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प्रेषक : मनोज वर्मा
आज की कहानी मेरे कॉलेज के दिनों की है।
कॉलेज के दिनों में मैं फ़्लैट में अपने दो रूम-मेट के साथ रहता था। हमारा 2 बीएचके फ़्लैट था। जिसके एक रूम में मैं, दूसरे में रोहित रहता था और ख़ान हमारा जूनियर था व वो हॉल में रहता था। हॉल काफी बड़ा था, जिसमें वो चाहता तो केवल पर्दा लगा कर रूम बना सकता था लेकिन ऐसा उसने कुछ नहीं किया क्योंकि उसे प्राईवेसी की कोई जरूरत नहीं थी।
वो था तो हमारा जूनियर लेकिन वो लड़कियों के मामले में थोड़ा फास्ट था। कॉलेज में आये उसे अभी केवल 7 महीने ही हुये थे और उसने एक लड़की को पटा लिया था, उसका नाम ‘मोनिका’ था। बहुत खूबसूरत थी, एकदम गोरी-चिट्टी, मैदा की तरह। उसका फिगर भी कमाल का था 34-28-34, उम्र 18-19 अपने कॉलेज की भाषा में ‘कंटाप’ थी।
ख़ान ने उसे हमसे मिलाया था और पूछा था कि भैया अगर यह फ्लैट पर आये तो कोई दिक्कत है क्या?
हमने बोला कि कोई दिक्कत नहीं है लेकिन केवल पढ़ाई करने के लिये, रात में रूकने के लिये नहीं।
खान बोला- ठीक है।
लेकिन वो मानने वाला तो था नहीं, वो उसे रोज़ लेकर आने लगा, देर तक रोकता और कभी कभी तो रात में भी रूकने लगी थी, वो हॉस्टल में झूठ बोल कर आती थी ताकि कोई खोज़-ख़बर नहीं होती थी उसकी। मुझे और रोहित को थोड़ा अजीब भी लगता था और उसके रोज़-रोज़ आने से हमें दिक्कत भी होती थी क्योंकि वो फ़्रेश होकर अपने अन्डरगार्मेन्ट्स (ब्रा-पैंटी) हमारे कपड़ों के साथ सूखने के लिये डाल देती थी।
मैंने महसूस किया था कि वो मुझे नोटिस करती है। खैर, कुछ दिनों के बाद तो हद ही हो गई, वो ज्यादातर समय हमारे फ्लैट पर ही बिताने लगी थी।
मैं अपने बारे में बता दूँ कि कॉलेज में ज्यादा क्लास नहीं करता था, मेरी प्रोक्सी (झूठी-उपस्थिति) लग जाती थी। मैं रूम पर ही ज्यादा पढ़ता था। मैं अपना रूम अन्दर से हमेशा बन्द करके रखता था। अन्दर मैं या तो पढ़ता था या पूनम की यादों में खोया रहता था। मेरा किसी से मिलने का मन नहीं करता था और ना कहीं जाने का मन करता था, यह मेरे सारे रूममेटस जानते थे लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि मैं पढ़ाई में कमज़ोर था।
मैं अपने क्लास के टॉप फ़ाइव ऊपर के पाँच छत्रों में हमेशा रहता था। खैर, कुछ समय बीता, वो मुझे कुछ ज्यादा ही नोटिस करने लगी थी और उसका यह रुख देख कर मेरा ध्यान उस पर जाने लगा था। वो रूम पर ज्यादातर ढीले टॉप और कैपरी ही पहनती थी। कोई नोट्स याद करना रहता था वो टहलते हुये याद करती थी।
मुझे पीने के पानी के लिये रसोई में जाना पड़ता था और जब जाना होता था तो वो कोई ना कोई बहाना बनाकर मुझसे बात करने लगती थी। मैं उसकी बातों का जवाब देकर अपने कमरे में आ जाता था। मैं अक्सर रात में भूख लगने पर पास के होटल में जो स्टूडेन्टस के लिये रात-भर खुला रहता था, जाता था।
एक बार रात में 2.30 बजे भूख लगने पर मैं बाहर जाने लगा, जैसे ही हॉल में गया, वहाँ एकदम अन्धेरा था और कुछ मादक आवाज सुनाई दी। मैं समझ गया कि इनका चुदाई का काम चल रहा है। मैं बिना कोई दिक्कत किये वहाँ से बाहर निकल गया। लेकिन मैं भी इन्सान हूँ और यह सब सुनने के बाद दिमाग में वो ही मादक आवाजे गूँज रही थी।
मैं जल्दी से रूम पर आया, कम्प्यूटर में ब्लू फिल्म देखी, मुठ मारी और सो गया।
मुझे कॉलेज जाना तो था नहीं तो देर से उठा। सुबह के दस बजे थे। पूरे फ्लेट पर खामोशी थी। बाहर हॉल में जाकर देखा तो वहाँ केवल मोनिका थी और वो पढ़ रही थी। मुझे देख के मुस्कुराते हुये बोली- गुड मॉर्निंग !
मैं पानी पीते हुये बोला- गुड मॉर्निंग !
और पूछा- इतनी सुबह-सुबह ये दोनों कहाँ चले गये?
मोनिका- दोनों तो अपने अपने घर गये। रोहित भैया के यहाँ कोई पारीवारिक कार्यक्रम है तो वो तो कल रात में ही चले गये थे, वो आपसे नहीं मिल पाये और ख़ान की अम्मी की तबीयत कुछ ज्यादा ही खराब हो गई तो वो तत्काल से टिकट करवा के आज चला गया।
मैं- कमाल के रूममेट्स हैं, कोई कुछ नहीं बताया?
मोनिका मुस्कुराते हुये- आप ही तो रूम बन्द करके रहते हैं, किसी के साथ नहीं घुलते हैं, किसी से कुछ पूछते नहीं हैं तो चले गये बिना बताये !
मैं कुछ नहीं बोला और रसोई में आ गया और मोनिका हॉल में पढने लगी। फ़िर वो रसोई में आ गई बुक लेकर तो मैंने पूछा- ख़ान तो है नहीं, तो तुम्हें हॉस्ट्ल जाना चाहिये?
तो वो मेरी तरफ चुप करके देखने लगी और बोली- ख़ान नहीं है तो मैं यहाँ नहीं रह सकती? ख़ान के रहने पर ही मैं यहाँ रह सकती हूँ? आप यहाँ हैं तो मैं यहाँ नहीं रह सकती? चली जाऊँ?
मैं बोला- नहीं, ऐसी कोई बात नहीं हैं। रहो लेकिन तुम सोच लो, अगर किसी ने देख लिया तो तुम ख्वामोखाह ही दिक्कत में पड़ जाओगी।
मोनिका बोली- हॉस्टल में पढाई नहीं हो पाती है, सीनियर्स टाइम खराब कर देते है। आपको दिक्कत हो रही है तो मैं चली जाती हूँ। कहकर वो सामान समेटने लगी।
तो मैं बोला- मुझे कोई दिक्कत नहीं है, रहो।
मैं यह बोल के फ़्रेश होने चला गया। फ़्रेश होकर मैं नाश्ते के लिये जाने लगा तो वो पूछने- कहाँ जा रहे हैं? मुझे भूख लगी है, कुछ खाने चलें?
मैंने उसकी तरफ देखा और बोला- चलो, मैं नाश्ता करने ही जा रहा हूँ।
”मुझे दो मिनट दीजिये, मैं चेंज करके आती हूँ !” बोली और तौलिया, जींस लेकर रसोई में चली गई।
वो तैयार होकर आई तो वो काले जींस-टॉप में थी और उसमें वो किसी कयामत से कम नहीं लग रही थी। मैं उसे बस देखता ही रह गया। वो मुस्कुराते हुये मेरे पास आई और चुटकी बजाते हुये मेरा ध्यान तोड़ते हुये बोली- चलें?
मैं झेंप गया और झेंपते हुये बोला- चलो !
फ्लैट से बाहर निकले और नाश्ते के लिये चल पड़े। उसे शायद तेज भूख लगी थी, वो मुझसे आगे-आगे जाने लगी, पीछे से वो क्या कयामत लग रही थी, उसके मटकते कूल्हे मेरे मन को भटका रहे था तो मैं तेजी से चल कर उसके साथ हो लिया और उसके पास जाकर बोला- मोनिका, अभी बहुत सुन्दर लग रही हो।
वो हँसते हुये बोली- वाह… आपको तो कॉम्प्लीमेंट भी देने आता है? थैंक्यू।
हम नाश्ता करके, कॉफी पीकर रूम पर आ गये। मैं अपने रूम में जाने लगा तो वो बोली- प्लीज, दरवाजा मत बन्द कीजियेगा, कुछ सवाल पूछ्ना होगा तो नॉक करना पड़ेगा।
“ओके !” बोल कर मैं रूम में आ गया और चेंज करके केवल लोवर (नो चड्डी-टीशर्ट) पहन कर लेटा ही था कि वो फर्स्ट ईयर के मैथ्स के कुछ सवाल लेकर मेरे रूम में सीधे घुस आ गई, बोली- कुछ सवाल लगाने हैं मैथ्स के, यहीं आपके टेबल पर बना लूँ?
मैं थोड़ा घबरा गया था उसके अचानक आने से, फिर मैंने बोल दिया- ओके !
उसने भी चेंज किया था, वो केवल लोवर और गहरे गलेवाले टॉप पहने हुये थी। वो किसी सवाल पर अटकी तो कुर्सी मेरे बेड के पास लेकर आ गई और सवाल का हल पूछने लगी।
मैंने बता दिया। वो वही पर थोड़ा और झुक के उसे फिर से समझने लगी। उसके चुच्चे और उनकी गहराई दिखने लगी। मैं अपने को सम्भालने लगा क्योकि मेरा लंड कड़ा होने लगा था, तो मैं बार-बार उसकी नज़र बचा के उसे सीधा और नियंत्रित करने लगा लेकिन मेरा लंड नियंत्रित होना ही नहीं चहता था। उसने यह देख लिया और हँसने लगी, पूछने लगी- क्या हुआ?
“कुछ नहीं !” बोल कर मैं अपने लंड पर तकिया रख कर बैठ गया। वो मुस्कुराते हुये अपने सवाल बनाने लगी और मैं उसे देखने लगा। फिर मैं अपना तौलिया लेकर बाथरूम की ओर चल दिया नहाने के लिये। मेरा लोअर तो तम्बू बन गया था और वो यह देख कर हँसने लगी।
मैं बाथरूम में घुस गया लेकिन साबुन लाना ही भूल गया, तो मैं केवल तौलिया पहने रूम में गया तो वो मुझे देखने लगी और मुस्कुराने लगी। मैंने भी मुस्कुराते हुये अपना साबुन लिया और वापस बाथरूम मे चला गया। नहा के जब रूम में गया तो देखा मोनिका अभी भी पढ़ ही रही थी। मैं तौलिये में ही था।
मुझे देख कर वो मुस्कुराने लगी और अपना काम क्रना बन्द कर दिया। मैं मन ही मन सोचने लगा कि यह अभी भी यही है और मुझे ऐसे देख कर मुस्कुरा रही है, लग रहा है आज यह चुदवा कर ही मानेगी। आज इसे और मुझे दोनों को मौका मिला ही है।
मैं चड्डी-गन्जी और लोवर पहन कर उसके पास बैठ गया तो वो तपाक से बोली- आपका बदन तो काफी कसा हुआ है और एक ख़ान है आपसे दुबला-पतला !
बोल कर मुस्कुराने लगी।
मैंने मुस्कुराते हुये पुछा- क्या इरादा है?”
तो वो मुस्कुराते हुये बोली- कुछ नहीं, ऐसे ही बोल रही थी।”
फिर यह बोल कर जाने लगी कि मैं भी नहा कर आती हूँ।
मैं उसके साथ हॉल में आया। वो अपना तौलिया और मुस्कुराते हुये अपना ब्रा-पैंटी लेकर बाथरूम में चली गई और मैं रसोई में टहलने लगा।
दस मिनट के बाद वो नहा कर आई, वो मुझे देख के मुस्कुराने लगी और मैं उसे देखता ही रह गया।
वाह..! बला की खूबसूरत लग रही थी।
पता नहीं मुझे क्या हुआ, मैं सीधे उसके पास पहुँचा और उसकी ठुड्ढी को पकड़ते हुये उसकी आँखों में देखते हुये बोला- तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो।
और उसे चूमने लगा। जब हटा तो मुझे ख्याल आया कि मैंने यह क्या कर दिया।
मैंने बोला- सॉरी मोनिका, पता नहीं ये कैसे हो गया?”
तो मुझे बोली- कोई सॉरी नहीं, इस पल का इंतज़ार तो मैं कब से कर रही थी !
बोल कर मुझे पूरे जोर से चूमने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
हम एक-दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे। उसके भीगे बाल और उसकी खुशबू मुझे दीवाना बना रही थी। मैं उसे किस करते हुये और उसके चुचे मसलते हुये अपने रूम में लेकर आ गया। उसके चुचे कड़े थे। वो उत्तेजित होके मादक आवाजें निकालने लगी थी, वो आह्ह्ह आह्ह ह्ह्ह करते हुये मुझे चूम रही थी।
मैंने अपनी जुबान उसके मुँह में डाला तो वो चूसने लगी, मेरे हाथ उसके चूचे मसल रहे थे, उसे पूरा मजा आ रहा था, वो सेक्सी आवाज निकाल रही थी जो मुझे और भी उत्तेजित कर रही थी।
मेरे हाथ उसके कमर से होते हुये उसकी योनि पर गए, तो वो चिहुंक गई लेकिन उसने मना नहीं किया। अब मेरे हाथ उसकी चूत से खेल रहे थे और उसकी चूत को पूरा मजा देने लगे। वो भी अपना हाथ नीचे मेरे लंड पर ले गई उसे ऊपर से ही सहलाने लगी। फिर अपना हाथ मेरे चड्डी में डाल के मेरे लंड को कस को पकड़ लिया, उसे आगे-पीछे करने लगी, मेरा लंड अब एकदम कड़ा हो गया था।
हमने अपने सारे कपड़े उतार दिये थे और पूरे नंगे हो गये और एकदूसरे को बेतहाशा चूमने लगे जैसे हम सदियों से प्यासे हों।
हमने एक-दूसरे का अंग-अंग चूमा, फ़िर मैं उसके कन्धे को नीचे की तरफ दबाने लगा। वो समझ गई कि मैं उसे अपना लंड चूसने के लिये बोल रहा था। वो घुटने के बल बैठ कर मेरे लंड को मुँह में लेकर मस्ती से चूसने लगी। उसके चुसने से मैं मस्ती में आ रहा था, तो मैंने उसे पकड़ कर बोला- रूको… नहीं तो मैं तुम्हारे मुँह में ही झड़ जाऊँगा।
फिर उसे बेड पर लिटा के उसकी चूत पर अपनी जुबान लगाई, तो वो और चिहुँक गई और तेजी से आह आह करने लगी। उसे इतनी मस्ती आने लगी कि वो मेरे सर को अपने चूत पे दबाने लगी और बोलने लगी- नहीं, प्लीज नहीं…”
मैं उसकी चूत को चाट रहा था और ऊपर मेरे हाथ उसके उरोज दबा रहे थे।
फिर वो बोली- प्लीज, प्लीज… कुछ करो… आह्ह्ह… आह्हह…
पूनम के जाने के बाद मैंने कभी नहीं सोचा था कि किसी के साथ हमबिस्तर हो पाऊँगा, लेकिन भावनाओं को कोई कब तक रोक सकता है। वही मेरे साथ भी हुआ, मैं भी नियंत्रित नहीं कर पाया खुद को, भावना में मैं भी बह गया।
मैंने मोनिका से पूछा- कॉन्डम है ना उधर?
मोनिका- होनी तो चाहिये, लेकिन मत जाइये, बिना कॉन्डम के ही करो ना…प्लीज !
मैं- कन्ट्रोल बेबी… अभी आता हूँ !
बोल कर मैं हॉल में आया और ख़ान के अलमारी में देखने लगा तो मुझे 3 कॉन्डम मिले… मैं जल्दी कॉन्डम रूम में लेकर आया तो देखा मोनिका अपने चूत से खेल रही थी…
मैंने मुस्कुराते हुये पूछा- इतनी गर्मी चढ़ हुई है?
और कॉन्डम दिखाते हुये मुस्कुराया तो मेरे पास जल्दी आई और मेरे लंड से खेलते हुये बोली- प्लीज जल्दी ! जल्दी !
उसने खुद से ही एक कॉन्डम मेरे कड़े लंड पर चढ़ा दिया और मुझे अपने तरफ खींचते हुये चूत में डालने लगी तो मैंने रोका और बोला- इतनी भी क्या जल्दी है?
बोल कर मैं मुस्कुराने लगा।
मोनिका- प्लीज मत तड़पाइये, जल्दी से मेरी चूत में आपका लंड डाल के इसकी प्यास बुझा दीजिये… प्लीज !
मैं अपने लंड को मोनिका के चूत पर रगड़ने लगा तो वो और तड़पने लगी और गिड़गिड़ाने लगी- प्लीज प्लीज…।
और अपनी आँखें बन्द कर ली… और मैंने अपना लंड उसकी चूत में ठोक दिया और उसकी चीख निकल गई- आह… ह्ह…
और उसकी आँखों में आँसू आ गये। उसकी चूत में लंड डालने के बाद मैं थोड़ी देर के लिये रुका और उसके होंठों को चूमने लगा, वो भी मुझे चूमने लगी और अपने कूल्हे उठाकर मेरे लंड को अपने चूत मे लेने लगी, वो कूल्हे उचकाने लगी और सेक्सी आवाज निकालने लगी।
मैं उसे बड़े प्यार से चोदने लगा। उसे मजा आने लगा वो और सेक्सी आवाजें निकालने लगी, जिससे मेरा भी जोश बढ़ने लगा और मेरे चोदने की गति भी।मैं प्यार से लेकिन तेज धक्के लगाने लगा। वो आह्ह… आह… अह्ह… अई… की सेक्सी आवाज निकालकर पूरे मजे लेकर चुदवा रही थी और मुझे भी मजे दे रही थी।
उसे 10 मिनट मजे से चोदने के बाद, उसका बदन अकड़ने लगा और मुझे वो अपने तरफ खींचने लगी, मुझे समझ में आने लगा कि वो अब झड़ने वाली है, मेरी स्पीड कम नहीं हुई, मैं और जोश में उसे चोदने लगा।
वो आह… आह्ह… कर रही थी और मुझे पकड़ कर झड़ गई।
कुछ सेकेंड रुकने के बाद मैंने फिर से चोदना शुरु किया क्योंकि मैं अभी तक नहीं झड़ा था। मैं धीरे-धीरे करके अपने चोदने की गति को बढ़ाने लगा और 20-25 धक्कों के बाद मैं भी झड़ने के करीब पहुँच गया तो मैंने मोनिका को बोला- मैं झड़ने वाला हूँ !
और मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल कर कॉन्डम निकाल दिया तो वो मेरा लंड पकड़ मुठ मरवाने लगी, मैं उसे किस करने लगा।वो तेजी से हाथ चला कर मुठ मरवा रही थी और सेक्सी आवाजें भी निकाल रही थी। आखिर में मेरे अन्दर का लावा बाहर निकल पड़ा और उसके पेट को मेरे वीर्य से नहा दिया। वो तब तक मेरा मुठ मरवाती रही जब तक मेरे अन्दर के लावा का एक-एक बूंद नहीं निकाल दिया।
उसके बाद हमने एक-दूसरे को साफ किया। वो मेरे सीने पर अपना सर रखकर मुस्कुराते हुये बोली- इतना मजा मुझे ख़ान के साथ नहीं आया, वो बस मुझे भोगना चाहता है और मेरी इच्छा कुचल देता है लेकिन आपने मुझे प्यार किया, मेरी इच्छा प्यार से पूरी की।
उस पूरे दिन हमने चार बार और सेक्स किया और अगले पाँच दिनों तक हमने अपनी सारी इच्छाएँ पूरी की।
अगले दिन ख़ान अचानक आ गया लेकिन जिस दिन ख़ान आने वाला था, मोनिका अपने हॉस्टल जा चुकी थी।
उसके बाद हमें जब भी मौका मिलता था, हम उस मौके का पूरा फायदा उठाते थे।
यह थी मोनिका के संग मेरी मस्ती।
आपको मेरी यह सच्ची कहानी कैसी लगी, प्लीज ई-मेल से जरूर बताइयेगा।
मेरी और भी सच्ची घटनाएँ हैं मेरे जीवन में वो बाद की रचनाओं में बताऊँगा।
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