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तरुण के लिंग को देखने के बाद मेरी कामुकता का फिर से पुनर्जन्म हो गया और अगले तीन दिन सोते-जागते वह दृश्य बार बार मेरी आँखों के सामने आने लगा ! नहीं चाहते हुए भी मेरा व्याकुल मन मेरे दिमाग को तरुण के बारे में सोचने को मजबूर कर देता ! अन्त में चौथे दिन मेरे अधीर मन ने मेरे दिमाग पर विजय प्राप्त के ली और मैंने तरुण के साथ सम्बन्ध बनाने का प्रयास करने का निर्णय ले लिया तथा उसे कार्यान्वित करने की योजना बनाने लगी।
अगले दिन से मैंने तरुण की निगरानी रखनी शुरू कर दी और घर की निचली तथा ऊपरी मंजिल में जहाँ कहीं भी वह काम कर रहा होता, मैं उस पर नज़र रखने लगी। एक सप्ताह बीतने के बाद मैंने पाया कि तरुण की निचली मंजिल की एक पेइंग गेस्ट छात्रा निशा के साथ उसकी कुछ अधिक घनिष्ठता थी। निशा की एक ही आवाज़ पर वह भाग कर उसके कमरे में चला जाता था तथा उसका सब काम भी बहुत ही स्फूर्ति के साथ निपटाता था !
मैंने यह भी देखा कि तरुण निशा के कपड़े धोते समय उसके अन्य कपड़ों के साथ उसकी ब्रा और पैंटी भी धोता था जबकि अन्य छात्राओं की ब्रा और पैंटी छोड़ कर सिर्फ अन्य कपड़े ही धोता था।
उस निगरानी के दिनों में एक दिन रात के खाने से पहले मैंने तरुण को निशा के कमरे जाते हुए देखा और लगभग दस मिनट तक वह बाहर ही नहीं आया। यह जानने के लिए कि अन्दर क्या कर रहा मैं निशा के कमरे के दरवाज़े पर कान लगा कर सुनने की चेष्टा करने लगी। जब मुझे अन्दर से कोई भी आवाज़ सुनाई नहीं दी तब मैंने दरवाज़े को हल्का सा धक्का दिया।
अन्दर से बंद नहीं होने के कारण दरवाज़ा थोड़ा सा खुल गया और मैंने जैसे ही कमरे के अन्दर झाँक कर देखा तो दंग रह गई !
अन्दर निशा बैड पर सिर्फ पैंटी पहने हुए अर्ध-नग्न लेटी हुई थी और तरुण निशा के स्तनों की मालिश कर रहा था !
यह जानने के लिए कि आगे क्या होता है मैं वहीं से खड़ी हो कर अन्दर का नज़ारा देखती रही। लगभग दस मिनट तक स्तनों की मालिश करने के बाद तरुण ने निशा की बाजू, गर्दन, पेट, नाभि, टांगों और जाँघों की मालिश की। इसके बाद तरुण ने निशा को पेट के बल लिटा कर उसके कन्धों और पीठ की मालिश की! दस मिनट तक कन्धों और पीठ की मालिश करने के बाद तरुण ने निशा की पैंटी भी उतार दी और उसके नितम्बों की कस कर मालिश करने लगा !
तरुण नितम्बों के साथ साथ उनके बीच की दरार में हाथ डाल कर निशा की गुदा तक की भी मालिश कर रहा था। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
जब शरीर के पीछे की मालिश पूरी हो गई तो निशा सीधी हो टाँगें चौड़ी करके लेट गई और तब तरुण ने उसके जघनस्थल और योनि पर तेल लगा कर मालिश करना शुरू कर दिया !
लगभग पांच मिनट तक बाहर से मालिश करने के बाद तरुण ने निशा की योनि के मुख को खोल कर उसके अन्दर तेल से भीगी हुई अपनी दो उंगलियाँ डाल कर उसके अन्दर की मालिश करने लगा ! फिर कुछ देर के बाद तरुण ने निशा के भगांकुर पर तेल लगाया और अंगूठे से उसे भी रगड़ने लगा। उँगलियों से योनि की और अंगूठे से भगांकुर की संयुक्त मालिश से निशा उत्तेजित होने लगी और उसके मुँह से जोर जोर से उन्ह.. उन्ह.. की आवाजें निकलने लगी।
तब निशा अपना हाथ बढ़ा कर तरुण की जींस की ज़िप खोल कर उसके लिंग को बाहर निकल कर उसे मसलने लगी। अधिक उतेजना के कारण कुछ ही देर में निशा का शरीर अकड़ गया और उसका योनि में से रस का स्राव होने लगा और जब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने तरुण को उसके लिंग को उसकी योनि में डालने के लिए कह दिया !
इसके बाद तरुण फुर्ती से अपने सारे कपड़े उतार कर नग्न हो गया और बैड पर चढ़ कर निशा की टांगों के बीच में बैठ गया, फिर उसने अपनी उँगलियों से निशा की योनि का मुँह खोला और अपने लिंग को उस पर रख कर एक हल्का सा धक्का दिया, धक्के से तरुण का लिंग मुण्ड निशा की योनि के अन्दर चला गया तथा निशा के मुख से बस एक बहुत ही हल्की सी आह ही निकली !
यह देख कर मैं समझ गई कि निशा तरुण के साथ पहले भी कई बार सम्भोग कर चुकी होगी इसीलिए उसे कोई तकलीफ या दर्द नहीं हुई !
उसके बाद तरुण ने एक जोर से धक्का लगाया और अपने पूरा का पूरा लिंग निशा की योनि के अन्दर धकेल दिया और तेज़ धक्के लगा कर अन्दर बाहर करने लगा।
पांच मिनट के बाद निशा जोर जोर से सिसकारियाँ लेने लगी और तरुण के हर धक्के के जवाब में नीचे से उछल कर धक्का देने लगी। बीच बीच में वह अकड़ जाती और योनि में से रस छोड़ देती तथा उससे योनि में उत्पन हुए गीलेपन के कारण तरुण के धक्कों से फच फच की आवाजें कमरे में गूंजने लगी !
अगले पांच मिनट तक उनकी यह क्रिया उसी तरह चलती रही और उसके बाद तरुण बहुत ही तेज़ी से धक्के लगाने लगा। इस बार जैसे ही निशा का शरीर अकड़ा और उसके मुँह से आवाज़ निकली तरुण ने तुरंत अपने लिंग को बाहर निकल कर जोर की अह्ह्ह्हह… करते हुए अपने लिंग में से वीर्य रस की बौछार निशा के शरीर पर कर दी !
निशा ने उस वीर्य को अपने हाथों से अपने स्तनों और जघन-स्थल पर मल लिया और हंसती हुई उठ खड़ी हुई, उसने तरुण के होंठों पर चुम्बन किया तथा अपने पर्स में से सौ रूपये का एक नोट निकाल कर उसे दिया और गुसलखाने में चली गई !
क्योंकि पिछले 40 मिनट से दरवाजे के पास खड़े हो कर मैं यह दृश्य होते देख रही थी इसलिए इतनी उत्तेजित हो गई थी कि मैंने वहीं पर खड़े खड़े अपनी योनि में दो ऊँगली डाल कर अपनी योनि से कई बार रस का स्राव करा दिया !
उस रस के नीचे की ओर बहने से मेरी जांघें और टाँगे गीली हो गई थी, इसलिए मैंने भाग कर ऊपर अपने गुसलखाने में जाकर अपने आपको अच्छी तरह से साफ़ किया। तरुण को निशा के शरीर की मालिश अथवा उसके साथ सम्भोग करते देख कर मुझे उसे पाने की लालसा और भी अधिक बढ़ गई तथा मेरा मन उसके साथ यौन संसर्ग के लिए बहुत ही अधीर हो उठा !
मुझे अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए सही अवसर का इंतज़ार था।
कहानी जारी रहेगी।
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