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प्रणाम मेरे लौड़ो, कैसे हो सभी..! अधिकतम काम की वजह से मैं अपनी चुदाई आपके सामने काफी देर के बाद रख रहा हूँ। इस बीच चुदा तो मैं बहुत हूँ लेकिन जिसने मुझे सबसे ज्यादा मजा दिए लण्ड लेने में भी और उनको उकसाने में भी आज उसी की लण्ड गाथा लिख रहा हूँ। मैं जहाँ किराए पर रहता हूँ, वहाँ सामने यह पनवाड़ी है और वह चाय वाला भी उसके बगल में ही है। मेरा ध्यान उन पर कम ही जाता था। लेकिन उनका मुझ पर था, क्यूंकि मेरे साथ कमरे में कोई न कोई आ जाता था। मैं जिस जगह रहता हूँ, वहाँ और कोई भी नहीं रहता। जो मकान शेयर करता, उनको मालूम था में एक गांडू हूँ और लौड़े घर लेकर आता हूँ। एक दिन रात को खाना खाने के बाद मेरा पान खाने का मन हुआ। चाय का खोखा बंद था, वह पनवाड़ी अकेला ही वहाँ बैठा हुआ था, मुझे पान देकर वह मुझे घूरने लग गया। मैंने मुड़कर देखा वो धोती में हाथ घुसा कर अपने लौड़े को दबाने पर लगा हुआ था। वह मुस्कुराने लगा। मैं वहीं घर के सामने सैर करने लगा, वह बराबर मुझे ही घूर रहा था, उसकी नज़र मेरी गोरी-चिट्टी जाँघों पर थी, मैंने शॉर्ट्स पहनी हुई थी और ऊपर टी-शर्ट टाइट होने की वजह से मेरे मम्मे भी उभरे-उभरे थे। कुल मिलकर मैं एक चिकना माल दिख रहा था, मेरे शरीर पर एक भी बाल नहीं था, जो साफ़ दर्शाता था कि कुछ तो है। खैर… मुझे भी लण्ड खाए तीन दिन हो गए थे। वह उभरी गांड देख होंठों पर जुबां फेरता लण्ड मसलता, मैं गांड को और लचकदार करने लगा ताकि उसका दिल पूरा बेईमान हो जाए। वह खोखे से उठा और साइड पर जाकर स्ट्रीट लाइट के नीचे मेरी तरफ मुँह करके मूतने लगा। उसका लण्ड पूरा तन चुका था और मेरी गांड अब गीली होने लग गई थी, मुझे उसका फनफनाता लौड़ा जो दिख गया था। उसने पेशाब नहीं किया, बस मुझे लौड़ा दिखा कर गर्म किया और जाकर बैठ गया। रात काफी हो रही थी। इससे पहले वह बंद करने लगा, मैं गया और एक सिगरेट मांगी। देते वक़्त उसकी नज़र मेरी छाती पर थी और मेरी नजर उसकी पर थी जो तम्बू बन चुकी थी। उसने धीरे से हाथ से अपने लौड़े को सहला दिया। मैंने खोखे के पीछे जाकर सिगरेट जलाई, वह खोखे को बंद करने लगा और पीछे आकर बोला- क्या हुआ… आज अकेले हो क्या? ‘जी हाँ, अकेला हूँ… क्यों क्या हुआ?’ ‘आज तो हम दोनों एक जैसे हैं, मेरी बीवी भी मायके गई हुई है, मैं भी अकेला हूँ। वैसे तुम कितने चिकने हो यार, क्या मस्त बदन पाया है..!’ ‘तभी तो तुम्हारा तम्बू बन गया है..!’ उसने नीचे देखा और मुस्कुराने लगा। उसने पीछे से मुझे जफ्फी डाली और मेरी गर्दन को चूमने लगा और आगे से हाथ मेरी जाँघों पर फेरने लगा।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! ‘हाय… यह क्या करने लगे हो..!’ ‘तुझे प्यार करने लगा हूँ..!’ उसका तना हुआ लण्ड मेरी गांड पर चुभ रहा था। वो मुझे उकसा रहा था। मैं उसकी बाँहों से निकलना चाह रहा था, पर उसकी मजबूत बाँहों से नहीं छूट सका और घूम कर सीधा हो गया। उसने मेरे मम्मे दबाने शुरू कर दिए। ‘क्या इरादा है..!’ उसने पूछा। मैंने कहा- यहाँ सही नहीं होगा, घर खाली पड़ा है। उसके लण्ड को लुंगी और अंडरवियर से बाहर निकाला, हाथ में पकड़ा, वो फूंकारे मारने लगा। इतना भयंकर लण्ड था साले का..! एकदम काला, आठ इंच लम्बा और काफी मोटा..! उसने कहा- तुम चलो मैं आता हूँ। मैं कमरे में गया, जाकर एसी चलाया और बिस्तर सही करके बैठ गया। वह आया तो मैंने बाहर जाकर मेन-गेट लॉक किया और जब वापस लौटा वह अंडरवियर में था, लण्ड उसके हाथ में था। मैं नशीली सी अदा से उसको देख कर उसकी तरफ अपनी मारू गांड को हिलाते हुए गया, जाकर बैड के नीचे बैठ गया और हिलते हुए लण्ड का चुम्मा लिया। वह तो बावला और मस्त होकर देखने लगा कि कोई उसका लण्ड भी चूसेगा। मैंने चार पांच चूपे मारे…! आगे क्या-क्या हुआ, यह जानने को मेरे संग जुड़े रहना… मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें। [email protected]
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