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अलीशा सुधा कामिनी चीख उठी, “उई माँ..! बड़ा दर्द हो रहा है निकालिए अपने घोड़े जैसे लण्ड को..!” इस पर चमेली व्यंग्य करती हुए बोली- जब दूसरे की में गया तो भूस में गया और जब अपनी में गया तो उई दैया..!” मैं खिलखिला कर हँस पड़ी। कामिनी गुस्से में मुझसे बोली- साली, छिनाल.. रंडी.. मेरी गाण्ड फट गई और तुझे मज़ा आ रहा है, जीजा जी की गाण्ड तूने मारी और गाण्ड की धज्जियां उड़वा दीं मेरी..! रूको..! बुरचोदी, गाण्डू, लौंडेबाज, तुम्हारी भी गाण्ड जब फाड़ी जाएगी, तो मैं ताली पीट-पीट कर हसूँगी… प्लीज़ जीजाजी …बहुत आहिस्ते-आहिस्ते मारिए …दर्द हो रहा है।” धीरे-धीरे कामिनी का दर्द कम हुआ और अब उसे गाण्ड मरवाने में अच्छा लगने लगा, “जीजाजी अब ठीक है.. मार लो गाण्ड…तुम भी क्या याद रखोगे कि किसी साली की अनछुई गाण्ड मारी थी..!” उसको इस प्रकार गाण्ड मरवाने का आनन्द लेते देख मेरा भी मन गाण्ड मरवाने का हो आया, पर मैंने सोचा कभी बाद में मरवाऊँगी, अभी नशे में जीजाजी गाण्ड का कबाड़ा कर देंगे और अभी जीजाजी इतना सम्भाल भी नहीं पाएँगे और यही हुआ। कामिनी की संकरी गाण्ड ने उन्हें झड़ने के लिए मजबूर कर दिया और वे कामिनी की गाण्ड में झड़ कर वहीं सोफे पर ढेर हो गए। अब स्क्रीन पर दूसरा दृश्य था, दोनों लड़कियाँ उन तीनों आदमियों के लण्ड को मूठ मारकर और चूस कर उसका वीर्य निकालने का उद्यम कर रही थीं। उन तीनों लण्ड से पानी निकला जो वे अपने मुँह में लेने की कोशिश कर रही थीं। वीर्य से उन दोनों का मुँह भर गया, जिसे उन दोनों ने गुटक लिया। ब्लू-फिल्म समाप्त हुई, कामिनी टीवी बंद कर बोली- चलो अब खाना लगा दिया जाए, बड़ी ज़ोर की भूख लगी है..! तैयार खाने में आवश्यक सब्जियों को चमेली नीचे से गरम कर लाई और तब तक मैं और कामिनी ने मिल कर टेबल लगा दी। अब खाना प्लेट में निकालना भर बाकी था। तभी जीजाजी की आवाज़ आई, “अरे कामिनी..! इस गिलास में किस ब्रांड की विहस्की थी? बड़ी अच्छी थी, एक पैग और बना दो इसका, ऐसी स्वादिष्ट विहस्की मैंने कभी नहीं पी।” मैंने उधर देखा और अपना सर पीट लिया.. जीजाजी गिलास में रखे मूत को शराब समझ कर गटक चुके थे और दूसरे गिलास की माँग कर रहे थे। शायद चमेली ने मुझे गिलास में मूतते देख लिया था, उसने कहा- दीदी मुझे लगी है, मैं जीजाजी के ब्रांड को तैयार करती हूँ..! वह एक गिलास लेकर शराब वाली अल्मारी तक गई और एक लार्ज पैग गिलास में डाल कर अल्मारी के पल्ले की ओट में अपनी मूत से गिलास भर दिया। कामिनी यह देख गुस्सा करती मैं उसे खींच कर एक और ले गई और उसे सब कुछ बता दिया। मैं बोली- वो भी क्या करती इज़्ज़त का सवाल था, अपना बचा कर रखना दुबारा फिर ना माँग बैंठे। वो मुस्कराई और बोली- तुम दोनों बहुत पाजी हो..! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! चमेली ने जीजाजी को गिलास पकड़ा दिया जिसे वे बड़े चाव से सिगरेट सुलगा कर सिप करने लगे। चमेली उनके पास खड़ी थी। उनके मुँह से सिगरेट निकाल कर एक गहरा कश लगाया और उसे अपनी बुर से छुआ कर फिर से उनके मुँह में लगा दिया। जीजाजी उसके होंठों पर अपनी मदिरा का गिलास लगा दिया। उसने बड़े अज़ीजी से हम दोनों की तरफ देखा और फिर उसने उस गिलास से एक सिप लिया और हम लोगों के पास भाग आई। कामिनी ने उसकी चूची दबाते हुए कहा- फँस गई ना बच्चू..! वो बोली- दीदी..! प्यार के साथ चुदाई में यह सब चलता है, यह तो मिक्स सोडा था लोग तो सीधे मुँह में मुतवाते हैं। “अरे तू तो बड़ी एक्सपीरियेन्स्ड है..!” कामिनी बोली। चमेली कहाँ चूकने वाली थी, बोली- हाँ दीदी, यह सब आप लोगों की बदौलत हुआ है। बात बिगड़ते देख मैं बोली- चमेली तू फालतू बहुत बोलती है। अब जा चुदक्कड़ जीजू को खाने की टेबल पर ले आ। “उन्हें गोद में उठा कर लाना है क्या..!” वो बोली। “नहीं..! अपनी बुर में घुसेड़ कर ले आ..!” मैं थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोली। चमेली जीजाजी के पास जाकर बोली- हुजूर! अब स्पेशल ड्रिंक नहीं है, जितना बचा है उसे खत्म कर खाने की मेज पर चलें। फिर जीजाजी के लौड़े को सहलाते हुए बोली- सुधा दीदी ने कहा है कि हुजूर को बुर में घुसा कर लाना। उसने जीजाजी को खड़ा कर उनके लौड़े को मुँह में ले लिया जीजाजी का लौड़ा एकदम तन गया। फिर उनके गले में बाँहें डाल कर तथा उनके कमर को अपने पैरों में फँसा कर उनके कंधे पर झूल गई और जीजाजी ने उसके चूतड़ के नीचे हाथ लगा कर अपने लण्ड को एडजेस्ट कर उसकी बुर में घुसा दिया। अब जीजू से कामिनी बोली- हाँ..! अब ठीक है इसी तरह खाने की मेज तक चलिए।” जीजाजी उसे गोद में उठाए खाने के टेबल तक आए। चमेली बोली- देखो दीदी..! जीजाजी मेरी बुर में घुस कर यहाँ तक आए हैं। उसकी चालाकी भरी इस करतूत को देख कर हम दोनों हँस पड़े। जीजाजी खाने की बड़ी मेज के खाली जगह पर उसके चूतड़ को टिका कर उसकी बुर को चोदने लगे। चमेली घबड़ा कर बोली- अरे जीजाजी यह क्या करने लगे..! खाना लग गया है..!” “तूने मेरे लण्ड को ताव क्यों दिलाया..! अब तो तेरी चूत का बाजा बजा कर ही छोडूंगा.. ले साली सम्भाल, अपनी बुर को भोसड़ा बनाने से बचा… तेरी बुर को फाड़ कर ही दम लूँगा…!” चुदाई के धक्के से मेज हिल रही थी। मैं यह सोच रही थी कि मज़ाक में जीजाजी चमेली को चिढ़ाने के लिए चोद रहे हैं, अभी चोदना बंद कर देंगे, लेकिन जब जीजाजी नशे के शुरूर में बहकने लगे “साली..! तूने मेरे लण्ड को खड़ा क्यों किया… अब तो तेरी बुर फाड़ कर रख दूँगा … ले … ले … अपनी बुर में लौड़े को … उस समय नहीं झड़ी थी, अब तुझे चार बार झाडूंगा…!” कामिनी धीरे से बोली- लगता है चढ़ गई है..! मैंने जीजाजी को समझाते हुए कहा- जीजाजी इस साली के बुर को चोद-चोद कर भुरता बना दीजिए… उस समय झड़ी नहीं थी तभी तल्ख़ हो रही थी… इस साली को पलंग पर ले जाइए और चोद-चोद कर कचूमर निकाल दीजिए। यहाँ मेज पर लगा सामान खराब हो जाएगा। जीजाजी बड़े मूड में थे बोले- ठीक है इस साली को पलंग पर ही चोदूँगा … इसने मेरे लण्ड को खड़ा क्यों किया… चल साली पलंग पर तेरी बुर का कचूमर निकालता हूँ। जीजाजी उस नंगी को पलंग तक उठा कर लाए। चमेली खुश नज़र आ रही थी और जीजाजी से सहयोग कर रही थी, कहीं कोई विरोध नहीं। जीजाजी चमेली को पलंग पर लिटा कर उस पर चढ़ गए और उसकी बुर में घचा-घच लण्ड पेल कर उसे चोदने लगे। हम सभी समझ गए कि जीजाजी मूड में हैं और बिना झड़े वे चुदाई छोड़ने वाले नहीं हैं। जीजाजी उसकी चूत में अपने लण्ड से कस-कस कर धक्का मार रहे थे और समूचा लौड़ा चमेली की चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था। वे दना-दन शॉट पर शॉट लगाए जा रहे थे और चमेली भी चुदासी औरत की तरह नीचे से बराबर साथ दे रही थी। वह दुनिया-जहाँ की ख़ुशी इसी समय पा लेना चाह रही थी। कामिनी इस घमासान चुदाई देख कर मुझसे लिपट कर धीरे से बोली- हाय रानी..! लगता है यह नुस्खा अमेरिकन वियाग्रा से ज़्यादा इफेक्टिव है, चल आज उसकी ताक़त देख ली जाए..! वह जीजाजी के पास जाकर उनके बाल को पकड़ कर सिर उठाया और उनका मुँह अपनी चूत पर लगा दिया जिसे चाट-चाट कर चमेली की चूत में धक्का लगा रहे थे। इधर मैं पीछे से जाकर चमेली की चूत पर धक्का मार रहे जीजाजी के लण्ड और पेल्हर (टेस्टिकल) से खेलने लगी। जीजाजी का लण्ड चमेली की चूत में गपा-गप अन्दर-बाहर हो रहा था और उनके पेल्हर के अंडे चमेली के चूतड़ पर ठाप दे रहे थे। बड़ा सुहाना मंज़र था। चमेली अभी मैदान में डटी थी और नीचे से चूतड़ हिला-हिला कर जीजाजी के लण्ड को अपनी बुर में लील रही थी और बड़बड़ाती जा रही थी, “चोदो मेरे राजा… चोदो…बहुत अच्छा लग रहा है…पेलो … पेलो … और पेल ओ …ऊऊओह माआअ जीजाजी मेरी बुर चुदवाने के लिए बहुत बेचैन थी… बहुत अच्छा हुआ जो आपका लौड़ा मेरी बुर फाड़ने को फिर से तैयार हो गया…ऊओह आआहह… ओह राजा लगता है अपने से पहले मुझे खलास कर दोगे… देखो ना..! कैसे दो बुर मुँह बांए इस घोड़े जैसे लण्ड को गपकने के लिए आगे-पीछे हो रही हैं… जीजाजी आज इनकी मुतनियों को भोसड़ा ज़रूर बना देना..!” जीजाजी भी चमेली की बुर में गचा-गच धक्का मार कर नशे के झोंक में बड़बड़ा रहे थे, “साली ले… और… ले… अपनी बुर में लौड़ा…आज तेरी बुर की चटनी बना कर अपने लण्ड को चटाऊँगा… बड़ी चुदक्कड़ बनती है साली… लौड़ा खड़ा कर दिया…ले और कस-कस कर ले … चोद चोद कर भोसड़ा ना बनाया तो मेरा नाम भी मदन नहीं… ले चूत में सम्भाल मेरा लौड़ा…!” चमेली अब झड़ने के करीब थी और वो मदन जीजाजी के हल्लबी लौड़े की दमदार चोटों के आगे भलभला कर झड़ गई और निढाल हो गई, पर जीजाजी अभी भी उसे चोदने में लगे थे, मैंने जीजा जी को रोका और उनको अपनी बुर पेश की उन्होंने मुझे और फिर मेरे बाद कामिनी की बुर को भी चोद चोद कर झड़ने पर मजबूर कर दिया। अब हम चारों बेसुध पड़े थे फिर मैंने उठ कर सबके लिए एक एक पैग और बनाया और फिर सबने खाना खाया और सो नंगे ही फर्श पर पड़े गद्दे पर सो गए। आपके ईमेल की प्रतीक्षा में आपकी सुधा बैठी है। [email protected] gmail.com
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