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सुधा उनका पूरा लौड़ा सरसराते हुए मेरी बुर में घुस गया। दर्द से मैं बेहाल हो गई..! मेरी आवाज़ मेरे मुँह में ही घुट कर रह गई, क्योंकि मेरे होंठ तो जीजाजी के होंठ में फंसे थे। होंठ चूसने के साथ वे मेरी चूचियों को प्यार से सहला रहे थे। फिर वे चूचियों को एक-एक करके चूसने लगे, जिससे मेरी बुर का दर्द कम होने लगा। प्यार से उनके गाल को चूमते हुए मैं बोली- तुमने अपनी साली के बुर का कबाड़ा कर दिया ना..! “क्या करता साली साहिबा अपनी बुर की झांट को साफ कर चुदवाने के लिए तैयार हुई जो बैठी थी..!” “जीजाजी आप को ग़लतफहमी हो गई, मेरे बुर पर बाल है ही नहीं !” “यह कैसे हो सकता है..! तुम्हारी दीदी के तो बहुत बाल है, मुझे ही उनको साफ करना पड़ता है..!” “हाँ..! ऐसा ही है लेकिन वह सब बाद में पहले जो कर रहे हो उसे करो..!” मेरे बुर का दर्द गायब हो चुका था और मैं चूतड़ हिला कर जीजाजी के मोटे लण्ड को एडजस्ट करने लगी थी, जो धीरे-धीरे अन्दर-बाहर हो रहा था। जीजाजी ने रफ़्तार बढ़ाते हुए पूछा- क्या करूँ?” मैं समझ गई जीजाजी कुछ गंदी बात सुनना चाह रहे हैं। मैं अपनी गांड को उछाल कर बोली- हाय रे साली-चोद..! इतना जालिम लौड़ा बुर की जड़ तक घुसा कर पूछ रहे हो कि क्या करूँ…! हाय रे कुंवारी बुर-चोद… अपने मोटे लौड़े से मथ कर मेरी मुनिया का सुधा-रस निकालना है, अब समझे… मेरे चुदक्कड़ राजा..!” मैंने उनके होंठ चूम लिया। अब तो जीजाजी तूफान मेल की तरह चुदाई करने लगे। बुर से पूरा लण्ड निकालते और पूरी गहराई तक पेल देते थे। मैं स्वर्ग की हवाओं में उड़ने लगी। “हाय राज्ज्ज्जा…! और ज़ोर…सेईई … बड़ा मज्ज़ज़ज्ज्ज्ज्जा आ रहा है..और जोर्ररर सेई…… ओह माआ! हाईईईईई मेरी बुररर झड़ने वाली है……मेरी बुर्र्र्र्ररर के चिथड़े उड़ा दोऊऊऊऊ… हाईईईईई मैं गइईईई..!” “रुक्कको मेरी चुदासी राआनी मैं भीईए आआआआअ रहा हूँ…!” जीजाजी ने दस-बारह धक्के लगा कर मेरी बुर को अपने गरम लावा से भर दिया। मेरी बुर उनके वीर्य के एक-एक कतरे को चूस कर तृप्त हो गई। मेरे चूचियों के बीच सर रख कर मेरे ऊपर थोड़ी देर पड़े रह कर अपने सांसों को संयत करने के बाद मेरे बगल में आकर लेट गए और मेरी वीर्य से सनी बुर पर हाथ फेरते हुए बोले- हाँ..! अब बताओ अपने बिना बाल वाली बुर का राज..! मैं इस राज को जल्दी बताने के मूड में नहीं थी, मैंने बात को टालते हुए कहा- अरे.. ! पहले सफाई तो करने दो, बुर चिपचिपा रही है इस साले लौड़े ने पूरा भीगा दिया है..! मैं उठ कर बाथरूम में चली गई और बाथरूम में मेरे पीछे-पीछे जीजाजी भी आ गए। मैंने पहले जीजाजी के लौड़े को धोकर साफ किया, फिर अपनी बुर को साफ करने लगी। जीजाजी गौर से देख रहे थे, शायद वे बुर पर बाल ना उगने का राज जानने के पहले यह यकीन कर लेना चाह रहे थे कि बाल उगे नहीं हैं कि इनको साफ किया गया है। उन्होंने कहा- लाओ मैं ठीक से साफ कर दूँ..! वे बुर को धोते हुए अपनी तसल्ली करने के बाद उसे चूमते हुए बोले- वाकयी तुम्हारी बुर का कोई जवाब नहीं है। और वे मेरी बुर को चूसने लगे। मैंने अपने पैरों को फैला दिया और उनका सर पकड़ कर बुर चुसवाने लगी, “ओह जीजाजी… क्य्आअ कार्रर्ररर रहीईई हैं… ओह …!” तभी कॉल-बेल बजी। मैं जीजा से अपने को छुड़ाते हुए बोली- बर्तन माँजने वाली चमेली होगी..! और उल्टे-सीधे कपड़े पहन कर नीचे दरवाजा खोलने के लिए भागी, दरवाजा खोला तो देखा चमेली ही थी, मैंने राहत की सांस ली। अन्दर आने के बाद चमेली मुझे ध्यान से देख कर बोली- क्या बात है दीदी..! कुछ घबराई कुछ शरमाई, या खुदा ये माजरा क्या है..! फिर बात बदल कर बोली- सुबह जीजाजी आए थे, कहाँ हैं..! मैं बोली- ऊपर सो रहे हैं, मैं भी सो गई थी..! “जीजाजी के साथ..!” हँसते हुए वो बोली “तू भी ही सोएगी क्या..!” मैंने पलट वार किया। लेकिन वह भी मंजी हुई खिलाड़ी थी, बोली- हाय दीदी ! इतना बड़ा भाग्य मेरा कहाँ..! उससे पार पाना मुश्किल था, बात बढ़ाने से कोई फ़ायदा भी नहीं था, क्योंकि वह मेरी हमराज़ थी, इसलिए मैं बोली- जा अपना काम कर, काम खत्म करके जीजाजी के लिए चाय बना देना, मैं देखती हूँ कि जीजाजी जागे कि नहीं। नीचे का मैं दरवाजा बंद करके ऊपर आ गई। चमेली की तरफ से मैं निश्चिन्त थी वो बचपन से ही इस घर में आ रही है और सब कुछ जानती और समझती है। उधर दीदी के कमरे में लुंगी पहन कर बैठे जीजाजी मेरा इंतजार कर रहे थे, जैसे ही मैं उनके पास गई मुझे दबोच लिया। मैं उनसे छूटने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली- चमेली बर्तन धो रही है, अब उसके जाने तक इंतजार करना पड़ेगा। जीजाजी बोले- अरे.! उसे समय लगेगा तब तक एक क्या.. दो बाजी भी हो सकती हैं। वे मेरे मम्मों को खोलकर एक कबूतर की चौंच को अपने मुँह में लेकर चूसने लगे और उनका एक हाथ मेरी बुर तक पहुँच गया। बाथरूम में जीजाजी बुर चूस कर पहले ही गरमा चुके थे, अब मैं भी अपने को ना रोक सकी और लूँगी को हटा कर लौड़े को हाथ मे ले लिया। मैं बोली- जीजाजी यह तो पहले से भी मोटा हो गया है…! “हाँ जब यह अपनी प्यारी बुर को प्यार करेगा तो फूलकर कुप्पा न हो जाएगा..!” “हाय..! मेरे चोदू सनम ! इस शैतान ने मेरी मुनिया को दीवाना बना दिया है… अब इसे उससे मिलवा दो…! मैंने उनके लौड़े को हाथ मारते हुए कहा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! जीजाजी ने मेरे वे कपड़े उतार दिए जिससे मैं अपनी नग्नता छुपाए हुए थी और मुझे पलंग पर लिटा कर मेरे पैरों को फैला दिया। अब मेरी मदमस्त रसीली यौवन-गुहा उनके सामने थी। उन्होंने उसे फिर अपनी जीभ से छेड़ा। कुछ देर तो उनकी दीवानगी का मज़ा लिया, लेकिन मैं परम-सुख के लिए बेचैन हो उठी और उन्हें अपने ऊपर खींच लिया और बोली- राजा अब उन दोनों को मिलने दो..! जीजाजी मेरे चूचुकों को मुँह से निकाल कर बोले- किसको..!” मैंने उनके लौड़े को बुर के मुँह पर लगाते हुए बोली- इनको… बुर और लण्ड को…! समझे मेरे चुदक्कड़ सनम…! मेरी बुर के चोदन-हार… अब चोदो भी…!” इस पर उन्होंने एक जबरदस्त शॉट लगाया और मेरी बुर को चीरता हुआ पूरा लण्ड अन्दर समा गया। “हाईईईईईईई मारररर डाला ओह मेरे चोदू सनम … मेरी मुनिया तो प्यार करना चाहती पर इस मोटू को दर्द पहुँचाने में ज़्यादा मज़ा आता है…! अब रुके क्यों हो? कुछ पाने के लिए कुछ तो सहना पड़ेगा…ओह..माआआ … अब कुछ ठीक लग रहा है…… हाँ अब ठीककक हाईईईईई…ईईईईई फाड़ डालो इस लालची बुर को…!” मैं चुदाई के उन्माद में नीचे से चूतड़ उठा-उठा कर उनके लण्ड को बुर में ले रही थी। और जीजाजी ऊपर से कस-कस कर शॉट पर शॉट लगाते हुए बोल रहे थे, “हाय चुदासी रानीईईई तुम्हारी बिना झांट वाली बुर ने तो मेरे लण्ड को पागल बना दिया है…! वह इस साली मुनिया का दीवाना हो गया है…! इसे चोद-चोद कर जब तक यहाँ हूँ जन्नत की सैर करूँगा… रानी बहुत मज़ा आ रहा है…!” मैं चुदाई के नशे में जीजाजी को कस-कस कर धक्के लगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही थी, “हाँ राजा…! चोद लो अपनी साली के बुर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर को.. और जोर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर सेए फर्रर्र्र्र्ररर दो इस सालीइीईईईई बुर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर को ओह राज्ज्जज्ज्जाआअ मैं जन्नत क्ईईईई सैर कर रही हूऊओन…चोदो राजा चोद्द्द्दद्डूऊ और ज़ोर सीईईई…हाईईईईई कस कस कर मारो …ओह बस मैं आने वालिइीईईई हुन्न्ञणणन् उई माआअ मैं गइईईई……!” मेरी बुर ने काम का सुधा-रस छोड़ दिया, पर जीजाजी धक्के पर धक्के लगाए जा रहे थे। वे झड़ने का नाम ही नहीं ले रहे थे। मैंने कहा- जीजाजी ज़रा जल्दी..! चमेली चाय ले कर आती होगी..! “मैं तो कब से चाय लेकर खड़ी हूँ.. चाय ठंडी हो गई और मैं गरम..!” यह चमेली की आवाज़ थी। मैं चुदाई के तूफान में इस कदर खो गई थी कि चमेली की तरफ ध्यान ही नहीं गया। मैं जीजाजी को अपने ऊपर से हटाते हुए बोली- तू कब आई..!” “जब आप अपने चोदू-सनम से चुदवा रही थीं और चुदक्कड़-रानी को जीजाजी चोद रहे थे..!” “अच्छा..! ठीक है..! यह सब छोड़ जब तू यहाँ आकर मर ही गई तो बुर खुजलाना छोड़.. और इधर आ जीजाजी को सम्भाल..!” मैं उठी और चमेली के सारे कपड़े उतार दिए और उसे जीजाजी के पास पलंग पर धकेल दिया। जीजाजी ने उसे दबोच लिया, उन्होंने अपना लण्ड उसके चूत में लगा कर धक्का दिया। उसके मुँह से एक कराह सी निकली। मोटा लण्ड जाने से उसे मीठा दर्द हो रहा था। मैं धीरे-धीरे उसके उरोजों को मसलने लगी, जिससे उसकी उत्तेजना बढ़ती जाए और दर्द कम हो। धीरे-धीरे जीजाजी ने अपना पूरा लण्ड चमेली की बुर में घुसा दिया। अब उसकी तरफ से पूरा सहयोग मिल रहा था। जीजाजी अब अपने लण्ड को चमेली की चूत में अन्दर-बाहर करने लगे और चमेली भी अपने कमर को उठा कर जीजाजी के लण्ड को अपने चूत में आराम से ले रही थी। दोनों एक-दूसरे से गुंथे हुए थे। चमेली बड़बड़ा रही थी, “दीदी..! जीजाजी मस्त चुदाई करते हैं… उई.. जीजाजी चोद दो… और ज़ोर से … और ज़ोर से… मुझे भी आने देना आज बहुत दिनों की प्यसस्स्स्स्सस्स बुझीईईईई गीईईई अब आ जाओ दीदी के चोदू-सनम …ओह माआअ मैं गइईई…!” जीजाजी के अन्दर उबाल पहले से ही उठ रहा था, जो बाहर आने को बेचैन था। थोड़ी देर मे दोनों साथ-साथ खलास हो गए। थोड़ी देर चमेली के शरीर पर पड़े रहने के बाद जब जीजाजी उठे। तो मैं चमेली से बोली- गर्मी शांत हो गई..! जा अब चुदक्कड़ जीजाजी के लिए फिर से स्पेशल चाय बना कर ला.. क्योंकि जीजाजी ने तेरी स्पेशल चुदाई की है न..! “दीदी आप भी न …!” वह अपने कपड़े उठाने लगी, तो मैंने च्यूँटी ली और बोली- जा ऐसे ही जा..! “नहीं दीदी कपड़े दे दो, चाय लेकर जीजाजी के सामने नंगी आने में शरम लगेगी।” मैं बोली- जा भाग..कर चाय लेकर आ, नंगी होकर चुदवाने में शरम नहीं आई..! अच्छा चल जा.. हम लोग भी यहाँ नंगे ही रहेंगे..! शैतान चमेली यह कहते हुए नंगी ही भाग गई, “ये कहो कि नंगे रह कर चुदाई करते रहेंगे..!” चमेली नीचे चाय बनाने चली गई जीजाजी मुझे चिढ़ाते हुए बोले- मालकिन की तरह नौकरानी भी जबरदस्त है..! मैं बोली- जीजाजी उसे ज़्यादा भाव ना दीजिएगा नहीं तो वह जौंक की तरह चिपक जाएगी.. पर जीजाजी वह है बड़ी भली, बस चुदाई के मामले में ही थोड़ी लंगोटी से कमजोर है। “आने दो देखता हूँ.. कमजोर है या खिलाड़ी है..!” प्रिय पाठकों आपकी मदमस्त सुधा की रसभरी कहानी जारी है। आपके ईमेल की प्रतीक्षा में आपकी सुधा बैठी है। [email protected]
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