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मैंने ऊषा से कहा- अब किसी भी तरह हमें कोई जुगाड़ कर के निधि को भी नंगी करना होगा। ऊषा बोली- ओहो ! क्या बात है, इज्जत का डर है या नई चूत की कामना? मैंने कहा- फिलहाल तो इज्जत ! यह कहते हुए मेरी आँखों के सामने निधि की चूत की काल्पनिक छवि उभर आई।
हमने तुरंत चुदन-चुदाई करी और फ्रेश होकर उनके कमरे चले गए।
हमने सोचा था कि वे भी चुदाई कर रहे होंगे और हम लोग कवाब में हड्डी बन जाएंगे।। वहाँ पहुँचे तो नजारा देखकर ही समझ में आ गया कि कुछ भी नहीं हुआ।
हमने रूम में ही खाना आर्डर किया और आराम से खाकर वापस आ गए। यहाँ कोई सेक्सी बात या घटना नहीं हुई।
अगले दिन सुबह दस बजे ऊषा एवं निधि परीक्षा देने चली गईं। मैं और आनन्द, आनन्द के रूम में आराम करने लगे।
योजना यह थी कि वे दोनों गयारह बजे तक लौटेंगी, तभी हम लोग साथ खाना खाएंगे, फिर शाम को घूमने जाएंगे।
मैंने ऊषा को समझा दिया था कि लौटते समय कंडोम लेते आए और निधि को टटोले कि आनन्द ने ऊषा को नंगी देखने की बात बताई है या नहीं, एवं यदि हाँ, तो निधि क्या महसूस कर रही है?
मैंने और आनन्द ने चाय मंगाई और टीवी देखने लगे। शुरू में हमने इधर-उधर की बात की। फिर धीरे से मैंने यह विषय छेड़ते हुए पूछा- क्या बात है आनन्द, कुछ उदास लग रहे हो?
आनन्द के जवाब ने मेरी चिंता पूरी तरह मिटा दी थी।
उसने कहा- सर निधि तो छूने भी नहीं देती, चुदवाना तो दूर। कल भाभीजी को बिना कपड़ों के देखा तो नीचे तक हिल गया। मेरा तो पैन्ट ही खराब हो गया था। मैंने निधि को पूरी नंगी होने को कहा तो नीचे खोल कर बोली ‘चोद लो’ पर कपड़े खराब ना करना। मेरा तो लण्ड ही बैठ गया, जिससे फिर कुछ नहीं हुआ। रात में भाभीजी का नंगा बदन याद करके बाथरूम में स्खलित हुआ। सर मुझे माफ कीजिएगा मैंने भाभीजी के बारे में सोचा।
मैंने कहा- कोई बात नहीं आनन्द, जब तक लखनऊ में हैं, मजे करो और कराओ, हाँ वापस जाकर सब भूल जाना।
आनन्द बोला- सर मजे कैसे करूँ? निधि के साथ कुछ अजीब है और भाभीजी तो आपकी हैं।
मैंने कहा- घबराओ मत, कुछ गड़बड़ जरूर है वरना चूत के लिए सबसे प्रिय वस्तु तो लण्ड ही होता है। ऊषा निधि से बात करेगी, और जहाँ तक ऊषा की बात है, अगर वो तुमसे चुदवाने को राजी हो तो मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी। मुझे लगता है कि तुम और निधि दोनों ही अनाड़ी हो, इसलिए निधि खुलकर ना चुदवाती होगी और तुम जल्दी झड़ जाते होगे। हर चूत को अनुभवी और लम्बा, देर तक चलने वाला लण्ड पसंद आता है, शायद तुम हड़बड़ी करते होगे।
मैंने आनन्द की नब्ज पकड़ ली थी।
आनन्द ने कहा- सर, ठीक यही बात है।
इधर इन दोनों का पेपर खराब हो गया था। लौटते समय निधि से बात करके ऊषा ने यह जान लिया था कि उसे केवल कल दोपहर वाली बात पता है। रात की बात जिसमें आनन्द ने ऊषा को अच्छी तरह नंगी देखा था, आनन्द छिपा गया था।
निधि इस बात से घृणित नहीं बल्कि उत्तेजित हो गई थी और चुदवाना चाह रही थी, पर आनन्द का लण्ड ढीला था और चूत के अंदर ही नहीं गया था।
अब मैं और ऊषा दोनों ही उन दोनों की समस्या समझ चुके थे। मैंने योजना बनाई कि अब हम चारों को एक ही कक्ष में चुदाई की शुरू करनी चाहिए।
उनके होटल आते ही हमने खाना खाया और ऊषा और निधि को मेरे कमरे मे फ्रेश होने के लिए भेज दिया।
मैंने ऊषा को यह समझा दिया कि निधि की शर्म कम करे और जब सही समय हो तो मैं और आनन्द आ जाएंगे।
मेरे कमरे में पहले निधि फ्रेश हो गई। ऊषा ने उसे एक लैगी और टॉप दे दिया था। इसके बाद ऊषा नहाने गई और पुराने कपड़े वहीं छोड़कर एक टावेल लपेटकर निधि के सामने आ गई।
निधि शरमा गई तो ऊषा ने कहा- अरे इसमें शरमाने वाली क्या बात है? तुम तो ओैरत हो मेरे ये तो मुझे तौलिया ही नहीं लगाने देते। वैसे भी हम एनिवर्सरी और तुम हनीमून मना रहे हो। यहाँ कपड़ों का क्या काम। मैं तो पैन्टी भी नहीं पहनती। ऐसा कहते हुए तौलिया हटा कर उसी से बाल पोंछने लगी।
निधि ऊषा को पूरी नंगी देखकर थोड़ा शरमाते हुए नजरें घुमा लीं, बाद मे चोर नजरों से ऊषा की हल्की झांट वाली चूत देखकर बोली- क्या आपके वो बहुत चोदते हैं?
ऊषा अब नंगी ही निधि के बगल में बैठी और उसके टॉप के अंदर हाथ डालकर उसके दूद्दू सहलाते हुए बोली- बहुत !
थोड़ी देर तक वे दोनों एक दूसरे को सहलाती रही, और दोनों ही चार्ज हो रही थी।
मैंने ऊषा को समझा रखा था कि निधि को इतना गर्म कर देना कि लण्ड के लिए तड़प जाए।
ठीक इसी समय मैंने और आनन्द ने दरवाजे पर दस्तक दे दी।
मैंने आनन्द को समझा दिया था कि अंदर निधि पहले से गर्म होगी, बस किसी तरह उसे वहीं पर पूरी नंगी करके चुदाई शुरू करना हमारे सामने ही, हम भी शुरू हो जाएंगे। अगर निधि शरमाए तो उसे हम दोनों की चुदाई दिखाना।
जब हमने खटखटाया तो ऊषा फिर तौलिया लपेटकर दरवाजा खोलने के लिए उठी।
निधि ने आपत्ति की- आनन्द भी होंगे, आप ऐसे उनके सामने?
ऊषा ने ध्यान ना देते हुए कहा- शरमाने वाली कोई बात नहीं।
अंदर आते ही आनन्द ने निधि को बेड के दूसरे हिस्से में ले गया और सहलाने लगा। इधर हम भी उन्हें अनदेखा कर आपस में चिपक गए।
आनन्द निधि को नंगी करने का प्रयास करने लगा पर निधि रोक रही थी। उनकी बात सुनते ही मैंने ऊषा का तौलिया गिरा दिया, अब मेरी बाहों में पूरी नंगी बीवी थी।
यह देखकर निधि शरमाई पर उसका विरोध कम हो गया।
थोड़ी देर में निधि के बदन पर एक कपड़ा भी नहीं था। एकदम साफ चिकनी चूत वाली 22 साल की छरहरी यौवना।
ऊषा से रहा नहीं गया और निधि के पास जाकर उसकी चूत पर हाथ रखकर बोली- वाह निधि, क्या चूत है ! बधाई हो देवर जी, क्या चूत पाई है।
ऊषा आनन्द के पास ही खड़ी थी। आनन्द ने तुरंत अपना हाथ ऊषा की चूत पर रखते हुए बोला- हाँ भाभीजी, पर आपकी चूत भी कम नहीं।
उनकी चुदाई शुरू हो चुकी थी। निधि नीचे लेटी हुई थी और आनन्द उसके ऊपर धक्के लगा रहा था। हम एक-दूसरे से लिपटे हुए खड़े-खड़े ही उनकी चुदाई देख रहे थे।
ऊषा की नजर आनन्द के लण्ड से हट ही नहीं रही थी और मेरी नजर निधि के वक्ष पर से नहीं हट रही थी।
10 मिनट में आनन्द झड़ गया और उठने लगा, ऊषा तुरंत आनन्द के पास गई और बोली- कहाँ चले देवर जी?
आनन्द सिर नीचे झुकाकर बोला- मेरा तो फिनिश ! मैं जा रहा हूँ।
ऊषा ने कहा- देवर जी, यह कोई बीमारी नहीं है, आप परेशान ना हों, पहले ये भी ऐसे ही जल्दी झड़ते थे। आप मेरी तरफ आओ, अभी ठीक कर देती हूँ।
ऊषा आनन्द को अपनी तरफ खींच कर ले गई और नंगी हालत में उससे लिपटकर उसके लण्ड से खेलने लगी।
मुझे पता था कि निधि प्यासी होगी। मैं निधि के पास गया और उसको खड़ा करके अपने साथ लिपटा लिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैंने आनन्द से कहा- लेट कर करने में जल्दी झड़ता ही है, और पोज भी लिया करो। रूको, मैं दिखाता हूँ।
ऐसा कहते हुए मैंने निधि को टेबल पर इस प्रकार बिठाया कि उसका केवल वजन टेबल पर हो और चूत ठीक मेरे लण्ड से सटकर।
मैंने निधि के पैर फैलाये और एक झटके में ही अपना लण्ड उसकी चूत से लगाकर अंदर-बाहर करने लगा। मुझे यह तरीका बहुत पसंद है, अक्सर मैं ऊषा को किचन के गैस प्लेटफार्म पर ही ऐसे ही बिठाकर मस्त चुदाई करता हूँ।
मेरा यह स्टाइल निधि और आनन्द के लिए नया था। वे बहुत मजा कर रहे थे। इधर आनन्द भी चार्ज हो गया था ये सब देखकर।
बीस मिनट के बाद मैं और निधि एक साथ झड़े।
निधि की चूत रिसने लगी। वो बाथरूम गई और चूत साफ करके बिल्कुल ऊषा की तरह तौलिये से चूत पोंछते हुए बाहर आई।
इधर आनन्द ऊषा को चोदना चाह रहा था पर ऊषा ने यह कहकर उसे रोक दिया था कि आज निधि का दिन है। उसे अभी एक राउंड और चाहिए। तुम्हारा लण्ड तैयार है। जाओ और जमकर नए स्टाइल में चोदो।
निधि आर्गेज्म पा चुकी थी, पर आनन्द ने फिर चुदाई शुरू कर दी। उसे देखकर मेरा फिर तैयार हो गया। अब मैंने ऊषा को तिरछा लिटाकर चोदना शुरू किया। हमारी देखा-देखी आनन्द ने भी मेरे पोज की नकल की।
5 बजे तक हम लोग चुदाई से थक चुके थे। हमने स्नान किया और नंगे ही आराम किया। निधि को मैंने अपने साथ लिपटा लिया था।
हम लोगों ने इस घटना से अदभुत आनन्द प्राप्त किया। अभी हमें लगभग 20 घंटे और लखनऊ में रूकना था।
हमने तय किया कि आनन्द को ट्रेनिंग देने के लिए ऊषा आनन्द के साथ रहेगी और मैंने निधि को अपने रूम में रख लिया।
पर मैंने एक शर्त भी लगा दी कि ऊषा की चुदाई आनन्द नहीं करेगा, चुदाई ज्यादातर निधि की होगी।
इसकी वजह और कंडोम का क्या हुआ? मैं अपनी अगली कहानी में बताऊँगा।
आपको कहानी कैसी लगी, जरूर बताएँ। [email protected]
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