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जूही परमार ओफ़्फ़…ओह… बातों बातों में बताना तो भूल ही गई कि नाश्ते में क्या था? ‘पोहा और जलेबी !’ हम दोनों ने नाश्ता किया और फिर मैं कपड़े लेकर बाथरूम चली गई नहाने ! पर जल्दी जल्दी में मेरी ब्रा कमरे में ही कहीं गिर गई और मुझे ध्यान नहीं रहा। मुझे ध्यान तब आया जब अपने कपड़े देख रही थी पहनने के लिए। मैंने बाथरूम के दरवाजे से अपना सर बाहर निकाल कर पीटर से अपनी ब्रा मांगी तो वह इधर उधर ढूंढने लगा, मुझे उसने ब्रा थमा दी मैंने देखा कि तौलिये में उसका लण्ड तना हुआ था और वो किसी आड़े एंटीना की तरह दिखाई पद रहा था पर मैंने अनदेखा करने की कोशिश की और दरवाज़ा बन्द करके फ़िर से नहाने लगी और पीटर के लण्ड के बारे में सोच सोच कर अपनी चूत और गाण्ड मसलने लगी क्यूँकि मैं उसके लण्ड का स्वाद तो पहली ही चक चुकी थी पर दिल अभी भरा नहीं था। तभी मुझे बाथरूम के बाहर खटखटाने की आवाज़ आई, मैंने थोड़ा सा दरवाज़ा खोला, बाहर पीटर खड़ा था तौलिये में, मेरे साथ नहाने की रिक्वेस्ट कर रहा था। उसने बोला तो मैं अपने मन को रोक नहीं पाई और दरवाज़ा थोड़ा सा खोल कर अंदर चली गई। पलक झपकते ही पीटर बाथरूम में आ गया, बाथरूम का दरवाज़ा बंद कर दिया और तौलिया ऊपर लटका दिया। अब हम दोनों बाथरूम में पूरे नंगे थे और यह पहली बार था कि पीटर की चुदाई के बाद जब हम दोनों नंगे बाथरूम में थे और उसका मोटा तगड़ा लण्ड मुझे किसी नुकीले पिन के भांति जग जगह डंक मार रहा था। पीटर ने मुझे बाहों में जकड़ लिया और मेरी पीठ हाथ से सहलाने लगा। ऊपर से शावर का ठंडा ठंडा पानी हम दोनों पर गिर रहा था और बड़ा ठंडा ठंडा लग रहा था। पर मुझे तो ठंडा-गरम दोनों महसूस हो रहा था। ठन्डे का कारण तो पानी था पर गर्मी की वजह पीटर का लण्ड था। मुझे उसी बीच मूत की तलब लगी तो पीटर को बाथरूम से बाहर जाने को कहा मैंने ! लेकिन उसने बाहर जाने से साफ़ इन्कार कर दिया और मैं वेस्टर्न टॉयलेट में जाकर बैठ कर अपने गरम गरम मूत्र की धाराएँ निकालने लगी। उधर से पीटर अपना तना हुआ लण्ड लेकर मेरे होटों के पास आ गया और लण्ड से मेरे होठों को चूमने लगा। मैं भी भला इतने मोटे तगड़े लण्ड को कैसे मना करती, मैं भी फट से लण्ड को अपने हाथ से पकड़ा और अपने मुँह में ले लिया और घुमा घुमा कर उसके लण्ड को चूसने लगी। कुछ ही देर में मेरा पेशाब तो खत्म हो गया पर अभी उठ नहीं सकती थी क्यूंकि अभी मुझे थोड़ी देर पीटर का लण्ड जो चूसना था। मैंने चूसना जारी रखा और करीब 5 मिनट तक जब तक पीटर का वीर्य मेरे होठों के पास नहीं गिरा, मैंने उसके लण्ड को नहीं छोड़ा। जैसे ही उसका वीर्य स्खलन हुआ, मैं पीटर के लण्ड को अपनी होटों और हाथों से आजाद कर दिया। पर अभी हम दोनों कहाँ मानने वाले थे। चुदाई का चस्का एक बार जिसे लग जाये वो फिर भला इतनी आसानी से कैसे छूट सकता है। अब मैं खड़ी हो गई और फिर हम दोनों एक दूसरे के चूमने लगे। बड़ी देर तक हम दोनों ने एक दूसरे को चूमा आमने सामने ! फिर पीटर ने मुझे घुमा दिया और मेरी गाण्ड पीटर ने अपने लण्ड के पास सटा दी और मेरी गरदन घुमा कर मुझे चूमने लगा और मेरी चूत पर अपनी उँगलियाँ फेरने लगा। धीरे धीरे उसने मेरी चूत के तेजी से उँगलियाँ फेरना शुरू कर दिया और साथ ही साथ हमारी चूमाचाटी अभी भी जारी थी। मैं एक बार फिर से पीटर के चॉकलेटी लण्ड चूसने को पूरी तरह से तैयार थी। मैं फिर से नीचे झुकी और पीटर का लण्ड पकड़ कर चूसने लगी। थोड़ी देर तक मैं पीटर का लण्ड चूसा फिर उसके लण्ड को अपने हाथ से ऊपर उठाकर उसके बड़े से सुपारे को अपने होंठों से चूमने लगी और कुछ ही देर में उसका रस चूसने लगी। थोड़ी देर में पीटर ने मुझे बाथटब के किनारे पर टिका कर बैठा दिया। पीटर ने अपनी एक टांग मेरे सर के ऊपर से ले जाकर बाथटब के उस छोर पर रखी और दूसरी मेरे पैरों के पास और मेरे मुंह में लण्ड घुसा कर मेरे मुंह की चुदाई करने लगा। पीटर बहुत तेजी से अपना लण्ड मेरे मुंह के भीतर अंदर तक भरने के कोशिश कर रहा था पर मेरे मुंह में उसका पूरा लण्ड नहीं जा पा रहा था, उसका लण्ड बहुत बड़ा था और मेरे मुंह की गहराई उतनी नहीं थी कि उसमें पीटर का पूरा लण्ड समा जाये। पर पीटर ने हार नहीं मानी और अपना लण्ड घुसेड़ने की कोशिश में लगा रहा। मुझे तो ऐसा लग रहा था कि पता नहीं कब इस स्टफ्फिंग से उलटी न हो जाये ! मेरे आँखों से आँसू गिरने लगे और मैं बीच बीच में खांसने भी लगी थी। कुछ ही देर बाद पीटर में मेरे मुंह के अपने लण्ड के चंगुल से आजाद किया और नीचे लेट गया, अब मेरी चूत की जो बारी थी। मैं पीटर के लण्ड पर जाकर बैठ गई और अपने हाथ पीछे पीटर की छाती पर रख दिए। मैंने पीटर के लण्ड को अपनी चूत में घुसाया और उसकी छाती का सहारा लेकर लण्ड पर उछल उछल कर कूदने लगी। जब मैं कूद कूद कर थक गई तो पीटर ने मुझे अपने बगल में लेटा दिया और घुमा दिया। मेरी एक टांग ऊपर के और मेरे चूत के पास अपने लण्ड सटा दिया। फिर उसने अपने एक हाथ को मेरी टांग के ऊपर रखा, दूसरे हाथ को मेरे चूत के ऊपर सहलाने लगा और अपने लण्ड से मेरी चूत में धक्के मारने लगा। मुझे अब इस पोजीशन में दर्द हो रहा था इसलिए पीटर ने ऐसा किया कि मुझे दर्द तो होगा पर मैं कुछ कर नहीं पाऊँगी। उसने मेरा एक हाथ से मेरी जांघ को पकड़ा दिया और दूसरा हाथ जो मैं चूत के पास रखे थी, उसे अपने हाथों में फंसा लिया और धक्के मारने लगा। मुझे बहुत दर्द हो रहा था पर मैं कुछ कर नहीं पा रही थी- आआआह्ह्ह्ह ऊऊओह्ह्ह्ह्ह आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह… जब पीटर का मन भर गया तो वो अपने जीभ मेरी चूत के पास लाया और उसे चाटने लगा। थोड़ी देर बाद जब उसका स्टैमिना वापस आया तो वो फिर से लेट गए और इस बार मुझे सीधे उसकी तरफ मुंह करके अपने लण्ड पे बिठा लिया। मुझमें अब अपनी कमर को ऊपर नीचे करने की हिम्मत नहीं बची थी इसलिए पीटर ही मेरे कूल्हों पर हाथ रखकर अपने हाथों से मुझे अपना लण्ड पे उछलने लगा।थोड़ी देर तक तो उसके मुझे ऐसे ही चोदा पर फिर उसकी सनक वापस आई और फिर उसने मुझे पुरानी पोजीशन में वापस ले लिया।उसने मुझे बगल में लेटाया, मेरी टांग ऊपर की अपने हाथों से मेरी टाँग पकड़ी और इस बार मेरी चूत को राहत देते हुए उसने मेरी गाण्ड को निशाना बनाया और फक से अपना लण्ड का सिर मेरी गाण्ड का पास आकर लगा दिया। और फिर एक झटके में खचाक से उसका आधा लण्ड फिर से मेरी गाण्ड के भीतर घुस चुका था और पीटर उसको और अंदर ले जाने की पूरी फ़िराक में था, यह उसके धक्के मारने के तरीके से साफ़ पता चल रहा था। वो धीरे धीरे अपनी गति और बढ़ाये जा रहा था और मेरी शक्ति खत्म होती जा रही थी। पीटर, उसका मरदाना शरीर, उसका महा चुदक्कड़ मोटा काला लण्ड मुझे चकनाचूर करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे। करीब दस मिनट तक मेरी गाण्ड मारने के बाद जब उसका मन भरा तो जाकर उसने मेरी गाण्ड से अपना लण्ड बाहर निकाला। अब मैं बहुत थक चुकी थी और चुदाई के बिल्कुल मूड में नहीं थी। मैने पीटर से अपने मन की बात कही और भगवान का शुक्र है कि पीटर ने मेरी बात मान ली। मैं थोड़ी देर के लिए बाथटब में जाकर बैठ गई और पीटर मेरे पास खड़ा अपने पेशाब की धार मुझ पर छोड़ रहा था। मैं इतनी थक गई थी कि इस बात को हंस कर अनदेखा करने के अलावा कुछ नहीं कर सकती थी इसलिए मैं चुपचाप बाथटब में ठण्डे ठण्डे पानी का मज़ा ले रही थी और आराम कर रही थी। और अब पीटर कुछ ही इंच दूर पॉटी कर रहा था। मैं आराम से बाथटब में लेट के अपनी थकान कम कर रही थी। थोड़ी देर में पीटर भी आ गया और उसे भी बाथटब में बैठना था इसलिए मैं उठी और पहले पीटर बैठ गया उसने अपने पैर दोनों तरफ फैला लिए और फिर उसके पैरों के बीच में मैं बैठ गई। मैं पीटर के ऊपर अपनी पीठ टिका कर सुस्ताने लगी, उधर पीटर का खड़ा लण्ड हल्की हल्की चुभन का एहसास दे रहा था पर मूड नहीं था अभी उसे हटाने का। मैं आराम से पीटर के साथ लेटी हुई तो पीटर मेरे मम्मों को सहला रहा था और मेरे सारे बदन को सहला कर वो मेरी थकान दूर कर रहा था। थोड़ी देर बाद पीटर मेरे बालों को सहलाने लगा और मेरे सिर की मालिश करने लगा। मुझे इतना अच्छा लग रहा था और धीरे धीरे थकान भी कम होने लगी थी, फिर से तरो ताजगी का एहसास होने लगा था। थोड़ी देर तक मैंने पीटर को मसाज करने दिया फिर हम दोनों शावर में वापस आ गए। मैंने अपने बदन में साबुन लगाया और साथ ही साथ पीटर के काले शरीर पर भी साबुन मल दिया, सोचा शायद थोड़ा कालापन कम हो जाये पर ऐसा होना नहीं था। जब मैं पीटर को साबुन लगा रही थी, तब पीटर मेरे शरीर को रगड़ रगड़ कर साफ़ करने लगा। ऐसा लग रहा था कि पीटर मुझे नहीं अपने कार को साफ़ कर रहा है। धीरे धीरे दोनों हाथों से कभी मेरे मम्मों को दबा कर साफ़ करता तो कभी पीटर गाण्ड के बीच के अपनी उंगली लगा कर ऊपर नीचे करता, कभी मेरी पीठ रगड़ता तो कभी मेरी चूत के पास अपने हाथों से साफ़ करने लगता। खैर जो भी कर रहा था, मुझे तो बड़ा अच्छा लग रहा था। मैंने भी थोड़ा बहुत उसके लण्ड को साफ़ कर दिया और बदन को मल दिया और गाण्ड पर हाथ फेर कर साफ़ कर दिया। फिर हम दोनों नहाए और मैंने पीटर के तौलिये से खुद को पौंछा और अपनी ब्रा पेंटी पहन कर पजामा पहन लिया और पीटर ने तौलिया लपेट लिया। मैंने दरवाज़ा खोला बाहर आने के लिए। जैसे ही हमने दरवाज़ा खोला, सविता सामने कुर्सी पर बैठी हुई थी। हम दोनों उसको देख आश्चर्यचकित हो गए ! आगे क्या हुआ? सविता ने हमें क्या कहा और हमने कैसे सविता का जन्मदिन मनाया? यह सब बाद में बताऊँगी। आपको मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे मेल करके जरूर बताइयेगा। प्लीज इस कहानी के नीचे अपने कमेंट जरूर लिखियेगा। धन्यवाद आपकी प्यारी चुदक्कड़ जूही परमार [email protected]
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