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सुहागरात की देहाती चुदाई कहानी में पढ़ें कि एक लड़के ने अपनी विधवा माँ को चाचा से चुदाई करवाते देखा. बाद में उसने अपनी माँ से इस बारे में बात की तो …
लेखक की पिछली कहानी: सेक्स की चाहत ने क्या क्या करवा दिया दोस्तो, आज की सुहागरात की देहाती चुदाई कहानी राजू और गौरी की है।
लॉकडाउन से पहले राजू फरीदाबाद में एक ढलाई कारखाने में सुपरवाइज़र था।
वो रहने वाला तो मेरठ के पास किसी गाँव का था। पिता का स्वर्गवास कम उम्र में ही हो गया था, पुश्तैनी मकान था।
उसकी माँ सुशीला गाँव में ‘आशा वर्कर’ थी, खाने पीने की कोई कमी नहीं थी।
राजू के एक चाचा नानक भी उनके साथ रहते थे। नानक की उम्र 50-52 के आस पास थी।
कोरोना के चलते राजू की नौकरी चली गयी और वो गाँव वापिस आ गया। घर पर माँ अकेली थी तो अब उसकी ज़िम्मेदारी बहुत बढ़ गयी।
राजू को गाँव में घूमते फिमते अपने चाचा की रंगिनीयत के किस्से सुनने को मिलते, पर कभी उसने दिमाग नहीं मारा। उसके चाचा घर के एक कमरे में ही दिखाई देते। दिन में वो खेत पर चले जाते और शाम को वो घर के बाहर चारपाई डाल कर आने जाने वालों से हंसी मज़ाक करते दिखते।
चूंकि चाचा उसके पिता से मात्र एक डेढ़ साल छोटे थे तो वो राजू की माँ का नाम ही लेते थे।
राजू की माँ बहुत हंसमुख और मिलनसार थी। पति के स्वर्गवास के बाद भी वो कभी उदास नहीं दिखी और सलीके के कपड़े पहनती। कभी कभी तो ऐसा लगता कि उसे पति के देहांत का कोई प्रभाव नहीं है।
राजू मकान में ऊपर के कमरे में रहता ताकि उसे कोई डिस्टर्बेंस न हो। अब कोई काम तो था नहीं करने को तो राजू दिन भर गाँव में आवारागर्दी करता या और देर रात तक पॉर्न देख कर मूठ मार कर सो जाता।
अब माँ चाचा उस पर शादी के लिए दवाब डाल रहे थे। उसने कहा भी कि अभी तो नौकरी भी नहीं है और उम्र भी मात्र 22 साल है. पर माँ पीछे पड़ गयी थी और लड़की दिखानी शुरू कर दीं।
राजू महसूस कर रहा था कि अब चाचा घर में ज्यादा समय देने लगे हैं। उसने सोचा अच्छा है कि उसके जाने के बाद माँ को भी अकेलापन नहीं लगेगा।
इतवार को पड़ोसी गाँव के उनके एक रिश्तेदार एक रिश्ता लेकर आए।
लड़की सुंदर और पढ़ी-लिखी थी। उसके माता-पिता दोनों का देहांत एक दुर्घटना में पिछले वर्ष हो गया था तो उसके ताऊ जी चाहते थे कि उसका विवाह जल्दी हो जाये।
दोनों परिवारों को रिश्ता पसंद आ गया और पंद्रह दिनों के बाद गाँव के मंदिर में ही शादी होना तय हो गया। उसकी माँ और चाचा शहर जा जाकर खरीददारी करने लगे।
रात को देर तक राजू अपनी मंगेतर गौरी से फोन पर बातें करता। गौरी बहुत हंसमुख और बातूनी थी।
एक रात राजू को देर रात प्यास लगी तो उसने देखा पानी की सुराही खाली है। वो दबे पाँव नीचे उतरा कि कोई जागे नहीं और वो चुपचाप रसोई से पानी ले ले।
नीचे उसे अपनी माँ के कमरे से रोशनी और आवाज आती प्रतीत हुई। वो बड़ा आश्चर्यचकित हुआ की इस समय माँ किससे बात कर रही है।
कमरे के किवाड़ बंद थे।
उसने इधर उधर झाँका तो उसे खिड़की में एक दरार दिखाई दी। एक कुर्सी पर खड़े होकर उसने दरार से अंदर झाँका तो उसके पैरों तले जमीन निकाल गयी।
अंदर माँ और चाचा थे … दोनों बिलकुल नंगे! चाचा नानक सुशीला के मम्मे दबा और चूस रहे थे।
सुशीला कसमसा रही थी। उसके हाथों में नानक का लंड था।
उन्हें देख कर कोई नहीं कह सकता था कि सुशीला 45 साल की है।
अब सुशीला ने उसे नीचे धक्का दे कर उसका लंड अपने मुंह में ले लिया था। वो दोनों वासना की आग में ऐसे जल रहे थे कि उन्हें आभास ही नहीं था कि राजू उनकी हरकतें देख रहा है।
अब नानक ने सुशीला को नीचे लिटा कर उसकी चूत में अपना लंड पेल दिया था, सुशीला उसका पूरा साथ दे रही थी।
राजू से और न देखा गया, वो पानी लेकर ऊपर आ गया। उसे अपनी माँ से नफरत हो रही थी। देर रात तक करवटें बदलता वो सो गया।
सुबह राजू देर से उठा, नीचे से सुशीला की पूजा की आवाज आ रही थी। राजू का मन किया कि नीचे जाकर सुशीला से साफ-साफ बात करे।
वो तनतनाता हुआ नीचे पहुंचा और रसोई में खड़ी सुशीला से बेहद बेरुखी से पूछा- आपके और चाचा के बीच क्या चल रहा है? सुशीला सकपकाई और फिर बोली- तू क्या बक रहा है?
राजू ने चाकू उठा लिया और अपनी गर्दन पर रख कर बोला- सच बता, वरना गर्दन काट लूंगा अपनी! सुशीला रो पड़ी, बोली- अब तू ही तो मेरा सहारा है, पूछ क्या पूछना चाहता है?
राजू ने फिर वही दोहराया- ये चाचा से तेरा क्या रिश्ता है? सुशीला बोली- वो बाप है तेरा! राजू को लगा कि धरती घूम रही है।
सुशीला रो पड़ी, बोली- तेरे पापा नामर्द थे, ये जानकार मैं उन्हें छोड़ना चाहती थी. पर तब राजू के पापा ने अपनी इज्जत का वास्ता देकर सुशीला को नानक के हवाले कर दिया और खुद बाहर नौकरी करने चले गए।
सुशीला और नानक की ही संतान है राजू! अब राजू भी माँ से लिपट के रो पड़ा।
दोनों में आपस में ये तय हुआ कि अब ये राज उन तीनों के बीच ही रहेगा, राजू गौरी को भी नहीं बताएगा। राजू की शादी सादगी से हो गयी, सब बहुत खुश थे।
सुहागरात को ही गौरी ने अपने प्रेम से राजू को अपना दीवाना बना लिया। वो सेक्स में कैसे इतनी निपुण थी, ये तो राजू के लिए राज ही रह गया. पर गौरी ने जो अपनी कमसिन जवानी की कीमत पर सेक्स का जो तजुरबा शादी से पहले हासिल किया था, उसे आज वो सब काम आया। वो अच्छे से जानती थी कि मर्द का लंड कैसे खड़ा किया जाता है और कैसे उन पर काबू किया जा सकता है।
राजू को तो ऐसा लगा कि उसे कोई उर्वशी मिल गयी हो। गौरी ने राजू की सहमति से ये तय कर लिया कि अभी तीन चार साल वो कोई बच्चा पैदा नहीं करेंगे।
राजू ने इधर उधर की अधकचरी जानकारी से ये जाना था कि पहली रात में लड़की सेक्स से घबराती है तो ज़ोर जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए।
पर यहाँ तो मामला उल्टा था।
गौरी ने उसे अपनी जवानी से मदहोश कर दिया और फिर गौरी ने उसे अपने जिस्म की झलक दिखला कर ऐसा दीवाना बना दिया कि राजू तो रात भर उसे चूमता-चाटता रहा और वो सब वैसे ही करता रहा जैसा गौरी चाहती थी।
गौरी ने उसे सेक्स नहीं करने दिया, बस वो उसे उकसाती रही और उसकी सेक्स की आग भड़काती रही। बस ऐसे ही सुबह हो गयी और सुहागरात की देहाती चुदाई कहानी अधूरी रह गयी।
सुबह गौरी तो नहा-धोकर नीचे चली गयी और राजू लंबी तान कर सो गया।
दोपहर को वो नीचे पहुंचा तो साला आया हुआ था गौरी को लेने!
राजू का मूड खराब हो गया; उसने बहाने से गौरी को ऊपर बुलाया और साफ बोल दिया कि वो नहीं जाएगी। गौरी ने हँसते हुए उसे सीने से लगा लिया और बोली- अभी तो मैं जा रही हूँ, तुम शाम को मोटरसाइकल से आकर ले आना फिर रात को आज सारी हसरतें पूरी करेंगे।
राजू को दहेज में नयी मोटरसाइकल मिली थी।
अब राजू शाम होते ही ससुराल जा धमका। वहाँ खूब आवभगत हुई!
पर राजू को तो बस वापिस जाने की जल्दी थी। गौरी के ताऊ ने स्पष्ट कह दिया कि वो रात को वापिस नहीं जाने देंगे।
तो गौरी ने अपनी ताई से बात कर के ये तय किया कि वो दोनों गौरी के अपने पुराने मकान में रात को सोएँगे, जहां अब गौरी के माता पिता के देहांत के बाद कोई नहीं रहता।
चूंकि अभी शादी के कारण उस मकान की साफ सफाई हुई थी तो वहाँ सोने में कोई दिक्कत नहीं थी।
आनन फानन में गौरी की भाई ने वहाँ सोने की तैयारी करवा दी।
अब गाँव में डबल बेड तो होते नहीं, चारपाई होती हैं, तो गौरी ने नीचे ही गद्दा लगवा दिया। रात को 10 बजे गौरी और राजू उस मकान में चले गए।
गौरी ने गेट बंद कर के लोक किया और बांहें फैला दीं अपने साजन के लिए! राजू को तो मानों खजाना मिल गया।
दोनों अमरबेल की तरह लिपट गए। जून का महीना था। राजू धूल धक्कड़ से भर गया था तो नहाना चाहता था।
उसने गौरी से साथ नहाने की पेशकश की तो गौरी ने कहा कि आज की रात वो उसे अपना शरीर बिस्तर पर सौम्पेगी तो आज दोनों अलग अलग नहायेंगे।
पहले गौरी नहा आई फिर राजू नहाने गया। गौरी ने राजू से कह दिया कि वो जब बुलाये, तभी राजू कमरे में आए।
राजू को काफी देर इंतज़ार कराने के बाद गौरी ने उसे प्यार से आवाज दी। तो राजू किवाड़ धकेलकर अंदर गया तो चौंक गया।
अंदर गौरी ने सिर्फ दीपक की रोशनी कर रखी थी। कमरे में अगरबत्ती की सुगंध थी।
गौरी ने गाँव में पहने जाने वाला घाघरा चोली पहनी हुई थी और जो संभव था वो मेकअप किया था। उसके पैरों में छमछम करती पायल और कलाइयों में ढेर सारी चूड़ियाँ थी। माथे पर उसने टीका पहना था और लंबा घूँघट खींच के वो नीचे बैठी हुई थी।
राजू तो निहाल हो गया। वो फटाफट बिस्तर पर पहुंचा और उसका घूँघट उठाना चाहा तो गौरी बोली- ऐसे नहीं, पहले किवाड़ बंद कर लो।
राजू को अपनी मूर्खता पर झुंझलाहट आई। उसने किवाड़ अच्छे से बंद किया और वापिस गौरी के पास पहुंचा।
जैसे ही उसने गौरी को पकड़ना चाहा तो गौरी छिटक कर हट गयी बोली- पहले मुंह दिखाई दो! अब तो राजू बड़ी परेशानी में … सोच में पड़ गया कि क्या दूँ इस समय?
गौरी हंस कर बोली- घबराओ नहीं, बस ये वादा करो कि जो आज करेंगे, वो रोज करोगे। राजू झूम गया और आहिस्ता से गौरी का घूँघट उठाया।
गौरी शांत बैठी मुस्कुरा रही थी। राजू ने आगे बढ़ कर उसके होठों को चूम लिया। गौरी राजू से लिपट गयी।
दोनों देर तक एक दूसरे के होठ चूमते रहे।
अब राजू ने गौरी को आहिस्ता से नीचे लिटाया और उसके कपड़े उतारने की पहल करी। सबसे पहले उसने चुनरी हटाई, फिर मांग टीका।
वो उसकी नाथ उतारना चाह रहा था तो गौरी ने मना कर दिया। अब बारी थी चोली और लंहगे की!
जब उसने पाया कि गौरी ने उसके नीचे कुछ नहीं पहना था, राजू को मजा आ गया.
राजू ने अपनी माँ के बाद किसी औरत को पूरी नंगी आज देखा था। गौरी ने भी उसका पाजामा और कमीज उतार दी। दोनों पूरे नंगे थे।
राजू के मोटे लंड से गौरी प्रभावित थी और उसकी चूत गीली हो गयी सिर्फ इस अहसास से कि आज बहुत दिनों बाद उसकी चूत फिर आबाद होगी। गौरी ने राजू को अपने ऊपर खींच लिया।
दोनों एक दूसरे में समा जाने को बेताब थे … दो गर्म जिस्म एक होने को बेकरार थे। राजू पागलों सा गौरी के गोरे गोरे मम्मे दबाता हुआ चूसने लगा।
गौरी ने भी अपनी दोनों हथेलियों से अपने मम्मे पकड़ कर राजू के मुंह में दे दिये।
राजू का लंड उसकी चिकनी चूत पर दस्तक दे रहा था। गौरी उसके लंड का स्वाद मुंह में लेना चाहती थी. पर डरती थी ये सोच कर कि ज्यादा एडवांस होने से राजू को शक हो जाएगा कि उसे ये सब कैसे मालूम! पर उसकी किस्मत अच्छी थी।
राजू ने तो बहुत पॉर्न फ़िल्में देखी थी तो उसने खुद अपना लंड गौरी के मुंह में आहिस्ता से दे दिया। वो सोच रहा था कि गौरी मुंह में लेने को मना कर देगी।
पर गौरी ने उसके अनछूए लंड को खूब लोलीपॉप की तरह चूसा. और जब राजू की आहें बढ़ गईं तो उसने उसे छोड़ दिया वरना राजू तो उसके मुंह में ही खाली हो जाता।
अब गौरी ने राजू का सिर नीचे सरका दिया. राजू समझ गया कि वो भी चाहती है कि राजू उसकी चूत चूसे!
तो राजू ने गौरी की टांगें चौड़ी कर दी और उसकी गुलाबी मखमली चूत में अपनी जीभ घुसा दी। थोड़ी देर में ही गौरी की सीत्कारें शुरू हो गयी। उसकी सीत्कारों और पायल के घुंघरुओं की छनछन और चूड़ियों की खनखनाहट ने महोल को और गरमा दिया था।
गौरी अब कसमसा रही थी- अब छोड़ दो मुझे … तुमने तो पूरे शरीर में आग लगा दी, अब मुझे ठंडा करो, आ जाओ मेरे राजा अब अपनी रानी के अंदर आ जाओ। राजू ने अब अपना लंड उसकी मखमली चूत में एक झटके से कर दिया।
हालांकि गौरी की चूत में गंगा जमुना पहले से बह रही थी पर झटके से लंड खाकर गौरी की चीख निकल गयी। गौरी ने अपनी टांगें पूरी चौड़ी कर दी थीं। राजू भी धकापेल में कोई कसर नहीं छोड़ रहा था।
गौरी ने राजू से कहा कि वो अभी बच्चा नहीं चाहती, इसलिए राजू अंदर न निकाले। पर राजू की स्पीड धीमी नहीं हुई।
गौरी भी जाटनी थी; उसने दम लगाकर राजू को नीचे किया और उछल कर उसके ऊपर बैठ गयी और उसका लंड अपनी चूत में सेट कर लिया। अब वो फुदक-फुदक कर उसका लंड अपनी चूत की गहराइयों तक लेने लगी।
अब दोनों की कसमसाहटें निकल रही थीं। तभी राजू बोला- मेरा निकालने वाला है।
गौरी होश में आई और झटके से नीचे उतर गयी। उसने राजू का लंड हाथ से पकड़कर मसलना शुरू कर दिया। राजू ने अपना लावा उगल दिया; गाढ़े माल से गौरी का हाथ भर गया।
गौरी निहाल होकर राजू से लिपट गयी।
दोनों थक गए थे तो नंगे ही चिपट कर सो गए।
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सुहागरात की देहाती चुदाई कहानी का अगला भाग: मेरी बहन को मेरे रूममेट ने पटाकर चोदा
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