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मेरा नाम मोहित है। मैं राजस्थान का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 26 साल है और अब मैं एक प्राइवेट कंपनी में मैनेजर के पद पर दिल्ली में काम करता हूँ।
अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली और वास्तविक कहानी है।
बात उन दिनों की है जब मैंने एमबीए में प्रवेश लिया था। मैं बड़ा ही खुश था, क्योंकि मुझे नए दोस्त बनाने का शौक है।
मेरे बैच में वैसे तो काफ़ी लड़कियाँ थीं, पर उनमें वो बात नहीं थी, जो मैं एक लड़की में देखता हूँ। पहला साल तो ऐसे ही एक-दूसरे को जानने में निकल गया पर ऐसी कोई लड़की नहीं मिली जो पहली नज़र में दिल में उतर जाए।
यह सोचकर में कभी-कभी दु:खी हो जाता था, पर जल्द ही भगवान ने मेरी सुन ली।
एक साल निकलने के बाद हमारे जूनियर्स के प्रवेश प्रारंभ हुए, मैं बड़ा ही खुश था क्योंकि उन सब में कई लड़कियाँ भी थीं।
एक जुलाई से जूनियर्स का सत्र शुरू हुआ। हम सभी का परिचय जूनियर्स से हो रहा था कि तभी मेरी नज़र एक जूनियर लड़की पर पड़ी जो कि काफ़ी देर से मुझे ही देखे जा रही थी।
दोस्तों उसका नाम प्रिया था, क्या फिगर था उसका..! 36 की चूचियाँ, 30 की कमर और 32 की पिछाड़ी.. बिल्कुल आयशा टकिया की बहन लग रही थी…!
बस फिर क्या था, उसी दिन मैंने सोच लिया कि अपने लण्ड की प्यास इसके साथ ही बुझाऊँगा और उस दिन से प्रिया से मिलने और बात करने के बहाने ढूँढ़ने लगा, पर कुछ खास कर नहीं पा रहा था।
फिर 30 जुलाई की रात 12 बजे जो कि एक अगस्त का ‘फ्रेंडशिप-डे’ का दिन था, मेरे मोबाइल पर मैसेज आया।
उसमें लिखा था- ‘हैप्पी फ्रेंड-शिप डे’। मैंने उस नम्बर पर कॉल किया तो एक लड़की की आवाज़ आई।
मेरे पूछने पर उसने बताया कि वो प्रिया है और मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अब मैं समझ चुका था कि आग दोनों तरफ लगी हुई है।
बस उस दिन से हमारी बातों का सिलसिला शुरू हुआ। उस रात मैंने उसकी चूचियों के बारे में सोचकर 3 बार मुठ्ठ मारी।
अब मैं प्रिया को चोदने के मौके ढूँढ़ने लगा।
एक दिन मैंने प्रिया के साथ मूवी जाने का प्लान बनाया, मैंने प्रिया को अपनी बाईक पर बिठाया और मॉल की तरफ़ चल दिया उस दिन प्रिया ने ब्लू कलर की जींस और सफेद रंग का टॉप पहना था जिसमें उसकी चूचियाँ और भी बड़ी और मस्त लग रही थी।
रास्ते भर में अपनी बाईक के अगले ब्रेक ज़्यादा लगा रह था, जिससे प्रिया की चूचियाँ बार-बार मेरी पीठ से टकरा रही थीं।
पंद्रह मिनट बाद हम मॉल पहुँच गए, वहाँ मैंने कॉर्नर की 2 सीट की टिकट लीं और मूवी देखने अन्दर चले गए।
मूवी हॉलीवुड की थी जो गरमागरम दृश्यों से भरपूर थी, जिसमें हीरो हिरोईन के साथ अधनंगी हालत में सम्भोग करता है।
प्रिया ये सब बड़े ध्यान से देख रही थी, तभी मैंने सोचा लोहा गर्म है, हथौड़ा मार ही देना चाहिए।
मूवी के ख़त्म होते ही मैंने प्रिया से कहा- चलो, मैं तुम्हें अपना रूम दिखाता हूँ !
प्रिया ने भी ‘हाँ’ में अपना सिर हिलाया।
मेरा कमरा पास ही था।
फिर हम दोनों मेरे रूम की तरफ निकल लिए।
थोड़ी ही देर में हम रूम पर थे, मैंने प्रिया को बिठाया और खुद भी उसकी बगल में बैठ गया और इधर-उधर की बातें करने लगे।
प्रिया ने मुझसे कहा- सर आपका रूम तो काफ़ी सुन्दर है, वैसे लड़कों का रूम बड़ा ही गंदा रहता है।
तो मैंने कहा- मुझे साफ़ रहना पसंद है।
तो प्रिया ने कहा- आपको और क्या पसंद है सर..!
तो मैंने कहा- मुझे तुम पसंद हो।
प्रिया ने शर्म से अपना सिर नीचे कर लिया।
मैंने उसका चेहरा ऊपर किया और उसके गुलाबी होंठों को चूमना शुरू कर दिया।
पहले तो उसने मुझसे छूटने की नाकाम कोशिश की, फिर वो भी मेरा साथ देने लगी।
फिर क्या था, जल्द ही मेरे हाथ उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों को मसलने लगे।
अब प्रिया के मुँह से सिसकारियाँ निकलना चालू हो गई थीं।
समय को ना गवांते हुए जल्द ही मैंने प्रिया का टॉप और जींस को उसके शरीर से अलग कर दिया।
अब वो सिर्फ़ सफेद ब्रा और पैन्टी में थी और किसी परी से कम नहीं लग रही थी।
करीब पन्द्रह मिनट तक उसके होंठों को चूसने और उसकी चूचियों को मसलने के बाद मैंने उसकी ब्रा और पैन्टी को भी उतार दिया।
अब वो बिल्कुल नंगी मेरे बिस्तर पर पड़ी थी।
मुझसे अब रुका नहीं जा रहा था और मेरा लन्ड जो 6 इंच का है मेरी पैन्ट को फाड़ कर बाहर आने को बेताब था।
उसे मैंने अपनी पैन्ट उतार कर बाहर निकाला और प्रिया के हाथ में पकड़ा दिया। प्रिया के हाथ मेरे लण्ड को पकड़ कर काँप रहे थे, शायद उसने पहली बार किसी लण्ड को पकड़ा था।
मैंने प्रिया की टाँगों को चौड़ा किया और उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया। अब प्रिया की सिसकारियाँ और भी तेज हो चुकी थीं।
दस मिनट उसकी चूत को चूसने के बाद मैंने प्रिया से अपना लण्ड चूसने को कहा।
पहले तो उसने पहले मना किया, पर बाद में वो मान गई और गन्ने की तरह मेरे लण्ड को चूसने लगी।
अब मैं आनन्द की चरम सीमा को छूना चाहता था। मैंने अपना लण्ड उसके मुँह से निकाला और उसकी चूत पर रख दिया।
प्रिया ने कहा- सर प्लीज़ ऐसा मत करो कुछ हो जाएगा तो..!
मैंने उससे कहा- तुम चिंता मत करो कुछ नहीं होगा.. मेरे पास कंडोम है।
तो प्रिया ने कहा- मैंने पहले कभी नहीं किया और बहुत दर्द होगा मुझे।
तब मैंने उसे समझाया कि मैं आराम से डालूँगा.. तो प्रिया मान गई।
मैंने अपने बैग से कंडोम निकाला और उसे अपने लण्ड पर चढ़ा लिया और एक ज़ोर का धक्का प्रिया की चूत में मारा।
मेरा आधा लण्ड प्रिया की चूत को फाड़ता हुआ अन्दर जा चुका था।
तभी प्रिया के मुँह से एक ज़ोर की चीख निकली- उउउईई माँ… मर गई…!
और मुझसे कहने लगी- सर, प्लीज़ इसे बाहर निकालो, मैं मर जाऊँगी..!
मैं कहाँ मानने वाला था, एक और धक्का मैंने मारा और अब मेरा पूरा लण्ड प्रिया की चूत में जा चुका था और मैंने अपने धक्कों की रफ़्तार को जारी रखा।
थोड़ी देर तक प्रिया मुझसे छूटने की कोशिश करती रही, पर जब उसका दर्द कम हुआ तो वो भी अपनी कमर उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी और मेरे लण्ड के मज़े लेने लगी।
करीब 20 मिनट तक हमारा चुदाई का प्रोग्राम चला और 20 मिनट बाद मैं झड़ गया। इस बीच प्रिया भी दो बार झड़ चुकी थी।
उस दिन प्रिया को मैंने चार बार चोदा।
शाम को 6 बजे मैं प्रिया को अपनी बाईक पर बिठा कर उसके घर की गली तक छोड़ कर आया।
मैंने देखा कि वो सही से चल भी नहीं पा रही थी, यह देख कर थोड़ा मन में डर भी था कि कहीं उसके घरवालों को पता न चल जाए।
जब मैंने रात को फ़ोन पर बात की तो उसने कहा- अब सब ठीक है।
तब मेरी जान में जान आई। उस दिन के बाद हम हफ्ते में 3-4 दिन चुदाई किया करते थे।
यह सिलसिला मेरे एमबीए पूरा करने तक चला।
उसके बाद मैं नौकरी की वजह से दिल्ली आ गया।
अब जब भी मैं प्रिया से मिलता हूँ तो हम उसकी सहेली के रूम पर चुदाई करते हैं। दोस्तो, मेरी यह कहानी आपको कैसी लगी मुझे ज़रूर बतायें।
jassi_sngh @ yahoo . com maleescort236 @ gmail . com अगली कहानी में मैं आपको बताऊँगा कि कैसे मैंने अपनी दिल्ली वाली मकान-मालकिन भाभी की प्यास को बुझाया।
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