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मेरा नाम प्रवीण है, ग्वालियर का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 30 साल है, मैं बिजनेस में हूँ।
पिछले साल मैं भोपाल में अपनी मामी के यहाँ गया हुआ था। मेरी मामी बहुत व्यवहार कुशल हैं और बहुत सुन्दर भी हैं। उनके दो बच्चे हैं, एक 6 साल का लड़का और 3 साल की लड़की। मामा का टेंट का काम है इस कारण वो ज्यादातर व्यस्त रहते हैं, मामा सुबह 9 बजे ही अपनी दुकान के लिए निकल जाते हैं।
मामा और मामी में ज्यादा बनती भी नहीं है, इस बात का पता मुझे एक रात को हुआ जब मैं रात को पानी पीने उठा तब मामी के कमरे से सिसकने की आवाज आ रही थी। मैंने उनके बेडरूम के दरवाजे पर कान लगाकर सुना तो मामी, मामा जी से रो-रो कर कुछ कह रही थीं।
जब मैंने ध्यान से सुना तो वो मामाजी से कह रहीं थी कि आप दिन भर तो बिजी रहते हो और रात को थककर सो जाते हो, आपके पास मुझे प्यार करने का भी समय नहीं है, बताओ मैं क्या करूँ? मामा जी गुस्से में बोले- कुतिया किसी और से चुदवा ले ! मेरे पास तेरे लिए और तेरे बच्चों के लिए फालतू समय नहीं है। मैं यह पैसा तुम लोगों की खुशी के लिए ही तो कमा रहा हूँ।
कुछ इसी तरह की बातें और होती रहीं, पर मामा जी को कोई फर्क नहीं पड़ा और वे सो गए। परन्तु मामी जी की सिसकने की आवाज़ देर तक आती रही।
अगली सुबह दोनों शांत थे, मामा जी नाश्ता करके दुकान पर चले गए और मामी जी का चेहरा उतरा हुआ था। बच्चों के स्कूल जाने के बाद मामी जी घर के कामों में लग गईं, आज वो बिल्कुल शांत थीं।
मैंने ऐसे ही मामी को छेड़ते हुए पूछा- क्या बात है? तब उन्होंने टाल दिया। लेकिन मैंने उनसे जब रात वाली बात कही तो वो रो पड़ीं।
मैं यहाँ बता दूँ कि मामी और मेरी बहुत पटती है। हम आपस में चाहे जैसा भी मजाक कर लेते हैं। जब मामी जी रोने लगीं तो मैंने उन्हें मैंने सोफे पर बैठाया और अनजान बनते हुए रात को रोने का कारण पूछने लगा।
वो मुझसे सट गईं और रुआंसी होकर बोलने लगीं- तेरे मामा को तो मेरी फिकर ही नहीं है। फिर वे बोलीं- तेरे मामा मुझे खुश नहीं रख पाते। जिस कारण हमारा झगड़ा होता है। मैं सब समझ रहा था। फिर वो अपनी आपबीती सुनाने लगीं।
तभी मैंने बीच में मौका देखकर उन्हें अपनी बांहों में भर लिया और चुप होने को बोलने लगा। वो मेरी इस हरकत से सकपका गईं पर उन्होंने मुझसे छूटने की कोई कोशिश नहीं की।
मेरी हिम्मत बढ़ गई तो मैं उन्हें अपनी गोदी में उठाकर बेडरूम में ले आया और बेड पर लिटाकर उनके ऊपर लेट गया और उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उन्होंने आनन्द के कारण अपनी आँखें बंद कर लीं।
मैंने उनको दस मिनट तक ऐसे ही चूमा। मुझे उनकी नाक की नथ बड़ी प्यारी लगती थी। मैं मन में उनकी नथ उतारने की ही सोच रहा था कि तभी मामी ने उठकर अपनी साड़ी उतार दी। तभी लपककर मैंने उन्हें अपनी बाँहों में भर लिया और उनके ब्लाउज के हुक खोलने लगा, मामी भी मेरा साथ दे रही थीं।
तभी दूसरे हाथ से मैंने उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया मेरी इस हरकत से वो अब सिर्फ ब्रा-पैन्टी में रह गई थीं। वो अपने को छुपाते हुए पलंग पर सिकुड़ कर बैठ गईं।
मौका पाकर मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए सिर्फ अन्डरवियर शेष बची रहने दी, आखिर मामी को भी तो कुछ उतारने का मौका देना था। अब मैं मामी के पास जाकर उनसे लिपट गया और उनको सीधा पलंग पर लेटा दिया। मैंने मामी के होंठों को चूमते हुए उनके मुँह में अपनी जीभ घुसा दी। वाह क्या स्वाद था उनके मुँह का..!
पर तभी मुझे उनकी नथ अपनी नाक पर चुभती सी लगी, तो मैंने अपने हाथों से उनकी नथ को उतार दिया। उस नथ का क्या करना है, मैंने पहले ही सोच लिया था। मैंने उनकी पैन्टी को खींचते हुए उतार दिया और उनकी चूत के ऊपर की घुंडी को खींचते हुए उनको उत्तेजित करने लगा।
तभी मेरे दिमाग में कुछ आया, मैंने एक कपड़े की पट्टी से मामी की आँखें बांध दीं। मामी ने हल्का विरोध किया लेकिन मैंने कहा- यह नया प्रयोग है, आपको मज़ा आएगा।
फिर उन्होंने कुछ नहीं कहा। मैंने उनकी नथ को उनकी चूत के उपरी हिस्से में अचानक पिरो दिया। वो चीख उठी और उठकर बैठ गईं और अपनी आँखों की पट्टी भी खोल दी पर तब तक मेरा काम हो चुका था।
मामी यह देखकर दंग रह गईं कि जो नथ आज तक उनकी नाक की शोभा बढ़ा रही थी, वो अब उनकी चूत में लटक रही है। क्या लग रही थी उनकी चूत, एकदम चिकनी और उस पर सोने की रिंग और रिंग में डला मोती का छल्ला.. किसी पोर्न स्टार की सी चूत..!
मैंने एक कपड़े से उस रिंग के आस-पास लगा खून पोंछ दिया, सोने की नथ पहनाने से 2-4 बूंद निकल आया था। अब मैंने मामी को लेटा दिया और उनके पीठ के पीछे हाथ डाल कर ब्रा का हुक खोल दिया। अब मामी मेरे सामने बिल्कुल नंगी पड़ी थीं, उनकी सांसे तेज़ चल रही थीं।
मैं देर न करते हुए 69 पोजीशन में आ गया, अपनी जीभ से उनकी सोने की नथ को छेड़ते हुए खींच रहा था, जिससे मामी जोर की सिसकारी ले रही थीं, वो मेरा लंड ऊपर से ही चाट रही थीं। जब मैंने उनसे लंड मुँह में लेने को बोला, तो कुछ सोच कर लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैंने जल्दी से अपनी पोजीशन बदली और लंड को मामी की चूत पर टिका दिया। उनके दोनों पैरों को मोड़ कर ऊपर की ओर कर दिया और एक तकिया लेकर मामी की गांड के नीचे सरका दिया।
अब मामी की नथ पहनी हुई चूत बिल्कुल मेरे सामने थी। मैंने देर ना करते हुए एक जोरदार धक्का दे दिया। कुछ 3 इंच लंड अन्दर चला गया। मेरे इस अचानक हुए हमले से मामी चिल्ला पड़ीं और सर को इधर-उधर करते हुए करते हुए लंड को निकालने की बोलने लगीं।
मैंने उनके मम्मों को सहलाते हुए उनके होंठों को चूमना शुरू कर दिया। मैंने उन्हें अपने पूरे नियंत्रण में ले रखा था कि कहीं वो बिदक कर छूट न जाएँ।
जब दर्द कुछ कम हुआ तो मैंने पूछा- आपके दो बच्चे होने के बाद भी आप कुंवारी लड़कियों की तरह क्यों चिल्ला रही हो? तो वे बोलीं- एक तो तुम्हारा लंड इनसे ज्यादा बड़ा और मोटा है और दूसरा तेरे मामा ने पिछले 5-6 महीनों से मुझे छुआ तक नहीं है, अब चल जरा आराम से कर..! मामी ऐसा बोलीं और मेरा साथ देने लगीं।
धीरे-धीरे मैंने अपना 7 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा लंड उनकी चूत में पूरा डाल दिया और धक्के लगाने लगा। पर जब भी मेरा लंड जड़ तक जाता मामी मुझसे चिपक जातीं, उन्हें बहुत दर्द होता था। एक तो मेरा लंड उनके गर्भाशय से टकरा जाता और दूसरा वो उनकी चूत में पिरोई हुई उस नथ जो मेरे जड़ तक पहुँचने पर उन्हें चुभती थी।
अब उनकी आँखों से आंसू बहने लगे, मैंने तुरंत ही उन्हें अपनी जीभ से चाट लिया। अब मेरी स्पीड बढ़ गई और करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद जब मैं झड़ने को हुआ, मैंने मामी से पूछा- अपनी मलाई किधर निकालूँ? तो मामी ने धीरे से मेरे कान में कहा- मेरे जानू.. मेरी मुनिया में ही छोड़ दे..! मैं कौन सी माँ बन जाऊँगी, मेरा तो ऑपरेशन हो चुका है। फिर मैंने अपना सारा वीर्य उनकी चूत में ही उड़ेल दिया।
वो पल मेरे जीवन का सबसे आनन्द देने वाला था। मामी अब तक 3 बार झड चुकी थीं। वो बहुत थक गई थीं। फिर हम दोनों आधे घंटे तक यूँ ही चिपक कर पड़े रहे। फिर हम दोनों ने अपने-अपने कपड़े पहने और ढेर सारा प्यार किया।
अब मामी, मामा की नहीं मेरी (लुगाई) पटरानी बन गई थीं, और उनका व्यवहार मेरे प्रति बदल गया। अकेले में मामी मुझे आप ही कह कर बुलाती थीं। इस बार उन्होंने मेरे लिए करवाचौथ का व्रत भी रखा था। मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें। [email protected]
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