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जय नमस्कार पाठको, मैं जय ग्रेटर नोएडा से सबसे पहले आप सबका धन्यवाद करता हूँ कि आप सभी को मेरी पिछली कहानी काफी पसंद आई और आपके सुझावों और सराहना के लिए शुक्रिया। उस समय की बात है, जब मैं अपने भैया की ससुराल गया था। मैं उस समय 20 साल का था। मेरे भैया की दो सालियाँ है, नीरू और प्रभा। नीरू 19 साल की और प्रभा 18 साल की थी। मैं पहले भी कई बार भैया की ससुराल जा चुका था। प्रभा बहुत ही चंचल थी, लेकिन नीरू उससे भी बढ़ कर चंचल थी। वो मुझसे बहुत मजाक करती थी। नीरू ने कई बार मजाक-मजाक में मेरे गालों को काट भी लिया था। एक दिन उन दोनों ने कहा- जय, चलो आज पिक्चर देखने चलते हैं। मैंने कहा- ठीक है.. चलो। पिक्चर हाल वहाँ से बहुत दूर था। हमें शाम का शो देखना था, इसलिए हम तीनों पिक्चर देखने के लिए 2 बजे ही घर से निकल गए। मैंने एक ऑटो लिया। हम ऑटो में बैठे तो नीरू और प्रभा बहुत मुस्कुरा रही थीं। मैंने पूछा- क्या बात है.. तुम दोनों बहुत मुस्कुरा रही हो? तो नीरू बोली- कुछ नहीं ऐसे ही…! मैंने कहा- ज़रूर कोई बात है..! नीरू बोली- अभी थोड़ी देर में मालूम हो जाएगा। मुश्किल से एक किमी. जाने के बाद नीरू ने एक घर के सामने ऑटो को रुकवा दिया और बोली- मेरी एक सहेली भारती यहाँ रहती है, वो भी पिक्चर देखने जाना चाहती है। आओ अन्दर चल कर उसे भी साथ ले लेते हैं। मैंने ऑटो वाले को पैसे दिए और प्रभा और नीरू के साथ भारती के घर पर चला गया। भारती ने नीरू को देखा तो मुस्कुराते हुए बोली- ले आई तुम जय को? नीरू ने कहा- हाँ, मैं ले आई हूँ। नीरू और प्रभा भारती के पास सोफे पर बैठ गई नीरू और भारती ने गपशप शुरू कर दी। भारती की उम्र भी लगभग 18 साल की थी। वो नीरू की सहेली थी। करीब पंद्रह मिनट गुजर गए तो मैंने नीरू से कहा- पिक्चर नहीं जाना है क्या? बहुत देर हो रही है। वो बोली- जय जी, असली शो तो यहाँ होगा..! पिक्चर तो एक बहाना था, असल में तो हम तीनों को तो आपसे चुदवाना था। मैं सकते में आ गया, लेकिन अन्दर ही अन्दर बहुत खुश था। आज मुझे एक ही दिन में तीन चूतों को चोदने का मौका मिलने वाला था। उन तीनों ने टाप और मिनी स्कर्ट पहन रखा था। चुदाई के बारे में सोच कर मेरा लंड पैन्ट के अन्दर ही खड़ा हो गया। मैंने उसे दबाना चाहा तो भारती बोली- अजी पैन्ट के अन्दर क्या छुपा रहे हैं जरा देखूं तो? वो मेरे पास आई और मेरे पैन्ट की चैन खोलने लगी। मैंने अन्दर आज चड्डी नहीं पहनी थी। चेन खोलने के बाद उसने मेरे लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया और बोली- आपका मुन्ना तो बहुत बड़ा है… आज तो खूब मज़ा आएगा…! मेरा पूरा लौड़ा अभी बाहर नहीं निकला था। मैंने कहा- अगर तुम तीनों को मुझसे चुदवाना है, तो पहले तुम तीनों अपने कपड़े उतार दो और एकदम नंगी हो जाओ। वो तीनों बहुत ही जोश में थीं। नीरू बोली- हम सभी अपने कपड़े अभी उतार देती हैं। वो तीनों अपने कपड़े उतारने लगीं और दो मिनट में ही मेरे सामने एकदम नंगी हो गईं। नंगी होने के बाद वो तीनों किसी मॉडल की तरह अलग-अलग स्टाइल में अपने बदन को मुझे दिखाने लगीं।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! मेरा लंड एकदम तन गया, उन तीनों की चूतें एकदम गुलाबी थीं और उन पर एक भी बाल नहीं था, उन सबने पूरी तैयारी पहले से ही कर रखी थी। मैं उन तीनों को चोदने में मिलने वाले आनन्द की कल्पना करने लगा। नीरू बोली- जय, अब तुम भी अपने कपड़े उतारो और अपने पूरे लंड के दर्शन कराओ। मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और एकदम नंगा हो गया। मेरा लंड तो पहले से ही खड़ा था। मेरे लंड को देख कर नीरू बोली- जीजू, तुम्हारा लंड तो बहुत बड़ा है…! उसके बाद नीरू ने मुझे बेड के किनारे पर बिठा दिया और मेरी गोद में बैठ गई और अपनी चूत से मेरे लंड को अपनी चूत से दबाते हुए मेरे होंठों को चूमने लगी। भारती भी मेरे बाईं तरफ़ आकर बैठ गई और मेरे गालों को ज़ोर-ज़ोर से चूमने लगी। भारती अपनी चूचियाँ मेरे बदन पर रगड़ने लगी। उसके दोनों चूचुक एकदम सख्त हो गए थे। प्रभा आकर मेरे दायें बैठ गई और मेरा लंड सहलाने लगी। मेरा लंड तन कर एकदम लोहे का डण्डा की तरह हो गया। भारती ने मेरा हाथ अपनी चूचियों पर रख दिया और मैं उसकी घुंडियों को मसलने लगा। प्रभा अभी भी मेरा लंड सहला रही थी। मैंने एक हाथ से बारी-बारी से उनकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया। नीरू बहुत ही ज्यादा जोश में आ गई थी। उसने मेरी उंगली पकड़ कर अपनी चूत में डाल दी, तो मैंने अपनी उंगली उसकी चूत में अन्दर-बाहर करनी शुरू कर दी। नीरू मुझे बहुत ज़ोर-ज़ोर से चूमने लगी, वो एकदम जोश से पागल हो रही थी, उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे लंड को चूसने लगी। भारती और प्रभा एक-दूसरे को चूमने लगीं और एक-दूसरी की चूत को सहलाने लगीं, वो दोनों एक-दूसरे की चूचियों को भी चूसने लगीं, वो दोनों भी एकदम जोश में आ गई थीं। नीरू मेरे ऊपर 69 की पोजीशन में हो गई और मेरे लंड को बहुत तेज़ी के साथ चूसने लगी। मैंने अपनी एक उंगली नीरू की चूत में डाल दी। उसकी चूत एकदम गीली हो गई थी और मेरी उंगली भी पूरी भीग गई। मैंने अपनी उंगली उसकी चूत से निकाल कर, उसकी गाण्ड में डाल दी, तो उसे थोड़ा दर्द हुआ। उसने मुझसे अपनी उंगली गाण्ड से निकाल कर चूत में डालने को कहा। मैंने प्रभा से नीरू की चूचियों को चूसने को कहा, जिससे से उसे दर्द का एहसास न हो। प्रभा ने नीरू की चूचियों को चूसना शुरू कर दिया और नीरू शांत हो गई। भारती भी नीरू के पास आ गई और उसकी चूचियों को मसलने लगी। नीरू की चूत एकदम गीली हो गई थी। मैंने सबसे पहले नीरू को चोदने का मन बनाया। मैंने नीरू को बेड पर लिटा दिया और उसकी टांगों के बीच आ गया। मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया, वो और जोश में आ गई और बोली- यार अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है… जल्दी डाल अपना लंड मेरी चूत में.. खूब ज़ोर-ज़ोर से चोद मुझे…! मैंने उसके चूतड़ों के नीचे दो तकिये रख दिए, इससे उसकी चूत एकदम ऊपर उठ गई। मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी चूत की दरार के बीच रख कर अन्दर दबाया, तो उसकी आंखों में आंसू आ गए, तो मैं रुक गया। उसकी चूत बहुत छोटी थी। मैंने प्रभा और भारती से नीरू की चूची को चूसने और मसलने के लिए कहा। प्रभा और भारती ने उसकी चूची को चूसना और मसलना शुरू कर दिया। नीरू और ज्यादा जोश में आ गई और बोली- जय, अपना पूरा लंड घुसा दे मेरी चूत में… खूब ज़ोर-ज़ोर से चोद मुझे… रुकना मत और मेरे चिल्लाने की कोई परवाह मत करना..! मैंने अपना लंड नीरू की चूत में घुसाना शुरू कर दिया। थोड़ा ज़ोर लगाने के बाद मेरा आधा लंड नीरू की चूत में घुस गया। नीरू मुझे रोकने लगी, लेकिन मैं रुका नहीं और एक जोरदार झटका दिया, तो मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया। वो रोने और चिल्लाने लगी, तो प्रभा और भारती ने उसकी चूचियों को और ज़ोर-ज़ोर से मसलना शुरू कर दिया। वो थोड़ा शांत हुई तो मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए। थोड़ी ही देर की चुदाई के बाद वो अपना दर्द एकदम भूल गई और अपने चूतड़ उठाने लगी। उसको चूतड़ों को उठाता देखकर मैंने उसको तेज़ी के साथ चोदना शुरू कर दिया। अब उसे बहुत मज़ा आ रहा था, वो बोली- जय, ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगा… फाड़ दो मेरी चूत को.. आज… आ..हह.. खूब तेज़ी के साथ चोदो मुझे.. अह्ह्ह… तुमने आज के पहले मुझे क्यों नहीं चोदा… आ..हह..! मैंने कहा- तुमने कभी मौका ही नहीं दिया.. आज मौका मिला है, तो मैं तुम तीनों को खूब चोदूँगा। मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी, वो अपने चूतड़ों को उठा-उठा कर मेरा साथ देते हुए चुदवा रही थी। पन्द्रह मिनट की चुदाई के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया और अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया। नीरू भी इस बीच दो बार झड़ चुकी थी। नीरू उठी और उसने मेरा लंड देखा, मेरे लंड पर कुछ खून भी लग गया था। वो मुझे बाथरूम ले गई और मेरे लंड को साबुन लगा कर साफ किया और उसके बाद अपनी चूत को साफ करने लगी। थोड़ी देर मे हम दोनों बाथरूम से वापस आ गए। प्रभा और भारती एक-दूसरे की चूत को चाटने में मस्त थीं। कहानी जारी रहेगी। मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें। [email protected]
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