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इमरान मुझे उसकी चूत पर कुछ अलग ही गन्ध आई.. अरे यह तो बोरोप्लस की खुशबू थी…
इसका मतलब मधु ने रात को बोरोप्लस भी लगाया… इसने एक बार भी मुझे अपने दर्द के बारे में नहीं बताया… मुझे उसके इस दर्द को छुपाने पर बहुत प्यार आया… मैंने उसके होंठों को चूम लिया.. तभी मुझे सलोनी के कमरे में आने की आवाज आई… उसके पैरों की आवाज आ रही थी… मैंने जल्दी से मधु को चादर से ढका और बाथरूम में घुस गया… सलोनी कमरे में आकर- अरे आप कहाँ हो जानू… मैं- बोलो जान… बाथरूम में हूँ… सलोनी- ओह ठीक है.. मैं आपको उठाने ही आई थी…
उसकी आवाज में कहीं कोई नाराजगी या कुछ अलग नजर नहीं आया… वो हर रोज की तरह ही व्यवहार कर रही थी… मुझे बहुत सुकून सा महसूस हुआ… फिर मुझे लगा कि शायद वो मधु को उठा रही है… अब ये सब मैं नहीं देख सकता था… क्योंकि बाथरूम से केवल बाहर का कमरा या रसोई ही देखी जा सकती है… बैडरूम में नहीं… हाँ मैं दरवाजा खोल देख सकता था मगर मैंने इसमें कोई रूचि नहीं ली.. मेरे दिल को सुकून था कि इतने बड़े कांड के बाद भी सब कुछ ठीक था…
मैं नहाकर बाहर आया तो बेडरूम पूरी तरह से व्यवस्थित था, कमरे में कोई नहीं था, मधु और सलोनी दोनों ही रसोई में थी… मैं तैयार हुआ… दस से भी ऊपर हो गए थे… मैं रसोई में ही चला गया… दोनों काम में लगी थीं, दोनों ने रात वाले कपड़े ही पहन रखे थे…
मधु ने मुझे देखकर सलोनी से बचकर एक बहुत सेक्सी मुस्कान दी… मैंने भी उसको आँख मार दी तो उसने शरमाकर अपनी गर्दन नीचे कर ली… मैं सलोनी के पास जाकर उसके गोलों मटोल चूतड़ों को सहलाकर बोला- क्या बात जान… आज अभी तक तैयार नहीं हुई? सलोनी नहीं जानू.. मैं भी देर से ही उठी… वो तो भला हो दूध वाले का जिसने उठा दिया सुबह आकर… वरना इतनी थकी थी कि सोती ही रहती…
मेरे जरा से सहलाने से ही उसकी पतली नाइटी खिसकी और सलोनी के नंगे चूतड़ मेरे हाथों में थे… मैं सोचने लगा कि सुबह से सलोनी ऐसे ही सब काम कर रही है? वो लगभग नंगी ही दिख रही है उस पतली सी आधी नाइटी में…
जिसके नीचे उसने ब्रा या कच्छी कुछ भी नहीं पहना था… क्या सबके सामने वो ऐसे ही आ-जा रही है? सभी के खूब मजे होंगे… पहले तो मैं उसको कुछ नहीं कहता था मगर अब उसको छेड़ने के लिए मैं बात करने लगा था, मैंने उसके चूतड़ सहलाते हुए ही कहा- क्या बात जानू… कुछ पहन कर दूध लिया या ऐसे ही दूधवाले को जलवा दिखा दिया? वो तो मर गया होगा बेचारा… मधु हमको देखकर मुस्कुरा रही थी… सलोनी भी मस्ती के मूड में ही लग रही थी, अपने चूतड़ों को हिलाये जा रही थी, वो कोई विरोध नहीं कर रही थी- …नहीं जी… दूध लेने के बाद ही यह नाइटी पहनी मैंने ! मैं- हा हा हा… फिर तो ठीक है… सलोनी- हे हे… आपको तो बस हर समय मजाक ही सूझता है… मैंने उसके नाइटी के गले की ओर देखा… उसके जरा से झुकने से ही उसके दोनों मस्त गोलाइयाँ पूरी नंगी दिख रही थी… उनके निप्पल तक बाहर आ-जा रहे थे… मैं समझ सकता था कि सलोनी के दर्शन कर कॉलोनी वालों के मजे आ जाते होंगे… ना जाने दूधवाले, अंडे वाले और भी किसी ने क्या क्या देखा होगा… अब जब सलोनी को दिखाने में मजा आता है तो मैं उसके इस आनन्द को नहीं छीन सकता था, उसको भी मजे लेने का पूरा हक़ है… नाश्ता करते हुए रात की किसी बात का कोई जिक्र ना तो सलोनी ने किया और ना ही मधु ने… मेरे दिल में जो थोड़ा बहुत डर था वो भी निकल गया… हाँ सलोनी ने एक बात की जिसके लिए मुझे कोई ऐतराज नहीं था- जानू एक बात कहनी है… मैं- बोलो… आज बाजार जाना है, पैसे चाहिएँ? सलोनी- नहीं…हाँ…अरे वो तो है… पर एक और बात भी है… मैं- तो बोलो न जानू… मैंने कभी तुमको किसी भी बात के लिए मना किया है क्या? सलोनी- वो विनोद को तो जानते हो ना आप? मेरे साथ जो पढ़ते थे…
मैंने दिमाग पर जोर डाला पर कुछ याद नहीं आया… हाँ उसने एक बार बताया तो था… वैसे सलोनी ने एम० ए० किया है… और एम० एड० भी… उस समय उसके साथ कुछ लड़के भी पढ़ते थे पर मुझे उनके नाम याद नहीं आ रहे थे… एक बार उसने मुझे मिलवाया भी था… हो सकता है…उन्ही में कोई हो… मैं- हाँ यार…पर कुछ याद नहीं आ रहा… सलोनी- विनोद भाईजी ने यहाँ एक स्कूल में जगह बताई है… उसका कॉल लेटर भी आया है… मैं पूरे दिन बोर हो जाती हूँ.. क्या मैं यह जॉब कर लूँ? मैं उसकी किसी बात को मना नहीं कर सकता था फिर भी- यार, तुम घर के काम में ही इतना थक जाती हो, फिर ये सब कैसे कर पाओगी? सलोनी- आपको तो पता ही है… मुझे जॉब करना कितना पसंद है… प्लीज हाँ कर दो ना… मैं मधु को यहाँ ही काम पर रख लूँगी, यह मेरी बहुत सहायता कर देती है, मैंने इसके मां से भी बात कर ली है… सलोनी पूरी तरह मेरे ऊपर आ मुझे चूमकर मनाने में लगी थी…
मैं कौन सा उसको मना कर रहा था- अरे जान… मैं कोई मना थोड़े ही कर रहा हूँ… पर कैसे कर पाओगी इतना सब? बस इसीलिए… मुझे तुम्हारा बहुत ख्याल है जान… सलोनी- हाँ मुझे पता है… पर मुझे करनी है ये जॉब…जब नहीं हो पायेगी तो खुद छोड़ दूंगी… मैं- कहाँ है जानू ये स्कूल… सलोनी- वो… उस जगह… ये… नाम है स्कूल का ! मैं- ओह, फिर यह तो बहुत दूर है… रोज कैसे जा पाओगी? सलोनी- बहुत दूर है क्या…? मैं- हाँ जान… सलोनी- चलो फिर ठीक है मैं जाकर देखती हूँ… अगर ठीक लगा तो ही हाँ करुँगी… मैं- जैसा तुम ठीक समझो… और ये लो पैसे… मैं चलता हूँ… जो खरीदना हो खरीद लेना… और इस पागल को भी कुछ कपड़े दिला देना… मधु- उउन्न्न्न… क्या कह रहो भैया?
मैं यह सोचकर ही खुश था कि मधु अब ज्यादा से ज्यादा मेरे पास रहेगी और मैं उससे जब चाहे मजे ले सकता हूँ… मैं अपना बेग लेकर बाहर को आने लगा पर दरवाजा खोलते ही अरविन्द अंकल सामने दिख गए… अंकल- अरे बेटा.. आज अभी तक यहीं हो, क्या देर हो गई? मैं मन ही मन हंसा…- ओह यह सोचकर आया होगा कि मैं चला गया हूँगा… मैं- बस जा ही रहा हूँ अंकल…
मैं बिना उनकी और देखे बाहर निकल गया… बुड्ढा बहुत बेशर्म था, मेरे निकलते ही घर में घुस गया… अब मुझे याद आया कि ‘ओह… आज तो मैंने वो वीडियो रिकॉर्डर भी ओन कर सलोनी के पर्स में नहीं रखा…’ अब आज के सारे किस्से के बारे में कैसे पता लगेगा… सोचते हुए कि अंकल ना जाने मेरी दोनों बुलबुलों के साथ ‘जो लगभग नंगी ही हैं…’ क्या कर रहा होगा…
मैं जैसे ही अरविन्द अंकल के घर के सामने से निकला, उनका दरवाजा खुला था… मुझे भाभी कि याद आ गई और मैं दरवाजे के अंदर घुस गया… मैंने दिमाग से सलोनी, मधु और अरविन्द अंकल को बिल्कुल निकाल दिया था… मुझे अब कोई चिंता नहीं थी सलोनी चाहे जिससे कैसा भी मजा ले और अब मैं अब केवल जीवन को रंगीन बनाने पर विश्वास करने लगा था… मुझे पूरा विश्वास था की सलोनी कितनी भी बिंदास हो मगर ऐसा कुछ नहीं करेगी जिससे बदनामी हो… वो बहुत समझदार है… जो भी करेगी बहुत सोच समझ कर…
मैं अरविन्द अंकल का घर का दरवाजा खुला देखकर उसमें घुस गया… पहले मुझे ऑफिस के अलावा कुछ नहीं दिखता था, चाहे कुछ हो जाये मैं समय पर ऑफिस पहुँच ही जाता था पर अब मेरा मन काम से पूरी तरह हट गया था… हर समय बस मस्ती का बहाना ढूंढ़ता था… मुझे याद है पिछले दिनों ऐसे ही एक बार सलोनी ने नलिनी भाभी (अरविन्द अंकल की बीवी) को कुछ सामान देने को कहा था…
एक बात याद दिला दूँ कि अरविन्द अंकल भले ही 60 साल के हों पर नलिनी भाभी उनकी दूसरी बीवी हैं… वो 36-38 साल जी भरपूर जवान और सेक्सी महिला हैं… उनका एक एक अंग गदराया और साँचे में ढला है…38-28-37 की उनकी काया उनको सेक्स की देवी जैसी खूबसूरत बना देता है… पहले वो साड़ी या सलवार सूट ही पहनती थी क्योंकि वो किसी गाँव परिवेश से ही आई थीं और उनका परिवार गरीब भी था मगर अब सलोनी के साथ रहकर वो मॉडर्न कपड़े पहनने लगी थीं और सेक्सी मेकअप भी करने लगीं थीं… कुल मिलाकर वो जबरदस्त थीं…
उनके साथ हुआ वो पिछला किस्सा मुझे हमेशा याद रहने वाला था… जब मैं सलोनी का दिया सामान देने उनके घर पहुचा तो दरवाजा ऐसे ही खुला था… अरविन्द अंकल की हमेशा से आदत थी कि जब वो आस पास कहीं जाते थे तब दरवाजा हल्का सा उरेक कर छोड़ देते थे… वैसे भी यहाँ कोई वाहर का तो आता नहीं था और इस बिल्डिंग पर हमारे आखिरी फ्लैट थे इसीलिए वो थोड़े लापरवाह थे…
उस दिन जैसे ही मैं नलिनी भाभी को आवाज लगाने वाला था तो मैंने देखा कि… नलिनी भाभी अंदर वाले कमरे में बालकनी वाला दरवाजा खोले, जिससे हलकी धूप कमरे में आ रही थी, केवल एक पेटकोट अपने सीने पर छातियों के ऊपर बांधे अपने बालों को तौलिये से झटक रहीं हैं… उनके बाल पूरे आगे उनके चेहरे को ढके थे… उनका पेटीकोट उनके विशाल चूतड़ों से बस कुछ ही नीचे होगा… जो उनके झुके होने से थोड़ा थोड़ा वो दृश्य दिखा रहा था, पर ऐसा दृश्य देखकर भी मेरे मन में कोई ज्यादा रोमांच नहीं आया… बल्कि डर लगा कि यार… ये मैंने क्या देख लिया… अगर भाभी या अंकल किसी ने भी मुझे ऐसे देख लिया तो क्या होगा…???
मैं वहां से जाने ही वाला था कि तभी… भाभी ने एक तौलिये को एक झटका दिया और उनका पेटीकोट शायद ढीला हो गया, मैंने साफ़ देखा कि भाभी कि दोनों चूचियाँ उछल कर बाहर निकल आई… उनका पेटीकोट ढीला होकर उनके पेट तक आ गया था… अब इस दृश्य ने मेरी जाने की इच्छा को विराम लगा दिया… उनके बार-बार तौलिया झटकने से उनके दोनों उरोज ऐसे उछल रहे थे कि बस दिल कर रहा था को जाकर उनको पकड़ लूँ…
भाभी चाहे कितनी भी सेक्सी थी पर अंकल की बीवी यानी आंटी होने के नाते मैंने कभी उनको इस नजर से नहीं देखा था… पर आज उनके नंगे अंग देख मेरी सरीफों वाली नजर भी बदल गई थी… शायद इसीलिए कहा जाता होगा कि आजकल लड़कियों के इतने खुले वस्त्रों के कारण ही इतने ज्यादा देह शोषण हो रहे हैं…
भाभी के उछलते मम्मे मेरे को अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे… मगर मेरा ईमान मुझे रोके था… मेरे इच्छा और भी देखने की होने लगी… मैं सोचने लगा कि काश उनके गद्देदार चूतड़ भी दिख जायें… और यहाँ भी भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि अंकल अभी वापस ना आएं… और शायद भगवान ने मेरी सुन ली…
भाभी तौलिये को वहीं स्टूल पर रख, एक कोने पर रखे ड्रेसिंग टेबल की ओर जाने लगीं और जाते हुए ही उन्होंने अपना पेटीकोट चूतड़ों से नीचे सरकाते हुए पूरा निकाल दिया… उनकी पीठ मेरी ओर थी… पीछे से पूरी नंगी नलिनी भाभी मुझे जानमारू लग रही थी… यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उनकी नंगी गोरी पीठ और विशाल गोल उठे हुए चूतड़… गजब का नज़ारा पेश कर रहे थे… उनके दोनों चूतड़ आपस में इस कदर चिपके थे कि जरा सा भी गैप नहीं दिख रहा था… फिर भाभी दर्पण के सामने खड़ी हो अपने बाल कंघे से सही करने लगी… मुझे दर्पण का जरा भी हिस्सा नहीं दिख रहा था… मैं दर्पण से ही उनके आगे का भाग या यूँ कहो कि उनकी चूत को देखना चाह रहा था… मगर मेरी किस्मत इतनी अच्छी नहीं थी… भाभी ने वहीं टेबल से उठा अपनी कच्छी पहन ली और फिर ब्रा भी… फिर वो घूम कर जैसे ही आगे बढ़ी… उनकी नजर मुझ पर पड़ी… भाभी ने ‘हाय राम !’ कहते हुए तौलिये को उठा कर खुद को आगे से ढक लिया। मैं ‘सॉरी’ बोल कर उनको सामान देकर वापस आ गया। उस दिन के इस वाकिये का कभी कोई जिक्र नहीं हुआ था… बस सलोनी ने ही एक बार कुछ कहा था जिसका मेरे से कोई मतलब नहीं था… हाँ तो आज फिर दरवाजा खुला देख मैं अंदर चला गया… आज मेरे पास कोई बहाना नहीं था, ना ही मैं उनको कुछ देने आया था मगर मेरी हिम्मत इतनी हो गई थी कि आज अगर भाभी वैसे मिली तो चाहे जो हो… आज तो पकड़ कर अपना लण्ड पीछे से उनके चूतड़ों में डाल ही दूंगा… यही सोचते हुए मैं अंदर घुसा… बाहर कोई नहीं था… इसका मतलब भाभी अंदर वाले कमरे में ही थी… और मैंने चुपके से अंदर वाले कमरे में झाँका… अह्हा… कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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