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दोस्तो, मेरा नाम दीपक है, मैं उत्तर प्रदेश के मुजफ़्फ़रनगर जिले का रहने वाला हूँ। यह कहानी मैं अपनी और अपनी गर्ल-फ्रेंड मीनाक्षी के बारे मैं लिख रहा हूँ, कहानी एकदम सच्ची है।
आज से लगभग पाँच साल की बात है। हुआ यूँ कि जब मैं 12वीं की पढ़ाई खत्म करके डिग्री कालेज में जाने लगा। एक लड़की से मेरी दोस्ती हुई, पहले वो मेरी मौसी के घर पर ट्यूशन पढ़ने के लिए आती थी। मैं भी अपनी मौसी के घर पर ज्यादा जाता था। उसका घर और हमारी मौसी का घर नजदीक ही था।
मेरी मौसी का लड़का ट्यूशन पढ़ता था। मैं उस लड़की को पढ़ते समय कभी-कभी देख लेता था। वो भी मुझको कभी-कभी नजर उठा कर देख लेती थी। समय बीतता गया मैं भी उससे बातें करने लगा था और वो भी अब मुझसे बातें कर लेती थी। वो उस समय 12वीं क्लास में थी, वो देखने ज्यादा सुंदर नहीं थी और न ही ज्यादा नॉटी थी वो कुल मिलाकर देखने में ठीक-ठाक सी लगती थी।
एक दिन मैंने उसको दोस्ती के लिए कहा और उसने मेरी दोस्ती स्वीकार कर ली। उसके बाद मैं भी इंजिनियरिंग की पढ़ाई करने दूसरे जिले में चला गया। उसके कभी-कभी फोन आने लगे। मैं भी उससे बात कर लेता था।
एक दिन वो मुझको कहने लगी- छुट्टी लेकर घर आ जाओ। मैंने पूछा- क्या बात हो गई? तो वो बोली- मन नहीं लग रहा है तुम्हारी याद आ रही है। मैं बोला- मैं अभी नहीं आ सकता लेकिन शनिवार को आ जाऊँगा।
मेरी शनिवार रविवार की छुट्टी रहती थी। मैं शनिवार को अपनी मौसी के घर पहुँच गया, वो मुझको देख खुश हो गई। उस दिन उनकी रिश्तेदारी में कोई गुजर गया था और उसके घर वालों को अचानक वहाँ जाना पड़ा था। घर में वो और उसकी बड़ी बहन रह गई थी। उसकी बड़ी बहन भी जानती थी कि मैं उस पर लाइन मारता था।
करीब शाम के 7 बजे उसका फोन आया और मैं उसके घर चला गया। उसने मुझको चाय-पानी के लिए पूछा और चली गई। उसकी बड़ी बहन मुझसे बातें करने लगी और मैं भी कुछ देर बाद वहाँ से चलने लगा, तो उसने मुझको चोरी से एक पर्ची दे दी, उसमें लिखा था- मुझे नींद की गोली पहुँचा देना।
मैं सब समझ गया और बाजार से गोली लाकर उसको दे दी और उसको रात को आने के लिए बोल गया। उसने वो गोली अपनी बहन को रात में दूध में डाल कर दे दी और रात को 11 बजे उसने मुझको फोन कर के अपने घर बुलाया। मैं चला गया और अपनी मौसी के यहाँ खाना खाकर, अपने दोस्त के घर जाने के लिए वहाँ से निकल गया और उसके घर चला गया।
वो मेरा हाथ पकड़ कर अपने कमरे में ले गई और मेरे गले लगकर बोली- बहुत दिनों बाद आए हो..! और मेरे होंठों को चूमने लगी। मैं भी उसके होंठों को चूमने लगा। मेरा लण्ड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा और मैं उसको लेकर बिस्तर पर आ गया और उसके चूचे दबाने लगा।
वो वासना से मस्त होने लगी थी। मैंने उसका कुरता उतार दिया और उसकी सलवार को ढीला करके उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा। उसको भी मज़ा आ रहा था। फिर मैंने उसकी सलवार भी उतार दी, अब वो सिर्फ़ ब्रा और पैन्टी में थी। मैं उसके होंठों को चूमता ही जा रहा था और उसके चूचे भी दबा रहा था। वो मदहोश होकर पड़ी थी।
मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए थे और अपना लौड़ा उसके हाथों में दे दिया। वो मेरा लौड़ा पकड़ कर चौंक गई और बोली- ये इतना बड़ा और मोटा होता है? मैं तो आज मर ही जाऊँगी !
मैंने उसको मुँह में लेने को कहा तो उसने मना कर दिया। लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था। मैंने अपना लौड़ा उसके मुँह में दे दिया। मेरा लौड़ा उसके मुँह मैं ठीक ढंग से घुस भी नहीं रहा था। फिर हम 69 की पोजीशन में हो गए और मैं उसकी चूत चाटने लगा। उसकी चूत पर हल्के से बाल थी मैं उसके चूत को चाटता रहा।
वो ‘आअ… आहह…’ जैसी आवाजें निकालने लगी और कहने लगी- अब डाल दो। फिर मैंने लण्ड उसकी चूत पर टिका दिया और हल्का सा धक्का किया तो वो कराह उठी और बोली- बहुत दर्द हो रहा है..!
लेकिन मैंने पूरा जोर लगा कर एक जोर का धक्का दिया। मेरे लण्ड का सुपारा ही घुसा था कि वो रोने लगी और मुझको अपने ऊपर से हटाने लगी, लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने फिर एक जोर का धक्का मारा.. मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया और वो छटपटाने लगी। मैं उसके होंठों को अपने होंठों से दबा लिया ताकि उसकी आवाज़ बाहर ना जा पाए।
थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम हुआ तो वो नीचे से चूतड़ उठा के चुदने लगी। मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और करीब 15 मिनट के बाद मैं झड़ गया, वो भी झड़ गई। फिर हम उठे तो चादर पर नजर गई, जो खून से सनी हुई थी। यह देख कर वो घबरा गई, लेकिन मैंने उसको बताया पहली बार ऐसा ही होता है और वो भी इस बात को जानती थी सो मान गई। फिर हम दोनों बाथरूम गए और मैंने उसकी चूत को कपड़े से साफ कर दिया।
इसी दौरान मेरा लौड़ा फिर से तन गया और फिर मैंने उसको कुतिया बनाकर चोदा और सारी रात हम दोनों लगभग पांच बार झड़ चुके थे और हम दोनों थक भी चुके थे। सो हम एक-दूसरे के बाहों में बाहें डाल कर सो गए और सुबह करीब 5 बजे मैं उसके घर से आ गया।
उसके बाद मैंने उसको कई बार चोदा, फिर उसने अपनी चार सहेलियों की सील भी मुझ से तुड़वाई। आज भी हम को जब भी मौका मिलता है.. हम सेक्स करते हैं और ‘ग्रुप-सेक्स’ भी करते हैं।
तो दोस्तो, कैसी लगी, आपको मेरी यह पहली कहानी। आशा करता हूँ कि आपको अच्छी लगी होगी। मुझको मेल करके जरूर बताना।
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