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सोनिया बोली- तुम तो मेरी सहेली तनीषा को जानते ही हो, उसने अपने घर पर कल रात हुए एक बहुत ही उत्तेजक घटना के बारे में मुझे बताया, जिसके कारण मैं बहुत गर्म हो गई हूँ। नीचे से पूरी तरह से गीली हो गई हूँ और मेरी पेंटी मेरी चूत के पानी से भीग गई है।’
‘सच में डार्लिंग सिस, ऐसा क्या हुआ, मुझे भी बताओ ना?’
सोनिया बोली- कल रात उसके घर पर उसके मामू यानि कि उसकी मम्मी के भाई आए थे, उसे और उसकी मम्मी दोनों को सिनेमा दिखाने ले गए थे। सिनेमा हॉल में उसके मामा और मम्मी एक दूसरे से लिपटने चिपटने लगे थे। बाद में घर वापस लौटने पर उसके मामू ने रात में उसकी मम्मी को खूब चोदा। भाई, जब मेरी सहेली ने अपने मामा और मम्मी की चुदाई की पूरी कहानी बताई तो मेरी चूत बुरी तरह से पनिया गई और मैं बहुत उत्तेजित हो गई। तनीषा ने मुझे बाद में बताया कि उसके मामा ने बाद में उसे भी उसकी मम्मी के सामने ही नंगी करके खूब चोदा और उसकी मम्मी ने यह सब बहुत मजा लेकर देखा। तुम तो जानते ही हो भाई कि उसके पापा विदेश गए हुए हैं।
‘ओह, तनीषा सचमुच में बहुत ही भाग्यशाली है, तनीषा की उसके मामू और मम्मी के साथ की गई चुदाई का अनुभव सच में बहुत उत्तेजक है। बहना, मैं भी सोचता हूँ कि काश मैं तुम्हें और मम्मी को एक साथ एक ही बिस्तर पर चोद पाता। इन किताबों को देखने के बाद मैं भी बहुत गर्म हो गया हूँ। मेरी प्यारी बहना रानी, चलो जल्दी से घर पर चलते हैं और एक दमदार चुदाई का आनन्द उठाते हैं, क्यों? मुझे लगता है तुम भी काफ़ी गर्म हो चुकी हो, अपनी प्यारी सहेली तनीषा की कहानी को सुन कर?’
‘हाँ भाई, तुम सच कह रहे हो, मैं स्कूल की छुट्टी का इंतज़ार कर रही थी। मेरी चूत खुज़ला रही है और मेरा पानी निकल रहा है।’
‘ओह सोनू, तुम जब स्कूल से निकल रही थीं तभी मुझे लग रहा था कि तुम काफ़ी गर्म हो रही हो।’
‘हाँ भाई, तनीषा की बातों ने मुझे गर्म कर दिया है। उसकी चुदक्कड़ मम्मी और चोदू मामा की कहानी ने मेरी नीचे की सहेली में आग लगा दी है और मैं भी चाहती हूँ कि हम जल्दी से जल्दी घर पहुँच कर एक दूसरे की बाहों में खो जाएँ!’
अभी हम घर से लगभग 100 मीटर की दूरी पर थे तभी एक ज़ोर की आवाज़ ने हमारा ध्यान भंग कर दिया। ऑटो रुक गया था और इसका एक टायर पंक्चर हो गया था।
आस-पास में कोई रिपेयर करने वाली दुकान भी नहीं थी और घर की दूरी भी अब ज्यादा नहीं थी। इसलिए हमने फ़ैसला किया कि हम पैदल ही घर की जाते हैं। हम दोनों नीचे उतर कर पैदल घर की ओर चल दिए।
कुछ दूर तक चलने के बाद मेरी बहन ने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा- भाई, तुम मेरे पीछे पीछे चलो, मेरे साथ नहीं।
मेरी समझ में नहीं आया कि मेरी डार्लिंग सिस्टर मुझे साथ चलने से क्यों मना कर रही है।
मैंने आश्चर्य से पूछा- तुम्हारे पीछे क्यों?
मेरी बहन ने अपनी आँखों को नचाते हुए मुस्कुरा कर कहा- भाई ऐसा करने में तुम्हारा ही फायदा है। अगर तुम चाहो तो इसे आजमा कर देख सकते हो, बल्कि मैं कहती हूँ तुम्हें एक अनोखा मजा मिलेगा।
मुझे अपनी बहन पर पूरा भरोसा था। वो एक बहुत ही दृढ़ निश्चय और पक्के विश्वास वाली लड़की थी और हर चीज़ को माप-तौल कर बोलती थी। अगर उसने मुझसे पीछे चलने के लिए कहा था तो ज़रूर इसमे भी हमेशा की तरह कोई अनोखा आनन्द छुपा होगा।
ऐसा सोच कर मैंने अपने प्यारी सिस्टर को आगे जाने दिया और खुद उसके पीछे उससे कुछ फ़ासले पर चलने लगा।
सारी सड़क एकदम सुनसान थी और एकाध कुत्ते के अलावा कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था। शहर के इस भाग में मकान भी इक्का-दुक्का ही बने हुये थे और एक साथ ना होकर इधर-उधर फैले हुए थे।
मैं अपनी बहन के पीछे धीरे-धीरे चल रहा था और मेरी डार्लिंग बहना भी धीरे-धीरे चल रही थी।
ओह डियर, क्या नज़ारा था? मेरी सिस्टर बहुत ही मादक अंदाज़ में अपने चूतड़ों को हिलाते मटकाते हुए चल रही थी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
अब मेरी समझ में आया मुझे अपने पीछे आने के लिए कहने का राज! वो अपनी पिछाड़ी को बहुत ही मस्त अदा के साथ हिलाते हुए चल रही थी।
उसके दोनों गोल-मटोल चूतड़ जिनको कि मैं बहुत बार देख चुका, उसकी घुटनों तक की स्कर्ट में हिचकोले लेते हुए मचल रहे थे। मेरी बहन के चलने का यह अंदाज मेरे लिए लंड खड़ा कर देने वाला था।
उसके कूल्हे मटका कर चलने के कारण उसके दोनों मस्त चूतड़ इस तरह हिलते हुए घूम रहे थे कि वो किसी मरे हुए आदमी के लंड को भी खड़ा कर सकते थे।
मेरी बहन अपने मदमस्त चूतड़ों और गांड की खूबसूरती से अच्छी तरह से वाकिफ़ था और वो अक्सर इसका उपयोग मुझे उत्तेजित करने के लिए करती थी।
उसकी पिछाड़ी मम्मी की पिछाड़ी की तरह काफ़ी खूबसूरत और जानमारू थी। सोनिया को अच्छा लगता था जब मैं उसकी गांड और चूतड़ों की तारीफ करता और उनसे प्यार करता था।
घर तक पहुँचते-पहुँचते उसके चूतड़ों के इस मस्ताने खेल को देख कर मेरे सब्र का बाँध टूट गया और मुझे लग रहा था कि मेरे लंड से अभी पानी निकल जाएगा।
मैं जल्दी से उसके पास गया और बोला- मेरी सैक्सी सिस्टर, तुम मुझे मार डोगी, मुझसे अब बर्दाश्त नहीं होता है। चलो जल्दी से घर के अंदर।
‘भाई, क्या यह देखना इतना बुरा है जो तुम जल्दी से घर के अंदर जाना चाहते हो?’
‘ओह सोनू, तुम मेरी हालत नहीं समझ रही हो मेरा लंड फुफकार रहा है। जब हम अपने कमरे के अंदर होंगे, और मेरा लौड़ा तेरी बुर में होगा तभी चैन पड़ेगा! जल्दी करो!’
जब हम घर पहुँचे तो मम्मी घर पर नहीं थीं। जैसा कि आमतौर पर होता था, वो इस वक्त अपने ऑफिस में होती थीं। घर पर केवल खाना बनाने वाली आया पुष्पा थी।
उसने हमें बताया कि खाना तैयार होने में कुछ समय लगेगा और हमें इस से कोई ऐतराज़ नहीं था, बल्कि हम दोनों भाई-बहन तो ऐसा ही चाहते थे।
हमने उससे कह दिया कि हम ऊपर अपने कमरे होमवर्क कर रहे हैं और वो हमको डिस्टर्ब नहीं करे और खाना बनाने के बाद घर चली जाए।
हम जल्दी से सीढ़ियों से चढ़ कर ऊपर जाने लगे। यहाँ भी सोनू के पिछवाड़े ने एक लंड खड़ा कर देने वाली शैतानी की। उसने मुझे नीचे ही रोक दिया और खुद अपने चूतड़ों को मटकाते हिलाते हुए बड़े ही मादक अंदाज में सीढ़ियाँ चढ़ने लगी।
जब वो काफ़ी ऊपर पहुँच गई, तब उसने अपने बाएँ हाथ को पीछे ला कर अपनी स्कर्ट जो कि उसके घुटनों तक ही थी, को बड़े ही सेक्सी तरीके से थोड़ा सा ऊपर उठा दिया।
ऐसा करने से पीछे से उसकी मांसल और मोटी जाँघें पूरी तरह से नंगी हो गईं और उसकी काले रंग की नाइलॉन की जालीदार कच्छी का निचला भाग दिखने के साथ उनमें कसी हुई उसकी मदमस्त चूतड़ों की झलक भी मुझे मिल गई।
मेरी बहन की इस हरकत ने आग में घी का काम किया और अब बर्दाश्त करना मुश्किल हो चुका था। मैं तेज़ी से दो-दो सीढ़ियाँ फांदते हुए सेकंडों में अपनी सेक्सी सोनू के पास पहुँच गया और हम दोनों भाई-बहन हँसते हुए अपने कमरे की तरफ भागे।
हम दोनों के बदन में आग लगी हुई थी और हम बेचैन थे, कब हम एक-दूसरे की बाँहो में खो जाएँ। इसलिए हमने दरवाजे को धक्का दे कर खोला और अपने बैग और किताबों को एक तरफ फेंक कर, जूतों को खोल कर सीधा एक-दूसरे की बाँहों में समा गए।
दरवाज़ा हालाँकि हमने बंद कर दिया था पर…
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