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हैलो दोस्तो, मैं आपका नया दोस्त हार्दिक भोपाल से हूँ। मेरी पहली कहानी सुनयना की चूत चुदाई आपने पढ़ी होगी और निश्चित तौर पर आपको और आपके लण्ड और चूतों को बहुत मज़ा भी आया होगा। अब मुख्य बात पर आता हूँ।
सुनयना मेरे 8 इंच के लण्ड और मेरी धुआँधार चुदाई की पूरी तरह कायल हो चुकी थी और उसके बाद हमारी चुदाई का अनवरत सिलसिला चल पड़ा था। उसने अपनी सहेली से हम दोनों की चुदाई की कहानी भी शेयर की, जिससे उसकी सहेली रोशनी भी कामातुर हो गई।
उसकी सहेली रोशनी जबलपुर से थी और भोपाल में ही एक हॉस्टल में रह कर इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही थी। हालाँकि वो एक बहुत ही संपन्न घर से थी और उसके पास धन की कोई कमी नहीं थी।
रोशनी ने सुनयना से मुझसे मिलवाने को कहा और अपनी चुदाई की हसरत बताई और सुनयना ने उसे मना नहीं किया।
उसने मुझसे रोशनी के बारे में बात की, मुझे क्या चाहिए था.. नई-नई चूतें और जवानी का रस! सो मैंने तुरंत ‘हाँ’ कर दी और रोशनी की चुदाई के सपने देखने लगा।
मैंने उसकी चुदाई के लिए भोपाल में ही एक पंच-सितारा होटल में बुकिंग की और शनिवार को हमारे नए हनीमून का प्लान बनाया। शनिवार को ऑफिस में मेरा ‘हाफ-डे’ रहता था, इसलिए मैंने रोशनी से कहा कि वो भी अपना कॉलेज हाफ-डे करे।
उसने ‘हाँ’ कर दी, क्योंकि उसकी चूत को भी मेरे लण्ड की याद आ रही थी।
मैंने शाम को उससे न्यू-मार्केट में टॉप & टाउन के पास आने को कहा। शाम 5.30 पर हम जब मिले तो मैं उसको देखता ही रह गया। उसने स्लीव-लैस नीले रंग की टी-शर्ट पहनी थी और नीचे काली स्कर्ट थी जो उसके घुटनों के भी ऊपर थी। उसके होंठ बिल्कुल किसी संतरे की फाँक जैसे थे। उसकी गर्दन किसी मोर की तरह सुराहीदार जैसी थी। उसका फिगर 38-32-36 था, जो कि मेरे जैसे हरामी लड़के का लण्ड खड़ा करने के लिए काफ़ी था।
मुझे देखते ही उसने एक बहुत ही कातिल सी मुस्कान दी, जिससे मेरा लण्ड वहीं खड़ा हो गया। सबसे पहले हमने कुल्फी खाई और हम दोनों अपनी कार की तरफ आ गए और जल्दी ही हमारी कार लेक-व्यू पर दौड़ रही थी। वहाँ पर हमने कुछ ठंडी हवा खाई।
इस बीच हम दोनों एक-दूसरे के करीब आने की कोशिश करते रहे। मैं बीच-बीच में उसकी जाँघों पर हाथ फेरता रहा और वो भी मेरे हाथ और जाँघ को सहलाती रही। जल्दी ही हम होटल में पहुँच गए। उधर होटल के रूम में पहुँचते ही हम दोनों बेड पर आ गए। फिर हमने डिनर का ऑर्डर दिया और बियर मँगवाई। दोनों ने साथ मिलकर बियर पी और खाना खाया।
खाना खाकर मैंने लॅपटॉप पर ब्लू-फिल्म चला दी, कुछ बियर का सुरूर था और कुछ ब्लू-फिल्म का था। धीरे-धीरे रोशनी के आँखें नशीली हो गईं। हमने एक-दूसरे को चूमना शुरू किया। वो भी मेरा साथ देने लगी। मैं धीरे-धीरे उसके मम्मे मसलने लगा। वो सिसकियाँ लेने लगी और पैंट के ऊपर से ही मेरे लण्ड को सहलाने लगी। मुझे भी मज़ा आ रहा था।
मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी। अन्दर उसने गुलाबी ब्रा पहनी थी, जिसमें से उसके कबूतर फड़फड़ा रहे थे। मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी और उसके मम्मे कस कर दबाने लगा और उसके चूचुक चूसने लगा। वो मादक ‘आहें’ भरने लगी। उसका बदन बिल्कुल संगमरमर के जैसा चिकना था, जैसे मस्त मक्खन-मलाई हो, हाथ फेरो तो ‘सट्ट’ से फिसल जाए।
फिर मैंने उसकी स्कर्ट उतार दी, उसके केले के तने जैसी जांघें मेरे लण्ड में अकड़न ला रही थीं। उसने मेरी पैंट उतार कर मेरी चड्डी भी उतार दी। मैंने भी उसकी पैंटी उतार दी और उसकी चूत चाटी तो वो ‘आह.. आह’ करने लगी।
उसकी चूत का दाना बहुत मस्त था। मैंने उसे खूब चूसा। मैं उसकी योनि-कालिकाओं को जीभ से चूसने लगा, वो तड़पने लगी।
करीब बीस मिनट तक हम दोनों एक-दूसरे के लण्ड और चूत का रस पीते रहे।
वो मेरे सुपारे को खूब कस के चूसने और चाटने लगी। जब उससे रहा नहीं गया, तो वो बोली- हार्दिक डार्लिंग, आओ और अपने इस 8 इंच के लण्ड से मेरी इस चूत की प्यास बुझा दो।
मैंने भी कहा- हाँ.. जानेमन, इस चूत का रस पीकर मेरा लण्ड अपने-आप को धन्य समझेगा!
उसने अपनी जांघें खोल दीं और मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी चूत पर रगड़ने लगी। मुझसे भी अब रहा नहीं जा रहा था, सो मैं भी अपने लण्ड का सुपारा उसकी चूत के दाने पर रगड़ने लगा। वो ‘उफ़.. उफ़’ करने लगी- प्लीज़, जान, अब डाल भी दो… अपने लण्ड को हमारी जन्नत की गुफा में!
यह सुन कर मैं अपना लण्ड उसकी चूत में घुसाने लगा। लौड़े की चोट से बीच में वो दर्द के मारे कराहने लगी। लेकिन मैंने अपना मुँह उसके होंठों पर रख दिया और चूसने लगा, जिससे उसका दर्द कम हो सके।
धीरे-धीरे मैं अपना लण्ड आगे-पीछे करने लगा। कुछ देर बाद उसको भी मज़ा आने लगा और वो भी अपने चूतड़ों को हिला-हिला कर मज़े में बड़बड़ाने लगी- कम ऑन… जानू, चोद दो अपनी रोशनी को.. दिखा दो उसे जन्नत की रोशनी.. खूब रगड़ो.. मेरी भोसड़ी मारो.. लाल कर दो इसे.. खूब मज़ा दो मेरी जान!
मैं भी जोश में आकर चिल्लाने लगा- ये ले मेरी रानी… खूब चुद.. मेरे लण्ड से.. खूब मज़ा ले.. खूब मज़ा दूँगा तुझे.. जब तक तू चाहेगी.. मेरी रोशनी!
हम दोनों खूब मज़ा लेते रहे। इस बीच वो तीन बार झड़ चुकी थी। अब तक मुझे 45 मिनट हो चुके थे, उसका पानी एक बार फ़िर निकलने वाला था।
वो और ज़ोर से चिल्लाने लगी- फाड़ दे.. मेरी चूत को… चोद डाल.. अपने मुसंड लण्ड से.. आ.. आ.. उफ़ उफ़ ओह. माय गॉड हार्दिक वाकई तुम्हारा नाम ‘हार्ड-डिक’ होना चाहिए था… खूब चोद मेरे हम सफ़र!
और वो एकदम से अकड़ कर झड़ गई।
लेकिन मेरा पानी अभी तक नहीं निकला था, सो मैंने उसको घोड़ी बना लिया और पीछे से उसकी भोसड़ी में लण्ड डाला और धक्के लगाने लगा। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। लगभग पंद्रह मिनट बाद मेरा पानी भी निकल गया। हम दोनों जोर से हाँफने लगे और एक-दूसरे से कसके चिपक कर चुंबन करने लगे।
ऐसा लग रहा था कि ये पल यहीं थम जाएँ। रोशनी मुझे अलग नहीं होने देना चाहती थी। हम ऐसे ही पड़े रहे। फिर उसको पेशाब आया, तो मैं उसे नंगे ही गोद में उठा कर बाथरूम ले गया और हम दोनों ने खड़े होकर पेशाब किया, बहुत मज़ा आया।
पहली बार मैंने किसी लड़की को खड़े होकर पेशाब करते हुए देखा। उसका पेशाब उसकी जाँघों पर बह रहा था, मेरे कहने पर उसने जोर लगा कर अपने मूत की धार निकाली तो हम दोनों ने अपनी पेशाब की धार एक-दूसरे पर गिराई।
उसके बाद वापस हम बेड पर आ गए और चुदाई का नया सिलसिला शुरू हो गया। उस पूरी रात हमने चार बार अलग अलग पोजीशन में धुआँधार चुदाई की उसके बाद से रोशनी भी मेरे लण्ड की कायल हो गई।
उसके बाद तो सुनयना के साथ उसकी भी नियमित चुदाई करने लगा। वो भी बड़ी खुश थी और मैं भी।
दोस्तो, आपको मेरी दूसरी कहानी कैसी लगी? कृपया ईमेल पर अपनी राय भेजकर ज़रूर बताइएगा। [email protected]
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