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मेरा नाम जय है, मैं राजकोट में अपने माता-पिता के साथ रहता हूँ। मेरी उम्र 21 साल है, पतला सा स्मार्ट दिखने वाला बन्दा हूँ। फिलहाल मैं इंजिनियरिंग कर रहा हूँ। यह मेरी पहली आपबीती है।
यह बात तब की हे जब में ग्यारहवीं में पढ़ता था तब छुट्टियाँ आने से मैंने चैन की सांस ली। अब दिल पढ़ाई के अलावा कुछ और करना चाहता था, नई नई जवानी शुरू हुई थी, मुठ मारना व पोर्न फिल्में देखना शुरू ही किया था, औरत को देखने का नजरिया बदल सा गया था, निगाहें चूचों और चूतड़ों पर जाकर ही रूकती।
हमारी गली के आगे वाली गली में एक संपन्न परिवार रहता था, नई नई शादी हुई थी, भैया एक कंपनी में दिनभर काम पर रहते थे और भाभी अड़ोस-पड़ोस के चक्कर काटती रहती थी। जाहिर है हमारे घर भी मम्मी से बतियाने आती रहती।
वैसे तो हमारे बीच ज्यादा बात नहीं होती थी लेकिन उनके घर कोई भी इलेक्ट्रिक आइटम की प्रोब्लम होती तो मैं ही ठीक कर दिया करता था।
मुझे उनके मोटे कूल्हे बहुत ही अच्छे लगते थे, एकदम भरे और गदराए हुए बदन की थी, अपने आप को मेंटेन भी करती थी।
एक दिन शाम को वह हमारे घर आई, मम्मी से बोली- जय को भेजो न जरा, हमारे कंप्यूटर में इन्टरनेट का प्रोब्लम हो गया है। मम्मी ने मुझे आवाज लगाई तो मैं अपने कमरे से बाहर आया और देखा कि भाभी गाउन में थी।
मम्मी के कहने पर मैं उनके पीछे पीछे उनके घर गया, रास्ते में उनके मटकते हुए चूतड़ों को देख रहा था। उनकी गांड की दरार में गाउन की सिलवट गजब ढा रही थी। जैसे तैसे लंड को काबू करते हुए उनके घर में दाखिल हुआ।
लाइट सभी बंद थी, उसने कमरे की लाइट जलाई और बोली- जय, तुम कंप्यूटर देखो, मैं तुम्हारे लिए चाय लाती हूँ।
मैंने कहा- इतनी गर्मी में चाय?
“अच्छा, तो तुम ही बताओ क्या पियोगे?”
“कुछ ठंडा पीते हैं..”
“ठीक है, मैं हम दोनों के लिए ज्यूस लाती हूँ !” कह कर वह अंदर रसोई में चली गई..
मैंने कंप्यूटर देखा, सी पी यू पर धुल चढ़ी हुई थी, साफ़ करके इंटनेट का केबल ठीक किया और पी सी स्टार्ट करके देखा तो प्रॉब्लम सोल्व हो गई थी, चूँकि इन्टरनेट खुल चुका था तो मैंने उसके ब्राऊज़र की हिस्ट्री देखी। कुछ सोंग्स का सर्च किए हुए थे।
नेक्स्ट पेज देखा तो मैं दंग रह गया उसके बाद की सारी एंट्री पोर्न साइटस की थी। इतने में वह ज्यूस लेकर आ गई।
“ठीक हो गया कंप्यूटर?” “हाँ, ठीक हो गया वायरस की प्रॉब्लम थी..!” मैंने झूठ बोला। “ओह.. अब तो कोई प्रॉब्लम नहीं होगी?” “नहीं लेकिन कुछ वेबसाइट खोलने से वायरस आ सकते हैं..!”
वह मेरे सामने शरमा कर मुस्कुराई और बोली- ..तो अब क्या करूँ..? मैंने हंसते हुए कहा- वेबसाइट खोलने की बजाय आपके पति को बताओ..!! वह शर्म से आजू बाजु देखने लगी.. और मुस्कुराने लगी.. “तीन दिनों से उनकी नाईट डयूटी लगती है तो रात को में कंप्यूटर चला लेती हूँ !”
मेरा लंड अब खड़ा होने लगा, मुझे यकीन नहीं आ रहा था कि मैं भाभी से ऐसी बातें भी कर सकता हूँ। मैंने भी मौका देख कर पत्ता फेंका और बोला- आपको जब वह साईट खोलनी हो तो मुझे बोलना मैं आकर फायरवाल लगा दूँगा..
वह झुंझलाई और फटाक से बोली- अरे.. तुम्हारे सामने मैं वह साईट थोड़ी न खोलूँगी..? “मैं भी आपके साथ देखूंगा..”
वह एकदम से शरमा गई पर कुछ बोली नहीं ! मैंने अपना हाथ उनके हाथ पर रखा और धीरे से बोला- आपको ऐसी साईट देखने की क्या जरुरत है?
वह शर्माती अपने हाथ की ओर देखती हुई बोली- तुम्हारे भैया काम पर रहते हैं और मुझे मर्द की जरुरत हो तो यह सब देख लेती हूँ..
अब मैं भी थोड़ा खुला अपनी कुर्सी को उनसे सटा कर बैठ गया, उनका हाथ अभी भी मेरे हाथ मैं था- आप की मज़बूरी मैं समझ सकता हूँ.. मैं भी दिन भर यही दखता हूँ..
अब मैंने अपना दूसरा हाथ उनकी जांघ पर रख दिया और सहलाने लगा।
“जय, ऐसा मत करो प्लीज़.. मुझे कुछ हो रहा है..”
“भाभी किसी को पता नहीं चलेगा और आपको कंप्यूटर की भी जरुरत नहीं पड़ेगी..”
मैंने उसके गालों को चूमना चालू कर दिया था.. अब वह “सी… सी…” करने लगी थी।
अचानक उठकर खड़ी हो गई और बोली- अभी नहीं प्लीज़.. कोई आ जायेंगा.. मैं तुम्हें बाद में बुलाने आऊँगी.. मम्मी को बोलना कि कंप्यूटर अभी ठीक करना बाकी है !
फिर मैंने उसे गालों पर चूम लिया और अपने घर आया.. रास्ते में मुझे एक साथ सैंकड़ों विचार आये.. घर आकर सबसे पहले बाथरूम में गया ! बताने की जरूरत नहीं है कि क्यों?
अंदर जाते ही अपना सात इंच लंबा लंड हाथ में लिया, बल्ब कि रोशनी में चमकता एकदम लाल सुपारा और भाभी की चूत का चीरा यह सब उत्तेजना वाली चीजों के बारे में सोच कर भाभी के नाम की मुठ मार ली..
अब बस भाभी के बुलावे का इन्तजार करना था !
ज्यादा देर इन्तजार नहीं करना पड़ा अगले ही दिन भरी दोपहर को मुझे घर पर बुलाने आई, मम्मी से वही पुराना बहाना बना लिया और मैं आ गया उनके पीछे पीछे उनके घर !!
गर्मी की वजह से रास्ते में सबके घर बंद थे सो किसी के देखने का सवाल ही नहीं था, मम्मी भी हमारे बारे में ऐसी बात नहीं सोच सकती थी, कुल मिलकर संजोग अच्छे बने थे, अब बस चुदाई की ओर कदम बढ़ रहे थे।
रास्ते में मैंने देखा कि भाभी की गांड में उनका गाउन ज्यादा घुस रहा था, मैंने अंदाजा लगाया कि शायद अंदर कुछ न पहना हो, मेरे लिए नंगी जल्दी हो सके इस विचार से !
हम उनके घर को खोलकर अंदर गए, वह सामान्य लग रही थी, बिना कुछ बोले वह मेरे लिए पानी लाई, मैंने उनके हाथों को छूते हुए पानी लिया। जब पानी का गिलास वापस लेने लगी तो मैंने उसके हाथ को पकड़ा, अब जाकर उसके चहेरे पर शर्म आई..
“रुको, पहले दरवाजा बंद कर लूँ..”
वह दरवाजा बंद करने लगी जब मुड़ने वाली थी तभी मैंने अपने आपको उनके पीछे सटा दिया, मेरा लंड उनकी गांड से टकराने लगा, मुझे अपने कपड़ों पर गुस्सा आया।
वह शर्म के मारे पीछे नहीं मुड़ी, अपनी भरी पूरी गांड पर मेरे लंड का दबाव पाकर उत्तेजित होने लगी।
मैंने अपने हाथ आगे ले जाकर पहली बार उनकी मस्त मोटी चूचियों को सहलाना शुरू किया। वह मेरी ओर मुड़ी और मुझे अपनी बाहों में भींच लिया।
अब उनके स्तन मेरे सीने से दब रहे थे। मैंने महसूस किया कि वह उस जगह पर जानबूझ कर ज्यादा जोर लगा रही थी।
मैंने अपने हाथ पीछे लेकर उसके गाउन को धीरे से उठाना शुरू किया, गांड तक उठाने के बाद मैंने उसके चूतड़ों को अपने दोनों हाथों में भरा लिया।
यह क्या?? उसकी गांड के गोले एकदम नंगे थे, मेरा अनुमान सही निकला, उसने पेंटी नहीं पहनी थी।
अब मैं उनके मस्त गोलों को सहलाने व दबाने लगा, गांड की दरार में अपनी बीच वाली उंगली फिराकर छेद पर ले आया।
अब स्थिति उसकी और मेरी सहनशीलता से बाहर जा रही थी, मैंने उसे बेडरूम मैं चलने को कहा, वह तुरंत राजी हो गई, वह मुस्कुरा रही थी, आगे चलने लगी तो गाउन अपने आप ठीक हो गया।
बेडरूम में जाते ही मैंने उसे बाहों में लिया और उसके होठों को चूमने लगा। वह भी मेरा पूरा साथ देने लगी, मुझसे ज्यादा वह अच्छी तरह से चुम्बन कर रही थी। मेरे हाथ उसके पूरे शरीर पर फिरने लगे।
मैंने फिर से गाउन को उठाना शुरू किया, इस बार पूरा ही उठाया। गर्दन के पास पहुँचा तो उसने अपने आप ही हाथ ऊपर उठाकर मेरी सहायता की.. उसने नीचे कुछ भी नहीं पहना था, अब वह बिल्कुल नंगी मेरी बाहों में थी, शर्माती हुई धीरे से बोली- अपने कपड़े भी उतारो..
मैंने आज्ञाकारी बच्चे की तरह अपने कपड़े निकाल दिए। अब हम दोनों नंगे थे, वह इस वक्त बेड पर लेटी थी, अपनी गांड को मेरी ओर करके !
मैं भी उसके पीछे लेट गया, मेरा लंड उसकी गांड से टकराने लगा, वह घर्षण मुझे बहुत अच्छा लगा, मैंने उसकी चूचियाँ सहलाई, पीठ को चूमा, गांड पर हाथ फेरे !
कहीं पर पढ़ा था कि फोरप्ले जरूरी है लेकिन वह अब तड़पने लगी थी, धीरे से बोली- जय, प्लीज़ अब जल्दी करो..
अंधा चाहे लाठी ! मैं उसके ऊपर आ गया और अपना लंड उसकी योनि पर टिकाने लगा, वह पहले सी ही गीली थी, लंड फिसल रहा था जैसे तैसे करके अपना निशाना हासिल किया और जोर से धक्का दिया।
वह चिल्लाई तो नहीं लेकिन ‘शी…सी..आह’ इतना बोली थी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
अब धक्कों का दौर शुरू हुआ, उसकी चूत की कसावट के कारण मेरे लंड को ज्यादा जोर लगाना पड़ रहा था और शायद मुझे ज्यादा आनन्द भी उसी वजह से आ रहा था। उनके हिलते स्तन और शर्म के मारे चहेरे को देख कर मैं ज्यादा उत्तेजित हो रहा था।
थोड़ी देर बाद मेरा लंड जवाब देने लगा, इस बीच शायद वह एक बार झड़ी थी, मैंने भी अपना वीर्य उसकी चूत में ही निकाला और आनन्द के असीम सागर को महसूस करते हुए भाभी पर निढाल हो कर गिर गया।
वह मेरे बालों को सहलाने लगी, लंड सिकुड़ कर अपने आप ही बाहर आ गया था।
आप सोच रहे होंगे कि इसमें न लंड चुसाई हुई और न चूत चुसाई.. तो आपको यह बता दूँ कि पहली बार जब मैंने भाभी को चोदा, तब मुझे यह सब करने का ख्याल नहीं आया था।
उसके बाद भी यह सिलसिला जारी रहा और भाभी की एक सहेली को भी चोदा जो राजकोट में ही रहती है।
सबसे अच्छी बात तो यह है कि भाभी मुझे सिर्फ एक सेक्स टॉय समझती तो उनसे और प्यार व्यार की मुसीबत कभी नहीं आई। उनकी सहेली से भी यही हुआ, वह कहानी भी भेजूंगा।
अब वह मेरी बात फैला रही है अपनी दूसरी सहेलियों में, पर मैं यह सब बढ़ाना नहीं चाहता हूँ, आजकल मैं अपने साथ पढ़ रही लड़कियों पर नजरें लगा रहा हूँ, कुछ होगा तो आप सबको जरूर बताऊँगा। तब तक अपने लंड-चूत सहलाते रहिये और मजे कीजिये।
मेरी आपबीती कैसी लगी, मुझे अपनी राय भेजियेगा, मेरा आईडी है: [email protected]
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