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जूही परमार अब मेरी चूत अब्दुल के होंठों पर आराम कर रही थी और अब्दुल की जीभ मेरी चूत से साथ अठखेलियाँ कर रही थी। तभी मैंने देखा कि पीटर सविता को गोद में उठा कर ला रहा है, मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई। पीटर ने सविता को टेबल पर बिठा दिया और अपना लैपटॉप बैग में डालकर नीचे रख दिया। पीटर ने सविता के साड़ी के अन्दर हाथ डाला और सविता की काली पैंटी खींच कर बाहर निकाल दी। थोड़ी ही देर में उसने सविता की साड़ी भी निकाल दी और अब सविता केवल पेटीकोट और ब्लाउज़ में थी। पीटर ने पेटीकोट का भी नाड़ा खोल की उसको निकाल दिया और उसकी चूत में उँगलियाँ डाल की सहलाने लगा। सविता को भी मज़ा आने लगा। उधर मैं भी फ़िर से चुदाई के लिए तैयार थी। पीटर सविता की चूत को अपने होंठों से चूसने लगा, वहीं मैं भी अब अब्दुल के लंड की सवारी करने के लिए उसके लंड पर उल्टा होकर सविता की तरफ मुँह करके उसके मूसल छाप लंड पर बैठ गई। जहाँ सविता अपनी आखें बंद करके पीटर के साथ मज़े कर रही थी, वहीं मैं भी अब्दुल के लंड पर अपने चूतड़ों को उठा-उठा कर और अन्दर घुसवा रही थी, साथ ही साथ अब्दुल कभी तो बड़े प्यार से मेरे चूतड़ सहलाने लगता तो कभी दबाने लगता, तो कभी ज़ोर से मेरी पिछाड़ी में चांटे मारने लगता। चांटे जैसे ही मेरी गांड में पड़ते, बड़ी ज़ोर की ‘चट’ की आवाज़ आती और मैं फिर से ज़ोर से अब्दुल के लंड पर उछलने लगती। उधर पीटर का भी मन सविता की चूत चूसने से भर गया था, इसलिए उसने फटाफट सविता का भी ब्लाउज खोला और फटाक से उसकी ब्रा का हुक निकाल दिया और ब्रा बगल में रख दी और सविता के मम्मों को किसी छोटे बच्ची की तरह चूसने लगा। कभी दाँयें मम्मे को चूसता तो कभी बाएं मम्मे को..। पर एक हाथ से जहाँ पीटर एक मम्मे को चूसता, वहीं दूसरे हाथ से दूसरे मम्मे को दबाता भी जा रहा था। सविता भी “ऊऊऊह्ह्ह्ह..आअह्ह्ह्ह.. ह्ह्ह्ह्हह उउउउउउह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह” के साथ मम्मों के मज़े ले रही थी। पीटर का मन जब सविता के मम्मों चूस कर भर गया, तो पीटर से फट से अपना लंड अपनी पैंट से बाहर निकाला जो कि पहले से भूखे-नंगे शेर की तरह दहाड़ें मार रहा था। उसका लौड़ा तो जैसे मानो कब से बैठा था कि चूत फ़ाड़ूंगा और अब वो क्षण भी आ ही गया था, जब उसे फिर से सविता की ठुकाई करने का मौका मिला था। पीटर सविता को दबा कर पैरों के पास लेकर आया और औंधा करके अब्दुल के पैरों के पास सविता को औंधा करके उसकी गांड ऊपर और चूत नीचे करके लिटा दिया। अब मुझे ज़रा सा भी शक नहीं था कि पीटर को सविता की चूत से लाख गुना ज्यादा उसकी गांड पसंद है। इसलिए वो हर बार सविता के चुदाई का उद्घाटन उसकी गांड मार करके ही करता है। पीटर ने लपक की अपना लंड सविता की गांड के पास टिकाया। उसके अपने दोनों हाथों से सविता की गांड के छेद को पकड़ा और उसमें थूक गिरा दिया और फिर अपना लंड उसकी गांड के पास सटा दिया। पीटर ने एक ही झटके में अपना आधा लंड सविता की गांड में घुसा दिया। उधर मैं भी पीटर और सविता की चुदाई देख की खुश हो रही थी और उछल-उछल की अब्दुल का लंड अन्दर ले रही थी। अब पीटर के होंठ मेरे होंठों के पास थे। इसलिए पीटर सविता की गांड की चुदाई के साथ-साथ मेरे होंठों की भी चुसाई भी करने लगा और मैं भी पीटर का साथ देने लगी। मैं उससे अच्छे से चुंबन करने लगी। पीटर जहाँ कभी धीरे तो कभी ज़ोर से सविता की गांड में लंड घुसा रहा था, वहीं मैं भी कभी धीरे तो कभी ज़ोर से अब्दुल के लौड़े पर अपनी गांड उछल-उछल की चुदवा रही थी। थोड़ी देर बाद पीटर ने सविता को सीधा किया और उसकी चूत में अपना लंड टिका दिया, पर कुछ ही देर बाद जहाँ वो अपने लंड से सविता की चूत चोद रहा था और हाथों से उसके मम्मे मसल रहा था, वहीं होंठों से मेरे होंठ की भी चुदाई कर रहा था। थोड़ी देर बाद जब पीटर का सविता से मन भर गया तो फिर पीटर मेरी तरफ पलटा। उसके सविता को बिठा की अब्दुल के पैरों के पास कर दिया और सविता की जगह मुझे लेटा दिया। पीटर ने मुझे लिटाते ही अपनी तीन उँगलियाँ मेरी चूत में डाल दीं और चूत के अन्दर घुमाने लगा। वहीं अब्दुल ने भी देरी न करते हुए सविता को नीचे लेटा दिया और खुद सविता के ऊपर लेट गया और सविता को चूमने लगा। सविता अब नि:संकोच अब्दुल का पूरा साथ दे रही थी। सविता ने अब्दुल की पीठ को कस कर पकड़ लिया और अब्दुल को चूमने लगी। वहीं पीटर अभी भी मेरी चूत में उँगलियों से अठखेलियां कर रहा था। थोड़ी ही देर बाद पीटर मेरे ऊपर 69 की पोजीशन में लेट गया और मेरी चूत चाटने लगा। मैंने इस बार पीटर के लंड या गोटों को चाटने के बजाय पीटर के लंड और गोटों के नीचे का हिस्सा जो कि लंड और गांड के बीच का होता है, उसे चाटने लगी और अपने हाथों से पीटर के लंड को पकड़ कर ऊपर करके रोके रखा था। थोड़ी देर बाद मैंने पीटर की गोटों को अपने जीभ से अच्छे से मसाज किया और फिर जम के चूसा। अब बारी पीटर के लंड की थी। मैं पीटर के लंड को अपने हाथों से पकड़ कर चूसने लगी और हिलाने लगी और धीरे-धीरे ज़ोर से हिलाने लगी। मैं पीटर का वीर्य अपने होठों पर गिरना चाहती थी, ताकि उसका लंड थोड़ी देर के लिए शान्त हो सके और मैं उसे अच्छे से चूस सकूँ। थोड़ी देर बाद पीटर का वीर्य मेरे चेहरे और आखों पर गिर गया। मैंने पीटर के वीर्य को पीटर के ही लंड से मल लिया और फिर आराम से पीटर के लंड को चूसने लगी। वहीं पीटर भी मेरी चूत को अपने होंठों से तार-तार कर रहा था। आगे की कहानी अगले भाग में। आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे [email protected] पर मेल करके जरूर बताइयेगा। प्लीज इस कहानी के नीचे अपने कमेंट जरूर लिखियेगा, धन्यवाद। आपकी प्यारी चुदक्कड़ जूही परमार
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