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लेखक : इमरान
दो बजे के करीब मनोज आए और अम्मी को बताने लगे- मैंने हनी से सारी बात कर ली है, वो थोड़ी देर में आ रही है। मेरी अम्मी हसीना बेगम ने मेरे सामने ही मनोज का हाथ पकड़ कर अपनी तरफ़ खींचा, उसके होंठों को चूम कर बोली- हाँ यार, मेरी बात हो गई है उससे ! मनोज ने मेरी आँखों में देखते हुए हसीना बेगम की एक चूची मसली और उसके लबों को अपने लबों में दबा कर चूसने लगा। थोड़ी देर प्रगाढ़ चूमाचाटी करने के बाद मनोज ने अम्मी को बिस्तर पर बिठाया और कहा- मेरी पालतू कुतिया, मेरा लण्ड निकाल कर चूस अपने बेटे के सामने ! अम्मी हसीना ने देर नहीं की, मनोज की बेल्ट खोली, हुक खोला और जिप खोल कर पैंट को नीचे सरका दिया, फ़िर अण्डरवीयर में से लण्ड निकाल कर उसके आगे के मोटे सुपारे को अपनी जीभ की नोक से छुआ। यह देख कर मेरा लण्ड जोश में आने लगा, मेरा हाथ मेरी पैंट के उभरे हिस्से पत चला गया और मैं अपने लण्ड को पैंट के अन्दर ही मसलने लगा। मनोज ने अम्मी के सिर पीछे हाथ रखा और अपने कूल्हों का आगे को धकेला और पूरा लण्ड मेरी अम्मी के मुख में समा गया। अम्मी के दोनों हाथ मनोज चाचा के चूतड़ों पर चले गए और वो मज़े से मनोज का लण्ड अपने मुख में लेकर अन्दर बाहर करके चूसने लगी। मेरा लण्ड वासना के ज्वार में उछल रहा था, मैं बोला- आप दोनों को तो मेरे लिये चूत का इन्तजाम करना था और मुझे तड़पता छोड़ खुद चोदम-चोद में लग गये? अम्मी के मुंह में मनोज का लण्ड था तो वो तो कुछ नहीं बोली पर मनोज चाचा बोले- सब्र कर यार ! अभी आती ही होगी तेरे बिस्तर की रानी भी ! “तो जल्दी बुलाओ ना !” मैं चिल्लाया, असल में मुझे उन दोनों को देख देख कर गुस्सा आ रहा था। अम्मी ने चाचा का लण्ड अपने मुंह से निकाला और बोली- चिल्ला क्यों रहा है, कहा ना हनी आने वाली होगी ! “फ़ोन करके बुलाओ जल्दी उसको !” अम्मी ने हनी को फ़ोन किया, उसने कहा कि वो दस मिनट में पहुँच रही है। मनोज ने मेरी अम्मी को कहा- जल्दी से एक बार चुद ले हसीना बेगम ! अम्मी बोली- हाँ चल एक बार घुसा दे मेरे अन्दर, हैदर भी देख लेगा तो इसे भी कुछ पता लग जायेगा। “चल हसीना, मेरी कुतिया, घोड़ी बन जा ! घुसवा ले अपने चोदू यार का लौड़ा अपनी गर्मागर्म फ़ुद्दी में !” मनोज बोला। “अबे ओ बैठे लौड़े की औलाद, मुझे घोड़ी बना कर चोदेगा तो मेरे हैदर को क्या पता लगेगा? आराम से बिस्तर पर मेरे ऊपर आकर चोद !” अब मुझे लगा कि मेरी अम्मी मुझे सेक्स का व्यावहारिक ज्ञान का दान अवश्य देंगी। मनोज सिर्फ अम्मी के छेद में अपना खड़ा हुआ लिंग डालने के लिए जोर देकर आग्रह कर रहा था, लेकिन अम्मी ने हँसकर इस तरह की आधी अधूरी चुदाई से साफ इनकार कर दिया और कहा- पहले मेरे यौन अंगों को चाट-चाट कर मुझे और उत्तेजित करो ताकि मैं तुम्हारे पौरुष से अच्छी तरह संतुष्ट हो जाऊँ।
अम्मी अपनी साड़ी उठा कर बिस्तर पर अपने पैरों क़ो इस प्रकार फैलाक़र बैठ गई कि उनक़ी मादक जांघों के बीच स्थित उनकी चूत की फांके साफ नजर आ रही थीं। उन्होंने अपनी टांगों को इस तरह से ऊपर उठा कर फ़ैलाया कि उनकी बुर की फांकें चौड़ी हो गईं और भगनासा पूरी तरह से स्पष्ट दिखने लगी।
मनोज ने बिस्तर पर अम्मी की चूत के आगे घुटने टेककर तन्मयता से अपनी जीभ से अम्मी क़ी चूत को चाटना शुरू किया और अम्मी ने सिसकारियाँ भरनी चालू कर दीं।
मनोज द्वारा जीभ को पहले चूत के अंदरूनी होंठों के बीच स्थित छिद्र में डालकर कुत्ते की तरह अंदर बाहर करने पर अम्मी क़ी सिसकारियाँ तेज हो गईं और चूत के छिद्र से द्रव का रिसाव शुरू होने लगा, आह… ऊह… आऊच… जैसी सिसकारियों से कमरा गूंजने लगा।
मनोज ने अगले पाँच मिनट तक भगनासा को अपने होठों से चूसना जारी रखा और अम्मी ने अपने पैरों को बिस्तर पर जमा कर अपने कूल्हों को जोर जोर से आगे पीछे करना शुरू कर दिया।
परिणामस्वरूप थोड़ी देर में ही अम्मी की बुर से द्रव स्खलित होकर रिसने लगा, अम्मी की सिसकारियाँ चीखों में तबदील हो गई और तभी दरवाजे की घण्टी घनघना उठी। अम्मी ने कामवासना से परिपूरित आवाज में मुझे कहा- जा देख हैदर, हनी आई होगी। उसे अन्द ले आ ! मैंने कहा- आप दोनों अपने कपड़े तो ठीक कर लो ! मनोज बोला- अरे, हनी से क्या पर्दा, हम तीनों तो अक्सर एक साथ चुदाई का मज़ा लेते हैं। तू जल्दी से दरवाजा खोल और उसे यहाँ ले आ ! कहानी जारी रहेगी।
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