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आनन्द की बात से हमें उसके साथ सहानुभूति हुई। ऊषा ने कहा- कोई बात नहीं देवर जी, सब्र का फल बड़ा नमकीन होता है।
आनन्द चला गया पर हम दोनों इस वार्तालाप से पुनः अति वासनामय थे। अतः एक और दौर चुदाई में समय कब बीत गया पता ही नहीं चला।
अब हम अपने सेक्स में नई उर्जा महसूस कर रहे थे। हमने सोचा कि यदि आनन्द और निधि इसी कमरे में हमारे सामने और हम उनके सामने चुदाई करें तो।
अभी तक की वार्ता से यह समझ में आ रहा था कि आनन्द आसानी से खुल जाएगा।
हमने शाम का प्रोग्राम बदल दिया। अब ऊषा और निधि को पढ़ाई के लिए होटल में ही छोड़कर मैं और आनन्द थोड़ा टाइम पास के लिए बाहर गए।
दोपहर में जो कुछ हुआ, उसके कारण आनन्द मुझसे ठीक से नजर नहीं मिला रहा था। मैं उसका बॉस हूँ और उसने ना केवल मेरी बीवी की चूत देख ली थी बल्कि चुदाई की बात भी, मजाक में ही सही, बोली थी।
उसकी हालत को भांपकर मैंने बीयर के लिए कहा और हमने दो-तीन बीयर गटक लीं। थोड़ी चढ़ने के बाद आनन्द बोला- सॉरी सर मुझे आपके कमरे में इस तरह नहीं आना चाहिए था।
मैंने कहा- कोई बात नहीं, इसमें बुरा मत मानो। छेद ही तो देखा है। कौन सा तुमने मेरी बीवी को कुछ और किया। छेद तो सभी औरतों में एक जैसा ही होता है। निधि का भी तो ऐसा ही होगा या कोई नया डिजाइन की चूत है। अगर हो तो भई, मेरे को भी दिखाना।
मेरी इन बातों से वह ना केवल सामान्य हो गया बल्कि शायद चार्ज भी हो गया।
उसने पूछा- क्या उस वक्त आप सचमुच कुछ कर रहे थे या भाभी जी ऐसे ही चूत रगड़ रही थीं।
मुझे भी चढ़ गई थी इसलिए ऐसी बातों में मजा आ रहा था।
मैंने कहा- यार मस्त चुदाई करी थी हमने, और तुम्हारे जाने के बाद फिर किया। अब रात का खाना खाने के ठीक पहले एक बार और चोदूँगा जम कर, फिर खाना खायेंगे हम सब साथ में। तुम ऐसा करना, होटल पहुँचने पर एक घंटे के बाद हमारे कमरे में आना।
इस पर आनन्द बोला- क्या सर आप मजे लेंगे और मैं एक घंटे बोर होऊँगा।
मुझे ज्यादा ही लग गई थी तो मैंने बिना सोचे समझे ही कह दिया, “अगर कुछ सीन देखना हो तो कुछ देर पहले ही अकेले आ जाना, कुछ ढूँढने के बहाने।”
हम 8 बजे रात होटल वापस आ गए और अपने अपने कमरे में चले गए। चूंकि मैंने बीयर ली थी, अतः लण्ड ज्यादा ही उछल रहा था। आते ही मैंने ऊषा को पूरा नंगा करके चोदना शुरू कर दिया, पर ऊषा अभी चुदाई के लिए गर्म नहीं हुई थी और उसे मजा नहीं आ रहा था।
तब मैंने आनन्द के साथ हुई चर्चा हूबहू सुना दी, साथ ही यह भी बताया कि हो सकता कि दोपहर की तरह वो कुछ सीन के लिए यहाँ आ धमके।
अब ऊषा भी चार्ज होने लगी और उसने कहा- अब अगर वो आया तो चूत रगड़वा के मानेगी, बहुत हुई शर्म।
मैंने कहा- यह हुई ना बात !
इधर शैतान का नाम लिया, उधर शैतान हाजिर !
दरवाजे पर धीमी दस्तक हुई, मैंने चुदाई रोककर तौलिया लपेटा और ऊषा को नंगी हालत में ही चादर उढ़ाकर दरवाजा खोला।
वो पूर्व की भांति जल्दी से अंदर आ गया- भाभी जी, चाभी मिल गई।
ऊषा ने लापरवाही पूर्वक चादर नीचे खींचते हुए सिर निकाला और बोली- मैंने तो पहले ही कहा था देवर जी कि चाभी आपके पास ही है।
चादर कंधे से काफी नीचे तक आ गई थी, बस चूचियों के निप्पल दिखने बाक़ी थे। ऊषा बेड के किनारे थी, अतः मैं जल्दी से बेड पर उसके दूसरे बगल जाकर बैठ गया और उनकी गतिविधि देखने लगा।
आनन्द बेहद खुश हुआ और ऊषा के साइड में पैरों के पास सटकर बैठता हुआ बोला- क्या भाभी जी, आप भी ना ! मैं दूसरी चाभी की बात कर रहा हूँ और आप हैं कि पप्पू की। वैसे आप क्या अभी से सोने जा रही हैं?
ऐसा कहते हुए उसने फर्श पर पड़े लैगी और टॉप देख लिए थे।
ऊषा ने कहा- देवर जी, आपके सर ने ताले से छेड़छाड़ कर दी है, पूरा गर्म हो गया है बस उसे ही सहला रही हूँ।
यह कहते हुए उसने अपने पैर थोड़ा सा आनन्द से दूर खींच लिया, ताकि आनन्द ठीक से बैठ पाए और इसी बहाने उसने अपनी चादर घुटने तक हटा ली थी।
अब आनन्द जोश में आ चुका था। वह जान गया था कि सर की मौजूदगी के बावजूद वह कैसी भी चर्चा कर सकता है। हाँ, वह छूने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था।
आनन्द ने उसे सुनाते हुए मुझसे कहा- सर, आप भाभी जी को कुछ ज्यादा ही चोद रहे हैं बेचारी भाभी जी की बेचारी चूत।
यह कहते हुए उसने चादर के अंदर हाथ डालकर चूत तक पहुँचने की कोशिश की पर सहम गया और हाथ रोक लिए।
अब ऊषा से रहा नहीं गया और वो बिना चादर संभाले उठ कर बैठ गई। अब केवल उसकी चूत वाला इलाका चादर में रह गया और उसके शानदार वक्ष उभार सहित पूरी ऊपरी हिस्सा अनावृत हो गया।
आनन्द को पता तो था कि ऊषा नंगी ही लेटी है, पर उसे इसकी उम्मीद ही ना थी, उसका मुँह खुला का खुला रह गया।
मैंने तुरंत ऊषा से सट गया और उसकी कमर में हाथ डालकर दूद्दू सहलाते हुए कहा- देखो आनन्द मेरी बीवी की शान।
आनन्द कुछ नहीं बोला बस देखता रहा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैंने धीरे से एक हाथ चादर के अंदर ऊषा की चूत पर रखा और कुछ इस प्रकार सहलाने लगा कि चादर हट जाए।
हुआ भी यही चादर हट चुकी थी और मेरे हाथ से ऊषा की चूत ढकी हुई थी।
अब मेरा लण्ड एक्शन के लिए तैयार था, पर आनन्द के सामने कुछ अजीब लग रहा था। साथ ही यह डर भी था कि वो हमें निर्लज्ज समझ सकता है, और ऑफिस में भेद खोल दिया तो !
यह जरूरी था कि हम और आगे तभी बढ़ें जब वो और उसकी बीवी निधि भी अंग प्रदर्शन करे।
आनन्द आगे की कार्यवाही देखने के लिए आतुर हो उठा।
मैंने उसे कहा- निधि अकेली होगी और रात के खाने का वक्त भी हो रहा है। तुम जाओ और लगभग आधे घंटे में हम तुम्हारे ही कमरे में आते हैं।
जैसे ही वो जाने लगा ऊषा ने आनन्द से कहा- देवर जी निधि बता रही थी कि उसका पीरियड लगभग खत्म हो चुका है। बधाई हो ! आज तो जमकर खेल होगा, लगता है।
इस पर मैंने कहा- वाह आनन्द बाबू हमारी वाली की झांट तक देख ली और अपनी वाली के दर्शन कब कराओगे?
मेरी बात से ऊषा उत्तेजित होकर बोली- हाँ देवर जी, इनकी बात में तो दम है। वैसे अगर चुदाई ही करनी हो तो क्यों ना हम लोग एक ही कमरे में आपस में करें। चुदाई की चुदाई और मजा का मजा। वैसे भी हमें ब्ल्यू फिल्म देखते हुए चुदाई में ज्यादा मजा आता है। तुम लोग हमें देखना, हम तुम लोगों को।
यह कहते हुए ऊषा उठ खड़ी हुई ताकि आनन्द के जाते ही दरवाजा बंद कर सके। ऊषा पूरी तरह नंगी हालत में आनन्द के साथ आ खड़ी हुई थी।
उसकी छोटी-छोटी झांटों में से झांक रही चूत को बहुत ही लालसा वाली नजरों से देखते हुए आनन्द ने कहा- निधि आप जितनी खूबसूरत और बोल्ड नहीं है। खैर गुडनाइट !
ऊषा ने जल्दी से दरवाजा बंद कर लिया।
हालांकि हम लोग उत्साहित थे और उत्तेजित भी, पर आनन्द के जवाब से मैं डर गया। वो मुझे बदनाम भी तो कर सकता था, यहाँ तक कि ब्लैकमेल भी कर सकता था।
मैंने ऊषा से कहा- अब किसी भी तरह हमें कोई जुगाड़ कर के निधि को भी नंगी करना होगा। ऊषा बोली- ओहो ! क्या बात है, इज्जत का डर है या नई चूत की कामना? मैंने कहा- फिलहाल तो इज्जत !
यह कहते हुए मेरी आँखों के सामने निधि की चूत की काल्पनिक छवि उभर आई।
कहानी जारी रहेगी। आपको कहानी कैसी लगी, जरूर बताएँ। [email protected]
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