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प्रेषक : डिक लवर बचपन से ही मेरा स्वभाव लड़कियों का सा रहा है, मेरी पसन्द भी लड़कियों के जैसी है। मेरा जिस्म गोरा, होंठ गुलाबी, आँखें नीली हैं। मेरा शरीर दुबला लेकिन कसा हुआ है। मेरी छाती लड़कियों की तरह उभरी हुई है, निप्पल गुलाबी-भूरे से हैं, नितम्ब गोल, तीखे कटाव वाले हैं, गुदा (मल द्वार) गुलाबी है। हमेशा से मैं लड़कों की ओर आकर्षित होता था। यह मेरी पहली ‘गे-लव’ स्टोरी है। मेरी उम्र 19 साल थी। मैं कोटा में पढ़ रहा था। अकेला कमरा लेकर रहता था। मैं पढ़ने में अच्छा था और अजनबी लड़कों से सीधे बात करने में डरता था। मेरी कामुकता बढ़ती ही जा रही थी। कोटा में अकेले रहना भी आग में घी का काम कर रही थी। एक दिन पापा का फ़ोन आया कि उनके दोस्त का लड़का हिमांशु भी कोटा में पढ़ने के लिए कमरा लेकर रह रहा है। पापा ने मुझे उसके फ़ोन नंबर दिए, अगले ही दिन मैंने उससे बात की और उसे अपना पता दिया और उसे अपने कमरे पर बुला लिया। रात भर मैं सोचता रहा कि वो दिखने में कैसा होगा, मेरी बरसों की प्यास बुझेगी या नहीं..! अगले दिन मैंने अच्छे से नहाया, बॉडी लोशन लगाया, अपनी चिकनी टाँगों पर हल्का तेल लगाया, होंठों पर लिप-ग्लो लगाया, लाल रंग का थोड़ा छोटा शॉर्ट पहना, स्लीवलेस रेड टी-शर्ट पहनी और हिमांशु का इन्तज़ार करने लगा। ठीक 10 बजे वो आया, मैं उसे देख कर बड़ा खुश हुआ। हिमांशु उम्र में 21 साल का था, कद मुझसे ज्यादा था, एकदम मरदाना शरीर मस्कुलर था। वो मेरे पास बेड पर बैठ गया और हम एक-दूसरे से परिचय के बाद आगे बात करने लगे। उसकी आँखें बार-बार मेरी चिकनी टाँगें और जाँघें देख रही थीं। वो भरतपुर का रहने वाला दबंग टाइप का था, गाली बिना बात नहीं करता था, वो मेरे दिल में बस गया। वो चला गया और मैंने पक्का कर लिया कि हिमांशु से ही कौमार्य भंग करवाना है, उसी का लिंग चूसना है, वीर्य रस पीना है, अपनी सुंदर गाण्ड में उसी के लंड को लेना है। अगले शनिवार शाम उसका फ़ोन आया, पू्छने लगा कि फिल्म देखने चलेगा..! मैंने ‘हाँ’ कर दी, वो मुझे लेने आया, हम ऑटो से जा रहे थे। बात करते हुए मैंने अपना प्लान शुरू किया। मैंने कहा- हिमांशु कल कोचिंग सेंटर में एक लड़का मुझे छेड़ रहा था। उसने पूछा- क्या हुआ..! डिटेल में बताओ..! मैंने कहा- वो लड़का मुझे बोला कि उसको मैं लड़कियों से भी ज्यादा सेक्सी लगता हूँ। टॉयलेट में उसने मुझे अपना लंड चूसने के लिए भी कहा। पर मैं वहाँ से भाग आया। हिमांशु हँसने लगा और बोला- यह तो ठीक ही कहा उसने कि तुम लड़कियों से भी ज्यादा सेक्सी हो और हाँ मुझे कोई ऐसा लड़का मिल जाए तो मैं उसकी गाण्ड जरूर मारूँगा। मैंने तपाक से पूछा- कैसे मैं इतना सेक्सी हूँ? वो बोला- पहली मुलाकात में मैंने जब तुझे देखा था तो देखता रह गया था। तेरी गोरी चिकनी टाँगें, जांघ, तेरा फिगर, तेरे गुलाबी रस भरे होंठ..। तभी सिनेमा हॉल आ गया। दिसंबर की कड़ाके की ठण्ड थी। ऑटो से बाहर निकलते ही मैंने कहा- आज बड़ी ठण्ड है। हिमांशु ने कहा- पर फिल्म बड़ी गर्म है और ज्यादा ही ठण्ड लगी तो मैं गर्म कर दूँगा.. तुझे। मैं शरमा गया और उसे देख कर मुस्कुराया और अपने होंठ दांत से दबा लिए। उसने बॉक्स का टिकट लिया। फिल्म ‘ए’ ग्रेड थी, हम बॉक्स में बैठ गए। बॉक्स में केवल हम दो ही थे। बॉक्स में दो-दो लोग एक साथ बैठ सकें, ऐसे सोफे थे। हम एक ही सोफे पर साथ बैठ गए। फिल्म शुरू हुई, फिल्म का पहला बेड सीन बेहद कामोत्तेजक था। मैंने हिमांशु से कहा- मुझे ठण्ड लग रही है। हिमांशु ने सोफे की सीट पीछे झुका दी, खुद एकदम सीट की बैक से सट कर बैठ गया। अपनी जाँघें फैला लीं और बोला- तू मेरे आगे दोनों जाँघों के बीच बैठ जा। मैं बैठ गया, उसने पीछे से मुझे बाहों में भर लिया और मेरी टाँगें अपनी जाँघों से दबा लीं। मुझे मज़ा आ रहा था, फिल्म में शयनकक्ष के दृश्यों की भरमार थी। दूसरे बेड सीन पर वो टी-शर्ट के ऊपर से मेरी छाती को लड़कियों की चूचियों की तरह दबाने लगा। हम दोनों टी-शर्ट और पजामे में थे। उसका कठोर लंड मेरी गाण्ड की दरार में था। मैंने फिर नाटक किया- मुझे अभी भी ठण्ड लग रही है। बॉक्स का गेट मैंने अन्दर आते हुए लॉक कर लिया था। हिमांशु ने अपनी और मेरी टी-शर्ट, पजामा उतार दिए और साथ लायी थैली से गर्म लोई (लम्बा शॉल) निकाल ली। सोफे पर वो करवट ले कर लेट गया, मुझे अपने आगे लिटा लिया और लोई से दोनों के नंगे तन ढक लिए। उसका शरीर गठीला था, लंड 8 इंच लम्बा, ढाई इंच मोटा था, जो मेरी गाण्ड की दरार में था। फिल्म के सेक्स सीन चल रहे थे। हिमांशु के हाथ मेरी भरी छातियों को मसल रहे थे। बीच-बीच में वो मेरी चिकनी जांघ भी सहला रहा था। उसके होंठ और जीभ मेरे चिकने गोरे कंधे और बाहें चूस रहे थे। मैं लम्बी गरम साँसें ले रहा था। वो धीरे-धीरे नीचे सरक रहा था। उसने मुझे अपने नीचे उल्टा लिटा दिया, कंधे और गर्दन चूमते हुए वो पीठ पर आ गया। उसने मेरी पीठ के एक-एक हिस्से को चूमा, जीभ से चाटा और फिर उसका चेहरा मेरी सुन्दर, गोरी, चिकनी, कुंवारी गाण्ड पर आ गया। उसने गाण्ड की दोनों नरम गोलाइयों को बेतहाशा चूमा, मुँह में भरकर जीभ से चूसा मैं ‘आहें’ भर रहा था। उसने गाण्ड को खोला और मेरा छेद देख कर बोला- हाय क्या गुलाब की कली है..! आज इस कली को लाल गुलाब की तरह खिला दूँगा। वो जीभ से गाण्ड का छेद चाटने लगा। मैंने मुँह से जोर लगाया और गाण्ड के छेद को खोला। उसने अपनी जीभ अन्दर कर दी और गोल-गोल घुमाने लगा। अपनी लार गाण्ड में भरने लगा। मैं सिस्कारियाँ ले रहा था, आँख मूंदे उसका एक-एक स्पर्श, चुम्बन महसूस कर रहा था। हिमांशु ने कहा- तेरी भट्टी (गाण्ड) गर्म कर दी है। अब मेरी शकरकंदी (हिमांशु का लंड) पका और कड़क कर दे, फिर तेरी भट्टी में अपनी शकरकंदी डालकर सेकूँगा। वो ऊपर आ गया और मेरे होंठ चूसने लगा। मैं भी उसका पूरा साथ दे रहा था। वो मेरा ऊपरी लब चूसता, मैं उसका निचला, दोनों की जीभ एक-दूसरे के मुँह में थी। बड़ी मादकता थी उस चुम्बन में। सिनेमा में लाइव फिल्म चल रही थी। बॉक्स में हिमांशु ने मुझे अपने ऊपर लिटा लिया। वो मेरा सर नीचे धकेल रहा था। मैं उसकी मरदाना छाती सहलाने और चूमने लगा। उसके पेट पर चुम्बन लेते हुए मैं और नीचे गया तो उसने जाँघें खोल दीं। उसका 8 इंच लम्बा कड़क लंड मेरी आँखों के सामने था। हिमांशु ने लंड का मोटा गुलाबी सुपाड़ा मेरे गुलाबी लबों पर रख दिया और मेरी ओर देख मुस्कराया। हिमांशु बोला- इसे अपने लबों से प्यार कर दो। मैंने उसका लंड जड़ से अपने हाथ में लिया। अपना मुँह सुपारे की नोक पर रखा, अपने होंठों से लंड की चमड़ी को नीचे सरकाते हुए उसका गुलाबी सुपाड़ा चूसने लगा। उसका प्री-कम खट्टा-नमकीन था। मैंने उसका पूरा लंड चूसते हुए मुँह में ले लिया। मुझे लगा कि मुझे जन्नत मिल गई है। वो तेज-तेज ‘आहें’ भर रहा था। एक हाथ से मेरे सर को अपने लंड पर दबा रहा था। मैं जीभ को गोल-गोल घुमा कर लंड को मुँह में अन्दर-बाहर करते हुए पूरी तेजी से मुख-मैथुन कर रहा था। अचानक हिमांशु सोफे पर बैठ गया और मुझे नीचे उसकी दोनों टाँगों के बीच में बैठा लिया। मेरा मुँह उसकी जाँघों के बीच था। हिमांशु ने कहा- तू तो बड़ा गरम है रे..! तेरे अन्दर बड़ी हवस है। आज तुझे अपना खट्टा दही पिला कर ठंडा करूँगा। यह कहकर उसने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया। मेरे सर को दोनों हाथों से पकड़कर तेजी से अपना लंड मेरे मुँह में अन्दर-बाहर करते हुए मेरा मुँह चोदने लगा। 15 मिनट बाद उसकी स्पीड बहुत तेज हो गई। अचानक उसने लंड मेरे मुँह से बाहर निकाला और बोला- जल्दी मुँह खोल जीभ बाहर निकाल और मेरी मर्दानगी का रस पी ले। मेरी जीभ और होंठ पे गर्म रस ऐसे छूटा, जैसे कोई पिचकारी से गर्म गाढ़ा हल्का शरबत हो। मैं खट्टा वीर्य जीभ से चाटते हुए पी गया। मुझे असीम आनन्द मिला। मैंने उसके लंड को मुँह में लिया और चाट कर साफ़ कर दिया। हिमांशु पसीने-पसीने हो रहा था। हम दोनों एक-दूसरे से कस कर लिपट गए और वो मेरे होंठ चूसने लगा। 15 मिनट तक हम लिपटे रहे, होंठ चूसते हुए एक-दूसरे का बदन सहलाते रहे। फिल्म खत्म होने वाली थी। हमने अपने कपड़े पहन लिए। सिनेमा हॉल में लाइट जल गई, उजाले में हम दोनों ने एक-दूसरे को देखा। मुझे लाज आ रही थी। हिमांशु ने मुझे अपनी ओर खींच कर कहा- तेरी गाण्ड का तंदूर भभक रहा है अभी, अपने लंड रस से उसकी प्यास भी मैं बुझाऊँगा। हम दोनों ऑटो से मेरे रूम पर आ गए। वो रात मेरी जिन्दगी की सबसे हसीन रात साबित हुई मेरी सुहागरात। बाकी कहानी मेरी आपके ख़त मिलने के बाद।
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