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प्रेषक : विशाल द्वेदी
मेरा नाम विशाल द्विवेदी है। मैं लखनऊ के पास सीतापुर जिले का रहने वाला हूँ। मेरे माता-पिता बचपन में ही गुजर गए थे। मेरा पालन पोषण मेरे चाचा-चाची ने किया। उन लोगों ने कभी मुझे माता-पिता की कमी महसूस नहीं होने दी।
मेरी चाची मुझे बहुत प्यार करती थीं और इस घटना से पहले मैंने कभी उन्हें गलत निगाहों से नहीं देखा था।
मेरे चाचा जी वन विभाग में हैं और महीने में 15 दिन बाहर ही रहते हैं। मेरी चाची जी दिखने में बहुत सुन्दर हैं, बिल्कुल गोरी और अति सुन्दर कद काया, लगभग 5’5” की ऊंचाई है उनकी।
यह घटना आज से 4 साल पहले की है। चाची की उम्र उस समय 34-35 की होगी, और उनका फिगर 36-30-36 का रहा होगा। मेरे चाचा-चाची के दो लड़के हैं, बड़ा वाला प्रणय उस समय 4 में पढ़ता था, जबकि छोटा वाला अभिनव अभी 5 महीने का था।
घटना का प्रारंभ, तब हुआ जब मेरा चचेरा भाई प्रणय 4 की परीक्षा में गणित विषय में अनुतीर्ण हो गया। चाचा जी उस समय घर पर नहीं थे।
चाची ने फ़ोन पर चाचा को बताया तो चाचा ने चाची को बोला- वह विद्यालय जाकर प्रणय के गणित के मास्टर जी से मिलें।
चाची अगले दिन प्रणय के साथ विद्यालय गईं। शाम को मैंने प्रणय से पूछा- क्या हुआ?
तो उसने बताया, “मास्टर जी ने चाची को अगले दिन शाम को 7 बजे घर बुलाया है और वहीं पर फिर से कॉपी चेक करेंगे।”
मुझे सुन कर अजीब लगा कि घर पर बुलाने की क्या जरूरत? अगले दिन मैं दिन भर यही सोचता रहा, फिर मैंने ठाना कि चल कर देखना चाहिए कि माजरा क्या है?
मुझे मास्टर जी का घर पता था, पास में ही था, मैं अकसर उनसे पढ़ने चला जाया करता था। मैं शाम को 6 बजे ही उनके घर पहुँच गया और उनकी छत पर जाकर बैठ गया। उनका मकान सिर्फ एक मंजिल का था, और मैं छत से उनकी बैठक आराम से देख सकता था।
शाम के 7 बजे, मास्टर जी घर में ही थे, बनियान और लुंगी में, मास्टर जी नियमित व्यायाम करते थे, उनका शरीर बिल्कुल पहलवानों जैसा था। अचानक से दरवाजे पर दस्तक हुई, मास्टर जी ने दरवाजा खोला और चाची अन्दर आईं, चाची के साथ प्रणय और अभिनव भी थे।
मैं चाची को देख कर दंग रह गया, चाची ने बड़ा मेकअप किया हुआ था और गहरी लिपस्टिक भी लगाई थी, लाल रंग की साड़ी स्लीवलैस गहरे गले वाले ब्लाउज में चाची कहर बरपा रही थीं, नाभि के नीचे बंधी साड़ी चाची को और सेक्सी बना रही थी।
मैंने पहली बार चाची को ऐसे देखा था और शायद पहली बार चाची को देख कर मेरे लंड में कुछ हुआ था। अभिनव चाची की गोदी में सो रहा था। चाची ने भी पहले एक बार मास्टर जी की कसरती शरीर को देखा और शर्मा कर आँखें नीची कर लीं।
मास्टर जी ने चाची से पूछा- मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ?
चाची ने बोला- आपने कहा था कि प्रणय की कॉपी को फिर से चेक करेंगे।
मास्टर जी कहा- ठीक है ! और प्रणय की कॉपी ले आए।
लगभग 2-3 मिनट के बाद वह बोले- वह प्रणय को पास नहीं कर सकते। उसने कॉपी में कुछ लिखा ही नहीं है। उसने सिर्फ 2 सवाल हल किए हैं, वे भी गलत, मैं उसे पास नहीं कर सकता हूँ।
चाची ने अपने हाथ जोड़ लिए लेकिन मास्टर जी नहीं माने। चाची रोने लगीं, लेकिन मास्टर जी ने फिर भी कुछ नहीं किया। थोड़ी देर बाद चाची उठ कर चल दीं। चाची मास्टर जी के घर से बाहर चली गईं।
मैं चाची के थोड़ी दूर तक जाने की प्रतीक्षा करने लगा, मास्टर जी ने अपनी लुंगी खोली और व्यायाम करने लगे। मुझे समझ नहीं आया कि चाची को सांत्वना दूं या क्या करूँ?
5 मिनट बाद मैं भी नीचे उतर कर लौटने लगा, अभी मैं नीचे उतरा ही था कि देखा चाची अभिनव को लेकर वापिस आ रही हैं, मेरा माथा ठनका कि यह क्यूँ वापिस आ रही हैं? मास्टर जी के घर का दरवाजा अभी खुला ही था। मैं चुपके से अन्दर गया और एक कोने में छिप गया।
थोड़ी देर में चाची आईं और उन्होंने ने दरवाजा अन्दर से बंद किया, अभिनव को पास पड़े टेबल पर लिटाया और मास्टर जी के पैरों में गिर कर रोने लगीं। मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था। फिर मास्टर जी ने चाची को उठाया और अपने होंठ चाची के होंठों पर लगा दिए।
मैं गुस्से से बाहर निकलने वाला था, तभी देखा कि चाची भी किस का जवाब दे रही हैं। फिर अचानक से चाची का हाथ गुरु जी के कच्छे के ऊपर गया और वह उनके लंड को सहलाने लगीं। मैं हतप्रभ रह गया।
थोड़ी देर बाद चाची ने मास्टर जी के बनियान को उतार दिया और उनकी छाती को प्यार करने लगीं। चूमते-चूमते वह नीचे आईं और मास्टर जी का कच्छा उतार कर उनका लंड हाथ में ले लिया। चाची के मुलायम गोरे हाथों में मोटा काला लंड मजे करने लगा।
थोड़ी देर बाद मास्टर जी ने चाची को ऊपर उठाया और उनकी साड़ी खोल दी। स्लीवलैस गहरे गले वाले ब्लाउज में चाची का यौवन निखर कर सामने आ रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मास्टर जी ने बिना देर किए चाची का ब्लाउज खोल दिया। चाची के बड़े-बड़े स्तन ब्रा से बाहर आने को बेचैन दिख रहे थे। मेरा लंड भी अब खड़ा होने लगा था।
मास्टर जी और चाची ने फिर से एक दूसरे को होठों पर काफी देर तक चूमा, और चाची एक हाथ से मास्टर जी का लंड सहलाती रहीं। फिर मास्टर जी ने चाची को गोद में उठाया और अन्दर कमरे में ले गए, मेरा दिल धक्-धक् करने लगा कि क्या होने वाला है?
चाची अचानक से बाहर आईं। अब तक उनका पेटीकोट भी उतर चुका था, सिर्फ ब्रा पैंटी में उनको देखकर मेरा लंड बिल्कुल खड़ा हो गया।
मैंने सोचा कि चाची अब घर वापिस जाएँगी लेकिन वह अभिनव को उठा कर फिर से उस कमरे में वापिस चली गईं। मैं भी चाची के पीछे पीछे गया और चुपके से देखने लगा कि क्या हो रहा है?
अन्दर कमरे में सिर्फ एक दरी, एक टेबल और कुर्सी थी, चाची ब्रा-पैन्टी में दरी पर लेटी थीं, और मास्टर जी उनकी नाभि चूम रहे थे। फिर अचानक से वह ऊपर आए और चाची कि ब्रा खोल दी, और चाची के स्तन चूसने लगे।
मुझे कुछ खास समझ नहीं आ रहा था, बस यदा कदा चाची ‘आह-आह’ कर रही थीं। थोड़ी देर बाद चाची बोलीं- थोड़ा दूध अभिनव के लिए छोड़ दीजिए।
यह सुन कर मैंने भी अपना लंड पैन्ट से निकाला और मुठ मारने लगा। चाची के कहने के बावजूद मास्टर जी स्तनपान करते रहे। तो अचानक से चाची उठीं और उन्होंने मास्टर जी को लिटा दिया और उनका मोटा काला लंड अपने होठों से लगा लिया।
जैसे-जैसे चाची लंड को चूमती वह और खड़ा हो जाता। लगभग 2-3 मिनट में चाची पूरा लंड अपने मुंह में लेने लगीं।
मैं भी मुठ मारता रहा। थोड़ी देर बाद मास्टर जी उठे और उन्होंने ने तुरंत चाची की पैन्टी उतार कर उनको पूरा नंगा कर दिया।
मैं स्तब्ध था चाची के चिकने शरीर को देख कर, एक भी बाल नहीं, बिल्कुल उजला चिकना शरीर।
इससे पहले की चाची कुछ बोलतीं, मास्टर जी ने उन्हें नीचे लिटा दिया और उनके चूत से खेलने लगे। लगभग एक मिनट बाद अचानक से चाची बोल उठीं, “आगे और तो कुछ करिए प्लीज़।
मास्टर जी ने कहा- रुक जा मेरी रंडी, करता हूँ।
ऐसे शब्दों का प्रयोग सुन कर मैं और उत्तेजित हो गया। मास्टर जी चाची पर चढ़ गए और अपना लंड चाची की चूत में डाल दिया, और धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगे।
धीरे-धीरे चाची सिसकियाँ निकालने लगीं, पूरा कमरा चाची की चुदाई की आवाजों से भर गया। चाची की चूड़ियों और पायल की आवाज मुझे और मदहोश कर रही थी।
थोड़ी देर बाद मास्टर जी रुक गए और चाची से बोले- चल मेरी कुत्ती बन जा।
चाची तुरंत कुत्ती बन कर बैठ गईं और मास्टर जी पीछे से उन्हें ठोकने लगे। मेरी माँ समान चाची मेरे सामने चुद रहीं थीं और मैं अपना लंड हाथ में लिए खड़ा था।
थोड़ी देर बाद चाची बोलीं- मैं छूटने वाली हूँ।
मास्टर जी ने बोला- तू क्या चाहती है? मैं अन्दर छोडूं या बाहर!
चाची ने कहा- बाहर।
“बाहर छोडूंगा तो तुझे मुँह में लेना पड़ेगा।”
फिर मास्टर जी अपना लंड बाहर ले आए और चाची को बैठने को बोला- चाची ज़मीन पर बैठ गईं और मास्टर जी खड़े हो गए। चाची ने फिर से मास्टर जी का लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगीं। लगभग एक मिनट बाद मास्टर जी ने अपना सारा माल चाची के मुँह में छोड़ दिया और दोनों हंसने लगे। चाची ने अपना शरीर पर गिर गए थोड़े से वीर्य को अपनी ऊँगली से उठा कर चाट कर साफ़ किया। फिर दोनों नंगे ही एक साथ लेट गए।
चाची ने प्रणय के रिजल्ट के बारे में पूछा तो, मास्टर जी ने बोला- उसे उसकी माँ की मेहनत का फल मिलेगा।
चाची ने बोला- अब उन्हें चलना चाहिए।
लेकिन गुरूजी ने फिर से लंड चूसने को बोला, चाची फिर से लंड चूसने लगीं। लेकिन तब तक अभिनव जाग गया। फिर गुरु जी ने चाची को बोला- इसे ले कर घर जा, फिर किसी दिन आ जाना, लेकिन आना जरूर।
चाची ने अपने कपड़े पहने और खुशी-ख़ुशी चल दीं।
मैं फिर से चाची को नंगा देखना चाहता था। 2 दिन के बाद चाचा घर आए। मैंने सोचा कि इतने दिन बाद चाचा आये हैं, रात को चुदाई तो होगी ही। मैंने चाचा के कमरे में एक सुराख़ बनाया और रात का इंतज़ार करने लगा।
रात को प्रणय को सुलाने की जिम्मेवारी मेरी होती थी। प्रणय को सुलाने के बाद में जल्दी से उस सुराख़ के पास गया तो वही देखा जो सोचा था। चाची कुतिया बनी चुद रही हैं। चाची का चेहरा बिल्कुल मेरे सामने था, और उनके चहरे के भाव देख कर मेरा लंड फिर से उन्हें सलाम करने लगा।
चाचा ने चाची से पूछा- प्रणय पास हो गया?
चाची ने चुदाई का मज़ा लेते हुए ‘हाँ’ बोल दिया। लेकिन सबसे बड़ा आश्चर्य मुझे चाचा के अगले प्रश्न पर हुआ।
चाचा ने फिर चाची से पूछा कि कितना ‘दिखाया’ उस अध्यापक को?
चाची बस हल्का सा मुसकरा दीं।
फिर चाचा ने पूछा- तेरे गुब्बारे तो देखे ही होंगे उसने।
चाची ने धीरे से ‘हूँ’ बोल दिया। उसके बाद चाचा हंसने लगे और बोले- तू चीज़ ही ऐसी है, तू ऐसे ही अपने बेटे को कलेक्टर भी बनवा देगी।
लेकिन चाचा ने ऐसा क्यूँ बोला ! यह जानने के लिए मैं बेचैन हो गया। जो मैं अगली कहानी में बताऊंगा।
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