि इसी कार्य को फिंगरिंग कहते हैं। फिंगरिंग अर्थात चूत में उंगली डालकर उसे अन्दर-बाहर करना। इस क्रिया को हिन्दी में हस्त-मैथुन तथा अंग्रेजी में मास्टरबेशन कहते हैं। अजय बोला- जब औरत काफी कामुक और चुदालु प्रकृति की हो उठती है तो वह किसी भी मर्द से या स्वयं ही अपनी योनि में पूरी मुट्ठी डलवाकर सम्भोग से भी कहीं अधिक आनन्द का लाभ उठाती है। सुन्नो, अब मैंने तीनो शब्दों का अर्थ बता दिया है। अब मैं तुझसे इसकी फीस वसूलूंगा। अजय एक तकिया उसके नितम्बों के नीचे लगाते हुए बोला- अब मैं तेरी चूत में उंगली डालकर मैं अपनी उंगली को आगे-पीछे सरकाऊँगा यानि फिंगरिंग करूंगा। अजय ने सुनीता की चूत में उंगली डालकर अन्दर-बाहर रगड़ना शुरू कर दिया, सुनीता के मुँह से सिसकियाँ फूटने लगीं। अजय ने पूछा- बता सुन्नो, तुझे कैसा महसूस हो रहा है? ‘अच्छा लग रहा है भैया, जरा जोर से करो न, आह: मज़ा आ रहा है। एक बात बताओ भैया, आपने मेरे चूतड़ों के नीचे यह तकिया क्यों लगा दिया?’ ‘इसलिए कि चूतड़ों के नीचे तकिया लगाने से औरत की चूत पहले की अपेक्षा कुछ अधिक खुल जाती है और उसमे कितना ही मोटा लंड क्यों न डाल दो, वह सब-कुछ आसानी से झेल जाती है।’ सुनीता बोली- भैया, बुरा तो नहीं मानोगे, एक बात पूछूं आपसे? ‘पूछ चल !’ ‘कहीं आप मेरी चूत में अपना लंड डालने की तैयारी तो नहीं कर रहे?’ ‘हो भी सकता है अगर मेरे लंड से बर्दाश्त नहीं हुआ तो तेरी चूत मैं इसे घुसेड़ भी सकता हूँ।’ ‘भैया, पहले अपने लंड का साइज़ दिखाओ मुझे… मैं भी तो देखूं कितना मोटा है आपका.. मैं आपका लम्बा-मोटा लिंग झेल भी पाऊँगी या नहीं।’ ‘चल तुझे अपना लंड दिखाता हूँ… तू भी क्या याद करेगी कि भैया ने अपना लंड दिखाया, सुन्नो, एक बात तुझे पहले बताये देता हूँ, अगर मेरा मन कहीं तेरी चूत लेने को हुआ तो देनी पड़ेगी। फिर तुझे बिना चोदे मैं छोड़ने का नहीं।’ यह कहते हुए अजय ने अपने पेण्ट की जिप खोली और अपना लम्बा-मोटा सा लिंग निकाल कर सुनीता के हाथ में थमा दिया। सुनीता ने कहा- भैया, इसे मैं सहलाऊँ? ‘सहला दे …’ सुनीता ने सहलाते-सहलाते उसके लिंग को चूम लिया और उसे ओठों से सहलाने लगी। अजय ने ताव में आकर सुनीता की चूचियाँ जोरों से रगडनी शुरू कर दीं। सुनीता बोली- भैया, अब खुद भी नंगे हो जाओ न, मुझे आपका लंड खुलकर देखने की जल्दी हो रही है। अजय ने अपना पैंट और अंडरवियर दोनों ही उतार फैंके और सुनीता के ऊपर आ चढ़ा। सुनीता बोली- क्यों न हम एक दूसरे का नंगा बदन गौर से देखें। मुझे तो तुम्हारा ये गोरा और मोटा लंड बहुत ही उत्तेजित कर रहा है। अजय बोला- मैंने भी तेरी चूत अभी गौर से कहाँ देखी है। चल फैला तो अपनी दोनों जांघें इधर-उधर। सुनीता ने अपनी दोनों जांघें फैलाकर अपनी चूत के दर्शन कराये, अजय सचमुच सुनीता की चूत देखकर निहाल हो गया। वह सुनीता से बोला- सुन्नो, मेरी जान, आज तो अपनी इस गोरी, चिकनी और चुस्त चूत को मेरे हवाले कर दे। तेरी कसम जो भी तू कहेगी जिन्दगी भर करूंगा। ‘वादा करते हो भैया, जो कहूँगी करोगे?’ ‘हाँ, चल वादा रहा…’ ‘अपने ख़ास दोस्तों से चुदवाओगे मुझे? देखो तुमने वादा किया है मुझसे।’ ‘अच्छा चल, चुदवादूंगा तुझे, लेकिन यह बता कि तू इतनी चुदक्कड़ कबसे बन गई।’ ‘यह सब बाद में बताऊँगी, पहले अपना लंड मेरी सुलगती बुर में डालकर तेजी से कस-कस कर धक्के लगा दो।’ अजय को भी अब बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था, उसने अपने लंड की सुपारी सुनीता की चूत के मुँह पर रखकर एक जोर का धक्का मारा। उसका समूचा लंड सुनीता की चूत में जा समाया। आनन्दानुभूति से किलकारियाँ भरने वह और जोरों से चिल्ला-चिल्लाकर अपने दोनों चूतड़ उछाल-उछाल कर अजय के मोटे लंड को अपनी चूत में गपकने की चेष्टा करने लगी। अजय को भी लगा कि उसका लंड किसी गर्म सुलगती भट्टी में जा समाया है। गर्म भट्टी में होने के बावजूद उसे आनन्द की अनुभूति हो रही थी। वह जोरों के धक्के सुनीता की बुर में लगाए जा रहा था। इधर सुनीता का हाल तो काबिले-बयाँ था, वह तो इतनी गरमा गई थी कि मुँह से अनेक गंदे-गंदे शब्दों का प्रयोग कर रही थी जैसे- आह: फाड़ डालो मेरी चूत को …भैया, आज मेरी चूत को चोद-चोदकर निहाल कर दो मुझे … आज अपने लंड के सारे जौहर मेरी चूत के ऊपर ही दिखा दो …जरा जोरों से चोदो न, अगर तुमने मुझे आज तृप्त कर दिया तो मैं अपनी सारी सहेलियों को तुमसे चुदवा डालूंगी… लगभग एक घंटे की काम-क्रीड़ा के बाद अजय ने सुनीता को पूरी तरह से छका दिया और खुद ने भी छक कर उसकी चूत का मज़ा लिया। आधी रात के बाद सुनीता की योनि फिर गर्म होने लगी, उसने अजय का लंड पकड़ कर सहलाना शुरू कर दिया। काफी देर तक वह अजय का लंड पकडे उसे चूमती-चाटती रही, अंतत: अजय की आँखें खुल ही गईं, वह बोला- सुन्नो, अब हम-लोग काफी थक गए हैं, अभी सो जाओ, कल की रात भी तो आएगी ही। बाकी अगर आज कोई कमी रह गई है तो कल पूरी कर लेंगे। अब हम-तुम एक दूसरे के इतने करीब आ गए हैं कि हमारा ये साथ छुटाए नहीं छूटेगा। जाओ आराम कर लो। सुनीता अब एक ऐसी औरत बन चुकी थी कि उसे तृप्त करना कोई आसान काम नहीं रह गया था। उसकी तो ख्वाहिश इतनी बढ़ चुकी थी कि एक साथ अगर उस पर दस-बारह लोग भी उतर जाएँ तो भी वह थकने वाली न थी। सुबह नाश्ते की मेज पर अजय ने उससे पूछा- सुन्नो, रात मैंने एक बात नोटिस की कि तूने मेरा आठ इंच का लंड आसानी से झेल लिया और न तो तेरी चूत फटी और न ही उससे खून ही निकला। ‘सच-सच बताऊँ ..तो सुनो। जब मैं दीदी के यहाँ गई तो उस समय तक मैं बिल्कुल अछूती, अनछुई या ये कहिये बिल्कुल कच्ची कली थी। दोपहर को दीदी ने मुझे एक ब्लू-फिल्म दिखाई जिसे देख कर मेरा दिल मेरे काबू से बाहर हो गया और मैं किसी मर्द का लंड अपनी चूत में डलवाने को तड़प उठी। मेरी तड़प देखकर दीदी बोली- घबरा मत, आज तेरी इच्छा पूरी करवा दूँगी। मैंने चौक कर पूछा कि कौन है जो मेरी इच्छा पूरी कर सकता है तो दीदी ने बताया कि उसके ससुर रामलाल हैं। मैंने आश्चर्य से पूछा कि वह क्या कह रहीं हैं, तो ज्ञात हुआ कि वह स्वयं भी उन्हीं से अपनी आग ठंडी करवाती है। दीदी ने बताया कि जीजू तो किसी काम के हैं नहीं, वे तो एकदम नपुंसक हैं। दीदी ने बहुत कोशिश की पर जीजू का लंड खड़ा होने का नाम ही नहीं लेता। अंत में हार-थक कर दीदी को ससुर की बात ही माननी पड़ी और आज उनके पेट में जो बच्चा पल रहा है वो भी उनके ससुर का ही है। जिस रात में ब्लू-फिल्म देख कर बेकाबू हो रही थी उसी रात को दीदी ने मुझे भी उन्ही से चुदवाने की राय दी और मैं मान गई। लेकिन भैया, एक बात तो माननी पड़ेगी। मौसा जी का लंड है बड़े गजब का। पट्ठे ने एक साथ हम दोनों बहनो की रात में तीन वार ली परन्तु मज़ाल क्या जो जरा भी कमजोर पड़ जाता हमारे आगे। सारी बात सुनकर अजय बोला- सुन्नो, मुझे दीदी के ससुर पर क्रोध भी आ रहा है और उसे धन्यवाद देने का मन भी कर रहा है। सुनीता ने पूछा- ऐसा क्यों भैया? अजय बोला- गुस्सा इसलिए कि उसने अपनी बेटी समान बहु और उसकी बहन की लेने से नहीं चूका। और धन्यवाद इसलिए देता हूँ कि अगर वह तुझे न चोदता तो तू मुझसे कैसे चुदवाती। अच्छा चल, दीदी के यहाँ चलने का प्रोग्राम बनाते हैं किसी दिन। मैंने पूछा- भैया, अचानक आपको दीदी के यहाँ जाने की क्या सूझी? अजय ने मुस्कुराकर कहा- पगली, जब दीदी अपने ससुर से चुदवा सकती है तो मैं क्यों उसे नहीं चोद सकता? अजय ने सुनीता को समझाया- देख सुनीता, हम-तुम तो जीवन भर एक-दूजे के रहेंगे। पर अगर दीदी की चूत मिल जाए तो क्या बुरी बात है। तू अपनी मर्ज़ी बता, अगर मैं कुछ गलत सोच रहा होऊं तो। और फिर मैंने तुझसे ये वादा भी तो किया है कि मैं अपने सारे दोस्तों से तुझे चुदवाने की खुली छूट दे दूंगा और तू अपनी सहेलियों की मुझे दिलाएगी। इस बात पर दोनों ही सहमत हो चुके थे। कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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