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रात के दो बज चुके थे। मैं, यानि कि ‘अभिसार’, मुंबई के इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर स्थित एमिरेट्स के लाउन्ज में प्रवेश कर रहा था।
मेरी दुबई जाने वाली फ्लाईट 4.20 बजे थी तो अभी मुझे डेड़-दो घंटे यहीं पर इंतज़ार करना था।
अन्दर एक सोफे पर सिर्फ दो युवतियाँ बैठी थी। मैं उनके सामने जाकर बैठ गया। उनके चेहरे पर गौर किया तो पाया कि वे मशहूर हीरोइनें शृयंका और मधुमति अरोड़ा हैं।
मैं बहुत खुश हो गया और जैसे ही उन्होंने मेरी तरफ देखा मैंने उन्हें हाथ हिलाकर ‘हाय’ कहा।
लेकिन ये क्या, मुझे जवाब देना तो दूर, वे दोनों तो वहाँ से उठ कर ही चलती बनी और अंदर प्रायवेट केबिन की ओर चली गईं।
मुझे काटो तो खून नहीं। यार, इस तरह सीधे-सीधे बेइज्जत नहीं करना चाहिए था। मुझे बहुत खराब लगा।
मुझे जब वहाँ घुटन सी होने लगी तो मैं सीधा बोर्डिंग गेट पर आ गया।
4 बजे मैं प्लेन के अन्दर अपनी बिजनेस-क्लास की सीट पर था। गर्मियों के आफ-सीज़न के कारण हमारी श्रेणी में कोई भी मुसाफिर नहीं था।
एक बहुत ही हसीन अरबी एयर-होस्टेस मेरे पास आई और बड़े ही प्यार से मेरा अभिवादन किया। उसके कोट पर लगी पट्टी से पता चला कि उसका नाम ‘ज़रीन’ है।
वो मुझे इतनी आकर्षक और ‘गर्ल नेक्स्ट डोर’ लगी कि मैं उसके दुबारा आने का इंतजार करने लगा।
जब वो लाइम-ज्यूस लेकर आई तो मैं उससे कुछ-कुछ पूछने लगा। दरअसल मैं उसे बातों में लगाकर उसका सामीप्य पाना चाह रहा था और वो भी इरिटेट होने के बजाय पूरे इंटरेस्ट के साथ मुझसे बात करने में लगी थी।
तभी गेट पर किसी के आने की आहट पाकर वो मुझे एक्सक्यूज़-मी कहकर उसे अटेंड करने चली गई।
तक़रीबन 2 मिनट के बाद वो किसी आकर्षक युवती को मेरे पास की सीट पर छोड़ने आई और उससे हैण्ड-बैग लेकर उसे ऊपर बाक्स में रख दिया और फिर धीरे-धीरे उससे कुछ बातें करके वो चली गई।
हाँ जाते-जाते एक बहुत ही मनमोहक मुस्कराहट मुझे पास कर गई। मैं तो उसके अटेंशन से फूला नहीं समा रहा था।
फिर एक तिरछी निगाह पड़ोसन के चेहरे पर डाली तो मैं ‘धक्क’ रह गया। मैंने अपने सीने पर हाथ रखकर चेक किया कि कहीं दिल ने धड़कना बंद तो नहीं कर दिया।
वो मेरी सबसे फेवरेट हिरोइनों में से एक ‘यशिका भाटिया’ थी। उसको देखते ही मेरे मन मैं बहुत सारे अरमान जागने लगे।
हो सकता है यह मुझ पर मोहित हो जाये, हालांकि इसकी बहुत कम सम्भावना है परन्तु कोशिश करने में क्या हर्ज़ है ! कुछ यही सब सोच रहा था कि अचानक शृयंका अरोड़ा वाली घटना याद आ गई। उसकी बेरुखी तो चलो सहन कर ली, मगर कभी इसने भी वही व्यवहार किया तो !
मैं बहुत सोच में पड़ गया और फिर बहुत ही सख्त मन से फैसला लिया कि मैं उसे ऐसा जताऊँगा, जैसे मैं उसे जानता ही नहीं, और अपनी मस्ती में मस्त रहूँगा। ये सोच कर फिर मैं ऊपर बैग से कुछ सामान निकालने के लिए उठा तो हमारी निगाहें मिली।
मैंने तक़रीबन उसे घूरते हुए देखा और ऐसा शो किया जैसे मैं उसे पहचानता ही नहीं, और फिर एक बड़े ही दम्भी व्यक्ति जैसे व्यव्हार करके अपनी सीट पर बैठ कर आँखें बंद कर लीं।
मेरा ऐसा व्यवहार उसे कदापि अपेक्षित नहीं था। अटेंशन के भूखे इन सितारों को इस तरह की उपेक्षा बिलकुल सहन नहीं होती है और अब यह बात उसकी बढ़ती बेचैनी से साफ महसूस हो रही थी।
मैं मन ही मन थोड़ा खुश हो गया, लगा कि जैसे रात का कुछ बदला ले लिया। वो एकदम असहज हो उठी।
फिर उसने एयर-होस्टेस को तेज़ आवाज़ में बुलाया और कुछ बातें की जो मुझे कुछ भी समझ में नहीं आई। अंखियों के झरोखों से जरा सा देखा तो शायद वो मुझे इंगित करते हुए उसे कुछ बता रही थी।
मैं थोड़ा डर सा गया कि पता नहीं क्या बात हो गई। मैं ऐसे ही आँख बंद किये पड़ा रहा।
कुछ देर बाद प्लेन उड़ा। मैं अभी भी आँख बंद किये पड़ा था। कुछ समय और ऐसे ही निकल गया।
तभी एक प्यारी सी आवाज़ मेरे कानों में घुली।
“सर !”
देखा तो ज़रीन, वही जानलेवा मुस्कान के साथ ब्रेक-फास्ट की ट्रे लिए झुकी हुई थी।
मैं उठा तो वो थोड़ा खिलखिलाई और फिर ट्रे रखकर बड़े ही आहिस्ता, अपनी हथेली को मेरे हाथ पर रखा और धीरे से दबाव डालते हुए बोली- हेव अ नाईस ब्रेक-फास्ट, अभिसार।
“अरे, आपको मेरा नाम कैसे पता चला।” मैंने एकदम से चौंकते हुए पूछा।
मैंने ये भी नोटिस किया कि उसने अभिसार शब्द थोड़ा जोर से बोला था जिससे वो पास बैठी यशिका ने भी सुना और मुझे देखने लगी।
“वो आपको देख कर मुझे आपका नाम जानने की उत्सुकता हुई तो चार्ट से देख लिया। आपका नाम बहुत सुन्दर है सर !”
मैंने मुस्कुराते हुए उसे ‘थैंक्स’ बोला।
फिर अगला आधा घंटा यूँ ही गुजर गया। ज़रीन जब जब भी मेरे पास आई, हमेशा उसे मैंने अपनी नज़रों में झाँकते हुए पाया।
जहाज की लाइट्स अब मद्धिम कर दी गई थी।
इस बीच मैंने यशिका को कई बार देखा पर हर बार बुरी तरह नजरान्दाज़ करता रहा। वो इस उपेक्षा से इतनी आहत हो गई कि खुद उसने पहल करते हुए मुझसे बात करनी शुरू कर दी।
“एक्सक्यूज-मी, आप दुबई जा रहे हैं या वहाँ से ट्रांजिट कर रहे हैं?” उसने थोड़े संकोच से पूछा।
“दुबई जा रहा हूँ।” मैंने बड़े ही ठन्डे स्वर में बोला।
जब मेरी और से उसे कोई गर्मजोशी महसूस नहीं हुई तो वो फिर चुप हो गई।
मैं आशंकित हो गया कि कहीं ऐसा न हो कि अब ये कोई बात ही ना करे। परन्तु अब मैं अकड़ ही गया हूँ तो पीछे थोड़े ही हट सकता हूँ, इसलिए भाव खाते रहना मेरी मजबूरी थी।
तभी अचानक उसके मुँह से ‘आउच’ की आवाज़ आई। मैंने देखा तो वो अपनी पीठ के ऊपर टॉप को मुट्ठी में दबाये हुए मेरी और असहाय होकर देख रही थी।
उसने याचना की, “अरे यार, थोड़ी हेल्प तो करो ना, शायद कोई बग है अंदर, बहुत जोर से काटा। मुठ्ठी में पकड़ा तो है। जरा पीछे टॉप के अन्दर चेक करके उसे बाहर निकाल दीजिये ना प्लीज़ !”
मैंने भाव खाना जारी रखा।
“क्या बोल रही हैं आप? मैं ऐसा कैसे कर सकता हूँ। हाँ रुकिए, मैं एयर-होस्टेस को बुलवाता हूँ।”
“अरे एक सेकण्ड का तो काम है, जल्दी, जल्दी से आप अन्दर हाथ डालकर मुठ्ठी चेक कर लो, और मुझे उससे मुक्ति दिलाओ, प्लीज़।”
अब दुबारा मना करने की तो बनती ही नहीं थी तो मैं बोला- चलो ठीक है, मैं कोशिश करता हूँ। बताओ, कैसे करना है?
“एक हाथ पीछे से मेरे टॉप के अन्दर डालो और मुठ्ठी तक लाओ और फिर टॉप उठा कर मेरी मुठ्ठी को खोलो और उस कीड़े को निकाल दो। सिम्पल।”
मेरे तो मज़े हो गए क्योंकि उसके शरीर को फ़ोकट ही छूने मिल रहा था।
मैंने अपना एक हाथ टॉप के अन्दर डाला। क्या मुलायम और चिकनी पीठ थी। धीरे-धीरे मैं पीठ सहलाते हुए हथेली ऊपर बढ़ाता रहा।
जैसे ही अहसास हुआ कि इस वक्त मैं बौलीवुड की एक नामचीन हॉट और सेक्सी अदाकारा की पीठ सहला रहा हूँ, तो मेरे रोमांच की सीमा ना रही और मेरे पप्पू सेठ ने अन्दर ही अन्दर अपना मुँह उठाना शुरू कर दिया।
तभी मेरी उंगली किसी अवरोध से टकराई। ये उसके ब्रा का स्ट्रेप था। मैं थोड़ी देर तक तो उसी पर ही हाथ फेरता रहा। हीरोइन की ब्रा है, मज़ा आ रहा था।
फिर सीधे-सीधे उसकी मुठ्ठी को थामा और दूसरे हाथ से टॉप को थोड़ा ऊपर किया। अब उसकी गुदाज़ पीठ मेरे सामने चमकने लगी। चिकनी और सपाट; मांसल और मादक।
“चलिए, मुठ्ठी खोलिए धीरे से, देखता हूँ क्या है।”
और फिर उसने अपनी मुठ्ठी खोल दी। मैंने ध्यान से चेक किया लेकिन उसमे कुछ भी नहीं था।
“कहाँ है वो कीड़ा, यह तो बिलकुल खाली है?”
“ऐसा कैसे हो सकता है, मुझे तो बहुत जोर से काटा था। तुम पीठ पर चेक तो करो जरा।”
ये तो मुझे लाइफ-लाइन मिलती ही चली जा रही थी। मैंने उसका टॉप थोड़ा नीचे खिसकाया और अपना हाथ पुन: टॉप में घुसा दिया।
वो थोड़ा सी टेड़ी होकर बैठ गई ताकि मेरा हाथ आसानी से अन्दर घुस सके।
अब मैंने नीचे से सहलाना शुरू किया। बहुत ही धीरे-धीरे उस निगोड़े अपराधी की खोज चल रही थी। मसलते-मसलते मैं पुन: ब्रा स्ट्रेप पर आ गया।
“कहीं ब्रा की पट्टियों के अन्दर ना घुस गया हो। प्लीज़ हुक खोल कर अच्छे से पट्टियों को भी चेक कर लो।”
यह सुनते ही टॉप को फिर ऊपर उठाया, एक बार इधर-उधर देख कर जायजा लिया।
फिर सुन्दर और कीमती लाल रंग की ब्रा का हुक खोल दिया। जब खोल के उन्हें ढीला छोड़ रहा था तो बहुत वजन सा लगा। आगे लटके ढाई-ढाई किलो के दो कबूतरों का वजन संभाल जो रखा था।
“अब क्या करूँ?”
“पीछे-पीछे की जितनी भी इलास्टिक पट्टियाँ हैं, उन्हें अल्टा-पलटा कर अच्छे से चेक करो।”
मैंने टॉप को ऊपर गर्दन तक ही खींच दिया। पूरी की पूरी नंगी पीठ नुमाया हो रही थी। डर के मारे भी बुरा हाल था कि कहीं कोई देख ना ले, तो मैंने चारों ओर नज़र घुमाई, कोई नज़र नहीं आया।
अब मैं कंधे की पट्टियों के अन्दर उंगली घुसा-घुसा कर चेक कर रहा था, चेक क्या बस, उसकी पीठ पर मसाज ही कर रहा था।
“अरे ये बगल की तरफ काटा। हाँ शायद यहीं है। जल्दी से चेक करो।” और वो अपना एक हाथ अपने बगल की ओर ले जाकर ऊपर से ही खुजलाने लगी।
मैंने पीछे से अपना एक हाथ बगल की और बढ़ाया ब्रा की पट्टियों के नीचे से और फिर हाथ अन्दर घुसाने लगा तो लगा कि गलत दिशा पकड़ ली है क्योंकि वो अब पहाड़ों की खड़ी चढ़ाई शुरू होने वाली थी।
लालच तो हुआ कि इतने शानदार पहाड़ों की सैर का दुबारा मौका शायद ही मिले। परन्तु संकोचवश ऊपर बगल की और रुख मोड़ा और लगभग मसलते हुए उसके चिकने बगल तक पहुँच गया।
उसने अपने दोनों हाथ कुर्सी के हत्थों पर टिका कर बगल में काफी जगह बना दी ताकि मेरा हाथ वहाँ आसानी से तफरीह कर सके।
“हाँ, यहीं पर सब जगह तलाश करो।”
और मैं बड़े मजे से उसके बगल की मालिश मैं जुट गया। मेरा हाथ बार-बार नीचे पहाड़ी रास्ते पर फिसल रहा था, पर वहाँ ब्रा का कप आड़े आ रहा था।
मेरे दिमाग में घोर द्वंद्व छिड़ गया और एक बार उसके जोबन का मर्दन करने की भयंकर अभीप्सा होने लगी।
और जैसे ही उसने कहा कि “नहीं मिल रहा तो छोडो यहाँ, कहीं और देखो।”
तो लगा कि बस ये आखरी सेकंड है। करना है तो कुछ कर ले।
कहानी जारी है।
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