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इमरान
मदन लाल पूरा घाघ आदमी था- अरे नीलू मेमसाब कहाँ हैं साब… कॉफ़ी ठंडी हो जायेगी। ओ बाप रे .. साले ने मेज पर रखे कपड़े देख लिए थे… उसके होंठों पर एक कुटिल मुस्कान थी…
मैं जरा आवाज में कठोरता लाते हुए- तुझे मतलब? ..अपना काम कर… वो बाथरूम में है… मदन लाल- व्व… व…व…वो साब यहाँ उनके कपड़े…??
मैं- हाँ वो अपनी ड्रेस ही बदलने गई है… और तू अपना काम से मतलब रखा कर… समझा?
मेरी हालत ख़राब थी, मैं इधर मदन लाल को समझाने में लगा था और नीचे नीलू हंस भी रही थी और मेरे लण्ड को नोच या काट भी रही थी..
मैं कुछ भी रियेक्ट नहीं कर पा रहा था.. समझ नहीं आ रहा था कि कैसे खुद को रोकूँ.. मगर थैंक्स गॉड.. मदन लाल बाहर चला गया..
मुझे नीलू पर इतना गुस्सा आ रहा था कि मैंने तुरंत उसको मेज के नीचे से निकाला और मेज पर लिटा दिया… उसकी दोनों टांगों को फैलाकर.. सीधे उसकी पूरी चूत अपने मुँह में भर ली और दांतों से काटने लगा..
अब मचलने की बारी नीलू की थी.. वह बुरी तरह सिसकार रही थी और अपनी कमर हिलाये जा रही थी।
मैं अपने दोनों हाथों की मुट्ठियों में उसके चूतड़ों को पकड़ कस कस कर दबाने लगा तो जरा सी देर में नीलू की हालत बुरी हो गई, वो छोड़ने के लिए मिन्नतें करने लगी…
नीलू: नहींईइइइइ… छोड़ दीजिये ना.. आह्ह्ह्ह्ह्हाआआ… नहींईइइ… आआअ… अब्बब्बब नहींई अह्ह्ह…
मैंने उसको उसी अवस्था में रखा और अपनी पैंट खोल दी, मेरी पैंट नीचे मेरे जूतों पर जाकर ठहर गई..
मैंने अंडरवियर भी नीचे घुटनों तक उतार अपने मस्ताने लण्ड को आज़ाद किया और नीलू की मेरे थूक से गीली चूत के छेद पर टिका एक ही बार में अंदर ठोक दिया…
ठक की आवाज से लण्ड पूरा चूत की जड़ तक चला गया।
पिछले 24 घंटे में यह चौथी चूत थी जिसमें मेरा लण्ड प्रवेश कर रहा था…
मगर शायद आज किस्मत उतनी अच्छी नहीं थी, अभी लण्ड ने जगह बनाई ही थी कि एक बार फिर… ठक ठक… ठक ठक… दरवाजे पर फिर दस्तक हुई… और इस बार कोई महीन आवाज थी…
ओह रोज़ी… मर गए… मैं तो भूल ही गया था… अब क्या होगा..??
नीलू को पहले भी ऑफिस में मैंने कई बार चोदा था… मगर हमेशा दोपहर के बाद या फिर शाम को…
मैं हमेशा यह ध्यान रखता था कि अब कोई नहीं आने वाला है, और सभी कार्य निबटने के बाद ही उसको चोदता था.. मगर आज तो सुबह आते ही यह कार्यक्रम सेट हो गया था… इसीलिए हद हो गई यार…
पहले मदन लाल नीलू के कपड़े देख गया… ना जाने क्या क्या सोच रहा होगा…
और अब बिल्कुल नई स्टाफ, वो भी शादीशुदा.. दरवाजे के बाहर खड़ी थी.. नीलू पूरी नंगी अपनी टाँगें फैलाये मेरी मेज पर लेटी थी… और मैं लगभग नंगा..
पैंट और अंडरवियर दोनों मेरे जूतों पर पड़े रो रहे थे.. मेरा लण्ड जड़ तक नीलू की चूत में घुसा था.. मैं उसकी चूचियों को मसलता हुआ उसकी चूत में धक्के लगा रहा था…
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और दरवाजे के बाहर खड़ी रोज़ी की दरवाजे पर की जा रही खट-खट.. ऐसा लग रहा था जैसे चुदाई का बैकग्राउंड म्यूजिक चल रहा है…
और मुझे अचानक होश आया… नीलू पर जैसे कोई फर्क नहीं पड़ा..
वो मुझे अपनी लाल आँखों से देख रही थी.. कि क्यों निकाल लिया… फिर से पूरी ताकत से डाल दो ना… मैंने जल्दी से उसको उठाकर फिर से मेज के नीचे घुसा दिया.. और इस बार उसके कपड़े भी नीचे गिरा दिए.. मैं- कम इन…
और तुरंत दरवाजा खुला.. रोज़ी का सुन्दर चेहरा नजर आया.. उसने नीली पारदर्शी साड़ी और स्लीवलेस ब्लाउज पहना था.. ब्लाउज से उसकी ब्रा भी नजर आ रही थी… एक टाइट बन्धी साड़ी में उसके शरीर के अंग अच्छी तरह उभर कर प्रदर्शित हो रहे थे…
उसने मुझे मुस्कुराकर देखा- …गुड मॉर्निंग सर… मैं- हाँ क्या हुआ? मैंने फिर से खुद को काम में खोया दिखाया…
रोज़ी- सर वो दामोदर दास जी वाला काम हो गया है.. आप एक बार देख लेते.. मैं- ठीक है तुम फाइल छोड़ दो.. मैं देख लूंगा.. और तुम्हारा दिल लग रहा है ना..काम सही लग रहा है?
रोज़ी- हाँ सर.. यहाँ का माहौल बहुत अच्छा है और सभी लोग भी बहुत मिलनसार हैं। मैं- ठीक है… मन लगाकर काम करो… जल्दी ही तुम्हारी तरक्की हो जाएगी…
रोज़ी- थैंक यू सर.. क्या… मैं… आपका बाथरूम… यूज़ कर सकती हूँ सर…? !! ? बाहर का बहुत गन्दा हो रहा है… वैसे भी ज्यादातर लेडीज स्टाफ ये अंदर का ही बाथरूम यूज़ करती थीं तो उसमे कोई प्रॉब्लम नहीं थी.. और मैं उसको मना भी कैसे कर सकता था…
मैं- हाँ हाँ क्यों नहीं… जरा ध्यान से.. लॉक ख़राब है.. रोज़ी- हा हा.. मुझे पता है सर.. पर अभी तो आप हैं ना, किसी को अंदर नहीं आने देंगे।
और वो बड़ी सेक्सी मुस्कान छोड़कर बाथरूम में चली गई।
थैंक्स गॉड कि उसने एक बार भी पीछे घूमकर नहीं देखा.. वरना बाथरूम मेरी कुर्सी के सीधी तरफ पीछे की ओर था, उसको सब कुछ दिखाई दे सकता था !
इतनी देर में चुदाई का मूड सब ख़त्म हो गया था, मैंने जल्दी से अपना अंडरवियर और पेंट सही करके पहन ली और नीलू को भी कपड़े पहनने को बोला।
क्योंकि जब वो वापस आएगी तो पक्का उसको सब दिख जाने वाला था। नीलू ने भी तुरंत अपनी कुर्ती पहनी और लेग्गिंग भी चढ़ा ली।
पर तभी नीलू को शरारत सूझी, मुझे आँख मारते हुए वो बाथरूम की ओर चली गई। मैं उत्सुकता से उसे देखने लगा पता नहीं अब क्या करने वाली थी…
मगर उसकी हर शरारत से मुझे फ़ायदा ही पहुँचता था इसलिए मैं कभी कुछ नहीं कहता था। और उसने एकदम से बाथरूम का दरवाजा खोल दिया। ओह माय गॉड !!! क्या नजारा था !!!!!!!!
कहानी जारी रहेगी। [email protected] hmamail.com
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