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मेरा नाम पुलकित है। मैं जॉब के सिलसिले में मेरठ गया था। मुझे एक कमरे की तलाश थी। बहुत चक्कर काटने पर मुझे किसी ने एक पता दिया। जब मैं वहाँ पहुँचा तो चालीस साल की एक महिला मिली। उसने मुझसे कई सवाल किए। फिर बात किराए की हुई।
उसने कहा- मैं तो सिर्फ परिवार वालों को ही किराए पर कमरा देती हूँ, पर तुम कुछ शरीफ लगते हो तो मैं तुझे किराए पर दे रही हूँ। तुम कुछ गलत मत करना, नहीं तो मैं उसी समय खाली करा लूँगी।
तभी उसकी बेटी पानी लेकर आई।
क्या माल थी वो ! मस्त चूचे, फूले हुए नितम्ब, पतली कमर !
मैं तो दीवाना हो गया, पर उसकी माँ के सामने शरीफ बना रहा। हाँ, मैं नाम तो बताना भूल ही गया। बेटी का नाम सपना था। उम्र अठारह की थी। मुझे साफ़ पता रहा था कि स्कूल में मम्मे जरुर दबवाती होगी, क्योंकि उसके बोबे बड़े थे।
मैंने एडवांस दिया ओर बोला- मैं होटल से अपना सामान ले आता हूँ।
इस पर वो बोली- एक काम करो, सपना भी मार्केट जा रही है, तो तुम लोग साथ ही चले जाओ। सपना वहाँ से वापस आ जाएगी।
मैंने कहा- कोई बात नहीं, मैंने तो रिक्शा से जाना है, मेरे साथ ही चली जाएगी।
सपना तैयार होने चली गई। पाँच मिनट के बाद वो आई तो काली जींस और पीले टॉप में।
हय ! उसके बोबे देख कर मुँह में पानी आ रहा था !
मैंने सोचा कि इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा। इसे पटाना है तो कुछ करना ही पड़ेगा।
हम लोग मार्केट की तरफ निकल पड़े। रास्ते में मैंने पूछा- तुम्हारा नाम क्या है?
उसने बताया- सपना !
“किस क्लास में पढ़ रही हो?”
उसने बताया- ग्यारहवीं में हूँ।
फिर मैंने उसके पापा के बारे में पूछा तो उसने बताया- पापा विदेश में रहते हैं और छह महीने में आते हैं।
मुझे लगा कि मेरा काम आसान हो जाएगा। फिर बात करते-करते मैंने अपने हाथ की कुहनी से उसके बोबे दबा दिए। इस पर वो दूसरी तरफ देखते हुए मुस्कराने लगी। मेरे तो होश उड़ गए, समझ गया कि इसे अच्छा लगा। फिर मैंने अपना हाथ पीठ के पीछे ले जाकर उसके कंधे पर रख दिया तो वो थोड़ा सट गई पर कुछ बोली नहीं।
मैंने दूसरे हाथ से उसकी जाँघ को सहलाना शुरू कर दिया। तब उसने मेरी तरफ देखा तो मैं भी मुस्कराने लगा।
उसने कहा- बहुत जल्दी में लग रहे हो।
मैंने कहा- आप इतनी सुन्दर हो कि रोक ही नहीं पाया।
वो बोली- बदमाश !
मैं समझ गया कि यह तो पट गई है। तब तक हम लोग मार्केट में पहुँच गए।
उसने कहा- आप होटल से आ जाओ। तब तक मैं शॉपिंग कर लेती हूँ लेकिन आप लौट जाना, हम साथ नहीं आ सकते।
मैंने कहा- थोड़ी देर होटल में चलतीं तो बात करते, फिर शॉपिंग करके साथ ही लौट जाते।
इस पर वो बोली- मम्मी डाटेंगी।
तो मैंने कहा- अच्छा तो फिर अकेले ही लौटेंगे, पर होटल तो चलो।
वो बोली- तुम बदमाशी करोगे।
मैंने कहा- नहीं यार, अब मुझे जल्दी नहीं है।
इस पर वो शरमा कर दूसरे तरफ देखने लगी।
मैंने कहा- चलो भी न।
तो फिर वो तैयार हो गई। रूम में आकर मैंने अपना सामान पैक किया।
फिर उसने मेरे लैपटॉप को देखा तो बोली- आप मुझे अपना लैपटॉप चलाने दोगे?
मैंने कहा- आज से तुम बेहिचक इसे यूज करना।
वो खुश हो गई, फिर वो बोली- इसके पहले जितने भी किराएदार थे सब अंकल थे। पहली बार मम्मी ने किसी लड़के को रखा है।
मैंने कहा- फिर तुम्हें कैसा लगा?
तो वो बोली- मजा आ गया।
मैं समझ गया कि अब तो दिल्ली दूर नहीं, चूत गर्म है, पेल दे बेटा। मैंने उसके हाथ पकड़ कर अपनी और खींच लिया और उसके होंठ पर होंठ रख दिए। दोनों हाथ से ऐसा पकड़ रखा था कि बोबे छाती में दब गए। वो छूटने की कोशिश करती रही, पर एक मिनट के बाद साथ देने लगी। मैंने अपना हाथ पिछवाड़े पर डाल कर चूतड़ दबा दिया। पाँच मिनट होंठ से होंठ जुड़े रहे।
फिर मैंने कहा- आई लव यू !
उसकी आँखें लाल हो चुकी थीं, वो मेरे सीने से लिपट गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
फिर बोली- मुझे सामान खरीदना है, देर होगी तो मम्मी डांटेगी।
मैंने कहा- कुछ देर रुक जा ना !
वो बोली- सब्र से काम लो, नहीं तो दूसरे दिन ही मम्मी तुम्हें बाहर का रास्ता दिखा देगी, समझे !
मैंने भी सोचा कि इतनी जल्दी बेटी को पटा लिया। अगर इसकी माँ को पता चला तो सही में बाहर कर देगी। मैंने उसका नम्बर ले लिया।
मैंने कहा- चलो, मैं शॉपिंग करा देता हूँ।
तो वो शरमा गई और बोली- मुझे तो पैड्स और पैंटी लेनी थी।
मैंने कहा- किस के लिए? खुद के लिए या मम्मी के लिए !
तो वो बोली- चल हट, खुद के लिए।
मैंने कहा- तब तो मैं ही पसंद करूँगा।
वो बोली- चल भाग जा।
फिर वो निकल गई।
कहानी का अगला भाग: सपना की चुदास ने मम्मी को भी चुदवाया-2
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