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दोस्तो, मेरा नाम राकेश है. मैं अभी सिर्फ 24 साल का हूँ, अभी शादी नहीं हुई है। अभी मैं पढ़ रहा हूँ. और मैं अपने बड़े भैया और भाभी के साथ शहर में रहता हूँ। हम वैसे 8 भाई बहन हैं. जिनके पास मैं रहता हूँ, वो मेरे सबसे बड़े भैया हैं।
बड़े भैया और भाभी को मैंने हमेशा अपने माँ बाप की तरह ही माना है। भैया की जो बड़ी बेटी हैं लवी वो मुझसे सिर्फ 3 साल छोटी है। उसकी शादी हो चुकी है. अभी पिछले साल उसको एक बेटा भी हुआ है।
अब हुआ यूं कि वो कुछ दिन के लिए अपने माँ बाप के घर आई थी. मगर उसके आने के दो दिन बाद ही लॉकडाऊन हो गया. और वो बेचारी अपने छोटे से बच्चे के साथ यहीं अटक गई।
पहले पहल तो सब ठीक ठाक चलता रहा. मगर कब तक? फिर बेचारी लवी भी दुखी हो गई. कब तक अपना घर छोड़ कर मायके में बैठी रहे।
और लवी से मेरी अच्छी दोस्ती थी. हम दोनों में कभी चाचा भतीजी वाली बात नहीं थी. हम शुरू से ही दोस्तों के जैसे रहे. वो मेरा नाम लेकर ही बुलाती है. मैंने भी उसे कभी अपनी भतीजी नहीं बल्कि अपनी छोटी बहन ही माना है। इसलिए मैंने उसको हमेशा अपनी बहन की तरह ही प्यार और सम्मान दिया है.
मैंने इस बात का भी हमेशा ख्याल रखा कि अब मेरी भतीजी नौजवान है और एक बच्चे की माँ भी है. तो मेरी नज़र कभी उसकी तरफ नहीं उठी. मैंने हमेशा उससे नज़र झुका कर ही बात की थी।
मगर कभी कभी नियति को कुछ और ही मंजूर होता है।
एक दिन लवी नहाने गई हुई थी. मैं उसके बेटे के साथ खेल रहा था. तभी लवी के मोबाइल पर एक मेसेज आया।
वैसे तो ये गलत बात है कि किसी के मोबाइल पर उसके मेसेज चेक करना. पर पता नहीं क्यों, मैंने उसका मोबाइल उठाया और देखा. मेसेज उसके पति की तरफ से आया था।
मैंने मेसेज खोल कर देखा तो उसमें उसने अपने तने हुये लंड की फोटो भेजी थी. और नीचे लिखा था- आजा मेरी जान, और ले ले इसे अपनी गुलाबी चूत में!
मेसेज पढ़ कर, देख कर एक बार तो मुझे गलत भी लगा कि यार चलो ये तो मियां बीवी की आपसी बात है. मुझे इस मेसेज को नहीं देखना चाहिए था.
मगर जब कामदेव बाण मारते हैं न, तो सीधा निशाने पर लगता है।
मेरे दिमाग में जो बात अटक गई … वो थी गुलाबी चूत। मेरी भतीजी की चूत!
एक बार दिमाग में ख्याल आया ‘अरे यार, लवी की चूत सच में गुलाबी है, या इसने यूं ही लिख दिया?’
अब एक तो मैं भी कुँवारा, ऊपर से जवान और लंड हिला कर टाइम पास कर रहा था. तो भतीजी की गुलाबी चूत तो मेरे दिमाग में घर कर गई।
इतने में लवी नहा कर बाहर आ गई। उसने सिर्फ एक टी शर्ट और कैप्री पहन रखी थी।
मेरी भतीजी बाथरूम से निकल कर शीशे के सामने खड़ी होकर अपने बालों से पानी झाड़ने लगी. और मेरी निगाह ना चाहते हुये भी उसके सारे बदन पर घूम गई।
जब वो मेरी बच्ची, मेरी छोटी बहन थी, मैंने कभी इस और ध्यान नहीं दिया. मगर अब जब एक ठर्की की नजर से देखा. तो लवी मुझे बिलकुल नई लगी। टीशर्ट में खुले छोड़े हुये मम्मे जो उसके हिलने से इधर उधर डोल रहे थे. कैप्री में कसे हुये उसके गोल चूतड़, बलखाती कमर, चिकनी जांघें, मोटी पिंडलियाँ।
और ऊपर से गोरा रंग, 5 फीट 5 इंच का कद। चेहरा तो सुंदर था ही!
मेरे दिमाग में ये भी ख्याल आया कि यार मैंने आज तक इतनी औरतों और लड़कियों के बारे सोच कर हिलाया है. तो आज तक मुझे इसका ख्याल क्यों नहीं आया।
मैं उठा और बाथरूम में चला गया. और अंदर जाकर अपना लंड निकाला और हिलाने लगा। थोड़ा सा हिलाया और जब तन गया तो लगा फेंटने।
पहले बार मैंने लवी के साथ सेक्स करने के बारे में सोच कर मुट्ठ मारी। “आ…हा हा हा…” क्या मज़ा आया यार! ऐसा लगा जैसे मैंने सच में उसे चोद दिया हो।
अगले दिन मैं फिर इंतज़ार करने लगा कि कब कुछ देर के लिए इधर उधर हो और मैं चोरी से उसका मोबाइल देखूँ।
शाम को भाभी और लवी दोनों छत पर टहल रही थी. तो मैंने झट से जा कर लवी के मोबाइल को उठाया. और उसमें सबसे पहले उसकी गेलरी खोल कर देखी। बहुत सी पिक्स थी उसमें! उसकी शादी की, घर की, उसके बेटे की।
फिर एक प्राइवेट फोल्डर देखा. उसको खोला तो उसमें लवी की बहुत सी पिक्स थी। पहले तो ठीक ठाक थी, मगर बीच में कुछ पिक्स ऐसी थी जिनमें उसके कपड़े सही नहीं थे. किसी में क्लीवेज दिख रहा था, तो किसी में निकर में से उसकी चिकनी जांघें।
मगर ये पिक्स मैं रोज़ रोज़ तो उसके मोबाइल पर देख नहीं सकता था. तो मैंने एक और चोरी की।
मैंने अपने मोबाइल में हर वो फोटो जो मुझे अच्छी लगी, ब्लूटूथ से ट्रान्स्फर कर ली। और फिर उन पिक्स को देख देख कर मुट्ठ भी मारी।
अब तो मुझे हर वक्त लवी ही लवी दिखाई देती थी. जैसे जैसे मैं उसके मोबाइल से उसकी पिक्स चोरी करके देख रहा था, मेरा जुनून लवी के लिए बढ़ता ही जा रहा था।
हालांकि रोज़ तो मुझे ये मौका नहीं मिलता था. मगर जब भी मिलता, मैं कोशिश करता कि ज़्यादा से ज्यादा डाटा मैं उसके मोबाइल से चुरा लूँ।
एक दिन मैंने लवी और उसके पति की होने वाली चैट पढ़ी. उसमें लवी खुल कर अपने से चुदाई की बातें कर रही थी।
मैं तो पढ़ कर हैरान रह गया के जिसे हम सभी बच्ची समझ रहे थे, वो तो कब की जवान हो चुकी है। कितनी तड़प थी उसको अपने पति से मिलने की! और उस से भी ज़्यादा, उसके साथ सेक्स करने की।
लेकिन इस बार कुछ और भी नया दिखा. वो यह कि लवी ने अपने पति को अपनी कुछ पिक्स भेजी थी. जिनमें वो सिर्फ ब्रा में थी। गोरे बदन पर मरून ब्रा ने कहर ढा दिया।
मैंने वो सभी पिक्स भी अपने मोबाइल में ट्रांसफर कर ली।
वो जो मेरी भतीजी थी, मेरी बेटी थी, मेरी दोस्त, मेरी छोटी बहन. अब वो सब रिश्ते खत्म हो चुके थे. अब मुझे वो सिर्फ एक सेक्सी लड़की के रूप में ही दिखती थी। उसकी अधनंगी तस्वीरें देखना और फिर हाथ से मुट्ठ मारना, तो जैसे मेरे रोज़ की रूटीन हो गई।
मगर मुट्ठ मारने से ज़्यादा मुझे चुदाई करने का शौक था.
तो जब चुदाई के लिए चूत न मिली तो मैंने घर में पानी वाली एक बोतल उठा ली। आपके घर में भी होगी, प्लास्टिक की बोतल, चौड़े मुंह वाली, जिसमे पानी भरके फ्रिज में रखते हैं।
मैंने तो थूक लगा कर उसमें ही अपना लंड घुसेड़ दिया। उस दिन पहली बार चुदाई का मज़ा आया. चाहे प्लास्टिक की बोतल ही थी. मगर कमर हिला हिला कर चोदने का मज़ा आया, ना की हाथ से लंड फेंटने का।
अब मैं हमेशा इस बात का ख्याल रखता कि लवी अपने मोबाइल से कब दूर होती है. और जब भी मौका मिलता, मैं उसके मोबाइल से उसकी फोटो और वीडियो चुरा लेता।
एक रात मैं लवी के नाम से बोतल चोद कर सोया हुआ था. आधी रात के बाद मेरी आँख खुल गई. मैंने देखा मेरा लंड पूरा कसा हुआ था।
मैं उठ कर पेशाब करने के लिए बाथरूम में गया. तो रास्ते में लवी और उसकी माँ भी सो रही थी। मैंने एक मिनट रुक कर लवी को देखा। अपने बेटे के साथ वो बेसुध सो रही थी।
पहले तो मैंने उसे खड़ा देखता रहा. फिर सोचा कि अगर मैं धीरे से सो रही लवी की टीशर्ट ऊपर उठा दूँ तो उसके मम्मों के दर्शन हो सकते हैं।
मगर इस काम के लिए बड़ी हिम्मत चाहिए थी। अगर लवी जाग जाती और मुझे ऐसा करते देख ले तो मेरी कितनी बदनामी होगी। पर टी शर्ट के नीचे से ऊपर नीचे हिलती उसकी छाती देख कर मेरे दिल की धड़कन बढ़ रही थी। दिल तो कर रहा था कि जाकर उसके मम्मे ही दबा दूँ। मगर मैं नहीं कर सकता था।
मैं फिर बाथरूम चला गया। मूत कर वापिस आया तो फिर से लवी पर नज़र मारी।
बच्चे को दूध पिलाने के लिए उसने ढीली सी टी शर्ट पहन रखी थी, ब्रा भी नहीं पहना था। और शायद रात को दूध पिलाया भी तो इस लिए उसकी टी शर्ट पहले ही काफी ऊपर तक उठी हुई थी। उसका थोड़ा सा नंगा पेट दिख रहा था, मगर मम्मे ढके हुये थे।
कितनी देर मैं वहाँ खड़ा, उसे देखता रहा. मेरे मन में हजारों विचार आए.
मगर एक विचार जो सबसे हावी था, वो था लवी की टीशर्ट उठा कर उसके मम्मे देखना. मगर इस तरह किसी सो रही लड़की के कपड़े हटाने के लिए बड़ी हिम्मत भी चाहिए।
मैंने काफी सोचा और फिर सोचते सोचते अपने आप हिम्मत भी आने लगी. तो मैं जाकर लवी के बिल्कुल पास खड़ा हो गया. और फिर मैंने काँपते हुये हाथों से नीचे झुक कर धीरे से उसकी टीशर्ट ऊपर को उठाई।
कभी मन में डर आए, कभी रोमांच, कभी कामवासना। मगर हिम्मत करने से कुछ मिलता है।
मैंने हिम्मत करी और लवी की टी शर्ट आराम से मैंने ऊपर उठा कर उसके दोनों मम्मे नंगे करे दिये।
कमरे की धीमी रोशनी में उसके गोरे मम्मे मुझे बहुत ही प्यारे लगे। पहले तो मैं उन्हें देखता रहा. फिर सोचा कि दबा कर देखूँ.
मगर अगर हाथ लगता और वो उठ जाती तो। तो सोचा छूना नहीं है, सिर्फ देखना है। मगर सिर्फ देख कर क्या होगा। तो मैंने अपना लंड बाहर निकाला और लवी के मम्मों को देख कर मुट्ठ मरने लगा।
ये भी सोचा कि इसके नंगे मम्मों की मोबाइल पर फोटो ले लूँ. मगर कैमरे की फ्लैश से वो जाग सकती थी. और इतनी कम रोशनी में मोबाइल में फोटो नहीं खींची जा सकती थी. तो मैंने उसके नंगे बदन को देख कर मुट्ठ मारने में ही अपना फायदा सोचा।
और जब मुट्ठ मारने के बाद मेरे पानी छूटा तो मैंने वो सारा माल अपने दूसरे हाथ में ले लिया और लवी के पाजामे के ऊपर टपका दिया. इस सोच से कि चलो मेरा लंड न सही, मेरा वीर्य तो भतीजी की चूत को छू गया। उसके बाद मैं जा कर सो गया।
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मेरी भतीजी की चूत की कहानी जारी रहेगी.
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