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सादर नमस्कार. मेरी कहानी अभी हाल ही की है, अन्तर्वासना पर मेरी कहानी पढ़ कर मुझे एक महिला ने पत्र लिखा और मुझे से बात करने की ख्वाहिश जाहिर की. मैंने उनको उस पत्र का उत्तर दे दिया और उन्होंने मुझे याहू पर जोड़ लिया और फिर हमारी उनसे तीन दिन तक अलग-अलग विषय पर बात हुई, जिससे उनके मन का एक वहम या सही कहूँ डर था, निकल गया.
मैंने उनसे पूछा- आपने मुझसे बात की, क्या मैं जान सकता हूँ ऐसा क्यों किया? तब उन्होंने जवाब दिया- मैं आपको पूरा परख लेना चाहतीं थी और इसलिए बात कर रही थी.’
मैंने उनसे उनके बारे में कुछ नहीं पूछा था वो अपने आप बोलीं- मैं शादीशुदा हूँ और काम करती हूँ, मेरे शौहर भी बड़े ओहदे पर हैं और ज्यादातर विभागीय काम से बाहर रहना पड़ता है. उनका भी काम कुछ ऐसा ही है जिससे वो लोग माह में केवल चार दिन साथ रह पाते हैं!
मैंने कहा- आपने बताया नहीं, आप कहाँ से हैं? और मैं आपके पास कहाँ आ जाऊँ?
इस पर मोहतरमा ने बताया कि वो कानपुर की रहने वाली हैं और कुछ दिनों के लिए देहरादून के फार्म हाउस में रहेंगी. मुझे उनके साथ वहाँ एक हफ्ते रहना होगा. पैसे की कोई दिक्कत नहीं आयेगी लेकिन समय पूरा देना होगा.
मैं बोला- ठीक है लेकिन मेरी शर्त है. इस पर बोली- क्या? मैं बोला- आपको अपना स्वास्थ्य पत्र देना होगा, मैं आपको अपना दे दूँगा क्योंकि इस काम में कोई भी किसी भी तरह का यौन रोग लग सकता है. महिला बोली- ठीक है, जब मैं वहाँ आ जाऊँगा तब मेरा और अपना साथ-साथ जांच करवा लेंगी.
उन्होंने अपना नाम नीलू बताया. नीलू ने मेरे अकाऊँट में एडवांस रुपये दे दिए और मैं तुरंत ट्रेन से देहरादून पहुँच गया.
नीलू वहाँ पहले से थी और देहरादून स्टेशन पर लेने आई. मुझे लेकर वो सीधे क्लिनिक ले गई और मेरा और अपना खून जांच को दिया और वहाँ से उसके फार्म हॉउस गए.
वहाँ पर नीलू के पास दो काम करने वालीं लड़कियाँ थीं, वो लोग उसके फार्म हाउस में पीछे कमरे बने थे, उसी में रहती थीं.
वे लोग खाना बना कर और सफाई कर के अपने रूम पर चलीं जाती थीं. उस दिन हम लोग करीब दो बजे घर पहुँचे. उन लोगों ने खाना खिलाया और सफाई कर के चली गईं.
मुझे नीलू ने रूम दे दिया था, मैं वहाँ गया. थोड़ी देर बाद नीलू आई और मेर साथ आकर लेट गई.
बोली- अब बताओ कैसा लग रहा है? मैं बोला- अच्छा है गर्मी ज्यादा नहीं है और मस्त जगह है और क्या चाहिए? बोली- अब आप को मेरे साथ वही करना जो मैं चाहूँगी. इस पर मैं बोला पड़ा- आप बोलो कि जो मैं कहूँ, वही करो. इस पर दोनों जोर से हँस पड़े.
उसने मुझे कहा- लड़कियाँ आज शाम को घर में नहीं आयेंगी, केवल सुबह उनको समय दिया है 9 से 12 और उस बीच आप अपने कपड़े पहनोगे, नहीं तो जो मैं दे रही हूँ, उसी में रहना होगा. मैं बोला- ठीक है.
इसके बाद उसने सामान निकाला, एक से एक बढ़ कर सामान था. देख कर ही मन ललचा जाये, लेकिन अपना सोच बस यही है कि अपने काम से काम रखो, ईमानदारी से करो और चले जाओ.
उसने कुछ बोला नहीं. उसने अपना काम खत्म किया फिर उसने मुझे अपने अलमारी से एक बैग दिया जिसमें सामान रखा था. उसने पांच चड्डियाँ दीं, बहुत ही अजीब किस्म की थीं.
उनको बहुत नीचे से पहनते हैं और वह छोटी होकर कम से कम भाग जो आवश्यक है, को ढक कर रखती हैं, साथ में उसने बनियान दीं, जो थोड़ा लम्बी थीं. अगर पहन लो तो पता ही न चले की नीचे चड्डी पहनी है कि नहीं.
फिर उसमें से उसने कुछ बैंड दिए जिनको अपने लिंग पर चढ़ा लेना होता है, जिससे उनका आकार भिन्न हो जाता है.
हम लोग आराम से घर में थे ही, कोई चिंता की बात थी नहीं. अब नीलू ने कहा- तैयार होकर आ जाओ. मैं गया, नहाया और उसके दिए कपड़े को पहन कर आ गया.
इधर नीलू तो मिनी स्कर्ट में थी ही और ऊपर उसने एक छोटी शर्ट डाल ली थी. जब मैं गया तो उसने मुझे उठ कर अपनी बाँहों में ले लिया जिसके लिए मैं कतई तैयार नहीं था.
उसने कहा- मजा आ जायेगा. फिर उसने कहा- मैं उसके घुटनों के बीच में अपना सिर रख कर नीचे बैठ जाऊँ.
मैं बैठ गया. उसका जाँघ गर्म थी और फिर सिर उसके जननांग से बिल्कुल नज़दीक था. उसने मुझे कहा- आलोक जरा मेरी चड्डी निकाल दो. मैंने उसकी आज्ञा तुरंत मान ली. उसको थोड़ा सा उठाया और नीचे से उसकी चड्डी खींच ली. उसकी चड्डी उसके पानी से ऊपर की तरफ गीली हो गई थी.
उसने कहा- अच्छा अब जरा मेरी चड्डी का गीला हिस्सा अपने मुँह पर रख लो और वैसे ही थोड़ी देर रखो. उसने जब देखा मैंने वैसे ही किया तो उसने फिर कहा- अब जरा अपनी सेवा करो! और उसने मेरा सिर अपनी बुर के अंदर घुसा दिया. मेरी नाक उसके बुर के ऊपर थी और मेरा मुँह उसके बुर के ऊपर. यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं.
उसकी बुर की महक आ रही थी, जिससे मेरे कान गर्म हो गए. मैं समझ गया कि उसको क्या चाहिए और फिर मैं लग गया अपने पुराने काम पर, लगा उसकी बुर को चूसने और चाटने. उसकी बुर बिल्कुल गीली थी और उसका पानी निकल रहा था और मेरे चाटने की वजह से वो और खुल कर गीली हो गई, उसने मेरा मुँह अपनी चूत के अंदर और जोर से दबा दिया ताकि मैं और अंदर उसकी चूत के अंदर भगनासा को अपनी जबान से छू सकूँ.
उसने अपना पैर फैलाए नहीं थे, जिसकी वजह से मेरा मुँह उसके चूत के अंदर तक जा नहीं पा रहा था. और नीलू पैर फैला भी नहीं रही थी कारण यह था कि उसकी चूत और उसकी झिल्ली पर मेरे मुँह और नाक का दबाव पड़ रहा था और वो इसका मजा ले रही थी जबकि मैं उसकी चूत के अंदर तक चाटने की कोशिश कर रहा था.
हमारी चटाई की वजह से नीलू जोरदार अकड़ के साथ अपना पानी गिराने लगी. उसका पानी थोड़ा नमकीन था, सोचा नहीं चाटूँगा, पर मस्त पानी निकला और मुँह दबा होने की वजह से पूरा मेरे मुँह में उतर गया. नीलू थक कर सुस्त पड़ गई और कुर्सी के एक तरफ ढुलक गई, उसकी सांस फूल रही थी. उसको मजा आया था.
मैं वहाँ से उठा और अपना मुँह धोया और अपने दांत और गला साफ़ किया और उसके पास आकर बैठ गया.मुझे छोटी चड्डी में डाल कर नीलू मजा ले रही थी, क्योंकि मेरा लिंग फूल कर बाहर झाँकने की कोशिश कर रहा था. उसको मजा आ रहा था. मेरे लिंग से भी चिकना पानी आ रहा था. उसने मुझे कहा- यहाँ आओ. और मैं गया तो उसने मेरी चड्डी उतार दी और मेरे लिंग को पकड़ कर हाथ से खेलने लगी, वो उसको खींचती फिर उसका ऊपरी हिस्सा खोल देती और उसके छेद पर उंगली रगड़ कर मुझे ‘सिसकारी’ लेने को मजबूर करती. कभी उसके नीचे के जोड़ को रगड़ने लगती, जिसकी वजह से मेरा लिंग पानी निकालने को मजबूर हो गया.
नीलू भी यही चाह रही थी और वो मेरे लिंग को मुँह में लेकर चूसने लगी और मैंने उसके मुँह में ही अपना वीर्य गिरा दिया और मुझे अचरज हुआ देख कर कि उसने वीर्य को इतने कायदे से पिया कि एक बूँद बाहर नहीं आई और मेरे लिंग को निचोड़ कर सारा वीर्य पी गई और फिर मुझे छोड़ दिया, बोली- जाओ, आराम कर लो.
मैं तो आराम कर ही चुका था, लेकिन इस काम में भी थकान आ ही जाती है. क्योंकि आप दूसरे के मन के हिसाब से काम कर रहे हैं आप अपने मन से नहीं कर पा रहे हैं.
उसने अपना कमर पर स्कर्ट का हुक खोला और लेट गई, उसकी सांस फूल रही थी, थक गई थी. मैं बोला- मैं अपने कमरे मैं जाऊँ या आपके कमरे में ही रहूँ?
बोली- तो आज अपने कमरे में ही रहो. शायद उसको कुछ डर हो या पता नहीं?
मैं अपना कमरे में गया और टीवी ऑन कर के लेटे-लेटे समाचार देखने लगा और उसी में सो गया. गहरी नींद सोया कि पता ही न चला कि आस-पास क्या हुआ या जो भी बात हो जब जगा तो देखा नीलू सामान सजा कर मेरे पास ही कुर्सी पर बैठी थी. सामान भी क्या था चोकलेट, दलिया और एक बैंड लिए बैठी थी.
मैं बोला- यह क्या है? बोली- बस तुम फ्रेश हो कर आ जाओ और वो नया करने जा रही है.
जब मैं आया तो बोली- जरा ये बैंड अपने लिंग और लटकन पर चढ़ा लो और मेरे पास आओ. मेरी झांट साफ़ नहीं थी, बाल अधिक से थे और जब बैंड चढ़ाया तो बाल खिंचने लगे और वो भी दर्द दे कर मजा ले रही थी.
लिंग पर रबड़ चढ़ गया तो वो पूरा अच्छे से तन कर खड़ा हो गया और रबड़ भी कैसा था कि लिंग पर एक तरफ से और दूसरी तरफ से पूरा लटकन पर उसके दो छल्ले थे.
अब उसने ढेर सारी क्रीम लिंग के ऊपर गिरा कर, लगी चूसने. मुझे भी मजा आ रहा था. लिंग तन्नाया खड़ा और पानी नहीं निकाल रहा था. अब मुझे समझ आया कि उसने बैंड क्यों लगाया था. वो देर तक चूस रही थी और मेरा पानी जल्दी नहीं गिरने वाला था.
जब अच्छे से चूस चुकी, तब उसने कहा- अब जरा उसका बुर साफ़ कर दो. उसने अपना स्कर्ट उतार दिया और नंगी सामने लेट गई और सामने टेबल पर लगा शेविंग का सामान बता दिया.
मैं गया और सामान लेकर उसके पास बैठ गया. उसके बुर के बाल काफी घने और लम्बे थे.
नीलू आराम से लेट गई और मैंने कैंची लेकर उसके झांट के बाल पहले काट डाले, जिससे कि छोटे बाल होने पर रेज़र चल सके. फिर उसके बाद ब्रुश में साबुन लगाया और उसके बुर और उसके झांट पर अच्छे से लगा कर झाग उठाया.
कहानी जारी रहेगी. [email protected]
कहानी का अगला भाग : चूत चाटने का मजा-2
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