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चलिए कहानी को आगे बढ़ाते हैं।
रणवीर और सोनू का मन अभी भी नहीं भरा था और दोनों मेरे गोरे मुलायम उरोजों को चूसने में लीन थे और रणवीर का दूसरा हाथ अब धीरे धीरे मेरी पेंटी के ऊपर से पेंटी के अंदर पहुँच गया था, धीरे धीरे रणवीर की ऊँगलियाँ मेरी चूत की पंखुड़ियों को उकसाने का काम कर रही थी, कह रही थी कि ‘ऐ मासूम प्राणी, जाग जाओ और उठो देखो, तुम्हारे लिए आज हम एक नहीं दो दो लौड़े लाये हैं और तुम्हारी इस चूत का क्या हश्र करने वाले हैं, इसलिए उठो और खुद को लड़ाई के लिए तैयार कर लो क्योंकि हम ज्यादा देर धैर्य रखने वाले नहीं।’
रणवीर धीरे धीरे मेरी पेंटी नीचे खिसकाने लगा। क्योंकि दोनों काफी देर से मेरे चुचूक चूस रहे थे तो मुझे बहुत दर्द भी हो रहा था इसलिए मैं अपने हाथों से इन दोनों के सर को धकेलने लगी ताकि ये लोग मेरे वक्ष को बक्श दें और किसी और चीज की तलाश करें। रणवीर मेरे टांगों की ओर बढ़ा और मेरी टाँगों के बीच में आ गया, मेरी पेंटी खींच कर निकाल दी। मेरी बगल में सोनू था, मैंने उसकी पैंट और फिर अंडरवियर नीचे खींच दी और उसका लंड अपने हाथ में पकड़ कर सहलाने लगी।
अब आलम यह हुआ कि रणवीर ने अपने जीभ मेरी चूत में फ़ंसा दी और चूसने लगा। सोनू मेरे बगल में बैठा था और मैं उसका लंड अपने हाथों से सहला रही थी। थोड़ी देर बाद रणवीर भी मेरे पास आ गया। अब रणवीर और सोनू मेरे दोनों तरफ थे दोनों अपने घुटनों के बल और मेरे चेहरे के पास खड़े हो गये, दोनों का लंड मेरी निगाहों के सामने, मेरे लबों के पास थे। मैंने रणवीर का लंड एक हाथ से पकड़ा और उसके चूमा और फिर धीरे धीरे करके उसके लंड को अपने हाथ से पकड़ कर चूसने लगी और दूसरे हाथ से सोनू का लंड पकड़कर सहलाने लगी।
कुछ ही पलों बाद मैं लेट गई, रणवीर फ़िर अपना लंड मेरे मुँह में घुसाने लगा और मैंने फिर से उसका लंड चूसना शुरू कर दिया, उसके लंड को अपने मुँह के अंदर-बाहर करने लगी। मैं सोनू का लंड अभी भी सहला रही थी, सोनू अपने हाथ मेरे चूत के पास ले गया और मेरे चूत की पंखुड़ियों के साथ अपनी ऊँगलियों से खेलने लगा जैसे कि एक मधुमक्खी फ़ूलों के साथ खेलती है।
थोड़ी देर बाद मैंने रणवीर का लंड अपने मुंह से निकला और सोनू का लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। थोड़ी देर बाद रणवीर वहाँ से उठ कर मेरी चूत के पास आ गया और अपना तना हुआ लंड मेरे चूत पर लाकर सटा दिया, वहीं बीच बीच में सोनू मेरे बूब्स को भी मसल रहा था तो कभी खींच रहा था। रणवीर ने मेरी दोनों टाँगों को पकड़ कर थोड़ा सा फ़ैलाया और उसने कमर से एक धक्का नीचे को दिया और मैंने ऊपर की ओर, उसका मोटा लंड मेरी चूत के अन्दर घुस चुका था, मैं सोनू के लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी। रणवीर अपनी चुदाई की रफ्तार बढ़ाए जा रहा था।
धीरे धीरे रणवीर मुझे बड़े प्यार से चोदने लगा। मुझे मजा आने लगा और धीरे धीरे रणवीर ने मुझे चोदने की गति और तेज कर दी। मुझे 10 मिनट मजे से चोदने के बाद रणवीर ने अपनी गति धीरे कर दी, मुझे एहसास हो गया था कि यह थक गया है पर मैं तो लंड चूसने में व्यस्त थी कुछ समय बाद मैंने सोनू के लंड को होने मुँह से निकाला पर अपने होंठों पर रहने दिया और उसे अपने लबों पर इधर उधर फ़िराने लगी जैसे कि मानो वो मेरी चूत का छेद खोज रहा हो।
कुछ समय बाद रणवीर का जोश वापस आया और वो फिर से मुझे ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा और सोनू अपना लंड मेरे मुँह के अंदर गले तक ठोक कर अब वो मेरे मुख की पूरी चुदाई कर रहा था। अब मैं ऊपर और नीचे दोनों तरफ से चुद रही थी।
रणवीर ने अपने दोनों हाथों से मेरी कमर को पकड़ लिया और चुदाई की गति तूफ़ानी कर दी। करीब पंद्रह मिनट में मुझे इस मुद्रा में चोदने के बाद दोनों ने अपनी जगह बदली और मेरी पोजीशन भी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
रणवीर अब मेरे होंठों से पास आ गया था और सोनू मेरी चूत के। सोनू ने मुझे एक तरफ घुमा दिया और मेरे दोनों टांगें नीचे कर दी। अब मैं थोड़ा थोड़ा उसी मुद्रा में थी जैसे कि हम सोते हैं दोनों टाँगें जोड़ कर एक साथ पैरों के ऊपर पैर रख कर पर इसमें थोड़ा नयापन यह था कि मेरा चेहरा और पीछे की तरफ़ घूमा हुआ था और मेरे चेहरे के सामने रणवीर का लंड था। वहीं सोनू मेरी गांड के पास था और उसने मेरी जांघों के ऊपर अपना हाथ रखा और अपना लंड मेरी चूत के पास ले गया और एक शॉट मारा और एक ही रात में दूसरी बार सोनू मुझे चोदने का सुख ले रहा था।
अब स्थिति यह थी कि मैं रणवीर का लंड चूस रही थी, दूसरी तरफ सोनू मुझे, मेरी फ़ुद्दी को चोदने का आनन्द प्राप्त कर रहा था। करीब दस मिनट तक हम तीनों ने इसी मुद्रा में एक साथ सेक्स का आनन्द लिया और फिर सोनू ने मुझे सीधा लेटा दिया और फिर से मेरी दोनों टांगें फैलाकर मेरी चुदाई नए सिरे से शुरू कर दी। मैं कभी रणवीर का लोलीपोप चूसने का तो कभी सोनू की चुदाई के मज़े ले रही थी। थोड़ी देर बाद सोनू थक गया और मेरे पास आकर लेट गया तो अब भला रणवीर यह मौका कैसे छोड़ता। रणवीर ने मुझे उठाया और खुद लेट गया और फिर मुझे अपने लंड के ऊपर बिठा लिया और फिर से मेरी चूत की चुदाई करने लगा।
थोड़ी देर बाद मैं भी रणवीर का साथ देने लगी और अपने दोनों हाथ रणवीर के छाती पे रख कत अपने कूल्हे उठा उठा कर चलाने लगी और धीरे धीरे मैं इसकी गति कभी तेज तो कभी धीरे कर देती, थोड़ी देर बाद मैंने रणवीर के होंठों से अपने होंठों को मिला दिया और उसके ऊपर लेट गई और अपनी गांड उठा कर खूब मज़े से चुदवाने लगी, रणवीर ने मेरे चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और सहलाने लगा और मैं उछल उछल कर इस चुदाई का भरपूर मजा लेने के मूड में आ गई थी।
कुछ देर बाद मैंने अपनी उछलने की गति कम की और सोनू के लंड खींच कर अपने होंठों से मिला कर एक बार फिर से चूसने लगी। अब जहाँ मेरे होंठ सोनू के लौड़े की चुसाई में व्यस्त थे, वही मेरी चूत में रणवीर का लंड फंसा हुआ था।
थोड़ी देर तक इसी अवस्था में सेक्स करने के बाद मैं एक बार फिर लेट गई! थोड़ी देर आराम करने के बाद हमने फिर पोजीशन बदली और अब रणवीर ने मुझे अपनी पसंदीदा वाली घोड़ी बना ली और मेरी गांड की तरफ बढ़ा पर मुझे उधर सोचने का मौका ही नहीं मिला क्यूंकि मेरे मुँह में तो अब फ़िर सोनू का लंड ही घुस चुका था। रणवीर ने अपना लौड़ा बड़े प्यार से मेरी गांड के छेद में डाल दिया और फिर से धक्के मारने लगा। रणवीर मेरी गांड फाड़ता रहा, मैं अलग अलग तरीके से सोनू के लंड चूसने के मज़े ले रही थी, कभी उसको हाथों से सहलाने लगती तो कभी होंठों से चूमने तो कभी मुँह में लेकर चूसने लगती।
कुछ बाद रणवीर की जगह सोनू ने ले ली और रणवीर सोनू की जगह आकर लेट गया। मैं समझ गई थी इतनी देर तक मेरी गांड की चुदाई करने का बाद रणवीर का लंड थक गया होगा इसलिए मैं रणवीर के लंड को अपने हाथों से पकड़ कर सहलाने लगी, वहीं सोनू ने अपनी जीभ मेरी गांड के छेद पर फ़िराने लगा। अब मुझे रहा न गया और क्योंकि अब तो मेरे मुँह में कुछ था नहीं, इसलिए सिसकारियों ने अपना जलवा दिखाना शुरु किया- आह ऊऊओह्ह आईईए आअह ह्ह ह्ह!
बहुत देर तक मेरी गांड चाट कर जब सोनू का मन भर गया तो उसने अपना लंड घुसाने में जरा भी देर नहीं की और मेरी गांड में अपना लंड घुसा कर मेरी गांड मारने में लग गया, मैं भी रणवीर के लंड चूसने लगी।
हम तीनों लोग बुरी तरह से थक गये और वहीं एक साथ लेट गये, रणवीर और सोनू मेरे अगल-बगल थे, मैं बीच में! मैंने घड़ी की ओर देखा तो अभी सुबह से साढ़े तीन ही बजे थे।
इस भाग में इतना ही! आगे मैं आपको बताऊँगी कि कैसे हमने पूरी रात इसी तरह नए नए आसनों में थ्रीसम सेक्स का आनन्द लिया। आप लोगों को मेरे जीवन का यह हिस्सा कैसा लगा? मुझे जरूर बताइएगा। [email protected]
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