This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000
इमरान मैंने मोबाइल निकाल समय देखा… करीब आधा घंटा मुझे घर से निकले हो गया था… मधु भी वहाँ थी तो अरविन्द अंकल सलोनी से ज्यादा मजा तो नहीं ले पाये होंगे… और मैंने तो यहाँ पूरा काम ही कर दिया था…
पर कहीं ना कहीं दिल सलोनी के बारे में जानने को कर रहा था…
तभी नलिनी भाभी ने मेरे लण्ड को भी कपड़े से साफ़ किया… फिर उसको चूमकर मेरी पैंट में कर दिया…
मैंने उनको चूमा और वहाँ से निकल आया…
मैंने अपने फ्लैट की ओर देखा… दरवाजा बंद था… मतलब अंकल अभी भी अंदर ही थे…
मैं अभी प्लान कर ही रहा था कि मुझे सीढ़ियों से मधु आती नजर आई…
मैं चोंक गया… मधु यहाँ है… तो क्या बंद फ्लैट के अंदर अंकल और सलोनी अकेले हैं… ओह क्या वो दोनों भी चुदाई कर रहे हैं…???
मधु मुझे आश्चर्य से देख रही थी…
मैंने उसको आँखों में देखते हुए ही पूछा- कहाँ गई थी तू??
मधु जैसे उसने कुछ सुना ही नहीं- अरे भैया आप यहाँ… इस समय?
मैं- मैंने तुझसे कुछ पूछा…
मधु अपने हाथ में सिगरेट की डब्बी दिखाते हुए- अंकल ने मंगाई थी…
मैं- क्या कर रहे हैं वो दोनों अंदर????
मधु ने कंधे उचकाए- मुझे क्या पता??
मैं- कितनी देर हो गई तुझे निकले हुए…
मधु- अभी तो गई थी… हाँ दुकान पर कुछ भीड़ थी…
मुझे पता था कि बाहर कॉलोनी तक जाने इतनी सीढ़ियां… इस सबमें करीब 15 मिनट तो लगते ही हैं… इसका मतलब पिछले 15-20 मिनट से दोनों अंदर हैं और दरवाजा भी लॉक कर लिया…
साला अरविन्द मेरी बीवी से पूरा मजा ले रहा होगा… अब देखा कैसे जाये…
तभी मुझे रसोई वाली खिड़की नजर आई और मैं चुपचाप मधु को वहाँ ले गया…
मेरी किस्मत कि खिड़की खुली थी… हाँ उसके दरवाजे भिड़ा कर बंद कर दिया था…
मैंने हल्की से आहत लेते हुए दरवाजे को खोल दिया… रसोई में कोई नहीं था…
मैंने उसके जंगले की चिटकनी खोल उसको भी खोला और देखा… अब अंदर जाया जा सकता था…
पर खिड़की काफी ऊँची थी, ऊपर चढ़ने के लिए कोई ऊँची कुर्सी या स्टूल चाहिए था…
मैंने मधु की ओर देखा, उसने अपना कल वाला फ्रॉक पहन लिया था शायद बाहर आने के लिए… या अंकल के कारण…
मैंने मुँह पर ऊँगली रख उसको चुप रहने के लिए इशारा किया और उसको अंदर जाने के लिए बोला…
वो एकदम तैयार हो गई…
मैंने उसको उचकाया… और जैसे ही उसके चूतड़ों पर हाथ लगाया… एकदम से ठंडा सा लगा…
मधु ने अभी भी कच्छी नहीं पहनी थी, उसके चूतड़ नंगे थे…
मैंने मधु को गोद में उठाकर खिड़की पर टिकाया और अपना हाथ सहारे के लिए ही उसके चूतड़ों पर रखा… उसका छोटा फ्रॉक हट गया था और मेरा हाथ उसके नंगे चूतड़ों पर था…
एक बार फिर मेरे हाथों ने मधु के मांसल, छोटे छोटे चूतड़ों का स्पर्श किया और रोमांच से भर गए…
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
इससे पहले मेरे मन में उत्तेजना के साथ साथ शायद कुछ गुस्सा भी था कि एक 62 साल का बूढ़ा मेरी जवान सुन्दर बीवी जो लगभग नंगी थी…
अंदर मेरे घर पर और शायद मेरे ही बैडरूम में… मेरे बिस्तर पर… ना जाने क्या कर रहा होगा???
मगर मधु के नंगे चूतड़ों के स्पर्श… और जब वो खिड़की पर उकड़ू बैठी… तब उसके नंगे चूतड़ और उसकी प्यारी, कोमल, छोटी सी चूत देख… जिससे मैंने कल बहुत मजे किये थे और वो सब मेरी जान सलोनी के कारण ही हो सका था…
मेरा सारा अंदर का द्वेष गायब हो गया और मैं अब केवल सलोनी के मजे के बारे में सोचने लगा…
लेकिन मन उसको ये सब करते देखना चाहता था कि मेरी जान सलोनी को पूरा मजा आ रहा है या नहीं… वो पूरी तरह आनन्द ले रही है या नहीं…
मधु के उकड़ू बैठने से उसके नंगे चूतड़ और खिली चूत ठीक मेरे चेहरे पर थे… उसकी फ्रॉक सिमटकर मेरे हाथो से दबी थी…
मैंने मधु को दोनों हाथों से थाम रखा था… मेरी गर्म साँसे जब मधु को अपनी चूत पर महसूस हुई होंगी…
तभी उसने अपनी आँखों में एक अलग ही तरह की बैचेनी लिए मेरी ओर देखा…
मैंने आँखों ही आँखों में उसको आई लव यू कहा और अपने होंठ उसकी चूत पर रख एक गर्म चुम्मा लिया…
मधु की आँखे अपने आप बंद हो गई…
मगर मैंने खुद पर नियंत्रण रखा… मैंने उसको रसोई में उतरने और दरवाजा खोलने को बोला…
वो जैसे सब समझ गई… वो जल्दी से नीचे उतर रसोई से होते हुए… ऐसे आगे बड़ी कि कोई उसे ना देखे… वो बहुत सावधानी और चारों ओर देखकर आगे बढ़ रही थी…
फिर वो मुख्य द्वार की ओर बढ़ी…
मैं भी घूमकर आगे बढ़ गया और अपने दरवाजे की तरफ आया…
बहुत हल्के से लॉक खुलने की आवाज आई…
मधु काफी समय से हमारे घर आ रही है इसलिए उसे ये सब करना आता था… उसने वाकयी बहुत सावधानी से काम किया… अंकल या सलोनी किसी को कोई भनक तक नहीं मिली…
मैं चुपचाप अंदर आया और उससे इशारे से पूछा- …कहाँ हैं दोनों??
मधु ने बैडरूम की ओर इशारा किया…
मेरे दिल की धड़कने बढ़ने लगी…
मैंने मधु को एक तरफ से देखने भेज पहले रसोई में जाकर सबसे पहले खिड़की का जंगला लॉक किया कि सलोनी को बिल्कुल शक ना हो…
मैं जैसे ही मुड़ा…मुझे रसोई में एक कोने में सलोनी की नाइटी दिखी जो उसने सुबह पहनी थी…
मुझे अच्छी तरह याद है कि सलोनी केवल यही नाइटी पहने थी… और इसके अंदर कुछ नहीं… इसका मतलब अंकल ने सलोनी को यहीं नंगी कर दिया था… और अब बैडरूम में तो निश्चित चुदाई के लिए ही ले गए होगे…
मैं केवल यही सोच रहा था कि आदमी कितना बदकार होता है… वहाँ नलिनी भाभी सोचती है कि अरविन्द अंकल कुछ कर ही नहीं सकते क्योंकि उनका अब खड़ा ही नहीं होता…
और यहाँ दूसरी औरत को देख वो सब करने को तैयार हो जाते हैं… उनका मरा हुआ लण्ड भी ज़िंदा हो जाता है… वाह रे चुदाई की माया…
मैं जल्दी से रसोई से निकला और फिर मधु के पास जा खड़ा हो गया…
बैडरूम का दरबाजा पूरा खुला ही था, बस उस पर परदा पड़ा था…
बैडरूम का दरवाजा उन्होंने इसलिए बंद नहीं किया होगा कि वो दोनों घर पर अकेले ही थे और परदा तो उस पर हमेशा पड़ा ही रहता है…
मधु परदे का एक सिरा हटाकर अंदर झांक रही थी… और अंदर का दृश्य देखते ही मेरा लण्ड तनतना गया…
कहानी जारी रहेगी। [email protected]
This website is for sale. If you're interested, contact us. Email ID: [email protected]. Starting price: $2,000