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लेखक : चक्रेश यादव
दोस्तो, ठण्ड की शुरुआत हो चुकी है और गेहूँ की सिँचाई का समय भी आ गया है।
अभी दो दिन पहले की बात है पापा ने कहा- चक्रेश नौटूर(खेत का नाम) के गेहूँ सींचने वाले हो गए हैं, तुम वर्मा के ट्यूबवेल से पानी लगवाकर खेत की सिँचाई कर दो।
वर्मा जी को मैं ताऊ कहता हूँ और उनके खेत हमारे खेतों के साथ लगते हैं।
काम तो बोरियत वाला था लेकिन पापा की बात को टाल भी नहीं सकता था अत: बुझे मन से मैं ताऊ के पास गया।
उन्होंने बताया- बिजली तो रात में ग्यारह बजे आएगी, और आज मुझे दावत में भी जाना है लेकिन तुम आ जाना घर में बहू रहेगी, उसे आवाज दे देना वो ट्यूबवेल चला देगी, तुम अपने खेत में पानी लगा लेना।
बहू भी किवाड़ की आड़ में खड़ी सुन रही थी और मुस्कुरा रही थी।
मैंने कहा- ठीक है ताऊजी, आप दावत में जाओ, मैं बिजली आने पर भाभी को जगा कर ट्यूबवेल चलवा लूँगा।
इतना कहकर मैं चला आया लेकिन भाभी की कुटिल मुस्कान देखकर मुझे लगा कि शायद आज रात में दो ट्यूबवेल एक साथ चलेंगे।
रात में खाना खाकर मैंने जैकेट पहनी मफलर बाँधा, टार्च और लाठी ली और चल दिया खेत सींचने।
करीब साढ़े दस बजे थे, मैं सीधे वर्मा के दरवाजे पहुँचा, मुझे एक भी आदमी जागता हुआ न मिला। मुझे देखकर कुत्ते भौंकने लगे, मैंने कुत्तों को डाँटा। मेरी आवाज सुनकर वर्मा ताई बोली- बहू, देख तो कौन है?
भाभी ने दरवाजा थोड़ा सा खोलकर देखा, तब तक मैं बोल पड़ा- भाभी, मैं हूँ चक्रेश ! ट्यूबवेल चलवाने आया हूँ।
उन्होंने कहा- ठीक है भैया, बैठो, मैं अभी आती हूँ।
मैं वहीं पड़ी खटिया पर बैठ गया। थोड़ी देर में भाभी चिराग लेकर निकली और अलाव जलाया हम लोग तापने लगे थोड़ी देर में बिजली आ गई तो मैंने कहा- भाभी, बिजली आ गई है चलकर ट्यूबवेल चला दीजिए !
भाभी ने कहा- हाँ चलो !
और मेरे साथ चल पड़ी।
ट्यूबवेल पर पहुँचकर भाभी ने ताला खोला और ट्यूबवेल चलाकर जाने लगी। मेरे अरमानों पर पानी फिरने लगा। फिर भी मैंने हिम्मत करके कहा- भाभी, थोड़ी देर अलाव ताप लो, फिर चली जाना !
वो मान गई, मैंने अलाव जलाया, भाभी से खा- मैं पानी अपने खेत की तरफ़ मोड़ कर अभी आया।
थोड़ी देर में मैं अपना काम करके लौटा और हम दोनों अलाव तापने लगे और बातें करने लगे।
मैंने कहा- भाभी, भैया तो दिल्ली रहते हैं, उनकी याद नहीं आती आपको?
भाभी ने मुस्कुरा कर कहा- तुम्हारे भैया नहीं हैं, तो क्या हुआ तुम तो हो।
मैंने कहा- लेकिन आपने मुझे तो कभी सेवा का मौका नहीं दिया।
भाभी ने कहा- क्या इससे भी अच्छा मौका चाहिए?
और मेरी ओर तिरछी नजरों से देखने लगी। अब मेरी हिम्मत बढ़ गई थी, मैंने भाभी के कंधे पर हाथ रखा तो भाभी सिमट गई। मैंने कहा- भाभी यहाँ कोई आएगा तो नहीं?
“इतनी रात में कौन आएगा?” भाभी ने मुझे निश्चिंत किया।
फिर मैंने भाभी के गाल पर एक पप्पी ली, भाभी शरमा गई। मैं उनके मम्मे सहलाने लगा, भाभी ने अपना सर मेरे कंधे पर टिका दिया फिर मैं भाभी के होंठ चूसने लगा और एक हाथ से उनके ब्लाउज का हुक खोलने लगा। भाभी भी गर्म होकर मेरे लंड को सहलाने लगी। मैंने ब्लाउज को उतार दिया और उनके मम्मे चूसने लगा।
भाभी के मुँह से सीऽऽऽ… ऊँम्ह… आऽऽऽह जैसी आवाजें निकल रही थी। अपनी एक उँगली उनकी चूत में डाल कर मैं अंदर-बाहर कर रहा था। भाभी की चूत से पानी निकलने लगा।
मैंने धीरे से कहा- भाभी, भैया ने कभी तुम्हारी चूत चाटी है?
भाभी ने कहा- नहीं, यह गंदा काम है।
मैंने कहा- भाभी, मजा खूब आएगा, आज करके तो देखो।
थोड़ी न नुकर के बाद वो राजी हो गई। वहीं ट्यूबवेल के ताजे पानी से हमने अपने अपने जननाँग धोए और धान के पुआल पर भाभी को लेटाया और 69 की पोजीशन में आ गए। 5-7 मिनट बाद भाभी मेरा सर अपनी जाँघोँ के बीच दबाने लगी और चूत से पानी छोड़ने लगी।
अब मेरा भी धैर्य जवाब देने लगा। मैं उठा और सीधा होकर भाभी के पैर अपने कंधे पर रखकर लंड को चूत पर रगड़ने लगा। भाभी मेरे लंड को हाथ से पकड़कर चूत के अंदर खींचने लगी। मैंने और ज्यादा रुकना ठीक नहीं समझा और लंड को चूत के छेद पर रखकर लंड का आधा भाग अंदर डाल दिया। भाभी कसमसाने लगी और मुझे धकेलने लगी। शायद उन्हें दर्द हो रहा था। मैंने भाभी के होंठ अपने मुँह में लेकर चोदना शुरु किया।
पहले तो भाभी कसमसाती रही लेकिन 5 मिनट बाद ही शांत हो गई और मुझे सहयोग देने लगी। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। भाभी ऊँऽह… आऽऽह कर रही थी। भाभी 5 मिनट बाद ऐंठने लगी इधर मेरा भी छूटने लगा। भाभी ने मुझे कसकर पकड़ लिया हम दोनों लगभग एक साथ ही फारिग हुए।
मैं कुछ देर भाभी के ऊपर ही लेटा रहा फिर उठा और कपड़े पहनकर भाभी से कहा- भाभी, कैसा लगा?
भाभी मुझसे लिपट गई और कहा- सच मानिए, ऐसा मजा पहली बार मिला।
मैंने कहा- फिर कब मिलोगी?
भाभी ने कहा- जब तुम कहो। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मैंने कहा- सुबह चार बजे तक मेरा खेत भी हो जाएगा, तुम आ जाना एक राउंड और हो जाएगा।
भाभी 4 बजे आने का वादा करके चली गई और मैं खेत देखने चला गया।
चार बजे मेरा खेत हो गया भाभी भी आ गई थी, एक बार फिर मैंने जमकर चुदाई की और भाभी को अपना नंबर देकर घर चला गया।
अब भाभी से रोज फोन पर बातें होती हैँ किसी दिन फिर हम मिलने वाले हैं।
आपकी प्रतिक्रिया के इंतजार में आपका चक्रेश यादव
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