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आपने मेरी पिछली कहानियाँ ‘यौन साथियों की अदला-बदली’ और ‘सोनाली भाभी और उनकी उलझन’ पढ़ी और अच्छे सुझाव प्राप्त हुए।
मैं सोनाली के साथ सेक्स करके खुश था और शर्माजी भी। अब मैं उनके घर हमेशा आता-जाता रहता था और हमारे सम्बन्ध भी अच्छे हो गए थे, पर मैं सोनाली के साथ सेक्स नहीं कर सकता था। चूमा-चाटी और ओरल सेक्स कर लेता था।
जब मैं फ़रवरी में उनके घर पहुँचा तो उनके घर का दरवाजा किसी खूबसूरत लड़की ने खोला। कोई 25 साल की लड़की थी, गोरा बदन और कटरीना के जैसे दिखने में थी।
मुझे समझ नहीं आया कि यह कौन सी परी यहाँ उतर आई है। तब सोनाली अंदर से बाहर आ गई उसको छटा महीना चल रहा था और उसका पेट दिखाई दे रहा था।
वो आई और मुझे अंदर आने के लिए कहा। मैं अंदर चला गया। अब मुश्किल यह थी कि उनका घर दो कमरों का था और हम अब ज्यादा लोग थे। मैं फ्रेश होकर कपड़े बदल कर हॉल में आकर बैठ गया।
सोनाली वहाँ ही बैठी थी। सोनाली ने बताया कि यह उसकी बहन मीनाक्षी है, सोनाली ने मीनाक्षी से चाय बनाने के लिए कह दिया। मैं और सोनाली एक ही सोफे पर बैठे बात कर रहे थे और थोड़ा सा माहौल अच्छा होने की वजह से मैं सोनाली को चूमने लगा।
तभी मीनाक्षी वहाँ चाय लेकर आ गई और बोली- दीदी, यह क्या कर रही हो?
सोनाली थोड़ी घबराई और बोली- कुछ नहीं आँख में कुछ चला गया था तो राकेश साफ कर रहा था।
पर मीनाक्षी ने सब कुछ देख लिया था और वो, “नहीं दीदी, कुछ तो है।”
तब सोनाली हँसने लगी और मैं भी।
पर सोनाली को कुछ टेंशन थी, वो बोली- देखो मीनाक्षी तुम जो समझ रही हो, वैसा कुछ नहीं है। राकेश तो मेरे देवर जैसा है, हम लोग यूँ ही मज़ा मस्ती करते रहते हैं और थोड़ी मस्ती तो चलती है। मैं राकेश से सेक्स थोड़ी ही करती हूँ। तेरे पति तो बाहर रहते हैं, पर मेरे नहीं। जरूरत मुझे नहीं तुझे है।
मैं आप को बता दूं कि मीनाक्षी शादीशुदा है और उसके पति कुवैत में काम करते हैं, और साल भर में 2 बार भारत आते थे। तो वो भी थोड़ी नाखुश थी, सोनाली के प्रेग्नेंट होने की वजह से उसकी देखभाल के लिए आई हुई थी।
मीनाक्षी गुस्सा होकर बेडरूम में चली गई और हम लोग टेंशन में आ गए। शर्माजी को तो हमारे बारे में पता था पर मीनाक्षी ने किसी और को बता दिया तो मुश्किल हो जायेगी। सोनाली ने मुझे कुछ सोचने के बारे में कहा।
हमने शर्माजी को फ़ोन कर के घर पर बुलाया और सारी बात बता दी। शर्माजी ने हमें कोसा और मीनाक्षी के रूम में चले गए। मीनाक्षी ने उन्हें सब बताया और उनको बाहर लेकर आ गई।
बाहर आकर वो कहने लगी- जीजाजी, इस आदमी को अभी बाहर निकालो। यह आपके लिए अच्छा नहीं है। आपकी बीवी किसी दूसरे मर्द के बांहों में है और आप कुछ नहीं कर रहे, यह गलत है। मैं माँ और पापा को बता दूँगी।
यह सब सुनकर मुझे लगा कि यह कुछ अलग केस है। शर्माजी और सोनाली ने बहुत मनाया पर वो नहीं मानी। शर्माजी और सोनाली मुझे घर से बाहर निकाल नहीं सकते थे तो उन्होंने कहा- आज शाम को रुक जाओ, हम कल तुम्हें जाने देंगे।
वो अपने कमरे में जाकर बैठ गई और हम लोग हॉल में बैठे थे।
शर्माजी ने कहा- आप लोग जरा संभल कर रहो। किसी के सामने भी शुरू हो जाते हो। अब इस का क्या करूँ? इसने अगर बाहर किसी को बता दिया तो बहुत बदनामी होगी। अब तुम ही कुछ करो राकेश !
मैंने कहा- अभी रुकिए, कुछ देर बाद शाम को आप समझा कर उन्हें बाहर ले आना और शेष मुझ पर छोड़ दो। शाम को आप वाइन लेकर आना और कोल्ड ड्रिंक की बोतल में डाल देना।
शर्माजी शाम को 7 बजे वाइन लेकर आ गए और हम लोग बाहर बैठे थे। सोनाली ने कोल्ड ड्रिंक की बोतल में वाइन डाल कर मीनाक्षी को दे दी। वो गटागट पी गई और करीब 10 मिनट के बाद बाहर आ गई और कहा- मुझे और चाहिए। वो टेंशन में 4 पेग पी गई और अब उसको अच्छा नशा हो गया था।
वो हम लोगों के साथ बाहर आकर बैठ गई और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी- दीदी, आपने क्यों कहा कि मुझे किसी की जरूरत है, मेरे वो बाहर काम करते हैं और हमारे शादी को सिर्फ एक साल हुआ है, तो भी मैं अपनी आप को समझाकर मान जाती हूँ। आपने मेरा बड़ा दिल दुखाया है और आपको कोई जरूरत नहीं थी, तो भी आप इस आदमी के साथ इस तरह की हरकत कर रही थीं और जीजाजी आप सब कुछ जानकर भी जानना नहीं चाहते हो। मुझे ही घर भेजने को राजी हो गए और इस पराए आदमी को आपने घर से नहीं निकाला। मैं यह बात सब को बताने वाली हूँ।
यह सुनकर शर्माजी बहुत भड़क गए और एकदम गुस्सा हो गए- रंडी, तू क्या बताएगी? आज तेरी हालत ऐसी करूँगा कि तू किसी को कुछ नहीं बता सकेगी।
शर्माजी ने गुस्से में उठकर मीनाक्षी के हाथ से गिलास छुड़ा कर फेंक दिया और उसको किस करने लगे और जोर से मसलने लगे।
मैं और सोनाली देखते ही रह गए कि ये क्या कर रहे हैं? शायद उनको उनकी साली को कुछ सबक सिखाना था।
मीनाक्षी खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी और शर्माजी को मार रही थी।
शर्माजी ने मुझे गाली देकर कहा- अबे हरामी, तू क्या हिजड़ा है? यहाँ आ, इसके कपड़े निकाल।
मेरा मन नहीं कर रहा था, पर फिर भी मैं वहाँ गया और मीनाक्षी के कपड़े उतारने लगा।
मीनाक्षी हाथ जोड़कर ‘नहीं…नहीं’ बोल रही थी।
हम लोगों ने उसको एक मिनट में नंगा कर दिया और सोफे पर पटक डाला। शर्माजी ने मुझे उसको पकड़ने के लिए कहा और अपने कपड़े उतार दिए। अब तो शर्माजी का टाइट था और शर्माजी उस पर चढ़ गए।
वो “न नहीं न …नहीं ..”कह रही थी, पर शर्माजी का अंदर घुसने से पहले ही दो बूंद वीर्य छोड़ कर सो गया।
मीनाक्षी को लगा, अब वो चुद जायेगी पर शर्माजी ने उसकी चूत चाटना शुरू कर दी और दोनों हाथों से उसको मम्मे दबाने लगे। शायद अब मीनाक्षी गर्म हो गई थी, पर अभी भी वो मना ही कर रही थी।
इतने में शर्माजी ने भड़क कर कहा- राकेश साले, तूने मेरी बीवी को चोदा, इसको नहीं चोदेगा? अपने कपड़े निकाल !
मैंने जल्दी-जल्दी अपने कपड़े निकाले और सामने आ गया। शर्माजी ने सोनाली से कैमरा लाने के लिए कहा और मुझे मीनाक्षी की चूत में लण्ड डालने के लिए बोल दिया।
मैंने मीनाक्षी के चूत पर लण्ड टिकाया और एक जोर का धक्का दिया। लण्ड फिसल गया और मैं थोड़ा हिला, शर्माजी ने उसका हाथ पकड़ रखा था और उसके होंठों को अपने होंठों से चूम रहे थे।
मैंने फिर लण्ड लगाया और धक्का मारा। अब थोड़ा लण्ड अंदर चला गया और वो जोर से चिल्लाई। सोनाली ने आकर उसके बाल में हाथ फेरना शुरू किया। मैंने एक और ज़ोर का धक्का मारा, अब लण्ड आधे से ज्यादा उसकी चूत में था और उसके आँखों से आँसू निकल रहे थे।
शर्माजी का मुँह मीनाक्षी के मुँह पर था, सो वो चिल्ला नहीं पाई। अब मैंने और एक धक्का लगाया, तो लण्ड जड़ तक, चूत में घुस गया। वो फ़ड़फड़ा रही थी, छूटने की कोशिश कर रही थी, मुझे अच्छा नहीं लग रहा था, पर मज़बूरी थी। वो सहज नहीं हो पा रही थी। उसने अपनी पूरी ताकत लगाकर ज़ोर से धक्का मारा, तो शर्माजी गिर पड़े और मैं भी हिल गया।
मैंने कहा- मीनाक्षी जरा मेरी बात सुनो बाद में तुम्हें जो करना है, वो कर सकती हो। क्या हम बात कर सकते हैं?
उसने कहा- बको, लेकिन ये निकालो और कहो।
मैंने कहा- ‘ये’ मतलब?
“अरे हरामी ये !” उसने जोर से मेरे लवड़े की तरफ इशारा किया।
“उसका कुछ नाम तो होगा न? मैंने कहा।
“कुत्ते, यह तेरा लण्ड ! इसे निकाल कर बात कर।”
“वही, मैं लण्ड अंदर रखकर ही बात करूँगा।”
“हाँ, कहो।” बेबस होकर उसने कहा।
“देखो मीनाक्षी, शर्माजी का लण्ड तुमने देख ही लिया है और मेरा भी, शर्माजी सोनाली को बच्चा नहीं दे सकते थे। वो तुम जैसे कमसिन और जवान लड़की की चोद नहीं पाते हैं, तो सोनाली को कैसे बच्चा देंगे। सो मैंने उनकी थोड़ी मदद की और अब वो प्रेग्नेंट है। इसमें तुम्हारी बहन का ही भला हो रहा है और शर्माजी को कोई दिक्कत नहीं है, तो तुमको क्यों और क्या दिक्कत है?तुम्हारे पति भी बाहर रहते हैं। शादी को एक साल हो गया तुम्हें, सास-ससुर भी नहीं हैं, सो दुनिया से क्या डरना। अपना काम बनता तो भाड़ में जाये जनता ! और मैंने भी देखा है कि तुम्हारी चूत बहुत गर्म थी। तुम भी हमारा साथ दे रही थीं, वरना मैं तुम्हें अब तक चोद नहीं पाता और मेरा लण्ड भी तुम्हारी चूत में नहीं होता।
उसने कुछ सोचा और कहा- यह बात हम लोगों में ही रहनी चाहिए और बिना कन्डोम मैं कुछ नहीं करने वाली। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
वो अब राजी थी, सो मैंने उसको वैसे ही उल्टा लेटकर चुदाई शुरु कर दी, अब विरोध की जगह उसका साथ मिल रहा था।सोनाली हमारी तस्वीरें निकाल रही थी और शायद शर्माजी को थोड़ा अच्छा लग रहा था। उनका छोटा लण्ड मीनाक्षी के मुँह में था और खड़ा हो चुका था।
मैंने थोड़ी देर चोदने के बाद अपना वीर्य उसकी पीठ पर छोड़ा और बाथरूम में चला गया।
शर्माजी ने उसको साफ किया और चूत चाट रहे थे। जब मैं बाथरूम से लौटा तो शर्माजी मीनाक्षी के चूत में अपना ‘लूला-लण्ड’ घुसाने की कोशिश कर रहे थे और मीनाक्षी, सोनाली हँस रही थी।
मीनाक्षी ने कहा- जीजाजी आप से नहीं होगा। मेरे पति का लण्ड 5 इंच है, वो भी राकेश के सामने छोटा है और इस ने जो 30 मिनट चुदाई की है, उससे मेरी चूत का मुँह खुल गया है।
वो उठकर बाथरूम में चली गई। बाद में, मैं मार्किट आया और कन्डोम ख़रीदे। थोड़ी वाइन भी ली। रात के 11 बजे हम लोग खाना खाकर हॉल में बैठे थे और थोड़ी वाइन ले रहे थे।
मीनाक्षी मेरे पास आ कर बैठ गई और कहने लगी, “आज हम लोग साथ में सोते हैं।”
तो सोनाली ने कहा- हम 4 एक ही कमरे में सोयेंगे, चलो।
सोनाली ने साड़ी पहनी हुई थी, तो मीनाक्षी ने नाईट ड्रेस। हम लोग एक ही बिस्तर पर सोए थे। मीनाक्षी मेरे पास आई और पतलून के ऊपर से ही लण्ड को सहलाने लगी। मैं भी उसके उभारों को मसल रहा था।
मैंने धीरे-धीरे उसके कपड़े उतार दिए और अपने भी। मैंने उसकी चूत चाटना शुरू कर दी। बहुत ही अच्छी महक थी। बहुत दिनों से चुदी न होने से गुलाब की कली की तरह थी।
मैंने उसको 20 मिनट तक चूसा और फिर गांड को भी चूसा। उसके शरीर रोमांचित था और वो मेरी हर हरकत का जवाब दे रही थी।
मैंने उसको मेरा लण्ड मुँह में लेने को कहा। उसने लिया पर 5 मिनट बाद निकाल दिया और कहने लगी- राकेश, जल्दी अंदर डालो, खुजली हो रही है।
20 मिनट के ‘ओरल-सेक्स’ के बाद मैंने उसकी चूत में लण्ड डाल दिया और अपने तरीके से चुदाई करने लगा।
उसकी आँखों में पानी था, पता नहीं क्यों? पर था। वो मुझे कस कर पकड़ लेती और अपनी कमर उठाकर मेरा साथ देती।सोनाली और शर्माजी सो गए थे।
हम लोग रात के करीब 3 बजे जब चौथा राउंड कर रहे थे, तो मुझे उसने बताया- मेरे पति का चक्कर किसी 18 साल की लड़की से चल रहा है और वो उसके आँखों के सामने उसके साथ सेक्स करते हैं, वेब कैमरा पर, लेकिन मैं सिर्फ देखती रह जाती हूँ। वो कहते हैं कि आज कल सब चलता है। सचमुच यह सब होता है राकेश ! मुझे अब मेरे पति से कोई गिला-शिकवा नहीं है। वो किसी के साथ भी करें, मैं अब आज़ाद हूँ। तुम लोगों ने मुझे सच्चाई बता दी है।
मैंने कहा- यह चलन तो बहुत पुराना है, पर महिलायें अपनी इज्जत के लिए डरती हैं और कुछ कर नहीं पाती। पुरुषों के लिए रंडियां होती हैं। उसी तरह हम लोग औरतों को हमारी सर्विस देते है और उनके बारे में कभी किसी को नहीं बताते, न ही हम उनकी जानकारी मांगते हैं।
उसके दूसरे दिन सोनाली और मीनाक्षी के माँ-पापा आ गए और मुझे वहाँ से जाना पड़ा। बाद में मीनाक्षी मेरे साथ 10 दिन तक रही थी और उसकी 3 सहेलियाँ भी। वो आपको अगली कहानी में बताऊँगा।
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