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निर्मला आंटी विधवा थी, उनका सिर्फ एक लड़का था, वो पाँचवीं में पढ़ता था। जुलाई में स्कूलों में छुट्टियाँ पड़ती हैं इसलिए उनका लड़का अनुज अपनी मौसी जी के यहाँ गया हुआ था। इसलिए वहाँ सिर्फ निर्मला आंटी और अनीता मामीजी दोनों ही रह गए थे।
मैं 9 जुलाई शनिवार के दिन वहाँ शाम करीब 4:30 बजे पहुंचा था और बस-स्टैंड से घर तक मामी की स्कूटी से गया। घर पहुँच कर जब अंदर गया तो निर्मला आंटी भी अंदर ही थी। वैसे तो मैं उन्हें पहचानता ही था और वे भी मुझे। अंदर आने पर मैं सोफे पर बैठ गया और मामी और आंटी से बातें कीं, फिर मैं फ्रेश होने के लिए मैं बाथरूम चला गया।
जब वापस बाहर आया तो आंटी और मामी मेरे बारे में ही बातें कर रही थीं। मैं भी उनके साथ बैठ गया और बातें करता रहा। तभी मामी रसोई में चली गईं और खाना बनाने लगीं और मैं और आंटी बातें करते रहे। मेरी नज़र उनके चूचों पर पड़ी, वे काफी लटके हुए थे। तब समझा कि उन्होंने ब्रा नहीं पहनी हुई थी।
तभी थोड़ी देर बाद वो वहाँ से जाने लगीं, तो मामी ने अंदर से आवाज लगा कर कहा- निर्मला, आज यहीं खाना खाना है और नीचे बैठ जाओ।
यह सुनकर निर्मला आंटी बैठ गईं और उनका दुपट्टा नीचे खिसक गया और अब उनके मम्मे ऊपर से दिखाई दे रहे थे। मेरी नज़र उन पर टिक गई। तभी आंटी ने फट से चुन्नी ठीक से ले ली। पहले तो मेरी थोड़ी सी फट गई, पर बाद में वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा रही थीं। फिर वे थोड़ा नजदीक आ गई और चुन्नी उन्होंने थोड़ा हटा ली और मैं दोबारा उनके चूचे देखने लगा।
वो फिर मुस्कुरा दी और बोलीं- तुम काफी बदमाश हो!
यह सुनकर मुझे थोड़ा हौंसला हुआ और उनके साथ जाकर चिपक कर बैठ गया। वो थोड़ा खिसक कर दूर हो गईं और बोलीं- क्यूँ, क्या सोच रहे हो? मैंने जबाव दिया- जो आप!
यह सुनकर वो दोबारा मुस्कुरा दीं और उन्होंने एक हाथ मेरी जांघ पर रख दिया और उसे घुमाने लगीं। इससे मेरा लौड़ा खड़ा हो गया और पैंट में एक तरफ हो गया और मेरी तंग के ऊपर उभर गया। यह देख आंटी ने ऊपर से ही उसे मसल दिया और लंड और कड़क हो गया।
तभी थोड़ी देर में मामी बाहर आईं और उन्होंने मुझे और आंटी को मजे करते हुए देख लिया और वे भी मुस्कुरा पड़ी पर उन्होंने अनदेखा करते हुए डिनर करने को कहा। फिर हम वहाँ से उठ कर खाने की मेज पर चले गए। वहाँ मैं और आंटी एक तरफ बैठ गए और मामी दूसरी तरफ बैठ गईं।
हम खाना खाने लगे, तभी मैंने जान-बूझ कर रोटी नीचे गिरा दी और उसे उठाने के बहाने नीचे झुका और फट से रोटी उठा कर, मैंने आंटी की जांघों में चुम्बन जड़ दिया।
वो थोड़ा हिलीं और झट से मुझे ऊपर उठा लिया। उन्होंने और मामीजी आपस में एक दूसरी को देख मुस्कुराई और फिर सब खाने लगे। तभी आंटी ने अपनी कुर्सी मेरी तरफ खिसकाई, अपना बायाँ हाथ मेरी जांघ पर रख दिया और फिर खाना खाने लगीं।
धीरे धीरे उनका हाथ मेरे लंड के ऊपर आ गया, वो बाहर से लंड पकड़ने लगीं, परन्तु जींस के कारण वो ढंग से पकड़ नहीं पाईं इसलिए उन्होंने चेन खोल दी और मेरी चड्डी के ऊपर से ही हिलाने लगीं। तभी मेरे मुँह से ‘आह’ निकली।
यह सुनकर मामी ने पूछ लिया- देव क्या हुआ, कहीं दर्द हो रहा है? मैंने फट से जबाब दिया- नहीं मामी, ऐसी कोई बात नहीं है। बस मेरी पैर की उंगली दब गई थी।
और मैंने झट से निर्मला आंटी के हाथ हटा दिए और जल्दी से चेन चढ़ा ली।
लेकिन मामी और निर्मला आंटी आपस में मुस्कुरा रही थीं। मुझे थोड़ा शक हुआ लेकिन मैं थोड़ा सा खाना खाकर उठ गया और हाथ धोने लगा।
तभी मामी आंटी से धीरे-धीरे पूछने लगीं- क्यूँ कैसा है देव का? आंटी भी धीरे से फुसफुसाई- काफी मोटा है।
और मैं फिर वहाँ से अपने सोने के कमरे में चला गया। करीब 15 मिनट बाद मामी आई और मुझे एक कम्बल दिया और कहा- जल्दी सो जाना!
और बाहर चली गईं, मैं बेड पर लेट कर टीवी देखने लगा।
थोड़ी देर में वहाँ आंटी आईं और बोलीं- क्या देख रहे हो? मैंने कहा- कुछ नहीं, बस यूँ ही! और वो भी बेड पर गईं। यह देख मैं उठा और दरवाज़ा बंद करने चला, तभी उन्होंने मुझे पकड़ कर बैठने को कहा।
मैंने कहा- दरवाजा बंद कर देता हूँ, नहीं तो मामी आ सकती हैं। तो यह सुनकर वो हँसी और बोलीं- तुम फ़िक्र मत करो, उन्हें पहले से ही पता है और उन्होंने ही मुझे तुम्हारे पास सोने को कहा है।
मैं थोड़ा घबरा गया तो यह देख वो मेरे पास बैठ कर बोलीं- देव तुम बहुत अनजान हो, तुम टेंशन मत लो, यह सब पहले से ही प्लान था तभी तो तुम्हें यहाँ इतनी जल्दी बुला लिया गया। मैंने ही तुम्हारी मामी से तुम्हारी सिफारिश की थी।
इस पर मैंने पूछा- कैसी सिफारिश!
तो वो बोलीं- मैंने अनीता से अपनी गर्मी के बारे में बताया था और उन्होंने कहा था कि तुम जुलाई के अंत में यहाँ आओगे, तभी मेरे लिए ही अनीता ने तुम्हें इतनी जल्दी बुलाया है। तुम टेंशन मत लो अनीता यहाँ नहीं आने वाली।
और वे उठीं और दरवाज़ा बंद कर दिया और बेड पर मेरे पास आकर चिपक गईं और किस करने के लिए आगे बढ़ी। मैंने भी दोनों हाथों को उनकी कमर पर रखा और उन्हें चूमने लगा और हाथों से उनकी पीठ सहलाता रहा। कोई 10 मिनट तक हम चुम्बन करते रहे। फिर मैं नीचे की और बढ़ा और गले से चूमता हुआ उनके चूचों को बाहर से ही चाटने लगा और हाथों से उनकी चूत को सहला रहा था।
निर्मला आंटी मस्त शरीर की मालकिन थीं। उनका फिगर 34-30-36 था। जब से उनके पति नहीं रहे, उन्होंने किसी से भी चुदाई नहीं करवाई थी। बस वे मामी के साथ कई बार सोती थीं, परन्तु कभी भी वे मामाजी से भी नहीं चुदी थीं।
फिर मैं उठा और उनका टॉप भी उतार दिया और उन्होंने मेरी शर्ट उतार दी और हम दोनों एक दूसरे को रगड़ने लगे। इस रगड़ाई में हम दोनों और अधिक गर्म हो गए, और फिर मैं उनके बड़े-बड़े पपीतों को चूसने लगा।
थोड़ी देर चूसने के बाद मैं उठा और उनकी सलवार भी उतार दी। उन्होंने काले रंग की पैन्टी पहनी थी। मैंने उसे दांत से खींचकर निकल फेंका। आंटी ने भी मेरी पैंट उतार दी और मेरी चड्डी भी निकाल फेंकी। वे मेरे 8″ के लौड़े को अपने कोमल हाथों से पकड़ कर मुठ मारने लगीं। फिर उन्होंने लौड़े का लाल सुपारा निकाला और उसे छोटे बच्चे की तरह से चाटने लगीं। थोड़ी देर तक उसे चाटने के बाद उन्होंने पूरा लौड़ा मुँह में लिया और फिर वे मुझे मुख मैथुन का मज़ा देने लगीं। करीब 5-7 मिनट तक चूसने के बाद मेरा पानी निकल गया और वे उसे पूरा चाटकर पी गईं।
फिर वे लेट गईं और बोलीं- अब तेरी बारी है।
और मैं उनकी चूत चाटने लगा। करीब 5 मिनट तक चूसने के बाद उन्होंने पानी छोड़ दिया और मैंने पूरा चूस लिया। फिर मैं उठा और उनके ऊपर आ गया। तभी उन्होंने मुझे एक गोली वियाग्रा की खाने को दीं। मैंने खा लीं और पानी पिया और फिर उनके ऊपर चढ़ गया और चूमा-चाटी शुरू कर दी। तभी मेरा लौड़ा दोबारा तन गया और उनकी चूत से टकरा रहा था।
तभी वे बोलीं- चलो, अब मुझे खुश करो, मुझे संतृप्त कर दो, पहले धीरे से करना, कई सालों से मैंने अपनी फ़ुद्दी नहीं चुदवाई है।
मैंने लौड़ा चूत के आगे टिकाया और धक्का दिया थोड़ा सा अंदर गया। आंटी ने मुझे पकड़ लिया और बोलीं- देव, थोड़ा धीरे से करो।
फिर मैंने धीरे-धीरे चोदना शुरू किया। थोड़ी देर में उन्हें भी मज़ा आने लगा और वो मुझे जोर-जोर से चोदने के लिए बोलीं। फिर मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी। कमरे में फ़च..फच की आवाजें गूंज रही थीं।
हम दोनों भरपूर आनन्द ले रहे थे और मैं उनको चूमता भी रहा। तभी थोड़ी देर में वो छूटने लगीं और अपने चूतड़ ऊपर करके चुदवाने लगीं।
जैसे ही वो स्खलित हुईं, पूरी चूत पानी से भर गई और मेरा लंड फिसलने लगा। फिर मैं हटा और उनकी गांड की तरफ बढ़ा, परन्तु उन्होंने मना कर दिया और बोलीं- आज नहीं, फिर कभी।
लेकिन मेरा पानी नहीं निकला था इसलिए उन्होंने मेरा लौड़ा चूसना शुरू किया। कभी वो मुठ मारती तो कभी चूसती थीं। मैंने उन्हें ऊपर किया और उनके चूचों के बीच में लण्ड फँसा कर उनको चोदना शुरू किया और थोड़ी देर में मेरा भी पानी निकल आया।
उन्होंने सारा पानी चूचों पर गिरवाया और फिर मुझे बेड पर लिटा कर मेरे ऊपर चढ़ गईं और अपने चूचों को मेरी छाती से रगड़ने लगीं और चूमती रहीं। इस तरह हम दोनों पूरी रात भर चुदाई का आनन्द लेते रहे और करीब सुबह ही सोये थे।
तो दोस्तो, यह मेरी दास्तान! कैसी लगी, कृपया अपने विचार लिखें। [email protected]
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