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प्रेषक : कोमल जैन
मेरा नाम कोमल, उम्र 22 साल। मैं भोपाल की रहने वाली हूँ। आज मैं अपनी पहली चुदाई के बारे में आप को बताना चाहूँगी कि मेरे साथ किस तरह घटना घटी और मैं चुद गई।
मेरी उम्र उस समय 19 साल थी और मैं कॉलेज प्रथम वर्ष में पढ़ती थी।
मेरी आंटी ने नए घर के मुहूर्त के लिए बुलाया था, लेकिन मम्मी-पापा रिश्तेदार की शादी में कानपुर गए हुए थे।
आंटी ने मुझे कहा- कोई बात नहीं, तुम अकेली आ जाओ। उन्होंने मुझे पता बताया, लेकिन मुझे समझ नहीं आया।
फिर आंटी बोलीं- ठीक है, तुम्हारे अंकल (पापा के दोस्त अशोक) का घर रास्ते में पड़ता है। तुम वहाँ 11 बजे तक पहुँच जाओ, फिर मैं गाड़ी भेज दूँगी तो तुमको ढूँढने में परेशानी नहीं होगी।
मैं अशोक अंकल के बारे में आप सबको बता दूँ। अंकल मेरे पापा की कम्पनी में ही काम करते हैं और उनका हमारे घर में आना-जाना लगा रहता है। उनकी उम्र 42 साल कद 5 फुट 10 इंच और एकदम पतला, तंदरुस्त शरीर।
उनको देख कर कोई नहीं बोल सकता कि वो 42 साल के हैं, दिखने में वो 35 साल के लगते हैं। शादी हो गई है लेकिन उनका परिवार बिहार के गाँव में रहता है। भोपाल में वो अकेले कंपनी के फ्लैट में रहते है।
मैं घर से नई गहरे नीले रंग का टॉप और जींस पहन कर अंकल के घर करीब 10.30 पर पहुँच गई और सोच रही थी, छुट्टी का दिन है, अशोक अंकल अगर घर पर नहीं हुए तो क्या करुँगी।
लेकिन अंकल घर पर ही थे, मुझे देख कर बोले- कोमल आज कैसे आना हुआ? आओ बैठो।
मैंने सारा किस्सा उनको बताया। उनका घर बिल्कुल अस्त-व्यस्त था। उनके ढेर सारे कपड़े सोफे पर पड़े हुए थे।
मैं बोली- अंकल, मैं आपका घर थोड़ा ठीक कर देती हूँ।
वो बोले- नहीं, तू बैठ आते ही काम करने की बोलने लगी। थोड़ी देर बैठ गप-शप करेंगे, फिर तो तुझे थोड़ी देर में जाना ही है।
मैंने कहा- चलो ठीक है, मैं आपके लिए चाय बना दूँ?
अंकल बोले- नहीं मैंने पी ली है, अगर तुमको पीनी हो तो बना लो।
मुझे लगा अंकल ने शायद आज सुबह-सुबह से ही शराब पी रखी थी।
करीब 11 बजे आंटी का फ़ोन आया कि गाड़ी अभी फ्री नहीं हुई है शायद 1 बज जायेगा। तब तक तुम वहीं इंतजार करो।
अंकल बोले- कोई बात नहीं, तुम यही रुको और कहाँ जाओगी?
यहाँ से मेरी चूत की पहली चुदाई के खेल की शुरूआत होती है। अंकल को मौका मिल गया, 2 घंटे का समय था और उन्होंने मुझे पटाने के लिए बातें करनी शुरू की।
वो बोले- कोमल अब तो तुम्हें कॉलेज जाते हुए 6 महीने हो गए। कैसा लगा कॉलेज का माहौल?
मैं बोली- बहुत अच्छा ! स्कूल की तरह कोई बंदिश नहीं, ड्रेस भी जो मर्ज़ी हो पहन कर जाओ। पूरी आज़ादी लगती है अंकल।
अंकल बोले- और क्या आज़ादी लगती है?
मैं बोली- कोई पीरियड, अगर मन ना हो तो छोड़ देती हूँ।
अंकल बोले- तो जो पीरियड छोड़ देती हो तो कॉलेज में क्या करती हो।
मैं बोली- अपनी फ्रेंड्स के साथ टाइम पास।
“हुम्म, कितने बॉय फ्रेंड्स बन गए हैं तेरे?”
मैं बोली- अंकल खाली फ्रेंड्स हैं, बॉय फ्रेंड्स नहीं।
अंकल बोले- झूठ बोलती है मुझसे? सच्ची बोल, कितने बॉय-फ्रेंड्स हैं तेरे? एक तो अभी तुझे बाइक पर छोड़ कर गया था, मैंने देखा था और कितने हैं?
मैं बोली- नहीं अंकल बस वही एक है। आपने कैसे देख लिया?
वो बोले- मैंने देखा नहीं था, तुक्का मारा था हा हा हा हा।
मैं भी सोचने लगी कि कैसी बेवकूफ हूँ, अपनी पोल अपने आप खोल दी।
फिर अंकल बोले- क्या-क्या करती हो? कहाँ-कहाँ जाती हो, उसके साथ? उसका नाम क्या है?
मैं बोली- अंकल, उसका नाम विशाल है, बस कॉलेज में ही मिलते हैं।
अंकल बोले- अच्छा अभी तू कॉलेज से आई थी ! है ना? झूठी कहीं की ! वो तेरे घर गया और तुझे यहाँ लेकर आया या नहीं? तू मुझ से डर मत, बस सच-सच बता दे।
मैं बोली- अंकल उसके साथ मैं पिक्चर जाती हूँ और डिनर पर भी एक बार गई थी।
अंकल बोले- ‘हम्म…’ फिर डिनर के बाद क्या किया।
मैं बोली- वो मुझे अपने घर ले गया और उसके घर पर उस दिन कोई नहीं था, लेकिन मैंने उसे कहा कि मुझे डर लग रहा है और उसको काफी बोलने के बाद उसने मुझे घर छोड़ दिया।
अंकल बोले- किस बात का डर लग रहा था तुझे?
मैं चुप रही।
अंकल बोले- आज मैं तेरा सारा डर ख़त्म कर देता हूँ।
अंकल मेरे पास आये और मुझे चूमने लगे।
मैं बोली- अंकल, यह क्या कर रहे हैं आप?
अंकल बोले- देख अब तू बच्ची नहीं रही, तुझे सब कुछ मालूम होना चाहिए।
उस समय मुझे अपने पुराने एक अंकल की याद आ गई, पहले मैं वो काफ़ी पुराना किस्सा आपको बताती हूँ, जब मेरी लम्बाई 5 फुट की हो गई थी और मैं उम्र से मस्त लगती थी, मैं एकदम दुबली स्लिम गोरी थी और उस उम्र में मेरी चूचियों के उभार भी उम्र के हिसाब से बड़े थे, स्कूल में शर्ट और स्कर्ट ड्रेस पहनती थी।
उन दिनों एक दूर के अंकल हमारे घर में करीब एक महीना रहे थे, और क्योंकि हमारे घर में एक ही बेडरूम था तो अंकल और मैं हॉल में सोते थे।
रात को अंकल बोले- कोमल चिपक कर के सोओ ! और मैं उन से चिपक कर सो गई। अंकल ने मुझे किस किया और धीरे-धीरे मेरे शरीर पर हाथ फिराने लगे।
मुझे तब सेक्स के बारे में कुछ भी मालूम नहीं था। अंकल ने धीरे से मेरी चड्डी पर हाथ लगाया। मुझे कुछ अजीब सा लगा लेकिन कुछ खास महसूस नहीं हुआ।
अंकल का लंड पूरा कड़क हो कर मेरे शरीर से टकरा रहा था। मुझे नहीं पता था कि यह क्या है कड़क-कड़क सी चीज़। अंकल काफी देर मेरी चड्डी पर हाथ फिराते रहे।
अगले दिन स्कूल में मैंने अपनी सहेली को यह बात बताई, वो बड़ी चालू थी, वो बोली- अरे आदमी के पास लंड होता है, वही तुझे चुभ रहा होगा और वो तेरी चूत पर हाथ फ़िरा रहे थे।
मैं बोली- चूत लंड क्या है ये सब?
सहेली बोली- देख जहाँ से तुम पेशाब करती हो, वो लड़की के पास होती है। उसे चूत बोलते है। और आदमी के पास पेशाब करने वाले को लंड बोलते है।
मैं बोली- लंड क्या चूत से अलग होता है?
वो बोली- हाँ लंड एक डंडे जैसे होता है और चूत तो तेरे पास है ही। आज रात को अंकल का लंड देख लेना मालूम पड़ जायेगा।
मैं बोली- तुझे कैसे पता है ये सब?
वो बोली- मेरे भाई का लंड पकड़ती हूँ मैं, और वो मेरी चूत को प्यार करता है, चाटता है। मैं उसका लंड भी चूसती हूँ। बड़ा मज़ा आता है।
मेरे मन में भी अब लंड देखने की इच्छा होने लगी। मैं रात होने का इंतजार करने लगी। रात को अंकल ने फिर वही चालू किया।
मैं बोली- अंकल, लंड क्या होता है?
वो बोले- तुम देखोगी लंड क्या होता है? यह लो, देखो मेरा लंड, लेकिन किसी को बोलना नहीं।
और अंकल ने अपनी लुंगी ऊपर कर के चड्डी निकाल कर के लंड मेरे हाथ में दे दिया।
मुझे लंड देख कर बड़ा मज़ा आया और मैं बोली- अंकल इससे क्या करते हैं?
वो बोले- तुम अभी नासमझ हो, नहीं तो तुम्हें चोद कर समझा देता।
मैं बोली- ‘चोद’ क्या?
वो बोले- कोमल जब लड़की की चूत में लंड अन्दर डाल कर धक्के देते हैं, उसे चुदाई बोलते हैं।
मैं बोली- मुझे देखना है, चुदाई कैसे होती है?
अंकल बोले- अच्छा मुझे अच्छी तरह से तेरी चूत दिखा।
अंकल ने मुझे नंगी कर दिया और मेरी चूत में उंगली डाली। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
लेकिन मेरी चूत में थोड़ी सी उंगली अन्दर जाते ही काफी दर्द हुआ। अंकल ने फ़ौरन मेरी चूत में से उंगली निकाल ली कि कहीं मैं चिल्ला ना पड़ूँ।
अंकल ने मना कर दिया, बोले- अभी तुम्हारी चूत बहुत छोटी है, यह लंड का झटका सह नहीं पायेगी। जरा सी उंगली भी अन्दर घुसी नहीं और तुम बर्दाश्त नहीं कर पाई हो तो, इतना मोटा लंड कैसे ले पाओगी? तुम जब बड़ी हो जाओगी, तब चुदाना। अभी नहीं। अभी तुम खाली मेरे लंड से खेल लो।
और अंकल मेरी चूत को मसलने लगे। आज मुझे कुछ गुदगुदी सी हो रही थी। मैं अंकल का लंड पकड़ कर खेलने लगी। मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। पहली बार लंड पकड़ा था। उनके लंड के नीचे दो गोली थीं, उनसे भी खेली मैं !
अंकल बोले- कोमल, लंड को ज़रा कस कर पकड़ कर आगे-पीछे करो।
मैं लंड को कस कर पकड़ कर आगे-पीछे करने लगी। काफी देर लंड हिलाने के बाद उस में कुछ ‘गोंद’ जैसा निकला।
मैं डर गई कि क्या हुआ?
अंकल बोले- मज़ा आ गया कोमल !
मैं बोली- अंकल यह क्या है? सफ़ेद-सफ़ेद सा गोंद जैसा?
अंकल बोले- यह वीर्य रस है और जब ये निकलता है तो बड़ा सुकून मिलता है।
मुझे कुछ समझ नहीं आया कि क्या सुकून मिलता है पर मैं चुप रही।
फिर हम दोनों सो गए। अगले दिन सुबह मम्मी-पापा को मंदिर में पूजा करने जाना था। घर पर मैं और अंकल ही थे।
बोले- कोमल चल आज तुझे कस कर नहला दूँ तू अच्छी तरह नहीं नहाती है।
मैं कुछ समझी नहीं, लेकिन मैं उनको मना नहीं कर पाई।
अंकल ने बाथरूम में मेरे कपड़े निकाल कर मुझे नंगा कर दिया और मेरी छोटी-छोटी चीकू जैसी चूचियों को मसलने लगे।
फिर अंकल ने भी अपने सारे कपड़े निकाल कर एकदम नंगे हो गए, और फिर वो नीचे बैठ गए और मुझे अपनी गोदी में बिठा लिया।
उनका लंड मेरी गांड से टकरा रहा था। उन्होंने मुझे काफी चूमा और मेरी चूची को मसलते रहे। उनका लंड पूरा खड़ा हो गया था। उनका लंड काफी मोटा लम्बा काला था।
अंकल ने फिर मुझे मुँह की तरफ अपनी गोदी बिठाया और फव्वारा चालू कर दिया।
अंकल मेरी चूत में छोटी वाली उंगली थोड़ी डाल कर हिला रहे थे। शायद वो देख रहे होंगे कि मेरी चूत अभी चुद सकती है या नहीं।
अंकल ने अपने लंड को मेरे हाथ में दे दिया और बोले- कोमल खेल लो, तुम इसे अपना ही लंड समझो।
मैं उनके लंड को पकड़ कर हिलाने लगी। मुझे उनका लंड पकड़ कर खेलने में बड़ा मज़ा आ रहा था। उनके साथ नंगी होने के बाद मुझे लग रहा था कि वो मुझे आज चोद दें और मैं भी अपनी सहेली को बताऊँ कि मैंने अंकल से चूत चुदवा ली।
कहानी जारी रहेगी।
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