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नीलम रानी को बाथरूम में अच्छे से चोदने के बाद सामने की कुर्सी पर बिठा कर बड़ी मुश्किल से मैंने अपना दिमाग काम पर लगाया। दो घंटे के बाद मेरी एक ज़रूरी मीटिंग थी।
तभी मुझे खयाल आया कि मीटिंग चलते हुए अगर नीलम रानी मेरे लिंग को चूसे तो क्या कहने। तब मैंने काम छोड़ कर अपना सारा दिमाग यह सोचने पर खपाया कि इस असंभव से लगने वाले काम को संभव कैसे बनाया जाए।
मेरी ऑफ़िस-टेबल काफी बड़ी थी, मैंने हिसाब लगाया तो लगा कि नीलम रानी बड़े आराम से टेबल के नीचे घुस सकती है, वहाँ बैठ कर अगर वो लण्ड चूसती है तो कैसे किसी को कुछ पता चलेगा, दिखाई तो कुछ देगा नहीं, बस मुझे अपने मुँह और सांसों पर काबू रखना होगा। खुश होकर मैंने ताली बजाई और एक किलकारी भरी।
नीलम रानी चौंक गई आवाज़ सुनकर- राजा… क्या हुआ? इतनी मस्ती क्यों छांट रहे हो? तुम्हारी नीयत में गड़बड़ लगती है मुझे तो ! ‘अरे पूछ मत नीलम रानी… आज तो मेरी जान बस ऐसा आनन्द आएगा जिसका कोई हिसाब नहीं !’ ‘पर राजे हुआ क्या? कुछ बोलोगे भी या खुद ही खुश होते रहोगे?’ नीलम रानी ने खीज के कहा।
‘सुन रानी… आज मेरी मीटिंग से पहले तू मेरी टेबल के नीचे घुस के बैठ जाना… मीटिंग चलती रहेगी और तू अपने प्यारे भोले को चूस चूस के प्यार करना। है ना कितने मज़े की बात… दो घंटे मीटिंग चलेगी। इतनी देर में दो बार तो तू मेरा चूस चूस के झाड़ ही सकती है।’ नीलम रानी ने खफा होने का नाटक किया हालांकि दिल ही दिल में वो खुश हो रही थी कि ऐसे नायाब ढंग से आज उसे लौड़ा पीने का मौक़ा मिलेगा।
थोड़ी देर नक़ली गुस्से से मेरी तरफ देखती रही, फिर बोली- तू साले बंदा है, क्या है? मुझे टेबल के नीचे बिठा कर लण्ड चुसवाएगा… फिर जब किलकारियाँ मारेगा, सी सी करेगा तो पता नहीं चलेगा उनको, दस लोग जो मीटिंग में आएंगे? मादरचोद अभी अभी दो बार झड़ चुका है। शाम को घर जाकर बीवी को कैसे चोदेगा अगर दो बार और झड़ गया। तू तो बहुत सीनियर अफसर है, पकड़े गए तो मेरी ही नौकरी जाएगी… और अगर मुझे छींक आ गई तो?
‘कुछ नहीं होगा नीलम रानी… मैं किलकारी नहीं मारूंगा… ना ही सीत्कार करूंगा… अगर तुझे छींक आ जाए तो मेरी टांग में चूंटी काटना। मैं तुरंत झूट मूठ खाँसना शुरू कर दूंगा जिससे छींक की आवाज़ दब जाएगी… नीलम रानी अगर कुछ अलग करना है तो कुछ तो झेलना भी पड़ेगा। तू बस जल्दी से टेबल के नीचे एक बार घुस के देख ले।’
नीलम रानी घूम के टेबल के सामने की तरफ आई जहाँ मेरी कुर्सी थी, कुर्सी को साइड में सरका कर नीलम रानी टेबल के नीचे घुस गई। बड़े आराम से वह टेबल के नीचे समा गई थी, कोई भी दिक़्क़त नहीं थी।
मैंने फिर भी पूछा- क्यों रानी ठीक है ना? कोई कष्ट? ‘नो प्राब्लम… राजे तेरे लण्ड को चूसने को जैसे तू चाहेगा, मैं तैयार हूँ… भरी मीटिंग में दस लोग के होते हुए मैं तेरा लौड़ा चूसूँगी यह सोच सोच कर ही मैं मतवाली हुए जा रही हूँ… हाय राम कितना मज़ा आएगा ना? लेकिन राजे तू रात को अपनी बीवी को कैसे चोद पाएगा?’
‘नीलम रानी, मेरी बीवी चुद पाएगी या नहीं यह सोच कर तू क्यों दुख पा रही है? उसे बहलाने का काम मेरा है ना।’ नीलम रानी मेज के नीचे से निकल आई। अब सब सेट हो गया था। बड़ी मुश्किल से मैंने दो घंटे का वक़्त गुज़ारा।
मीटिंग तय समय पर शुरू हो गई, मीटिंग से थोड़ी देर पहले, नीलम रानी बाथरूम में जाकर अपने कपड़े वहीं टांग कर बिल्कुल नंगी होके बाहर आई और मेज के नीचे घुस गई। मैंने पूछा- नंगी क्यों हो गई?
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! कहने लगी- मीटिंग तो लम्बी चलेगी इसलिए तुम्हारे साथ मैं नीचे बैठी चूसती भी रहूँगी और गेम भी खेलती रहूंगी। ‘क्या गेम खेलेगी, रानी?’ मैं भी हैरान था।
‘तुम्हारा लौड़ा कभी चूचियों के बीच, कभी पैरों के बीच, कभी नितंबों के बीच तो कभी अपने गालों से रगड़ूँगी। अगर तुमने सही बताया कि कहाँ रगड़ रही हूँ, तो तुम जीतोगे और तुम मुझे चोदना। अगर ग़लत बताया तो मैं जीत जौउँगी और मैं तुम्हें चोदूंगी।’
‘अरे ओ चुदक्कड़ लड़की, बहनचोद मैं मीटिंग लूंगा या तेरी पहेलियों का जवाब दूंगा? चलो अगर जवाब दे भी दूं तो हरामज़ादी तू क्या दस लोगों के होते हुए, टेबल के नीचे से सवाल पूछेगी? एह ! साली चुदासी कुतिया गेम खेलेगी !! हुंह !!!’ मैं ताव खा गया।
‘अरे मेरे राजा… राजे राजे राजे… इतना भड़को मत। मैं हल्के से तुम्हारे पैरों पर उंगली से ठक ठक करूं तो समझना मैं पूछ रही हूँ लण्ड कहाँ रगड़ा गया। देखो मैं ऐसे ठक ठक करूँगी।’ नीलम रानी टेबल से बाहर निकली और मेरे हाथ पर अपनी प्यारी सी उंगली से ठक ठक करके दिखाई। मैंने खीज के अपना सिर पकड़ लिया- नीलम रानी… तेरी समझ लगता है तेरी चूत में घुस गई है। मैं जवाब कैसे दूंगा?
‘अब यह तुम सोचो… मैं तो बस पूछूँगी… हार गए तो मैं चोदूंगी अपने हिसाब से।’ इतना कह के नीलम रानी वापस टेबल के नीचे जा घुसी और मैं मूर्खों की तरह उसे देखता रह गया।
हे भगवान क्या तूने औरत ज़ात बनाई है ! इसका तो कुछ हिसाब किताब ही समझ नहीं आ सकता। मैं तो समझता था कि शादी के बाद लड़कियों के दिमाग में कुछ हो जाता है और आदमियों को उनकी बातें पल्ले ही नहीं पड़तीं। पर नीलम रानी ने यह साबित कर दिया कि शादीशुदा हो या कुंवारी, लड़कियों को समझना मर्दों के बस का रोग नहीं।
ख़ैर, मैंने अपनी रिवॉल्विंग कुर्सी को बिल्कुल नीचे, जितना नीचे जा सकती थी उतना नीचे, सेट कर दिया ताकि लण्ड चूसते हुए नीलम रानी का सिर मेज से न टकराए। मीटिंग तय समय पर शुरू हो गई। मैं अपनी कुर्सी पर मेज से बिल्कुल चिपक कर बैठा था। कुर्सी बहुत नीचे करने के कारण टेबल की टॉप मेरे पेट को छू रही थी।
इधर मीटिंग चालू हुई, उधर नीलम रानी ने मेरे मोज़े जूते उतार दिए और फिर बड़ी सफाई से मेरी पैंट की ज़िप खोलकर लण्ड बाहर निकाल लिया। जैसे ही उसने लण्ड के सुपारे को दोनों हाथों में थाम कर मथनी की तरह हाथ चलाए, लण्ड अकड़ गया।
इधर मेरे जूनियर लोग अपना अपना पॉवर-पाइंट प्रेज़ेंटेशन देने में लगे हुए थे, उधर नीलम रानी मेरे लण्ड से खेल रही थी। कभी वो लण्ड को अपने हाथों के बीच में रख कर मथती जैसे लस्सी बनाते हैं, तो कभी वो चमड़ी पीछे खींच टोपा नंगा कर के अपनी नाक से लगाकर अच्छे से सूँघती।
उसने कई बार लण्ड के चौचक को अपने पूरे मुँह पर फिराया और फिर लेट कर उसने लौड़ा अपने पैरों में फंसा कर खूब हिलाया। वो लण्ड को एक चूची की निप्पल पर रगड़ती और फिर दूसरी। मैं मीटिंग में क्या हो रहा था यह समझने की सख्त चेष्टा कर रहा था। इतने सारे लोगों के होते हुए मेरी नीलम रानी मेरे लण्ड से खिलवाड़ कर रही थी इससे मेरा जोश धकाधक बढ़े जा रहा था। उत्तेजना इतनी अधिक हो रही थी कि बर्दाश्त करना भारी हो रहा था। बीच बीच में नीलम रानी मेरे पैरों पर अपनी उंगलियों से ठक ठक करती।
बहनचोद ! मैं मीटिंग में कैसे उसे बताऊँगा कि वो लण्ड को कहाँ रगड़ रही है। ठीक है उसी को जीतने दो। जीत के भी तो चुदेगी ही और हारती तो भी चुदती। चोदने दो हरामज़ादी को अपने अंदाज़ में। मेरे बाप का क्या जाता है। चूत मिलने से मतलब है ना। देखते हैं क्या स्टाइल है नीलम रानी के चोदने का !
मीटिंग चल रही थी और अब नीलम रानी लण्ड से खेल खेल के उसे मुँह में ले चुकी थी। धीरे धीरे वो खाल को आगे पीछे कर रही थी और जीभ सुपारे की धार पर फिरा फिरा के मुझे हद से ज़्यादा उत्तेजित कर रही थी। मीटिंग वाले भी खुश थे कि बॉस आज बिल्कुल फटकार नहीं रहे हैं। इसलिए मीटिंग जल्दी ही खत्म होने वाली थी। मैं भी इसी चक्कर में था कि मीटिंग को फटाफट निपटा दूं क्योंकि मस्ती के कारण किलकारी रोकना अब भारी होता जा रहा था।
नीलम रानी अब धकाधक चूस रही थी, उसने पूरा का पूरा लौडा मुँह के अंदर घुसा लिया था और क्योंकि मैं तो हिल नहीं सकता था, वो अपना सिर आगे पीछे हिला कर लण्ड की मुखचुदाई कर रही थी। मेरा सुपारा एन नीलम रानी के गले से सटा हुआ था।
खैर येन केन प्रकारेण मैंने मीटिंग पूरी की और आराम से बैठ कर लौड़ा चुसवाने का आनन्द उठाने लगा। नीलम रानी ने सिर आगे पीछे करने की स्पीड तेज़ कर दी, उसके मुँह से निकलते हुए खूब सारे रस से लण्ड बड़े आराम से अंदर बाहर हो रहा था।
नीलम रानी ने लौड़े को जड़ पर पकड़ा हुआ था और वो अब लण्ड के नीचे की मोटी नस को बार बार धीरे से दबा रही थी। मज़ा कई गुना करने में तो यह लौंडिया सच में माहिर थी।
उत्तेजना मेरे अंग अंग में आग लगा चुकी थी। अब नीलम रानी सिर्फ सुपारा मुँह में रहने दिया और बड़ी तेज़ी से लण्ड की चमड़ी आगे पीछे – आगे पीछे – आगे पीछे करने लगी। मज़े की चरम सीमा के पास पहुँचता मैं भी अब अपने चूतड़ धकिया धकिया के मज़ा लूटने लगा। मेरी नस नस में तूफान छा गया था और रीढ़ में एक सुरसुरी रेंगने लगी थी। अब स्खलित होने में ज़्यादा वक़्त ना था।
नीलम रानी ने तो रफ़्तार बिल्कुल राजधानी एक्सप्रेस जैसी कर दी थी। एक गहराई सांस लेकर मैंने रोकने की कोशिश की लेकिन असफल रहा, एक बड़े ज़ोर की सीत्कार भर कर मैं धड़ाक से झाड़ा। सारा का सारा मक्खन नीलम रानी के मुँह में गया, इतना ढेर सारा वीर्य छूटा की पूछो नहीं। नीलम रानी ने लण्ड हिलाना बंद कर के पूरा ध्यान मलाई पीने में लगा दिया। जब लिंग से सब वीर्य निकल चुका तो नीलम रानी ने लण्ड को अपनी चूचुक से रगड़ के पौंछा, फिर उसने लौड़े की नस पिचका पिचका के तीन चार बूंद और निकालीं, उनको नीलम रानी ने चाट लिया और खूब चटखारे लिए।
फिर उसने बड़े सलीके से लुल्ले को वापस पैन्ट में घुसा कर ज़िप बंद कर दी। मैंने दस गहरी गहरी साँसें लेकर अपने आप को संभाला और एक गिलास पानी का पिया। नीलम रानी मेज से बाहर निकल आई। मादरजात नंगी नीलम रानी ! उसके नंगे बदन को देखो तो देखते ही रह जाओ !! क्या मदमस्त, मनमोहक और सेक्स से भरा पूरा बदन बनाया था ईश्वर ने फुरसत में बैठकर। इसे तो कितना भी चोदो उतना कम है।
‘राजे तेरा लेस कभी ख़त्म होता है या नहीं… सुबह से तीन बार तू झड़ चुका है… दो बार तूने बाथरूम में टपकाया.. फिर अभी तीसरी बार भी इतना ढेर सारा निकला… तेरी फ़ैक्ट्री क्या हमेशा ओवर टाइम पर रहती है?’ ‘नीलम रानी… यह तो मेरी बीवी का प्रताप है… वो रोज़ दिन में कम से कम दो बार और हो सके तो तीन बार भी चुदाई को तैयार रहती है… जितना ज़्यादा चोदो, उतना ही लण्ड तगड़ा होता है और उतना ही वीर्य का उत्पादन बढ़ जाता है… बीच बीच में तेरी जैसी लड़कियाँ भी मिल जातीं हैं चुदने को… इसीलिए पचपन साल की उम्र में भी देख मैं कैसा चोदू हूँ।’ इतना कह कर मैंने नीलम रानी को लिपटा के खूब होंठ चूसे और उसके रेशमी बदन पर हाथ फिराया।
नीलम रानी चिहुँक उठी और इतरा कर बोली- अच्छा सुनो चोदू राम… बड़े चोदनाथ बनते हो… एक भी सवाल का जवाब नहीं दे पाए… मैंने छह बार ठक ठक की थी… एक बार भी तुम कुछ नहीं बता पाए कि मैं तुम्हारा लण्ड अपने बदन पर कहाँ रगड़ रही हूँ।’ मैंने हाथ जोड़ दिए और नीलम रानी के मस्त चूतड़ निचोड़ता हुआ बोला- रानी, माफ कर अपने यार को… चल अब तू ही अपने तरीक़े से चोदियो… मैं कुछ नहीं करूँगा।
‘चलो राजे तुम भी क्या याद करोगे… कितनी दिलदार तुम्हारी नीलम रानी है… तीन बार का माफ किया… अब मैं सिर्फ तीन ही बार अपनी मर्ज़ी से तुमको चोदूंगी… चुपचाप जैसा मैं कहूँ वैसे ही चुदते रहना… बिल्कुल तीन पांच नहीं करोगे।’ ‘हाँ हाँ रानी हाँ… जो तेरी मर्ज़ी हो वो करियो !’ मैंने बहस में पड़े बिना कहा।
नीलम रानी बाथरूम में गई और कपड़े पहन के बाहर आई, फिर वो बाहर अपने केबिन में चली गई। थोड़ी देर बाद फिर अंदर आई और बोली- राजे… अनु का फोन आया था अभी अभी… जीजाजी मान गए हैं… उन्होने गेटवे होटल भी बुक कर दिया है… जैसा तुमने कहा था दो रूम… दो दिन के बाद अनु और जीजाजी आएंगे। होटल दो दिनों का बुक किया है।
‘ठीक है नीलम रानी… मैं छुट्टी ले लूँगा दो दिन की। तू कल से ही चार दिन की छुट्टी ले ले। अगर मेरे साथ ही छुट्टी लेगी तो लोगों को शक़ हो सकता है। वैसे भी तू तीन घंटों तक मेरे दफ्तर में ही रही है। वहीं तू चोद देना अपनी स्टाइल से !’ ‘ठीक है राजे… मैं कल से ही छुट्टी ले लेती हूँ। वहाँ कुछ नहीं हो पाएगा… जीजाजी तुम्हें अनु को चोदने से फुरसत ही नहीं देने वाले !’ ‘तू देख तो सही रानी !’ मैं बोला।
खैर दफ्तर का काम ख़त्म हुआ, टाइम पूरा हुआ और हम सब भी घर को चले। जाने से पहले नीलम रानी आई और एक लम्बी चुम्मी देकर चली गई।
दो दिन के बाद के चुदाई का जो महासंग्राम होने वाला था उसके बारे में कल्पना कर कर के ही मेरा लण्ड अकड़े जा रहा था, उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। घर पहुँचते पहुँचते मैं अपने अंग अंग में तनाव महसूस कर रहा था, जोश में आकर मैंने घर में घुसते ही अपनी प्यारी बीवी को उठा कर बेडरूम में बिस्तर पर पटका, इतना नोच खसोट कर, कुचल मसल कर, भंभोड़ भंभोड़ के उसे मैंने चोदा कि वो भी हैरान रह गई।
ज़ोरदार चुदाई से खुश होकर कहने लगी- आज राजे, क्या बात है… मैं कहीं भागी जा रही हूँ क्या? आज तो तुमने मेरा बदन तोड़ के रख दिया… इतनी उठा पटक तो तुम तब करते हो जब मैं मायके से लौट के आती हूँ… अभी कल ही तो तुमने जम के चुदाई की थी और एक बार चूस के झाड़ा था मैंने… तो आज इतनी बेसबरी क्यों?
‘कुछ नहीं जूसी रानी… बस आज यूं ही ठरक बहुत ज़्यादा चढ़ गई। चल उठ अब खाना खा लें !’ यारो, खाना खा कर जब रात को सोने गए तो जूसी रानी का फिर दिल चाहा चुदने को जो मैंने एक जंगली की तरह उसे ठोका था शाम को, उससे उसकी कामाग्नि अधिक भड़क उठी थी, उसकी आग को भी बुझाया और थक कर बेहोश सा होकर सो गया। दो दिन बाद क्या हुआ ये मैं अगली कहानी में बताऊँगा। समाप्त [email protected]
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