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मैं कमरे से बाहर निकल कर बगल वाले कमरे में, जिसमें ससुर जी रह रहे थे, उसमें चली गई। ससुर जी कमरे में नहीं थे।
मैंने इधर उधर नज़र दौड़ाई। बाथरूम से पानी बहने की आवाज सुनकर उस तरफ़ गई तो देखा कि बाथरूम का दरवाजा आधा खुला हुआ था। सामने ताहिर अज़ीज़ खान जी पेशाब कर रहे थे। उन्होंने हाथ में अपना काला लंड संभाल रखा था। लंड आधा उत्तेजित हालत में था इसलिये काफी बड़ा दिख रहा था।
मैं झट थोड़ा ओट में हो गई जिससे कि उनकी नज़र अचानक मुझ पर नहीं पड़े और मैं वहाँ से उनको पेशाब करते हुए देखती रही।
जैसे ही उन्होंने पेशाब करके अपने लंड को अंदर किया तो मैंने एक बनावटी खाँसी देते हुए उन्हें अपने आने की इत्तला दी। वो कपड़े ठीक करके बाहर निकले। ताहिर अज़ीज़ खान जी ने नंगे जिस्म पर एक छोटा सा वी-शेप का स्विमिंग कॉस्ट्यूम पहन रखा था जिसमें से उनके लंड का उभार साफ़-साफ़ दिख रहा था। उन्होंने अपने लंड को ऊपर की ओर करके सेट कर रखा था।
उन्होंने मुझे बाँहों से पकड़ कर अपनी ओर खींचा तो मैं उनके नंगे जिस्म से लग गई। उसी हालत में उन्होंने मेरे कंधे पर अपनी बाँह रख कर मुझे अपने से चिपका लिया। हम दोनों एक-दूसरे के गले में हाथ डाले किसी नये शादीशुदा जोड़े की तरह स्विमिंग पूल तक पहुँचे।
यहाँ पर कोई शरम जैसी बात नहीं थी। बाकी लेडी सेक्रेटरिज़ मुझसे भी छोटे कपड़ों में थीं। उनके सामने तो मैं काफी डिसेंट लग रही थी। मैंने देखा कि सभी लड़कियाँ स्विमिंग करते वक्त भी अपने हाई-हील वाले सैंडल पहने हुए थीं।
सारे मर्द छोटे स्विमिंग कॉस्ट्यूम पहने हुए नंगे जिस्म थे। उनके मांसल सीने देख कर किसी भी औरत का मन ललचा जाये।
ताहिर अज़ीज़ खान जी इस उम्र में भी अपनी हैल्थ का बहुत ख्याल रखते थे। रोज सुबह जिम जाने के कारण उनका जिस्म काफी कसा हुआ था। उनके सीने से लग कर मैं बहुत चहक रही थी। यहाँ देखने या टोकने वाला कोई नहीं था।
हम काफी देर तक स्विमिंग करते रहे। वहाँ हम कुछ जोड़े मिलकर एक बॉल से खेल रहे थे। वहीं पर जर्मनी से आये हुए हैमिल्टन और उसकी सैक्सी सेक्रेटरी साशा से मुलाकात हुई। हम काफी देर तक उनके साथ खेलते रहे।
साशा ने एक बहुत ही छोटी सी ब्रा और पैंटी पहन रखी थी। वो उन कपड़ों और मेल खाते सैंडलों में बहुत ही सैक्सी लग रही थी। दूध के जैसी रंगत और सुनहरे बाल उसे किसी परी जैसा लुक दे रहे थे।
उसका चेहरा बहुत ही खूबसूरत था और उसके बूब्स इतने सख्त थे कि लग रहा था उसने अपने सीने पर दो तरबूज बाँध रखे हों।
हैमिल्टन का कद काफी लंबा था, करीब छ: फुट और दो इंच। उसके पूरे जिस्म पर सुनहरे घने रोंये थे। सिर पर भी सुनहरे बाल थे। हल्की सी बेतरतीब बढ़ी दाढ़ी उसकी शख्सियत को और खूबसूरत बना रही थी।
दोनों के बीच काफी नज़दीकी और बेतकल्लुफी थी। साशा तो बेझिझक उसको किस करती, उसके सीने पर अपने मम्मों को रगड़ती और कई बार तो उसने हैमिल्टन के लंड को भी सबके सामने मसल दिया था। हैमिल्टन भी बीच-बीच में उसकी ब्रा के अंदर हाथ डाल कर साशा के मम्मों को मसल देता था।
पैरिस में खुलेआम सैक्स का बोलबाला था। कोई अगर पब्लिक प्लेस में भी अपने साथी को नंगा कर देता और चुदाई करने लगता तो भी किसी की नज़र तक नहीं अटकती।
वहाँ स्विमिंग पूल पर ही कॉकटेल सर्व किया जा रहा था। मैंने एक गिलास लिया और पास खड़े ताहिर अज़ीज़ खान जी के होंठों से लगा दिया। ताहिर अज़ीज़ खान जी ने मेरी कमर को थाम कर मुझे अपने सीने से सटा लिया और मेरे हाथों से गिलास में से कॉकटेल सिप करने लगे। उन्होंने एक सिप करने के बाद मेरे होंठों से गिलास को सटा दिया।
मैंने कभी उनके सामने शराब नहीं पी थी मगर उनके रिक्वेस्ट करने पर एक सिप उसमें से ली। शराब पीने की तो मैं निहायत शौकीन थी। अब उनके सामने पीने की शर्म भी खुल गई तो मैंने भी अपने लिये एक गिलास ले लिया और फिर आकर उनसे चिपक गई।
मेरा नंगा जिस्म उनके जिस्म से रगड़ खा रहा था। दोनों के नंगे जिस्मों के एक दूसरे से रगड़ खाने की वजह से एक सिहरन सी पूरे जिस्म में फैली हुई थी।
जब हमारे गिलास खत्म हुए तो मैंने गिलास पूल के पास जमीन पर रख दिये और उनकी बाँहों से निकल गई। वो दूसरा गिलास लेकर किसी से डिस्कशन करने लगे तो मैंने भी अपने लिये एक गिलास और ले लिया।
शराब तो वहाँ पानी की तरह पी जा रही थी तो मैं क्यों खुद को रोकती। नई-नई कॉकटेल टेस्ट करने का मौका था। तीसरा ड्रिंक पीने का बाद मुझे सुरूर सा छाने लगा तो मैं वापस स्विमिंग पूल में तैरने लगी।
मुझे देख कर हैमिल्टन भी मेरे साथ तैरने लगा। जब मैं कुछ देर बाद दूसरे कोने पर पहुँची तो हैमिल्टन ने मेरे पास आकर मुझे खींच कर अपने सीने से लगा लिया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
“आय एनवी योर एंपलायर ! व्हॉट ए सैक्सी डैमसल ही हैज़ फ़ोर ए सेक्रेटरी !” उसने कहा और मुझे खींच कर अपने जिस्म से कस कर सटा लिया। (मुझे तुम्हारे बॉस से जलन हो रही है, उसे क्या बढ़िया माल मिला है सेक्रेटरी के रूप में !)
उसने अपने तपते होंठ मेरे होंठों पर रख दिये और अपनी जीभ को मेरे मुँह में डालने के लिये जोर लगाने लगा। मैं पहले-पहले तो अपने ऊपर हुए इस हमले से घबरा गई।
“मम्मम !” आवाज के साथ मैंने उसे ठेलने की कोशिश की मगर एक तो मैं थोड़े सुरूर में थी और वहाँ का माहौल ही कुछ ऐसा था कि मेरा एतराज़ कमज़ोर और लम्हाती ही रहा।
कुछ ही देर में मैंने अपने होंठों के बीच उसकी जीभ को दाखिल होने के लिये जगह दे दी। उसकी जीभ मेरे मुँह के एक-एक कोने में घूमने लगी। मेरी जीभ के साथ वो जैसे बैले डाँस कर रहा था।
यह देख कर साशा भी ताहिर अज़ीज़ खान जी के पास सरक गई और उनसे लिपट कर उन्हें चूमने लगी। मैंने उनकी ओर देखा तो साशा ने अपने अंगूठे को हिला कर मुझे आगे बढ़ने का इशारा किया।
हैमिल्टन के हाथों ने मेरे चूतड़ों को कस कर जकड़ रखा था। उसने मेरे नितंबों को कस कर अपने लंड पर दाब रखा था। उसके खड़े लंड का एहसास मुझे मिल रहा था।
“डज़ ही फ़क यू रेग्यूलरली?” हैमिल्टन ने मुझसे पूछा। ( क्या तुम्हें वो रोज चोदता है?)
“शशऽऽ! ही इज़ नॉट ओनली मॉय एंपलायर… ही इज़ मॉय फ़ादर इन-ला टू… सो यू सी देयर इज़ अ डिस्टैंस टू बी मैनटेंड बिटवीन अस।” (वो मेरे ससुर हैं, तो हमारे बीच कुछ दूरियाँ हैं।)
“ओह फ़क ऑफ!” वो बोला, “इट्स शियर बुलशिट!” (ओह, सब बकवास है!)
“बिलीव मी.. इन इंडिया इनसेस्ट रिलेशनशिप आर इल-लिगल… दे आर बैंड बाय द सोसायटी!”( हाँ ! भारत में पारिवारिक सेक्स अवैध है, समाज इसकी इजाजत नहीं देता !)
“इट इज़ नॉट इंडिया बेबी… यू आर इन पैरिस… कैपिटल ऑफ फ्राँस। हेयर एवरी थिंग इज़ लिगल !” उसने मेरे एक मम्मे को मसलते हुए कहा, “हैव यू नेवर बीन टू एनी न्यूड बीचेज़ ऑफ़ फ्राँस। देयर यू विल फाईंड द होल फैमिली एंजॉयिंग फुल न्यूडिटी। गो ऑन… एन्जॉय बेबी… फ़क हिज़ ब्रेंस ऑऊट!” मैं खिलखिला कर वहाँ से हट गई। ( यह भारत नहीं, तुम पैरिस में हो ! यहाँ सब जायज है। तुमने फ़्रान्स से नग्न समुद्र तट नहीं देखे? वहाँ पूरा परिवार मिल कर सेल्स के मजे लेता है। जाओ और उसके साथ चुदाई करके उसे पागल कर दो !)
कुछ देर बाद हम वापस कपड़े बदल कर सैमिनार में पहुँच गये। फिर शुरू हुई कुछ घंटों की बकबक। मैं अपने ससुर जी से सट कर बैठी थी। उनके जिस्म से उठ रही कोलोन की खुशबू मुझे मदहोश कर दे रही थी और शराब का हल्का-फुल्का सुरूर भी बरकरार था।
पहले तो उन्होंने कुछ नोटिस नहीं किया लेकिन बाद में जब उनको मेरे दिल का हाल पता चला तो वो मेरे नितंबों और मेरी जाँघों को सहलाने लगे। मैंने पहले एक दो बार उनको रोकने की नाकाम कोशिश की लेकिन उनके नहीं मानने पर मैंने कोशिश छोड़ दी।
शाम को ड्रेस कोड के हिसाब से कमरे में आकर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिये और फिर बिना किसी अंडर गार्मेंट्स के एक माइक्रो स्कर्ट और टाईट टॉप पहन ली। फिर बहुत ही पतली और ऊँची हील के स्ट्रैपी सैंडल पहन कर मैंने आईने में अपने को देखा।
मेरे निप्पल टॉप के ऊपर से उभरे हुए दिख रहे थे। मैंने पहले घूम कर और फिर झुक कर अपने को देखा और फिर आईने के पास जाकर अपने को अच्छे से निहारा। मेरे सुडौल जिस्म का एक-एक कटाव, एक-एक उभार साफ़ दिख रहा था। मैं पीछे घूम कर आईने के आगे झुकी तो मैंने देखा कि झुकने के कारण स्कर्ट उठ जाती थी और बगैर पैंटी के मेरी नंगी चूत और गाँड का छेद साफ़ दिख रहे थे।
मैंने ड्रेस को खींच कर नीचे करने की कोशिश की लेकिन वो बिल्कुल भी नीचे नहीं सरकी। मैं उसी ड्रेस में बाहर आई और ताहिर अज़ीज़ खान जी के कमरे में घुस गई।
मेरे ससुर जी उस वक्त तैयार हो रहे थे। उन्होंने दोबारा शेविंग की थी और एक टी-शर्ट और जींस में इतने हैंडसम लग रहे थे कि क्या बयान करूँ।
“हाय हैंडसम ! आज लगता है साशा की शामत आई है। बहुत चिपक रही थी आपसे?” मैंने उन्हें छेड़ते हुए कहा।
“साशा? अरे जिसकी बगल में तुम जैसी हसीना हो तो उसे सौ साशा भी नहीं बहला सकती !” कह कर उन्होंने मेरी तरफ़ देखा।
मुझे ऊपर से नीचे तक कुछ देर तक निहारते ही रह गये। उनके होंठों से एक सीटी जैसी आवाज निकली, जैसी आवाज आवारा टाईप के मजनूं निकाला करते हैं।
“म्मम.. आज तो पैरिस जलकर राख हो जायेगा !” उन्होंने मुस्कुराते हुए मेरी तारीफ़ की।
“आप भी बस मेरी खिंचाई करते रहते हो !” मैं शर्म से लाल हो गई थी। उन्होंने अपने हाथ सामने की ओर फैला दिये तो मैं मुस्कुराते हुए उनके पास आ खड़ी हुई।
कहानी जारी रहेगी।
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