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कहानी का पिछला भाग: पुरानी क्लासमेट की चुदास-1 मैं इन्हीं ख्यालों मैं डूबा था कि शिप्रा की आवाज़ आई, “अरे विक्की क्या सोच रहे हो…!”
मुझे झटका लगा, क्या बोलूँ, बोलूँ कि न बोलूँ! तभी शिप्रा की आवाज़ दुबारा मेरे कानों में पड़ी, “विक्की तबीयत तो ठीक हैं…!”
मैंने कहा- तबीयत …! तबीयत को क्या हुआ! ठीक तो है… बस कुछ सोच रहा था।
“क्या सोच रहे थे?” शिप्रा ने पूछा। मैंने कहा- कुछ खास नहीं!
और उसके हाथों से बढ़ाया हुआ कॉफी का मॅग ले लिया और सिप लिया। वाकयी कॉफी बिल्कुल शिप्रा की ज़वानी जैसी कड़क बनी थी।
तो मैंने कहा- मुझे नहीं पता था कि तुम इतनी अच्छी कॉफी बना लेती हो।
वो मुस्कराई और कहा- हाँ..आआं.. कभी-कभी, वरना दीदी ही बनाती है।
अब हम लोग खामोश होकर कॉफी सिप कर रहे थे और मेरी नज़र शिप्रा के मम्मे की तरफ जा रही थी बार-बार लगातार। मैं कॉफी सिप करता जाता और उसके मम्मे देखता जाता। मुझे ये भी ख्याल नहीं रहा कि शिप्रा जिसके मम्मे मैं देख रहा हूँ, वो मेरे सामने बैठे ही कॉफी सिप कर रही है।
दोस्तों एक बात बताऊँ, हम लड़के चाहें जितनी होशियारी क्यों न करते हों, पर लड़कियों की नज़रों से नहीं बच सकते कि आप क्या सोच रहे हो? क्या देख रहे हो? वो लड़की जो बचपन से ये देखती आ रही हो कि लोगों की नज़र मेरी तरफ कम मेरे मम्मों की तरफ़ ज्यादा जाती है, तो वो क्या सोचती होगी…!
तभी उसने मुझे टोका, “जय…क्या देख रहे हो?”
इस सवाल ने मेरा पसीना निकाल दिया और मैं बिल्कुल हकला गया, मैंने कहा- कुछ.. कुछ… भी तो नहीं!
लेकिन शिप्रा आज कुछ और मूड में थी तो उसने कहा- नहीं कुछ देख रहे थे!
उसके कहने के अंदाज़ ने मुझे और डरा दिया।
उसने कहा- बोलो… क्या देख रहे थे?
मैंने बड़ी हिम्मत करके उसके दोनों मम्मों की तरफ़ इशारा करते हुए कहा- वो.. ओओओ… दोनों।
शिप्रा ने मेरी ऊँगलियों का इशारा समझते हुए भी कहा- मैं समझी नहीं मुँह से बोलो, क्या देख रहे थे? अब मुझे ये नहीं समझ मैं आया कि मैं क्या बोलूँ, मैंने कहा- सीना… देख रहा था।
शिप्रा ने कहा- सीना! क्यों… सीने में क्या है? अब मैं चुप! क्या बोलूँ!
उसने फिर कहा- अरे! बोलते क्यों नहीं हो! तो मैंने कहा- तुम्हारी चूचियों को!!
जिस प्रकार डरते हुए उसको मैंने ये वर्ड बोला …वो ज़ोर से हँस दी…और कहा- अरेएए यार … तो डर क्यों रहे हो? कौन आज पहली बार तुम इन्हें देख रहे हो या कौन से पहले तुम हो जो इसे देख रहे हो! देखने वाली चीज़ है सब देखते हैं…! तो तुम देख रहे हो तो क्या अपराध कर रहे हो…!
जब शिप्रा ने ये वर्ड्स बोले, तब मेरी जान में जान आई और मैं मुस्कराए बगैर नहीं रहा सका…और अपनी झेंप मिटाने लगा।
उसी वक्त शिप्रा सामने वाले सोफे से उठकर मेरे बगल में सटकर बैठ गई और मेरे हाथों से कॉफी का मॅग ले कर टेबल पर रख दिया और मेरी आखों की तरफ देखने लगी…और कहा- अब देखो… जो देखना है…!
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ! तभी उसने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिए और कहा- शायद अब तुमको देखने में आसानी होगी।
और ज़ोर से मेरे होंठों को चूसने लगी। थोड़ी देर में मैं गरमा गया और मेरे हाथ उसकी चूचियों को दबाने लगे और अब मैं भी उसके होंठों को चूस रहा था। ये मेरी लाइफ का सबसे बड़ा और हॉट दिन था। आज से पहले मैंने कभी ऐसा महसूस नहीं किया था। धीरे-धीरे हम दोनों की साँसें गरम हो रही थीं और मेरे हाथों का दबाव उसकी चूचियों पर बढ़ता ही जा रहा था और वो ज़ोर-ज़ोर से साँसें ले रही थी।
तभी वो मेरे बगल से उठ कर मेरे ऊपर दोनों घुटनों को मोड़ कर अपने हिप्स को मेरे ऊपर रख कर मेरी तरफ अपना सीना दिखाते हुए बैठ गई। मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे होंठों को बदस्तूर दबाए जा रही थी। मैंने भी उसे अपनी बाहों में कस कर भर लिया और उसेके रसीलें होंठों को चूसने लगा।
जिस अंदाज़ से वो मेरे ऊपर बैठी थी, उससे उसके चूतड़ों का भार मेरे लंड पर पड़ रहा था, जिसकी वजह से मेरा लंड टाइट होने लगा और उसके चूतड़ों के बीच की दरार को छूने लगा।
शिप्रा ने मादक आवाज में पूछा- जय ये मेरे नीचे कड़ा-कड़ा क्या लग रहा है?
मैंने भी उसी मदहोशी के आलम में कहा- शिप्रा ये मेरा लंड है। “क्या मैं इसे देख सकती हूँ?” मैंने कहा- डार्लिंग ये सिर्फ़ तुम्हारे लिए ही है।
और वो सोफे से उतर कर नीचे ज़मीन पर घुटने के बल बैठ गई और अपने हाथों से मेरी पैंट के ऊपर से ही लंड पकड़ लिया और वो मेरी तरफ़ देखते हुए मेरा लंड मसलने लगी।
मैंने बढ़कर उसके होंठों को चूम लिया और हाथों से मैं अब उसकी टी-शर्ट उतारने लगा, तो उसने अपने दोनों हाथों को ऊपर कर दिया और मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी। वो अंदर ब्रा में अपने मिनी फ़ुटबाल जितनी चूचियों को दबाए हुए थी। वो बिना परवाह किए मेरे लंड को पैंट के ऊपर से मल रही थी। मैंने ब्रा के ऊपर से उन हिमालय जितनी विशाल चोटियाँ देख कर दंग हो गया।
जो कल तक मेरे सपना था, आज हक़ीक़त बनकर मेरे सामने खड़ा था। जिन्हें दबाने की मैं कल्पना किया करता था, आज मैं उन्हें रियल में दबा रहा हूँ। मैंने उन्हें खूब जमकर दबाया, उसके बाद उसकी ब्रा खोल दी। दो उछलती हुई गेंदें बाहर आ गईं। उन चूचियों को मैंने क़ैद से आज़ाद कर दिया और वो अब मेरे सामने सीना ताने खड़ी थी।
मैंने शिप्रा को अपनी गोद में बैठा लिया और उसकी एक चूची को अपने मुँह में भर लिया और दूसरी को अपने हाथों से दबाने लगा।
अब शिप्रा के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं, “आआआआ ईईईईई…” उसका बदन अंगारों की तरह तप रहा था। मेरा लंड पैंट से निकलने के लिए बेताब हो रहा था। मैंने शिप्रा से कहा- जानू अब मेरा हथियार अपने होंठों से चूसो!
उसने तुरंत मेरी पैंट की ज़िप खोल कर लंड बाहर निकाल लिया और उसे देख कर मेरी तरफ़ मुस्कराई और उसे चूसने लगी। मैं सोफे पर से उतर गया और पैंट पूरी उतार दी। अब मेरा पूरा लंड शिप्रा के सामने था और वो मज़े से चूस रही थी। अब मैंने अपने बचे कपड़े भी उतार दिए और शिप्रा मेरा लंड चूसने में मस्त थी।
अब मैंने उसको खड़ा करके उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसकी जींस उतार दी। वो बिल्कुल नंगी मेरे सामने खड़ी थी और मैं उस नंगे बदन को निहार रहा था।
उसकी चूत की घाटी पे उगे छोटे-छोटे बाल मुझे बिल्कुल फूलों जैसा अहसास दे रहे थे। मैंने तभी एक हाथ से उसकी चूची पकड़ी और दूसरे हाथ की ऊँगली उसकी चूत में डाल दी। उसकी चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी। उसने लिसलिसा पानी छोड़ दिया था। मैंने अच्छी तरीके से अपनी ऊँगली को उसकी चूत में डाल दी। धीरे से मैंने दो ऊँगली उसकी चूत में डालीं, तो वो सिहर उठी।
जब मेरी दोनों उँगलियाँ चूत के पानी से गीली हो गईं, तो मैंने उन दोनों ऊँगलियों को अपने मुँह में डाल लीं। फर्स्ट टाइम मुझे जन्नत के स्वाद का अहसास हुआ। अब मैंने उसे सोफे पर लिटा दिया। हम दोनों पूरी तरह से नंगे हो चुके थे। जल्दी कोई थी नहीं क्योंकि अभी तो दोपहर थी और सबको आना था रात में। मैंने उसके पूरे बदन को अपनी जीभ से चाटने लगा और चूचियों को लगातार दबा रहा था। उसका बदन पूरे तरीके से भभक रहा था… वो बुरी तरीके से गरम हो चुकी थी।
मैंने अपनी उँगलियों से उसकी चूत को चोद रहा था। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं, “ह्ह्ह्ह्ह ईईईईईए जय अब मुझे चोद दो मैं बर्दास्त नहीं कर पा रही हूँ।”
अब मैंने उसे अपने बदन के ऊपर लेता हुआ सोफे पर लेट गया और 69 की पोजीशन बना ली। मैंने बहुत सी ब्लू फिल्म्स में ऐक्टर और ऐक्ट्रेस को इस तरीके से मज़ा लेते देखा था, इसलिए मैंने शिप्रा को बताया उसे क्या करना है?
वो मेरा लण्ड लेकर उसे चूसने लगी और मैं उसकी चूत को चाटने लगा। मैं उसकी चूत को कभी ऊँगलियों से, तो कभी जीभ से चोद रहा था। उससे रहा नहीं गया वो मेरे लंड को खा जाने वाली स्टायल से चूस रही थी और मैं उसकी चूत को बड़े प्यार से जीभ से चोद रहा था।
वो मेरा लंड चूसना छोड़ कर मादकता से भरी कराह निकालने लगी और मेरी तरफ़ याचना की नज़र से देखने लगी, जैसे कह रही हो, बस करो जय खेलना! जो बाँध टूटने वाला है! अब मुझसे नहीं रुक रहा है…..!
तो मैंने उसे अब सोफे पर लिटा दिया और अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के मुँह पर रख दिया और बाहर से ही उसके ऊपर लंड का लाल वाला हिस्सा जिसे सुपाड़ा कहते है रगड़ने लगा। हम दोनों को एक जलन सा अहसास होने लगा, जो कभी तो ठंडा लगता और कभी भट्टी की तरह गरम।
जब मुझसे भी रहा नहीं गया, तब मैंने अपना लंड पकड़ के उसकी चूत के अन्दर डाला। लेकिन चूत बहुत टाईट थी। मैंने थोड़ा जोर लगाया तो शिप्रा चिल्ला उठी। मैंने उसके होंठों पर अपने होंठों को रख दिया और चूसने लगा। कुछ सेकेंड बाद मैंने एक जोर का धक्का दिया तो मेरा आधा लंड चूत में चला गया।
उसने चीखना चाहा, पर मेरे होंठों ने उसकी चीख रोक दी। मैंने उसके होंठों चूसना बदस्तूर जारी रखा। जब उसे थोड़ा आराम मिला, तो फिर एक जोर का धक्का और लगाया उसकी चीख के साथ ही खून की एक धार भी निकल पड़ी चूत से, पर मैंने परवाह नहीं की क्योंकि ये तो होता ही जब नई चूत फटती है।
मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को अन्दर-बाहर करना शुरु किया। पहले तो उसके मुँह से “ऊँ…ऊँ” की आवाजें आती रहीं, फिर कुछ देर बाद वो भी अपनी कमर उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी। अब हम दोनों हवा में उड़ रहे थे। कमर एक ताल में चल रही थी।
जब मैंने देखा शिप्रा को अब कोई दर्द नहीं है, तो हमने अपनी स्टायल को बदल लिया और डॉगी-स्टायल में आ गए। मैं उसे पीछे से खड़ा करके चोद रहा था और एक हाथ से उसके बाल पकड़े हुए था और दूसरे हाथ से उसकी ‘बमपिलाट चूचा’ दबा रहा था। अपने लंड से शिप्रा की चूत चोद रहा था और शिप्रा के मुँह से आवाजें आ रही थीं।
वो लंड पहली बार खा रही थी, इसलिए शोर ज्यादा मचा रही थी, पर मैं परवाह किए बगैर उसे हचक कर चोद रहा था। तभी शिप्रा का बदन अकड़ने लगा और वो एकदम से ढीली हो गई। मैंने दुबारा उसे जल्दी से तैयार किया और अबकी बार उसे अपनी गोद में लेकर चोदा।
उस दिन हमने एक-दूसरे को 3 बार चोदा। वो दिन मेरी लाइफ का सबसे हसीन दिन था। मुझे मेरी जवानी का अहसास शिप्रा ने ही कराया था। हम दोनों ने फर्स्ट टाइम जन्नत की सैर की। उसके बाद हम दोनों ने एक साथ बाथरूम में शावर लिया और काफ़ी पीने बैठ गए।
मैंने शिप्रा को आज के लिए ‘थैंक्स’ कहा तो शिप्रा ने मुस्कराया और कहा- नहीं जय, तुम नहीं जानते, आज मैंने तुमसे क्या पाया, इसका अगर तुम्हें अहसास होता, तो तुम मुझे ‘थैंक्स’ न कहते बल्कि मुझे तुम्हें ‘थैंक्स’ कहना चाहिए।
फिर थोडी देर हम लोगों ने नॉर्मल होने के लिए कुछ इधर-उधर की बातें की और दुबारा इसी तरीके से मौका मिलने पर एक-दूसरे को चोदने का वादा किया!
आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी। मुझे ज़रूर मेल करके बताएं।
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