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प्रेषक : रेहान
अन्तर्वासना के सारे पाठकों को मेरा नमस्कार !
मैं रेहान, बी.टेक के तीसरे वर्ष का छात्र हूँ। आज मैं आप सबको अपनी जिंदगी के पहले चुदाई के अनुभव के बारे में बात करूँगा, जो पिछले महीने ही हुआ।
ये कहानी मैंने शबनम भाभी (नाम बदला हुआ) से पूछ कर लिखी है जो इस कहानी की मुख्य पात्र हैं, उम्मीद है आप सब को पसंद आएगी।
बात है जून की, मैं अपनी छुट्टी के दिनों में कॉलेज की फीस जमा करने और एक पी-जी खोजने दिल्ली आया था। मेरे दोस्तों में से कोई नहीं आया था।
एक होटल के रूम में रात गुजारी और अगले दिन कॉलेज का काम करके पी-जी खोजने निकल गया। नॉएडा सेक्टर-37 में सड़क पर एक पी-जी के मालिक से फ़ोन पर बात कर रहा था, उसने मुझे घर देखने को बुलाया।
मैं ठीक बात करते-करते आगे बढ़ा। एक विज्ञापन का बोर्ड दिखा ‘TO-LET पी-जी फॉर BOYS’
मैंने वहाँ भी फ़ोन घुमाया।
एक लेडी ने फोन उठाया।
लेडी- कौन?
मैं- जी वो पी-जी के लिए बात करनी थी।
लेडी- कितने लोग हो।
मैं- एक अकेला !
लेडी- सेक्टर-5* में आ जाओ, फिर फ़ोन करना।
मैं वहाँ पहुँचा और पहले जिससे बात हो रही थी उस आदमी का पी-जी *5 में था। मैंने सोचा यहाँ देखकर आगे भी देख लूँगा। हालांकि वैसा कभी नहीं हुआ।
मैंने सेक्टर 5में पहुँच कर फ़ोन किया और जवाब मिला A-4 क्यूब अपार्टमेंट (नाम बदला हुआ) पर आओ।
वहाँ पहुँच कर जैसे ही रूम खटखटा कर घुसा।
“उफ़्फ़ !”
एक क़यामत सी आ गई।
पीली साड़ी पहने सुन्दर नैन-नक्श की खूबसूरत सी औरत अपने चार साल के बेटे को खाना खिला रही थी !
लेडी- बैठो, किस कॉलेज में पढ़ते हो आप?
मैं- IBAT कॉलेज।
उससे बातें होने लगीं, उनका नाम शबनम है।
वो जब भी कुछ बोलती थी तब हर बार अपनी कमर से नीचे साड़ी ठीक करने लगती थी।
उसकी इस हरकत से हर बार मेरी नज़र उसके पेट पर चली जाती थी। वो बीच में उठकर कुछ काम भी कर रही थी। उसकी थोड़ी अलग सी हरकतें भी देख रहा था जिसके कारण उसके जिस्म की नंगी तस्वीरें अपने दिमाग पर उतारने पर मजबूर होना पड़ा।
उनके नितम्ब थोड़े उठे हुए थे और कमर काफी कटावदार थी। पेट का अधिकतर हिस्सा दिख रहा था। वक्ष का साइज़ 32 डबल-डी होगा।
मैंने उसकी एक भी बात नहीं सुनी, बस उसके रूप को ही निहारता जा रहा था। उसकी अदाएँ देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो रहा था।
ऐसा कॉलेज की लड़कियों को देखते समय मेरे साथ कभी नहीं हुआ था। उसे भी मेरा यह आभास, महसूस हो गया था।
बात करते-करते उसने पूछा- तुम कब शिफ्ट होगे?
उसने पैसे की तो बात की ही नहीं।
मैंने कहा- एक घंटे में सामान लेकर आता हूँ, अभी होटल में रुका हूँ। मैं सामान लेकर रात 8 बजे जैसे ही उसके घर में घुसा तो पूरे घर की खुशबू ही अलग थी।
शबनम ने काले रंग की विक्टोरिया सीक्रेट जैसी सैक्सी नाइटी पहने हुई अपने बेटे को रूम में सुला रही थी।
मैं सामन रख कर फ्रेश होने चला गया। वो इतनी कातिल दिख रही थी कि बाथरूम के अन्दर में ही उसको अपनी बाँहों में लेने का सपना देख कर मुठ मार ली।
मैं नहा कर निकला और सोचता रहा- हे ऊपर वाले, बस एक बार सुन ले, आपसे कभी लड़की की गुजारिश नहीं की, पर इसको तो मेरे नीचे लिटा दे।
इतनी देर में उसने दरवाज़ा खोला और कहा- खाना?
यह पहली बार था जब उसने मुझे तौलिये में देखा और चली गई।
सामने मेज पर जब खाने बैठा तो उनकी चूचियाँ काफी स्पष्ट नज़र आ रही थे और बस मन कर रहा था कि टूट पडूँ।
वो मुझे देख कर मुस्कुराई और बोली- क्या देख रहे हो?
मैं शर्म से आधा खाना खाकर ही रूम में चला गया और मन में ऐसा लगने लगा कि बस अभी शादी कर लूँ इससे वरना किये बिना जी नहीं पाऊँगा।
उसने इशारे तो बहुत दिए पर हिम्मत नहीं हो रहा थी कहीं मैं गलत निकल गया तो?
पहली बार इस कदर का मन कर रहा था कि तकिया को ही शबनम समझ कर चुदाई जैसी हरकतें करने लगा। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
रोशनी बंद थी। करीबन रात के डेढ़ बजे मैं उसे देखने के लिए उसके रूम की ओर बढ़ा। बस 3 कदम के बाद ही उससे टकरा गया।
मैंने उसे जोर से पकड़ लिया था और 5 मिनट तक हम दोनों वैसे ही रहे।
फिर उसने धीरे से कहा- मुझे पानी पीना था।
मैं डर से उन्हें छोड़ कर रूम में चला गया, कहीं वो बुरा न मान जाए। ठीक 2 मिनट के बाद वो सीधे आकर पीछे से चिपक गई।
मेरे बदन को एक करंट सा लगा। मैं पलटा और देखा उसका पूरा नंगा बदन मेरे सामने था।
मैंने उसे अपनी बाहों में समेट लिया और अपना एक हाथ उसके पेट पर रखा, उसकी एक जाँघ मेरी एक जाँघ के ऊपर थी। मैंने अपने होंठ धीरे से उसके होंठों पर रखे और बड़े प्यार से उसे चूसने लगा।
वो पूरी तरह से अपने बाहों से मुझे जकड़े हुए थी। मेरा लंड ठीक उसके पेट के नाभि से रगड़ रहा था। उसकी चूचियाँ मेरे सीने से दबी हुई थीं।
वो रुकी और बोली- तुम लेटो ! और धीरे से अपना कोमल हाथों से मेरे 6 इंच के लंड को हिलाने लगी और कुछ ही क्षणों के बाद उसने मेरा लंड अपने मुँह पर ले लिया।
वो बड़े ही अभ्यस्त भाव से मेरे लवड़े को अन्दर-बाहर करने लगी। मेरा लौड़ा भी पूरी तरह कड़ा और गीला हो चुका था।
मुझसे और रहा न जा रहा था। मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और वो मेरा लंड पकड़ कर अपने कोमल चूत पर घिसने लगी।
मैं बिना सोचे अचानक से उसके चूत पर जोर का झटका देकर अपना लंड डाला और पूरी तेज़ी से चोदने लगा।
वो चिल्ला उठी- उई माँ ! आह आ आ आअ !
मैं तुरंत उसके होंठों को चूसने लगा।
वो बोली- आराम से, प्यार से चोदो ना ! एक शौहर की तरह ! अभी पूरी रात बाकी है।
मैं फिर आराम से अपने लंड को अन्दर-बाहर करने लगा। उसकी मस्त नारंगियाँ मेरे मुँह में थीं, कभी उसके होंठों को चूमता था। मेरे हाथ लगातार उसके चिकने पोंदों पर घूम रहे थे। अपना लंड उसकी चूत में सटासट ठोके जा रहा था।
ऐसा लग रहा था कि मानो मुझे जिंदगी से कुछ और नहीं चाहिये।
15 मिनट के बाद मैं झड़ गया। दस मिनट तक वो मेरे ऊपर ही लेटी रही। मैं उसके बाल सहला रहा था। उसके बाद तो रात बाकी थी और न हम कहीं जा रहे थे।
उसके तलाक को 2 साल हो चुके थे, शौहर दूसरी शादी भी कर चुका है, एक बच्चा और कुछ जायदाद शबनम के नाम पर है। गुजारे के लिए वो कॉल सेंटर में काम करती है।
13 दिन में हम 30 से ज्यादा बार चुदाई कर चुके हैं। उसके साथ चुदाई में वो आनन्द मिलता है कि क्या बताऊँ?
मेरी यह आप-बीती आपको पसंद आई? अपने विचार मुझे मेल जरूर करें।
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