This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
दोस्तो, मैं उस वक़्त की कहानी से शुरुआत कर रही हूँ, जब सर्वप्रथम चुदाई से मैं परिचित हुई थी।
मेरे घर में मेरी माँ, मुझसे दो साल छोटी एक बहन और मैं हूँ। मेरे पिताजी की मृत्यु लगभग 15 वर्ष पूर्व हो गई थी। पिताजी की मृत्यु हो जाने की वजह से घर चलाने के मामले में यही फर्क आया कि माँ को पेंशन मिलने लगी, जिससे किसी तरह खर्च चल जाता था। पिताजी की मृत्यु के दो साल बाद की बात है, मैं और मेरी बहन एक ही चारपाई पर सोये थे, उसी कमरे में माँ भी सोती थी, लेकिन अलग बिस्तर पर..!
रात में करीब 12 बजे मेरी नींद अचानक खुल गई। मैंने कमरे में कुछ हलचल महसूस क़ी। हालांकि कमरे में अँधेरा था, लेकिन मैं उसी अँधेरे में देखने क़ी कोशिश कर रही थी। मुझे समझ में आया कि माँ के बिस्तर पर माँ के अलावा कोई और भी है। कौन हो सकता है? मेरे मन में विचार आने लगा। मैं बिना आवाज़ किये उठ कर बैठ गई और उत्सुकता से देखने लगी।
उसके बाद जो मुझे दिखाई दिया उसको देखकर मै चकित हो गई। मुझे माँ की गांड और चिरी हुई चूत में कुछ घुसता और निकलता हुआ दिखा।
मैं उस वक़्त बहुत छोटी थी, मुझे इतना ही मालूम था कि लड़कियों की मूतने वाले छेद में लड़के अपना मूतने वाला डंडा डालते हैं, तो बहुत अच्छा लगता है। आज मैं उस दृश्य को अपनी आँखों से साक्षात देख रही थी, तो उत्तेजना स्वाभाविक बात थी।
मेरी छोटी बहन मेरे साथ सोई थी, मैंने उसे डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझा और खुद ब खुद मेरी अंगुलियाँ मेरी गीली हो चुकी चूत में सरकने लगीं। उधर जितनी तेज़ी से माँ की चूत में लंड जा रहा था, उतनी ही तेज़ी से मेरी अंगुलियाँ भी मेरी चूत को चोद रही थीं। कुछ देर बाद मुझे चरम आनन्द की प्राप्ति हुई और मुझे नींद आ गई।
अगले कुछ दिनों तक एकाध बार छोड़ कर मैं हर रात को माँ की चुदाई का इंतज़ार करने लगी और चुदाई की स्वक्रिया सम्पन्न करने लगी। अब अँगुलियों से मेरा मन भर गया था। मेरी चूत को अब लंड की सख्त आवश्यकता महसूस होने लगी, लेकिन कोई चारा नज़र नहीं आ रहा था।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
संयोग से एक रात को माँ को चुदवाते हुए देख कर मैं अपनी चूत में अंगुली कर रही थी कि मेरे मुंह से सीत्कार निकल गया, जिसको माँ ने सुन लिया। मैं जान नहीं पाई कि क्या हुआ, लेकिन अगले दिन माँ का व्यवहार कुछ बदला-बदला सा था।
मुझसे रहा नहीं गया मैंने माँ से पूछा- क्या बात है माँ.. आज बहुत उदास हो? माँ ने कहा- नहीं ऐसी तो कोई बात नहीं है ! कुछ देर के बाद माँ ने मुझे अकेले में बुलाया और बोलीं- कल रात…! इतना सुनते ही मेरे कान खड़े हो गए।
मेरा चेहरा उतर गया, तब माँ ने कहा- देखो बेटी, मेरी उम्र इस वक़्त 40 साल है और तुम जानती हो कि तुम्हारे पिताजी को मरे हुए दो साल से ऊपर हो गया है। माँ का गला भर आया, आँखों से आंसू छलक पड़े। मैंने माँ को दिलासा दिया और कहा- कोई बात नहीं है माँ..! मेरी इस बात से उनका दिल कुछ हल्का हुआ और वो बोलीं- बेटी तुम नाराज़ तो नहीं हो मुझसे..! मैंने कहा- नहीं माँ.. इसमें नाराज़ होने वाली कौन सी बात है..! ऐसा तो सबके साथ होता होगा?
माँ के चहरे पर कुछ मुस्कान आई। मैं उस वक़्त कुछ और नहीं बोली। उस दिन के बाद मैं तीन रातों तक माँ के चुदाने का इंतज़ार करती रही, लेकिन उनकी चुदाई नहीं हुई। अब मैं माँ की हमराज़ हो ही गई थी।
मैंने माँ से पूछा- क्यों माँ, आजकल अंकल रात को नहीं आ रहे हैं, क्यों…? माँ ने थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा- तुमको क्या मतलब है इससे…!
मैं भी अब जवान हो रही थी और कई दिनों तक चुदाई का जीता जागता नज़ारा देख चुकी थी। मेरी चूत को लंड की ज़रूरत सताने लगी थी। ऊपर से माँ की हमराज़ भी हो गई थी, जिसका नतीजा यह हुआ कि मैंने बे-अदबी के साथ माँ से कह दिया- माँ, मुझे भी वही चाहिए जो तुम रोजाना रात को अपनी चूत में डलवाती हो..!
माँ तो बिलकुल सन्न रह गईं, उन्हें मुझसे ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी। माँ मजबूर हो गई थीं, उसने कहा- तुम्हारी चूत में भी लंड पेलवा दूँगी, लेकिन ध्यान रहे तुम्हारी छोटी बहन को ये सब बातें मालूम नहीं होनी चाहिए।
मैंने ख़ुशी से उछलते हुए कहा- ओके माँ.. तुम कितनी अच्छी हो ! दोस्तो.. जब मेरी मम्मी ने मुझसे कहा कि वे मेरी चूत में लंड पेलवा देंगी, तो मैं बहुत खुश हुई। मैं इस बात पर बहुत आह्लादित हुई कि मैंने मम्मी को मजबूर कर दिया था।
उसी दिन जब मैं नहाने जा रही थी, तो मम्मी बाथरूम में आ गईं और दरवाजा बंद कर लिया और बोलीं- अपने कपड़े उतारो..! मैंने मम्मी से कहा- माँ, मुझे शर्म आएगी..! मम्मी ने मुझे डांटते हुए कहा- छिनाल कहीं की, चूत और लंड का खेल देखकर पेलवाने की तुम्हारी हवस जाग उठी, लेकिन यह नहीं जानती हो कि मर्द को क्या पसंद आता है..! मर्द को चिकनी चूत चाहिए… देखूं तुम्हारी झाँटें साफ़ हैं या नहीं..!
इसी के साथ मम्मी ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और पूरी तरह नंगी हो गईं। उनकी चूत के बाल एकदम साफ़ थे। क्या शानदार चूत थी मम्मी की…! मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि मैं इसी चूत के रास्ते बाहर निकली हूँ। मैं भी नंगी हो गई।
माँ ने मेरी चूत को सहलाया और बोलीं- आज तुम्हारे अंकल इसमें अपना लंड पेलकर बहुत खुश होंगे। एक बात बता दूँ, उन्होंने मुझसे एक बार कहा था कि नेहा (मेरी मम्मी का नाम नेहा है) एकाध नए माल का इंतज़ाम करो, पैसों की फिक्र मत करना।
माँ ने मुझे रगड़-रगड़ कर अच्छी तरह नहलाया, मेरी चूत के बाल साफ़ किए और तब बोलीं- अब तुम्हारी चूत लंड लेने के लिए एकदम तैयार है। शाम को अंकल आए तो मैं उनको निहारती रह गई। क्या बलिष्ठ गठा हुआ बदन पाया था अंकल ने..! हम लोग खाना खाकर सोने की तैयारी करने लगे। मेरी छोटी बहन जल्दी सो गई। उसके बाद हम तीन लोग एक ही बिस्तर पर आ गए।
कहानी जारी रहेगी। [email protected] कहानी का अगला भाग: चुदाई से परिचय-2
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000