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इमरान मधु ने अपना बिस्तर बाहर के कमरे में ही लगाया था.. मैं यही सोच रहा था कि रात को एक बार कोशिश तो जरूर करूँगा… यह अच्छा ही था कि सलोनी बैडरूम में रहेगी और मैं आसानी से मधु की बन्द चूत खोल पाऊँगा। मगर फिर एक डर भी सता रहा था कि अगर वो ज़ोर से चिल्ला दी तो क्या होगा ! बहुत से विचार मेरे दिल में आ जा रहे थे… मैं बहुत सारी बातें सोच रहा था… कि मधु को ऐसे करके चोदूंगा, वैसे चोदूंगा.. यहाँ तक कि मैंने दो तीन चिकनी क्रीम भी ढूंढ कर पास रख ली थीं… मेरे शैतानी लण्ड ने आज एक क़त्ल का पूरा इंतजाम कर लिया था और वो हर हाल में इस काण्ड को करने के लिए तैयार था… फिर काम निपटाकर सलोनी अंदर आई और उसने मेरे पुराने सभी विचारों पर बिंदु लगा दिया.. अहा… सलोनी ने यह क्या कर दिया… पता नहीं मेरे फायदे के लिए किया… या सब कुछ रोकने के लिए… मगर मुझे बहुत बुरा लगा… दरअसल हमारे घर में ऐ सी केवल बैडरूम में ही लगा है… बाहर के कमरे में केवल छत का पंखा है जो सोफे वाली तरफ है, जहाँ मधु ने बिस्तर लगाया था वहाँ हवा बिल्कुल नहीं पहुँचती। सलोनी ने वहाँ आते ही उसको कहा- अरे मधु, यहाँ तू कैसे सोयेगी? रात को गर्मी में मर जाएगी… चल अंदर ही सो जाना… लगता है जैसे मधु मेरे से उल्टा सोच रही थी… जहाँ मैं उसको अलग आराम से चोदना चाह रहा था.. वहीं वो शायद मेरे पास लेटने की सोच रही थी.. क्योंकि वो एकदम से तैयार हो गई, उसने फटाफट अपना बिस्तर उठाया और बैडरूम में आ देखने लगी कि किस तरफ लगाना है.. मैं कुछ कहना ही चाह रहा था मगर तभी सलोनी ने एक और बम छोड़ दिया- यह कहाँ ले आई बेवकूफ, इसको बाहर ही रख दे.. यहीं बेड पर ही सो जाना… अब मुझसे नहीं रुक गया, मैं बोला- अरे जान यहाँ..कैसे… सलोनी- अरे सो जाएगी एक तरफ को जानू… वहाँ गर्मी में तो मर जायेगी सुबह तक… मैं चुप करके अब इस स्थिति के बारे में विचार करने लगता हूँ… पता नहीं यह अच्छा हुआ या गलत… पर जब मधु सलोनी के पास ही सोयेगी तब तो मैं हाथ भी नहीं लगा पाऊँगा… मेरा दिल कहीं न कहीं डूबने लगा था और सलोनी को बुरा-भला भी कह रहा था। हम तीनों बिस्तर पर आ गए, एक ओर मैं था, बीच में सलोनी एवं दूसरी तरफ मधु लेट गई… ऐ सी मधु वाली साइड में लगा था… मैंने कमर में एक पतला कपड़ा बाँध लिया था और पूरा नंगा था… वैसे मैं नंगा ही सोता था पर आज मधु के कारण मैंने वो कपड़ा बाँध लिया था। सलोनी अपनी उसी शार्ट नाइटी में थी जो उसके पैर मोड़ने से उसके कमर से भी ऊपर चली गई थी.. उसके मस्त नंगे चूतड़ मेरे से चिपके थे… उधर मधु केवल एक समीज में लेटी थी.. हाँ उसमे अभी भी शर्म थी.. या वाकयी ठण्ड के कारण वहाँ रखी पतली चादर ओढ़ ली थी… उसका केवल सीने तक का ही बदन मुझे दिख रहा था.. करीब आधे घंटे तक मैं सोचता रहा कि यार क्या करूँ… एक तो सलोनी के मस्त नंगे चूतड़ मेरे लण्ड को आमंत्रण दे रहे थे.. मगर उसे तो आज नई डिश दिख रही थी… मेरा कपड़ा खुल कर एक ओर हो गया था और अब नंगा लण्ड छत की ओर तना खड़ा था, मेरे बस करवट लेते ही वो सलोनी के नंगे चूतड़ से चिपक जाता … मगर ना जाने क्यों मैं सीधा लेटा मधु के बारे में सोच रहा था कि क्या रिस्क लूँ, उस तरफ जा मधु को दबोच लूँ.. मगर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी… फिर मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया.. मैंने सलोनी की ओर करवट ले ली और सलोनी से पीछे से चिपक गया.. मेरे लण्ड ने सलोनी के चूतड़ के बीचों बीच अपनी जगह बना ली…. सलोनी ने भी थोड़ा सा खिसक कर अपने चूतड़ों को हिलाकर लण्ड को सही जगह सेट कर लिया। अब मैंने अपना हाथ बढ़ा कर सीधे मधु की चादर में डाल दिया… मुझे पता था कि सलोनी आँखे खोले मेरे हाथ को ही देख रही है… मगर मैंने सब कुछ जान कर भी अपने हाथ को मधु की चादर में डाल दिया और हाथ मधु के नंगे पेट पर रखा… मधु की समीज उसके पेट से भी ऊपर चली गई थी.. मैं सलोनी की परवाह ना करते हुए अपना हाथ सीधे पेट से सरकाते हुए मधु की मासूम फ़ुद्दी तक ले गया जहाँ अभी बालों ने भी पूरी तरह निकलना शुरू नहीं किया था… उसका यह प्रदेश किसी मखमल से भी ज्यादा कोमल था …. मेरी उँगलियों ने उसकी फ़ुद्दी को सहलाते हुए जल्दी ही उसके बेमिसाल छेद को टटोल लिया… यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं ! मधु कसमसाई, उसने आँखे खोली और सर घुमाकर सलोनी की ओर देखा… सलोनी की भी आँखें खुलीं थी… बस मधु बिदक गई और उसने तुरंत मेरा हाथ झटक दिया… मधु- क्या करते हो भैया… सोने दो ना… मैं पहले तो घबरा गया मगर फिर मेरे दिमाग ने काम किया, मैं बोला- अरे, मैं देख रहा हूँ कि तूने कहीं सूसू तो नहीं कर दिया… गद्दा खराब हो जायेगा… सलोनी- हा हा.. और एक दम ऐसी के सामने लेटी है.. जरा संभलकर… मधु- क्या भाभी आप भी… मैं नहीं बोल रही आपसे.. तभी सलोनी ने वो कर दिया जिसकी मुझे सपने में भी उम्मीद नहीं थी… मधु की मक्खन जैसी फ़ुद्दी के छूने से मेरे लण्ड में जबरदस्त तनाव आ गया था जिसको सलोनी ने भी महसूस कर लिया था… मेरी समझ से बिल्कुल परे था कि एक बीवी होकर भी वो अपने पति के सेक्सी रोमांस का मजा ले रही है… ना केवल मजे ले रही है बल्कि मेरे इस काम में सहयोग भी कर रही है… अब ना जाने उसके मन में क्या था… इन सब बातों को सोचने के बारे में मेरे दिल और दिमाग दोनों ने ही मना कर दिया था… मधु की नाजुक जवानी को चखने के लिए उसमें इतना तनाव आ गया था कि दिल और दिमाग दोनों ही सो गए थे, उनको तो बस अब एक ही मंजिल दिख रही थी… चाहे उस तक कैसे भी जाया जाये… मधु- ओह भाभी… भैया भी.. पापा की तरह परेशान कर रहे हैं… सलोनी ने मधु का हाथ पकड़ कर खींच कर सीधे मेरे तने हुए लण्ड पर रख दिया और बोली- तू भी तो पागल है.. बदला क्यों नहीं लेती… तू भी देख ..कि कहीं तेरे भैया ने तो सूसू नहीं की.. हे हे हे हे… सलोनी के इस करतब से मैं भौंचक्का रह गया.. और शायद मधु भी… हाथ के खिंचने से वो सलोनी के ऊपर को आ गई थी.. सलोनी ने ना केवल मधु का हाथ मेरे लण्ड पर रखा बल्कि उसको वहाँ पकड़े भी रही कि कहीं मधु जल्दी से हटा न ले… कहानी जारी रहेगी। [email protected]
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