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प्रेषक : आशु
मैं अन्तरर्वासना की कहानियों का नियमित पाठक हूँ मैंने भी सोचा क्यों न अपनी कहानी भी ब्यान करूँ। सीधा अपनी कहानी पर आता हूँ।
मैं इलाहाबाद का रहना वाला हूँ, इंजीनियरिंग का स्टूडेंट हूँ। मैं पंजाब के कॉलेज से अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा हूँ।
मेरी क्लास में एक लड़की सुनन्दा पढ़ती थी, देखने में वो थोड़ी गठीले शरीर की लड़की थी, जैसा कि पंजाबी लड़कियाँ होती हैं लेकिन सुनन्दा की ख़ास बात यह थी कि उसके मम्मों का उभार कुछ ज़्यादा था। सूट पर देखने से ऐसा लगता था कि जैसे रॉकेट लांच होने के लिए तैयार हों। वो देखने में बहुत ही सैक्सी, गोरी लड़की थी। मैं और मेरे दोस्त सभी उसे देख कर आहें भरते थे। मेरी किस्मत अच्छी थी क्योंकि मेरे रोल नंबर के जस्ट बाद उसका नंबर था। जिससे मुझे यह फायदा होता था कि क्लास में मुझे उसी के साथ बैठना मिलता था।
मैं प्रोग्रामिंग में अच्छा हूँ इसलिए प्रोग्रामिंग-लैब और डेटाबेस-लैब में मैं प्रोग्राम जल्दी कर लेता था। मेरा काम जल्दी होने की वजह से मैं दूसरों की मदद भी कर देता था।
मैं हेल्प करने के बहाने सुनन्दा की डेस्क के पीछे खड़ा हो जाता और उसे बताते वक़्त उसकी चूचियों को निहारता रहता था। ऐसा करते हुए एक दिन मैं पकड़ा भी गया। मैं तो डर ही गया था जल्दी से मैंने नज़रें फेरीं और भाग खड़ा हुआ।
उस घटना के बाद जब भी मेरी और सुनन्दा की नज़रें मिलती तो मैं उसे अनदेखा करने लगा। मैंने उसे लैब में भी हैलो करना बंद कर दिया।
एक दिन भरी क्लास में सुनन्दा ने मुझसे कहा- आशु, मेरा नहीं खुल रहा है। मैं तो घबरा ही गया और मेरे दोस्त इस बात को लेकर मज़ाक उड़ाने लगे।
मैंने घबराते हुए पूछा- क्या नहीं खुल रहा है?
उसने बोला- सर ने जो फोल्डर शेयरिंग पर लगाया है, वो नहीं खुल रहा है।
मैंने उसकी इस परेशानी को चुटकियों में दूर कर दी। फिर अचानक मेरे जांघों पर हाथ रख कर उसने कहा- प्लीज़, मेरा प्रोग्राम पूरा कर दो।
सुनन्दा की इस हरकत से मैं तो बड़ा गर्म हो गया और मेरा लण्ड जीन्स की अंदर फनफ़ना उठा। मैंने भी इधर-उधर देखा और उसकी चूचियों को छू दिया। मेरा ऐसे करते ही वो सिहर उठी और उठ कर शायद पानी पीने के बहाने लैब से निकल गई।
अचानक उसका मेरे सेल पर मैसेज आया कि वो गर्ल्स-टॉयलेट के सामने मेरा इंतज़ार कर रही है।
हमारे कॉलेज का गर्ल्स-टॉयलेट ज़रा हट कर था, जिससे कि वहाँ पर लोगों का आना-जाना कम रहे। मैं तो पूरी तरह से उत्तेजित और गरम हो चुका था। जल्दी से उठ कर गर्ल्स-टॉयलेट की तरफ गया।
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?
सुनन्दा ने बोला- मेरे साथ चुदाई करोगे?
मैं तो यह सुन कर पागल ही हो गया था लेकिन डर रहा था कि कहीं पकड़े गये तो? कॉलेज से निकाल दिए जाएँगे।
उसने कहा- मैं अंदर जाती हूँ और मिस कॉल देते ही तुम भी आ जाना। वो अंदर गई, उसने मिस कॉल किया। मैंने भी इधर-उधर देखा और जल्द से अंदर घुस गया। मेरे अन्दर आते ही उसने झट से टॉयलेट का रूम लॉक कर दिया।
रूम बंद करते ही सुनन्दा मुझसे पागलों की तरह लिपट गई और मेरे होठों को पागलों की तरह चूमने लगी। मैंने सबसे पहले उसकी चूचियों को दबाना चालू कर दिया। मेरे लण्ड की हालत यह थी जैसे मानो वो जीन्स फाड़ कर बाहर निकल जाएगा।
वो मुझे चूमने के साथ मेरे लण्ड पर भी हाथ फेर रही थी। लण्ड को अपने हाथों से कस कर दबा भी रही थी। मैंने झट से उसके सलवार को ढीला कर दिया और हाथ अन्दर घुसा दिया।
ऐसा करते ही वो मुझसे अलग हो गई और झट से अपने सारे कपड़े उतारकर एक तरफ रख दिए। अब वो सिर्फ पैंटी और ब्रा में थी। मैं उसे ऐसे देख कर चुम्बक की तरह उसे लिपट गया और ऊपर से ही उसे रगड़ने लगा।
सुनन्दा बोली- इतनी जल्दी भी क्या है? पहले तुम अपने कपड़े उतारो।
उसके ऐसा कहते ही मैंने झट से अपने कपड़े उतार दिए और अंडरवियर में आ गया। मैंने उसे नहीं उतारा क्योंकि ये मेरा पहली बार था और मुझे काफी शर्म आ रही थी।
सुनन्दा झट से बैठ गई और मेरी अंडरवियर को नीचे की ओर खींच दिया। मेरा फनफनाता हुआ लण्ड हवा में लहराने लगा। उसकी आँखों में अजीब सी चमक थी मेरे लण्ड को देख कर उसने झट से अपने मुँह में भर लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
उसके कुछ देर तक ऐसा करते ही मैं झड़ गया लेकिन मेरा मन नहीं भरा था। सुनन्दा भी बहुत ही उत्तेजित हो रही थी। मैंने भी झट से उसकी पैंटी निकाली और उसकी चूत को पीने लगा।
उसकी चूत का खट्टा पानी क्या मस्त था। उसकी चूत को चाटते-चाटते मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। सुनन्दा तो मेरे सर को ऐसे दबा रही थी, मानो मेरा पूरा सर अपनी चूत में ही घुसा लेगी।
थोड़ी देर बाद सुनन्दा ने मुझसे बोला- चूसना छोड़ और घुसा दे मेरी चूत में। मैं उसे चूमते हुए खड़ा हुआ और उसके होठों को पीने लगा। मैंने बोला- अब कैसे घुसाऊँ? मेरा पहली बार है।
यह सुनते ही वो उछल पड़ी और बोली- तब तो बड़ा मज़ा आएगा।
मैंने उससे पूछा- क्या तुम पहले भी ऐसा कर चुकी हो? उसने बोला- नहीं बुद्धू, मेरा भी पहली बार है।
मैंने मस्ती लेते हुए पूछा- तुझे कैसे पता ये सब?
सुनन्दा बोली- मेरे पापा मेरी मम्मी को बिना चोदे नहीं सोते हैं, मैंने उन्हें चोदते हुए कई बार देखा है।
मैंने उससे पूछा- अब घुसाना कैसे है?
हम दोनों वहीं लेट गए, वो मेरे नीचे थी, मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत की दरार पर फेरा।
सुनन्दा बोली- पुश कर ! पर मेरा पहली बार है, थोड़ा धीरे-धीरे घुसाना !
वैसे भी उसकी चूत काफी कसी हुई थी। सुनन्दा सही कह रही थी। मेरे लण्ड पर उसने थोड़ा थूक लगाया और पकड़ कर अपनी चूत में घुसाने लगी। मैं उसकी चूची मसल रहा था।
जैसे ही मेरा लण्ड सुनन्दा की सील को तोड़ते घुसा, वो सिहर उठी और चिल्लाने के बजाये उसने मेरे होंठों को खुद के होंठों से चिपका लिए। थोड़ी देर तक हम एक दूसरे को चिपकाए रहे।
मैंने अपनी कमर को आगे-पीछे करते हुए कई ताबड़तोड़ शॉट मारे, मुझे लगा कि मैं तो जन्नत की सैर कर रहा होऊँ। बड़ा मज़ा आ रहा था। सोच रहा था काश ये पल यहीं थम जाएँ।
मैंने जब नीचे देखा तो मेरा लण्ड खून से लथपथ था। मैं भी बिना कोई परवाह किये लगा रहा और पलट गया। सुनन्दा अपने कूल्हे उछाल-उछाल कर मुझसे चुदवा रही थी।
बीस मिनट के बाद वो झड़ गई और उसके झड़ते ही मैंने भी अपना माल छोड़ दिया मैं उसकी चूचियों पर स्खलित हो गया।
दोनों कुछ देर तक एक दूसरे को बाँहों में कस कर पड़े रहे। उसके बाद कई बार होटल बुक करके उसे चोदा और सुनन्दा की सहेलियों का भी दिल खुश किया।
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