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कहानी का पिछ्ला भाग : जन्नत का अहसास है गांड चुदाई-1
उफ्फफ्फ्फ़! क्या चुदाई की उसने! मेरी चूत की तो हालत ख़राब कर दी। हैरत अंगेज बात तो यह थी कि 5 मिनट तक लगातार चुदाई के बाद भी उसके लंड से पानी नहीं निकल रहा था जबकि मेरी चूत ने दूसरी बार पानी छोड़ना चालू कर दिया। पांच मिनट और चुदाई करने के बाद उसके धक्के तेज़ होने लगे, अब वो झड़ने वाला था। मैंने कहा- चूत में माल मत गिरा देना!
लेकिन उत्तेजना में उसने कुछ नहीं सुना और कस कर अपना लंड मेरे चूत में दाबा और माल मेरे चूत में ही गिराने लगा। मैंने कोशिश की कि उसके लंड को किसी तरह से अपने चूत से निकाल दूँ लेकिन उसने इतनी कस के मेरी चूत में लंड डाल रखा था कि मैं कुछ ना कर सकी और चुपचाप उसका माल को अपनी चूत में गिरने दिया।
एक मिनट के बाद उसने मेरे चूत से लंड निकाला तो मैंने देखा कि उसका माल मेरी चूत में से निकल कर मेरे गांड की दरार से बहते हुए बिस्तर पर जा गिरा है, फिर देखा अभी भी उसका लंड उसी तरह खड़ा है, मैं भी अभी थकी नहीं थी। मैंने उसके लंड को पकड़ कर कहा- शाबाश राहुल, तुम कमाल के खिलाड़ी हो! मजा आ गया, मेरा एक और काम करो ना! वो बोला- क्या? मैंने कहा- मेरी गांड की खुजली मिटा दो ना राजा? वो बोला- ठीक है, किस स्टाइल में गांड मरवायेंगी आप? मेरे लंड के ऊपर बैठ कर या खड़े-खड़े या कुतिया बन कर?
मैं ज्यादा आश्चर्यचकित नहीं थी कि उसे इतना सब कैसे पता, मैंने सिर्फ इतना कहा- तुम्हें किस स्टाइल में गाण्ड मारनी आती है? वो बोला- आज तक तो मैंने कभी मारी नहीं लेकिन इन्टरनेट पर देख कर जानता हूँ। मैंने कहा- मुझे सबसे ज्यादा मजा कुतिया बन कर ही आता है क्योंकि इसमें दर्द भी होता है और दर्द का मजा भी आता है। उसने कहा- ठीक है।
उसने मुझे खड़े खड़े ही आगे जमीन पर झुक जाने को कहा। मैं जमीन पर खड़ी होकर अपनी टांगों को सीधा रखते हुए आगे बेड पर झुक गई, इससे मेरी गांड का छेद राहुल को साफ़ साफ़ दिखने लगा. उसने मेरी गांड के छेद में उंगली लगाई, उसके उंगली लगाते ही मेरी गांड, और चूत से लेकर चूची तक में सिहरन दौड़ गई। उसने धीरे से मेरी गांड के छेद में उंगली डाली और चारों तरफ घुमाया, इससे मेरी गांड का छेद कुछ खुल गया। अब उसने दोनों हाथों के अंगूठे मेरी गांड के छेद में डाले और उसे फैला दिया। मुझे उसकी इस हरक़त से बहुत मजा आया। जब कोई आपके हर एक अंग से प्यार करे तो सेक्स का आनन्द ही अलग हो जाता है। अब उसने मुझे पूरी कुतिया बना कर खड़ा किया और दोनों अंगूठों से मेरी गांड के छेद को फैला कर अपने लंड को उसके मुँह पर लगाया लेकिन अभी भी उसे संशय हो रहा था क्योंकि मेरी गांड का छेद उसके लंड के मोटाई के अनुपात में कम ही चौड़ा था।
उसने कहा- लगता है कि मेरा लंड इसमें नहीं जा पायेगा, जबरदस्ती करने पर आपकी गांड को नुक्सान पहुँच सकता है। मैंने पीछे देखते हुए कहा- मेरी गांड की चिंता मत करो, तुम लंड डालो इसमें।
उसने ऐसा ही किया, उसने जोर लगा कर अपना लंड मेरे गांड की छेद में डाल दिया। उसका लंड मेरे पति के लंड से कुछ तो मोटा था लेकिन मेरी गांड भी कोई कमजोर नहीं थी, मैं दांत भींच कर हर दर्द सह गई। उसने अपने पूरे लंड को मेरे गांड में सरकाते हुए डाल ही दिया।
अब उसने मेरी कमर पर अपने हाथ की पकड़ मज़बूत बनाई और मेरे गांड की चुदाई चालू कर दी। मुझे तो जैसे जन्नत नसीब हो रहा था, ऐसा लग रहा था कि मेरे गांड की वर्षों की खुजली राहुल आज ही मिटा देगा। दो मिनट में ही मेरी गांड का छेद चौड़ा हो गया, मुझे इतना आनन्द तो अपने पतिदेव से भी कभी प्राप्त नहीं हुआ।
राहुल ने मेरी कमर पर से हाथ हटा कर मेरी चूचियों को थाम लिया। एक तरफ वो मेरी गांड की भरपूर चुदाई कर रहा था, दूसरी तरफ वो मेरी चूचियों को भी दबा रहा था।
दस मिनट तक वो इसी तरह से मेरी गांड मारता रहा, उसके बाद उसके लंड से माल निकलना शुरू हुआ तो अपना पूरा लंड मेरी गांड में घुसेड दिया और स्थिर हो कर माल मेरी गांड में गिरा दिया। जब सारा माल निकल गया तो उसने मेरी गांड से अपना लंड निकाला।
मैं धीरे धीरे अपने गांड के छेद को छूती हुई उठ खड़ी हुई, मेरी गांड का छेद अभी भी पूरी तरह से खुला हुआ था, उसमें से राहुल का रस निकल कर मेरी जाँघों से होता हुआ जमीन पर गिर रहा था।
मैंने राहुल के लंड को हाथ में लिया और उसे सहलाते हुए कहा- थैंक्स राहुल!
फिर मैंने कपड़े से अपनी गांड और बुर से निकल रहे माल और पानी को पौंछा। राहुल बेड पर चित्त हो कर लेट गया। मैंने कपड़े से उसके लंड को भी साफ़ किया फिर कपड़े को एक तरफ फ़ेंक कर उसके सीने पर अपनी चूचियाँ दबाते हुए उसके ऊपर लेट गई और अपनी चूत को उसके लंड पर घिसते हुए बोली- राहुल, आज मजा आ गया, तुम्हें कैसा लगा?
राहुल बोला- मुझे भी अच्छा लगा। मैंने कहा- कल फिर आओगे ना? वो बोला- हाँ!
घड़ी पर नजर डाली तो साढ़े तीन बजने वाले थे। राहुल ने कहा- अब मुझे चलना चाहिए, 4 बजे शान वापस आ जाता है। मैंने कहा- ऐसे कैसे जा सकते हो? पहले कॉफ़ी पियो!
मैंने अपने कमरे का दरवाजा खोला और नंगी ही रसोई में चली गई क्योंकि मैंने घर के सारे खिड़की और दरवाज़े पहले ही बंद कर रखे थे। राहुल और अपने लिए झट से काफी बनाई और फ़्रिज़ से मिठाई और नमकीन निकाली, और कॉफी और नाश्ता ले कर अपने बेडरूम में वापस आई।
राहुल अभी भी नंगा ही बेड पर लेटा हुआ था, मैंने उसे उठने को कहा तो उठ कर सोफे पर बैठ गया। मैं नंगी ही उसकी गोद में उसके लंड पर बैठ गई और बोली- तुम दूसरा काम करो, मैं तुम्हें खिलाती हूँ।
मैं उसे मिठाई व नमकीन खिला रही थी, वो मेरी चूची और चूत को सहला रहा था। काफी और नाश्ता ख़एम करते करते 15 मिनट बीत गए। इन 15 मिनट में राहुल का लंड फिर से तन गया। मैंने उसके लंड को पकड़ कर उसकी आँखों में देखा, उसने मुझे सोफे के नीचे जमीन पर लिटाया और मेरे चूची में अपना सर डाला और मेरी चूत में अपना लंड, इस बार घातक गति में मेरी चुदाई की, 5 मिनट में ही कम से कम 200 बार उसने अपने लंड को मेरी चूत में अपना लंड घुसाया और निकाला। मैं तो दूसरे मिनट ही झड गई थी, उसकी घातक गेंदबाजी ने मेरे होश फाख्ता कर दिए।
5 मिनट बीतते बीतते उसका ओवर समाप्त होने को आया, उसने फिर से कस के लंड को मेरी चूत में डाला और माल गिराने लगा। इस बार माल गिरते ही वो तुरंत खड़ा हुआ और बाथरूम जा कर अपना लंड साफ़ किया। तब तक मैं यूँ ही बेसुध जमीन पर पड़ी रही। मेरे सामने उसने अपने कपड़े पहने, मैं यूँ ही नंगी लेटी हुई उसे देख रही थी। जब उसने अपने शर्ट का आखिरी बटन लगाया तो मैं किसी तरह खड़ी हुई। मेरे चूत, चूची और गांड तीनों में दर्द का अहसास हो रहा था और बदन भी टूट रहा था।लेकिन यह दर्द भी उतना ही मजा दे रहा था जितना किसी शराबी को एक बोतल शराब का नशा मजा देता है। मैं उठ कर अलमारी के पास आई और आलमारी से 1000 रूपये के 5 नोट निकाल कर राहुल की जेब में रखने लगी।
राहुल बोला- नहीं नहीं, ये किसलिए? मुझे ये नहीं चाहिए।
मैं उससे लिपटते हुए बोली- यह मेरे प्रेम का उपहार है मेरे राहुल, प्लीज इन्कार मत करो! ये तो वही पैसे हैं जो तुम मेरे मकान में रहने का किराया देते हो। अब जब तुम मेरे दिल में बस गए हो तो मकान में रहने का किराया मैं तुमसे कैसे ले सकती हूँ?
पहले तो वो मना करता रहा लेकिन जब मैं उसे अपनी नंगी गिरफ्त से छोड़ने को राजी नहीं हुई तो उसने फिर कुछ नहीं बोला। मैंने उसकी जेब में वो नोट रखे और उसे अपनी नंगी गिरफ्त से आज़ाद कर दिया।
3.55 हो चुके थे. राहुल झट से मेरे कमरे से बाहर निकल गया। मैं उसके पीछे पीछे उसी हालत में ड्राइंग रूम तक आई और घर का दरवाज़ा अन्दर से बंद किया और बाथरूम में जाकर बाथटब में जाकर पानी में जो लेटी और बीते हुए आनन्ददायक पलों को याद करते करते कब शाम हो गई कुछ पता ही ना चला।
मेरी गांड की खुजली मिट चुकी थी, राहुल ने अपना वादा निभाया और अब अक्सर मेरी इच्छानुसार आकर मेरी गांड और चूत की खुजली मिटाता रहता है।
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